मंगलवार, 23 फ़रवरी 2010

दूर देश से आई फगुनी बयार

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चित्र साभार : इंडियन एक्सप्रेस

20 टिप्‍पणियां:

  1. फ़ागुन में में चितवन चंचल हो गयी है। जरा सम्हाल के...।

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  2. देवराज गिरिजेश क्यों तप भंग करवाने पर तुले हुए हैं :)

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  3. गोया कि ब्रज की बाला पिचकारी लेकर फ़ागुन को सार्थक कर रही है....

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  4. क्या बात है, इधर ये देवी बंदूक से खेल खेल रही हैं उधर इनके बन्धु बांधव भारतीयों के खून से खेल रहे हैं. पर होली है, सो हमारा केवल इनके चटक रंग देखेगे.

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  5. बढ़िया लगा. होली की ढेरों बधाइयाँ.

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  6. आप और आपके परिवार को होली की शुभकामनाएँ...

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  7. गज़ब है सर जी..अपन तो परदेसी फ़गुनी बहार के कर-कमलों मे सुशोभित यंत्र को पिचकारी समझ कर खुस हो रहे थे..मगर ऊ तो राय-फल है..जो खा ले तो खुद पिचकारी बन जाय..खैर ’मातृवत्‌ परदारेषु’ के प्रिंसिपल का अक्षर-मात्राशः पालन करते हुए (और अपने अग्रजों से भी ऐसी ही अपेक्षा रखते हुए ;-) ) आपको होली की पिचकारी भर भर रंगीन शुभकामनाएँ..

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  8. ठाकरे साहब इसके लिए क्या हुक्म है ? ये आस्ट्रेलिया से आई है ?

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