रविवार, 10 जून 2012

सबसे प्रिय ब्लॉग पुरस्कार - 2 : चन्द्रहार के मोती

पिछले भाग से आगे ...
प्रथम तीन स्थानों का निर्धारण भूली सी विद्या गणित के जटिल अनुप्रयोग को ललचाता रहा। सरलता हेतु बस साधारण अंकगणित और सरल सांख्यिकी के कुछ खुरपेंचों तक ही सीमित रहा। इससे पहले के लेख पर आई टिप्पणियों से लगता है कि निर्णय ठीक ही लिया clip_image002[4]
तीसरे स्थान पर जो तीन ब्लॉग आ जमे उनके इकठ्ठे होने का संयोग इतना चकित कर गया कि मुझे एक्सेल शीट को दुबारा चेक करना पड़ना। चकित इसलिये कि अपनी पसन्द यूँ एक जगह इकठ्ठी होते देखना...
... लिखते हुये राहुल सिंह जी की की यह टिप्पणी ध्यान में आई है:

बढि़या चयन. आप सीधे चुनें तो परिणाम और भी बेहतर हों.
मुझे मेहनत करने की क्या आवश्यकता जब लोग मेरा काम किये दे रहे हैं? clip_image002[4]
हले वह ब्लॉग जो समसामयिक मुद्दों और गाँव के बूढ़े पीपल के नीचे पड़ी खाट पर सुस्ताती हर गली खिरकी की खबर लेती धूप को सोंधेपन के साथ प्रस्तुत करता है - चूल्हे के किनारे थाली में पड़ी गर्मागर्म ललचाती रोटी, अंगुली जलने की परवाह नहीं, कोंच दिये गब्ब से! उठती भाप की महक याद आ जाती है। महानगर में अपनी खटाई, रोटी और प्याज की गठरी को सँभालते भागते गँवई की चुहुल नई उद्भावनाओं के साथ यहाँ मिलती है।
rangi_safediमैं सफेद घर की बात कर रहा हूँ जिसके बारे में दूर अरब में रहते एक भारतीय सज्जन कहते हैं – connects me to my origin (obviously Ballia, UP) 
कोई आश्चर्य नहीं कि यह ब्लॉग ऐसे हर किसी को गुदगुदाता है जो गाँव की पृष्ठभूमि से है या जो महानगरों को सीधे साधे मनई की चतुराई और अक्खड़ता के साथ देखता है। इस ब्लॉग के लिये गाँव की सरल मिठास वाली पहाड़ी के चन्द सुर आधुनिक वाद्य पर - पंजाबी बातचीत के तड़के के साथ:

लिया की गलियाँ हों या मैनहट्ट्न न्यूयार्क के राजमार्ग, पटना का बैरीकूल हो या लिव इन रिलेशनशिप वाली ऋचा, यह ब्लॉग सबके साथ अपनी यारी गाँठ लेता है, कुछ ऐसी यारी कि यह उनकी वे अंतरंग बातें जान जाता है जिन्हें शायद वे स्वयं नहीं जानते! ब्लॉग की याद का एक टुकड़ा देखिये:
...एक दस डॉलर का नोट जिस पर किसी का सिग्नेचर ले लिया था,
उसकी कीमत रुपये के गिरने से नहीं बल्कि वक़्त के बदलने से अब कुछ और ही हो गयी है  
बस एक कागज ही तो रह गया है... नोट तो रहा नहीं,
भगवान पर चढ़ाया फूल हो गया है वो
क्या करूँ उसका? ! 
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एक पाठक का कहना है – बस यूँ ही किसी पेड़ के नीचे बैठ इसे स्क्रीन पर सरकाते पढ़ने का मन करता है. तब जब सामने सड़क पर लोगों को देखने तक की फुरसत नहीं होती. 

