tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post1490010747636737378..comments2023-10-30T15:17:40.771+05:30Comments on एक आलसी का चिठ्ठा ...so writes a lazy man: लोक : भोजपुरी -11: कन्यादान गीत - कवन गरहनवा पापा रउरा पर लागे?गिरिजेश राव, Girijesh Raohttp://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-47614086304259634712018-04-14T23:51:31.394+05:302018-04-14T23:51:31.394+05:30प्रस्तुत कन्यादान -गीत में लोकगीत की मिठास और शब्...प्रस्तुत कन्यादान -गीत में लोकगीत की मिठास और शब्द अंतर्मन को भिगो गए.<br />इस गीत को सुनने वाले की आँख सजल न हो जाए तो वह भावहीन ही होगा.<br />आभार!<br /><br /><br />Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-915413703499994502013-07-19T09:31:52.974+05:302013-07-19T09:31:52.974+05:30अति सुन्दर भाषा एबं प्रस्तुति इस प्रसंग को पढते ह...अति सुन्दर भाषा एबं प्रस्तुति इस प्रसंग को पढते हुए मुझे अपनी बेटी की शादी की याद आ गयी और आँख का कोना गीले हुए बिना न रह सके Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/00529552466557640893noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-79167738330054021872012-10-18T06:50:38.185+05:302012-10-18T06:50:38.185+05:30बड़ा ही मार्मिक प्रसंग आपने इस गीत को शब्दों में ल...बड़ा ही मार्मिक प्रसंग आपने इस गीत को शब्दों में लिपिबद्ध कर व उसके भावो को भी अभिव्यक्ति दी आपके मौसिया सास को बधाई की इतनी अस्वस्थता में जामाता दसवा ग्रह का मान रखा व हम सबको इतना सस्वर पाठ सुनाया आपसे आग्रह है की लोक संस्कृति के इस ध्वन्यात्मक आख्यान को यू ट्यूब पर भी डाले मई तो वहा खोजते खोजते थक गया था पता नहीं था गोद में छोरा नगर ढिढोरा वाली बात हो गई arun prakashhttps://www.blogger.com/profile/11575067283732765247noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-82394395413153634172012-04-21T15:10:02.508+05:302012-04-21T15:10:02.508+05:30यह सहेजने की चीज है, पढ़ के निकल सकने की नहीं।
धन्य...यह सहेजने की चीज है, पढ़ के निकल सकने की नहीं।<br />धन्य भये सर।Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-39734484909240153712012-04-09T13:52:24.590+05:302012-04-09T13:52:24.590+05:30कि हिन्दू विवाह संस्था तमाम मामलों में अनूठी है – ...कि हिन्दू विवाह संस्था तमाम मामलों में अनूठी है – कोई मंगल कार्य बिना पत्नी से गाँठ जोड़े पूरा नहीं होता, अकेले की पूछ नहीं! यह उनका सम्मान है<br /><br />jai baba banaras...Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/07499570337873604719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-55189780443052132852012-04-09T06:03:51.635+05:302012-04-09T06:03:51.635+05:30आप का आना बहुत अच्छा लगा। नये लोग जुड़ते हैं और सु...आप का आना बहुत अच्छा लगा। नये लोग जुड़ते हैं और सुख पाते हैं तो स्वयं को भी संतोष होता है कि श्रम सार्थक हुआ। <br />परिवर्तन में अभी बहुत समय है। 70% भारत गाँवों में रहता है और कृषि आधारित अर्थ व्यवस्था में कमोबेश हाल यथावत ही है। <br />आते रहिये। यह शृंखला जारी रहेगी और आलसी की बकबक भी।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-19509108784674823272012-04-08T22:40:03.302+05:302012-04-08T22:40:03.302+05:30सुनकर ह्रदय पिघल-सा गया... ऐसे गीत सुने तो थे मैंन...सुनकर ह्रदय पिघल-सा गया... ऐसे गीत सुने तो थे मैंने भी,... लेकिन अच्छी बात है कि आज का समाज बहुत परिवर्तित हो चुका है..<br />पहली बार आना हुआ आपके ब्लॉग पे, बहुत अच्छा लगा.