शुक्रवार, 9 अप्रैल 2010

पुरानी डायरी से - 13: 'ईश्वर' नहीं

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भठ्ठर मन, सर्व व्यर्थता बोध - कुछ लिखा नहीं जा रहा। पुरानी डायरी की शरण गया तो पंजाब आतंकवाद के चरम के समय की यह कविता दिख गई। यह वह दौर था जब मेरा ईश्वर से मोहभंग हो रहा था। मनुष्य की सारी समस्याओं की जड़ विभिन्न पंथ और मजहब हैं - यह विश्वास पुख्ता हो चला था। ऐसे में मार्क्सवाद का अध्ययन प्रारम्भ हुआ । मार्क्सवाद और बौद्ध दर्शन के अध्ययन से वैचारिक स्पष्टता आई। इसका परिणाम यह हुआ कि मार्क्सवाद भी एक 'अलग तासीर का अफीम' लगने लगा - विषस्य विषमौषधम् जैसा। औषधि की एक सीमा होती है ...उससे भी मुक्त हुआ।  
आज पंजाब में आतंकवाद नहीं है लेकिन देश के कई भागों में जन दु:ख के प्रति उपेक्षा, निर्मम दमन और शोषण ने हिंसा को एक विकल्प की तरह कायम रखा है। हिंसा - जिससे कोई समाधान नहीं आता लेकिन मनुष्य अपने मन को बहलाता है यह सोच कर कि शायद खून के छींटों से आँखों पर पड़ा पर्दा धुल कर बह जाय । कितनी सम्मोहक और कितनी निरर्थक है यह सोच ! लेकिन सार्थक क्या है ? क्या मानव सभ्यता इस तरह के दुश्चक्रों के आवागमन के लिए अभिशप्त है? हिंसा, शांति, हिंसा, शांति ... तो क्या अंतत: सोचना भी निरर्थक ही है - मानव समाज सुख के स्वप्न क्या निरर्थक ही हैं ? मुझे अब भी लगता है - नहीं ।   
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प्रचुर निरंतर शामें 
यहाँ आती हैं 
चली जाती हैं
उजाला तो लगता है 
अँधियारों के भ्रम जैसा
सूर्योदय तो श्रम जैसा
लड़ कर आने वाला।
इन शामों में
उदासी के कागज पर
चिंता की लेखनी में
पंजाबी खून की स्याही भर
लिख देता हूँ
तुम्हारा नाम
तुम तानाशाह हो
ईश्वर नहीं।
जिसके 'स्वर'
इतने कमजोर हों
गुरुओं की वाणी में
ऋषियों की ऋचाओं में
वह 'ईश्वर' नहीं है। 

17 टिप्‍पणियां:

  1. ऋचाओं में कोई ईश्वर नहीं है ...
    कभी कभी मन यही मान लेने को करता है ....

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  2. पुरानी डायरी की रचनाएं तो बहुत अनुपम हैं।

    @ भठ्ठर मन, सर्व व्यर्थता बोध - कुछ लिखा नहीं जा रहा।

    अपनी भी आजकल यही हालत है :)

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  3. भावावेग की स्थिति में अभिव्यक्ति की स्वाभाविक परिणति दीखती है।

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  4. "उदासी के कागज पर
    चिंता की लेखनी में
    पंजाबी खून की स्याही भर
    लिख देता हूँ
    तुम्हारा नाम
    तुम तानाशाह हो
    ईश्वर नहीं।"

    अत्यन्त मार्मिक...।

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  5. तुम तानाशाह हो
    ईश्वर नहीं।
    जिसके 'स्वर'
    इतने कमजोर हों
    गुरुओं की वाणी में
    ऋषियों की ऋचाओं में
    वह 'ईश्वर' नहीं है। तुम तानाशाह हो
    ईश्वर नहीं।
    जिसके 'स्वर'
    इतने कमजोर हों
    गुरुओं की वाणी में
    ऋषियों की ऋचाओं में
    वह 'ईश्वर' नहीं है।


    व्यककुल मन का स्वाभाविक कथन...!