ojhwaओझा उवाच के लिये बिथोवन की पैस्टोरल सिम्फनी का वह अंश जिसमें सीमाहीन कलकल बहता जल है और बाँसुरी, क्लेरिनेट में लवा, बुलबुल,कोयल के बोल भी।




b6~1


पिट्सबर्ग अमेरिका से लिखा जाता है एक ऐसा ब्लॉग जिसकी बरेली बाँस चढ़ी दृष्टि समूचे संसार पर फिरती है।  clip_image002[4]   इस बहुआयामी और बहुरंगी ब्लॉग की बड़ाई में एक पाठक केवल दो शब्दों में सब कह देता है - honesty, straightforwardness.
smart_ya_vaishnavविविधता, गुणवत्ता और शोध इस ब्लॉग की विशेषतायें हैं। अपनी मिट्टी से जुड़े और वसुधैव कुटुम्बकं की भावना सँजोये इस उदार चरित ब्लॉग बर्ग वार्ता के लिये एक और अंग्रेजी शब्द ध्यान आता है – No nonsense और सम्भवत: यही कारण है कि ‘उपदेशात्मक ब्लॉगों’ से चिढ़ने वाले भी यहाँ के वैसे टोन का बुरा नहीं मानते।  clip_image002[4]   376 फॉलोवर वाले इस ब्लॉग के एक सद्य: लेख से अंश देखिये:
 मैं अपने आसपास के अंतर्जातीय विवाहों पर नज़र दौड़ाता हूँ तो जन्मना ब्राह्मणों को अग्रणी पाता हूँ। प्रेम की तरह शायद कट्टरता के भी कई रूप होते हैं, एक सर्वभूतहितेरतः वाला और दूसरा अहमिन्द्रो न पराजिग्ये वाला। 
ब्राह्मण याने द्विज यानि दूसरे जन्म याने संस्कार से बना हुआ व्यक्ति। मतलब यह कि ब्राह्मण जन्म से होता ही नहीं। ब्राह्मण होने का मतलब ही है आनुवंशिकता के महत्व को नकारकर ज्ञान, शिक्षा और संस्कार के महत्व को प्रतिपादित करना। विश्व के अन्य राष्ट्रों की तरह भारतीय जातियाँ पितृकुल से भी हैं, मातृकुल से भी। लेकिन ब्राह्मण गोत्र इन दोनों से ही नहीं होते हैं। वे बने हैं गुरुकुल से। जातिवाद और ब्राह्मणत्व दो विरोधी प्रवृत्तियाँ हैं। इनका घालमेल करना निपट अज्ञान ही नहीं,
एक तरह से भारतीय परम्परा का निरादर करना भी है।   
इस ब्लॉग के लिये तुलसी की ये पंक्तियाँ:
~ 23
(अगले अंक में द्वितीय स्थान प्राप्त ब्लॉग)              

38 टिप्‍पणियां:

  1. इन ब्लॉगों की प्रतीक्षा रहती है..कुछ नया पढ़ने को मिलता है, हर बार..

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  2. सफेदघर, ओझा उवाच और बर्ग वार्ता का हार्दिक अभिनन्दन!!
    यथार्थ यह तीनों ब्लॉग प्रियता के अधिकारी है।

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  3. ये जो बीच वाले तीसरे हैं वे हमारे सबसे पसंदीदा ब्लॉगर हैं। इनका गणित वाला चिट्ठा भी जबरदस्त है। सतीश पंचम और अनुराग शर्मा में से सतीश पंचम की तो लगभग सब पोस्टें पढ़ी हैं। अनुराग की पोस्टें सबसे कम पढ़ी हैं। लोगों ने सुन्दर चुनाव किया है। बधाई!

