शनिवार, 24 सितंबर 2011

तुझसे नाराज़ नहीं...



तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी...... 

15 टिप्‍पणियां:

  1. गिरिजेश का लेखक रूप देखा, रेखाचित्र देखे और अब यह ऐब्स्ट्रैक्ट कला - किसी गैलरी में लगाने के बारे में सोचिये महाराज!

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  2. सच कहा, नाराज़गी की नहीं हैरानगी की बात है. पर हकीकत यही है.
    निगेटिव, पोजिटिव, न्यूट्रल ...और इन्हीं के आसपास घूमता सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड. यही हमारे अन्दर है और यही हमारे बाहर भी .
    जितने अर्थ खोजो ..मिलते जायेंगे. .......
    इस एब्सट्रैक्ट की जितनी भी व्याख्या करो कम ही है.

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  3. चित्र और व्याख्या का कौशल निरखना दिलचस्प है।

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  4. .
    .
    .
    हाँ, हमारी सरकारी इमारतों में इस तरह के सर्किट बोर्ड दिखना आम बात है... यह भी सही है कि बेचारा इलेक्ट्रिशियन जिंदगी से नाराज नहीं... पर जिंदगी का क्या जब चाहे नाराज हो जाये उस से... बोर्ड हथियार बनेगा तब, नाराजगी दिखाने का...



    ...

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  5. जिंदगी को यूँ उधेड़ कर देखेंगे तो यही होगा..माथा पीटना पड़ेगा। जिंदगी उधेड़ी नहीं जाती हौले-हौले सिली जाती है।

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  6. भयावह स्थिति है, नियमों में सख्त सजा की कमी, ऐसे ही उदाहरण दिखलाएगी !

    हर तरफ लापरवाही नज़र आती है ! शुभकामनायें देश वासियों को !

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  7. ढक्कन स्मैकिया ले गया है , २ किलो माल है, २५ रुपय्या पक्का ! रक्षक ऐश कर रहे हैं !

    एक आध मर गया तो क्या कमी हो जायेगी १२० करोड़ से ऊपर हैं !

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  8. हमको तो लग रहा है किसी के दिमाग का खांचा है , जहाँ या तो शोर्ट सर्किट हो चुका या होने वाला है !

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  9. भाई मेरे स्कूल का मीटर बॉक्स का फोटो है ये!

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