tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post1445152883047509281..comments2023-10-30T15:17:40.771+05:30Comments on एक आलसी का चिठ्ठा ...so writes a lazy man: अवधी चचा देखलेंs सास-बहू के झगरा आ कचपचिया गइल लामेगिरिजेश राव, Girijesh Raohttp://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-45075069484941867912019-12-25T17:51:43.631+05:302019-12-25T17:51:43.631+05:30कृपया ई मेल girijeshraoATgmailDOTcom पर सम्पर्क कर...कृपया ई मेल girijeshraoATgmailDOTcom पर सम्पर्क करें। ई मेल पता हेतु 'AT' को @ एवं 'DOT' को . से प्रतिस्थापित कर लें। <br />बिना लिखित पूर्वानुमति के इस ब्लॉग से कुछ भी अपनी किसी पुस्तक या रचना में प्रयोग न करें। सादर सधन्यवाद - गिरिजेश रावगिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-90714206343107174912019-12-12T08:37:32.839+05:302019-12-12T08:37:32.839+05:30अगस्त्य कथा में आपके ब्लॉग से उद्धरण की अनुमति चाह...अगस्त्य कथा में आपके ब्लॉग से उद्धरण की अनुमति चाहता हूं।<br />आकाशीय चित्र के लिए क्या और किसी से पूछना पड़ेगा? Dhanyvad<br />भाषा और व्याकरण के उत्स प्रसार वैभव एवं विकास पर एक नजर।<br />किताब prakashakadhin हैGopal Kamalhttps://www.blogger.com/profile/08258895647479976223noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-37244149198975765342012-10-20T11:10:36.945+05:302012-10-20T11:10:36.945+05:30चचा साथ ले जाने पर विचार किया जाए, हमें भी ज्ञान ल...चचा साथ ले जाने पर विचार किया जाए, हमें भी ज्ञान लाभ होगा, भले ही आप अपना नाम ज्ञानलुप्त ही क्यों न रख लें... :) Astrologer Sidharthhttps://www.blogger.com/profile/04635473785714312107noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-15717353077805739682012-10-19T21:22:35.398+05:302012-10-19T21:22:35.398+05:30Liked this piece. Rather desi, you should have tit...Liked this piece. Rather desi, you should have titled it in proper way or written it in same Awadhi language. Dr V Bhttps://www.blogger.com/profile/10105972747096379119noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-37750263673189259542012-10-18T16:41:23.563+05:302012-10-18T16:41:23.563+05:30कचपचिया तो हम भी देखते थे, गर्मियों में सायं बाहर ...कचपचिया तो हम भी देखते थे, गर्मियों में सायं बाहर सोते थे। हन्नी हनिया..चाँद और शुक्र..प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-89671363168389185902012-10-17T20:33:17.118+05:302012-10-17T20:33:17.118+05:30जय हो... !
एक 'आलसी शोध संस्थान' खोलिए आप ...जय हो... !<br />एक 'आलसी शोध संस्थान' खोलिए आप :) Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-82258381945246246112012-10-17T16:02:52.282+05:302012-10-17T16:02:52.282+05:30और हां, सितम्बर अक्तूबर में जब हम बराम्दे में सोते...और हां, सितम्बर अक्तूबर में जब हम बराम्दे में सोते थे तो हन्नी हन्ना लगभग साढ़े नौ बजे दिखते थे, कचपचिया (तारागुच्छ)उस समय दूर ऊपर हुआ करती थी! Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-76241780327696670952012-10-17T15:57:56.556+05:302012-10-17T15:57:56.556+05:30... वह एक बार कोणार्क गया। लौट कर आने के बाद उसने ...... वह एक बार कोणार्क गया। लौट कर आने के बाद उसने पाया कि वह फिर से वही किशोर हो गया है और अब भटकने के लिये ज्ञान के राजमार्ग हैं, समय की गति को झुठलाता अंतर्जाल है और वे पुस्तकें भी हैं... <br />---------<br />मैं भी बड़ी शिद्दत से महसूस कर रहा हूं कि ऐसे बदलाव लाने के लिये कोई न कोई कोणार्क चुनना चाहिये और वहां हो आना चाहिये - समय समय पर।<br /><br />मेरा पानी पुराना हो गया है। बदलने जाना चाहिये कोणार्क! Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.com