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  4. सात जून के बाद आठ और दुपहर तक नौ जून व्यस्तता भरे रहे। 10 जून रविवार को भी काम निकल आयेंगे, नहीं सोचा था।
    सम्भव है कि आज प्रथम दो स्थानों की घोषणा वाली पोस्ट न आ पाये। कृपया धैर्य बनाये रखें।

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  5. वाह! ये तीनो मेरे प्रिय ब्लॉग हैं जिन्हे पढ़ने का मोह त्याग ही नहीं सकता। इनमे कौन श्रेष्ठ है यह चुनना वाकई कठिन काम है। निर्णय अप्रत्याशित नहीं है। एक बार चुनते वक्त मेरा भी मन यह कह रहा था कि तीसरे स्थान के लिए पाँच ब्लॉग का चयन करूं। लेकिन एक ही नाम लेना मजबूरी थी।

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    1. "ये तीनो मेरे प्रिय ब्लॉग हैं जिन्हे पढ़ने का मोह त्याग ही नहीं सकता।"
      निश्चित ही..यही कथन मेरी ओर से भी।

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    2. आप दोनों का आभार! अच्छे पाठक होना भी एक अच्छे ब्लॉग की विशेषता है।

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    3. सच्ची? भरोसा नहीं हो रहा। तीन में एक तो ओवररेटेड है। पक्का। दो में ही चुनाव कीजिये। :)

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    4. जवाँदिल को स्वयं पर भरोसा रखना चाहिये नहीं तो .... ;)

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  6. जबरदस्त गलाकाट प्रतियोगिता है, और worth गलाकाट, किसी एक को चुनना वाकई बहुत मुश्किल था|

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    1. आप जी तो अगली प्रविष्टि देखिये सिरीमान! रह जायेंगे हैरान! कि आ गई एक और गैय्या गार में!
      :) :) :)

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    2. हैरान हूँ भी और नहीं भी और गज्जब तो कैसे कैसे अग्रज हैं जो गार में लाकर भी स्माईली लगाते हैं वो भी तीन तीन :)

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  7. अरे वा.....इधर तो अपुन भी है भिड़ु :)

    स्नेहीजनों का बहुत-बहुत आभार....वैरीकुल जी एवं अनुराग जी को 'भोत-भोत' बधाई :)

    वाकई, तमाम अच्छे ब्लॉगो में से किनको चुनूँ ये भी एक मुश्किल चुनाव था क्योंकि मेरी पसंद के ब्लॉगों की संख्या तीन से ज्यादा थी.....फिर भी अब जाकर संतोष हुआ कि अब तक पसंद के जो अन्य ब्लॉग सोचे थे वही लिस्ट में आये हैं।

    आगामी ब्लॉगों के बारे में उत्सुकता बढ़ गई है........तमाम पसंदीदा ब्लॉगों की संख्या देख अच्छा लगा।

    वैसे टीवी पर इस समय गाना चल रहा है ......

    जवानियां ये मस्त मस्त बिन पिये
    जलाती चल रही है राह में दिये
    न जाने इनमें किसके वास्ते हूँ मैं
    न जाने इनमें कौन है मेरे लिये :) :):)

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  8. सब को बहुत शुभकामनायें हैं ... तीनों अच्छे ब्लोगेर हैं और साएर्थक लेखन करते हैं ...

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  9. अरे, यह तीनों तीन पर ही निपट गए...मैं निराश हुआ! चलिए...अब उत्सुकता और बढ़ गयी। एक-दो पर कौन?
    सफेद घर, ओझा उवाच और बर्ग वार्ता-तीनों एक से बढ़कर एक! सच्चे मोती। इन्हें बधाई!

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    1. आप भले ही निराश हुये हों, हमारी आशा निखरने लगी है! :)

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  10. बर्ग-वार्ता पढ़ता रहा हूं;अनुराग जी से परिचय है...अन्य दो ब्लॉग नहीं पढ़ें हैं।

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    1. आभार! सफेदघर और ओझा उवाच भी पढिये, निराश नहीं होंगे!

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  11. are - ye teeno number teen par ? mujhe to barghvaarta ke number ek par aane kee apeksha thee.......... but then i am a fan :)so it is a biased opinion :)

    badhaiyan teenon 'gyaan gun saagar' sajjanon ko :)

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    1. धन्यवाद, आभार, नवाज़िश करम, शुक्रिया, मेहरबानी!