<br />सादर शुभकामनाएं<br />मधुरेशMadhureshhttps://www.blogger.com/profile/03058083203178649339noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-6924106776623246172012-04-08T21:06:16.597+05:302012-04-08T21:06:16.597+05:30बहुत बड़ी चीज घटित हो रही है यहां, हम साक्षी बन कर...बहुत बड़ी चीज घटित हो रही है यहां, हम साक्षी बन कर ही धन्य हैं.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-15829636224116387112012-04-08T17:56:05.659+05:302012-04-08T17:56:05.659+05:30अद्भुत !अद्भुत !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-55039558125046089262012-04-08T11:55:07.601+05:302012-04-08T11:55:07.601+05:30अद्भुत निरीक्षण!! चिर सार्थक विवेचन!! शब्द शब्द सं...अद्भुत निरीक्षण!! चिर सार्थक विवेचन!! शब्द शब्द संवेदनाओं का झरना!! सजल आंखों से पढ़ना भी भावुकता भरा हो गया। पहली बार इतने श्रेष्ठ मर्मस्पर्शी आलेख से सामना हुआ है। पुत्री-पक्ष के विवाह बिदाई माहेरा आदि के लोक-गीत मुझे अतिशय भावुक कर जाते है। भोजपुरी मेरे लिए जरा कठिन है अतः भावों की गहराई नहीं छू पा रहा, पर अर्थ आलेखन कर आपने आसान कर दिया। <br /><br />किस किस वाक्य का उल्लेख करूँ जिसने मुझे सर्वाधिक प्रभावित किया? एक शब्द भी नहीं है जिससे मैं अप्रभावित रहा होउँ!!<br /><br />अनमोल भावनाएँ जगाने के लिए आपका सदैव आभारी!!सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-77255570080118710402012-04-08T11:14:32.406+05:302012-04-08T11:14:32.406+05:30विवाह के उत्सव और गीतों के माध्यम से न जाने कितना ...विवाह के उत्सव और गीतों के माध्यम से न जाने कितना कुछ कहता हमारा लोक व्यवहारप्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-91556721085334990082012-04-08T11:10:30.133+05:302012-04-08T11:10:30.133+05:30मेरी बेटी, इकलौती बेटी, इस गीत को सुनकर हंस रही है...मेरी बेटी, इकलौती बेटी, इस गीत को सुनकर हंस रही है और मेरी आँखों से और मेरी श्रीमती जी की आँखों से आंसू बह रहे हैं..! एक गैप है,हमने इस दर्द को देखा सुना है और उससे भी ज़्यादा महसूस किया है!!<br />बस आचार्य जी!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-52761956664888107932012-04-08T10:44:23.161+05:302012-04-08T10:44:23.161+05:30बहुत ही आत्मीय लेख है बंधु !
विवाह गीतों को लेक...बहुत ही आत्मीय लेख है बंधु !<br /><br /> विवाह गीतों को लेकर बचपन से ही जिज्ञासा रही है कि कौन लिखता होगा, कौन बनाता होगा, कैसे छंद गढ़े गये होंगे ? <br /><br /> कभी कभी लगता है लोकजीवन के ये गीत गझिन गाछ से है तो कभी लगता है हरियर बांस की हरियर कइन से लचीला है लोकजीवन ।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-37253205604815251422012-04-08T09:51:48.497+05:302012-04-08T09:51:48.497+05:30कहाँ से आता है इतना दर्द? कहाँ बनते हैं लोकगीत?
ह...कहाँ से आता है इतना दर्द? कहाँ बनते हैं लोकगीत? <br />हिन्दू धर्म से बाहर जन्मी एक कन्या का हिन्दू-विवाह सम्पन्न होने के बाद भारत से आये उसके 70 वर्षीय चाचा ने कहा था, "अब तक न जाने कितनी शादियाँ देखी हैं, विवाह का वास्तविक अर्थ आज पहली बार समझ आया।" सोच रहा हूँ कि यदि उन्हें यह आलेख पढने को मिलता तो क्या कहते। <br />हृदयस्पर्शी आलेख, मर्मस्पर्शी गायन! जारी रहे ...Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-41371723729608989452012-04-08T08:36:51.371+05:302012-04-08T08:36:51.371+05:30रुला तो आपके इस आलेख ने दिया .....
मगर यह सब अब मह...रुला तो आपके इस आलेख ने दिया .....<br />मगर यह सब अब महज एक कर्मकांड होकर रह गया है .....मगर अच्छी बात यह कि स्त्रियों के ये लोकोपचार मनुष्य की संवेदना को झंकृत करते आ रहे हैं .....Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.com