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  6. बहुधा ईश्वर भी हिंसा को जस्टिफाई करते देखे / सुने गये हैं...संभव है दूसरा पक्ष भी किंचित सत्य पर हो ? इंसानों और इंसानियत के लिये संवाद से बढ़कर कोई कविता नहीं !
    यह अच्छा है कि आप पुराने ज़माने में भी हिंसा के विरुद्ध थे !

    ( गिरिजेश जी पहले सोचा कि अरविन्द जी की टिप्पणी पढ़ने के बाद प्रतिक्रिया दूं पर वे अभी यौन विषय और रोमान में उलझे हैं सो जैसी बनी लिख दी बर्दाश्त कीजियेगा )

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  7. पंजाबी खून की स्याही भर
    लिख देता हूँ
    तुम्हारा नाम
    तुम तानाशाह हो
    ईश्वर नहीं।
    जिसके 'स्वर'
    इतने कमजोर हों
    गुरुओं की वाणी में
    ऋषियों की ऋचाओं में
    वह 'ईश्वर' नहीं है।

    इसमें क्या शक ईश्वर तानाशाह ही है...जो उसके जी मैं आता है वही तो वो करता है...
    अनुपम कृति...

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  8. जिसके 'स्वर'
    इतने कमजोर हों
    गुरुओं की वाणी में
    ऋषियों की ऋचाओं में
    वह 'ईश्वर' नहीं है......
    वाह,इसमें भी यथार्थपरक दर्शन का बोध अंतर्निहित है.

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  9. आपको तो पढ़े बिना मन नहीं मानता .सदा ही अच्छा लगा .
    ' शब्दों के सफ़र ' पर आपकी टिप्पणी देखी और कुछ लिख आया .शायद आपको अच्छा लगे .
    और आपकी लेखनी का मैं क्या मुकाबला करूंगा , पर इस बीच कुछ नया पुराना छपा है अपने ब्लॉग पर .

    टिपियाना जरूरी नहीं पर देख लेंगे तो सार्थक समझूंगा अपना लिखा .

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  10. बहुत अच्छी प्रस्तुति।
    इसे 10.04.10 की चिट्ठा चर्चा (सुबह ०६ बजे) में शामिल किया गया है।
    http://chitthacharcha.blogspot.com/

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  11. आज ही इसे कविता-कोश पर जोड़ कर आ रहा हूँ.. शीर्षक समान लगे.. लिंक दे रहा हूँ-
    देवता हैं नहीं / डी० एच० लारेंस - Kavita Kosh

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  12. "Dukh mein sumiran sab karay,
    Sukh mein karay na koi.
    Jo Sukh mein, sumiran karay,
    To Dukh kahe ko hoi . "

    Hey Ishwar, Kabhi na digne wala atal vishwaas dijiye !

    Dukh- Sukh to aate jaate rehte hain. Life is not bed of roses !

    Mahabharat mein jab Arjun ne ghabrakar hathiyaar daal diye to 'Ishwar' saarthi bankar aa gaye.

    Life is nothing but struggle . Nar ho na niraash karo mann ko.

    "do your duty, reward is not thy concern"

    Hey 'Dayaalu' Ishwaar...aapko humara shat-shat naman !

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  13. कुछ ऐसी क्रूर घटनाएं सुनने को मिलती हैं की ईश्वर से भरोसा उठ जाता है. अभी कल ऐसी ही एक घटना सुनाई दी. कभी बात होगी तो बताऊंगा !

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  14. हरी अनंत हरी कथा अनंता की तरह इश्वर है कि नहीं पर बहस जारी रहेगी....कहीं पड़ा था कि ईश्वर को दोनो ही प्रिय है क्योंकी बहस के दौरान नास्तिक औऱ अनास्तिक दोनों उन्हीं की चर्चा करते हैं..गीता में भगवान करुष्ण अर्जुन को युद्घ के लिए कहते हैं.....सच क्या है...यही सोचता इंसान है..

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