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  12. मैंने अपनी पसंद में इन आठ का नाम पहले से ही रखा है-
    मल्‍हार
    ओझा-उवाच
    मैं घुमन्‍तू
    मनोज पर देसिल बयना
    न दैन्‍यं न पलायनम्
    मो सम कौन कुटिल खल......?
    लहरें
    सफ़ेद घर
    'ओझा उवाच' और 'सफ़ेद घर' यहां शामिल हो गए हैं, दि्वतीय और प्रथम स्‍थान पर इनमें से कोई अवश्‍य शामिल होगा.
    अन्‍य संभव नामों में फुरसतिया, मानसिक हलचल और ...आलसी तो है ही.

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  13. बर्ग वार्ता का नाम सफेदघर और ओझा उवाच के साथ देखकर उत्साहित हूँ! सभी शुभचिंतकों का आभार!

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  14. It simply could not have been better! :)
    सफ़ेद घर का मूक पाठक हूँ, और नियमित भी नहीं हूँ - लेकिन बड़ा प्रशंसक हूँ।
    और बाकि दोनों तो मेरे पसंदीदा हैं ही।

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  15. सहज, सरल, सरस, सटीक और जानकारी से ओत प्रोत बर्ग वार्ता के लिए आपका धन्‍यवाद और शुभकामनाएं।

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  16. सबको रोज रोज तो नही पर बहुत बार पढ़ा है....

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  17. बिन लिस्ट दिये लोगों ने मेरे ब्लॉग का नाम दिया ! आश्चर्य है।

    वैसे थर्ड डिबिजन पहली बार आए हैं जीवन में :) बैरीकूल से प्रतिकृया मांगनी पड़ेगी इस पर :) चुनने वालों का आभार। भरोसा नहीं हो रहा कि लोगों ने हमारे ब्लॉग का नाम भेजा। नकल से पास तो नहीं किए गए :)

    हम लो प्रोफाइल वाले ब्लॉगर हैं... हमें नहीं लगता था कभी पुरस्कार वाले लिस्ट में आएंगे। आना भी नहीं चाहते। लेकिन ये पुरस्कार वाली टफ़री नहीं है शायद । पुणे में हम रात को 2-3 बजे एक टफ़री पर चाय-पोहा के लिए जाते थे। सीसीडी से लौटते हुए भी एक चाय वहाँ पी लेते थे... वहाँ पर जो बात थी वो सीसीडी के लाईमलाइट, कॉफी, सैंडविच और बिल में कभी नहीं हो सकती :)

    ओवररेट कर दिया लोगों ने मेरे ब्लॉग को :)

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    1. भैया जी, आप 'जवाँदिलों की पसन्द' हैं। आगे क्या कहूँ - थोड़ा कहा बहुत समझना :)

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    2. अभिषेक ओझा,
      अब भाई गेहूं के साथ कुछ घुन/घास फ़ूस भी तो पिसता ही है। :)

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    3. बैरीकूल ये सुन लेगा तो कहेगा, "भैया इतना काहे मोडेस्टिया रहे हैं? :)"

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    4. "....ओवररेट कर दिया लोगों ने मेरे ब्लॉग को ..."
      लगता है आपको गणित नहीं आती. आपने विश्व का सर्वाधिक प्रसिद्ध गणितीय प्रेमपत्र लिखा http://uwaach.aojha.in/2011/12/blog-post.html पर और कह रहे हैं कि ओवररेटेड है.
      फिर से कोई गणित की कक्षा ज्वाइन कीजिए बंधु! :)

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    5. अविनाश की बात को हमारा समर्थन, भेरीकूल अदालत में हाज़िर हों! जिसे भी "विद्या विनयं ददाति" का साक्षात्कार करना हो उसे अभिषेक ओझा से मिलना पड़ेगा ...

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  18. पंचम दा, अभिशेख जी ओर अनुराग जी को बहुत बहुत शुभकामनाएं.

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