tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post1898031630777178891..comments2023-10-30T15:17:40.771+05:30Comments on एक आलसी का चिठ्ठा ...so writes a lazy man: रोज रोज कीगिरिजेश राव, Girijesh Raohttp://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-91997585535036425902010-06-24T20:53:50.601+05:302010-06-24T20:53:50.601+05:30आज पहली बार यहाँ आया तो देखा हमारे ऑफिस का दृश्य प...आज पहली बार यहाँ आया तो देखा हमारे ऑफिस का दृश्य पसरा पड़ा है... फिर जब “मैं” लिखा देखा आपकी तरफ से, तो लगा गलती से आपके ऑफिस में घुस आया हूँ... मज़ा आ गया कहा तो मज़ा नहीं आएगा...आपकी कथा के लिए ये शब्द बौने हैं... मील के पत्थर है आप, सुनाहै... आज देखा तो सुस्ता कर बैठ गया... शीतल छाया मिली!!!सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-32797617841344866982010-06-24T18:45:52.373+05:302010-06-24T18:45:52.373+05:30तो क्या ऐसा होता है? अच्छा ? बडिया पोस्ट आभार।तो क्या ऐसा होता है? अच्छा ? बडिया पोस्ट आभार।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-19280160799475470412010-06-24T18:35:37.994+05:302010-06-24T18:35:37.994+05:30हम्म... तो ऑफिस में यही सब ओबजर्व करते हैं आप. हाँ...हम्म... तो ऑफिस में यही सब ओबजर्व करते हैं आप. हाँ ये कहानी ही है लेकिन इतनी 'सच' कहानी बिना ओबजर्वेशन के कैसे लिखी जा सकती है?Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-82279059571474839892010-06-22T20:19:29.906+05:302010-06-22T20:19:29.906+05:30सीन दर सीन मन में उतर गयी...अगर कुछ बेहतरीन पोस्टे...सीन दर सीन मन में उतर गयी...अगर कुछ बेहतरीन पोस्टे चुननी हो तो इसे उनमे रखूँगा ......एक स्क्रीन कंप्यूटर पर उभरा ओर सीन दर सीन.पिक्चर ...कुछ पंक्तिया लिखने की निरंतरता ...ओर लेखक की समझ को दर्शाती है ....<br />हमारे क्युबिकल्स के बीच एक मौन खिंचा है।इंटरकॉम की सौम्य कुनमुनाहटें रूटीन हैं, 'मौन' में शामिल .....<br />बाहर आते ही काले घेरे ग़ायब। छि: ऐसे भी कोई फॉलो करता है ? ऑफिस ब्वाय की नज़र मेरी नज़र को पकड़ कुछ सन्देशा ले उसके होठों पर आती है और वह दाँत निपोर देता है - साब ! कॉफी पियेंगे ? मैडम आप ?<br />छोटे छोटे वाक्य आदमी के भीतर की कई कहानी कह देते है तुम्हारे भीतर एक लेखक छुपा है ....जिसे बहुतो तक पहुंचना चाहिए ....शानदार !!!!!डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-50693148281607023072010-06-21T08:33:33.458+05:302010-06-21T08:33:33.458+05:30जल्दी ही पहुँच रहे हैं (खबल्लेने)जल्दी ही पहुँच रहे हैं (खबल्लेने)Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-47511281260227092612010-06-21T05:27:57.323+05:302010-06-21T05:27:57.323+05:30दफ्तरी चरित्र का खाका खिंच गया आँखों के सामने ...अ...दफ्तरी चरित्र का खाका खिंच गया आँखों के सामने ...अच्छा ...ये सब होता है ऑफिस में ...!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-46214672567164924942010-06-20T11:36:04.033+05:302010-06-20T11:36:04.033+05:30beautifully written wonderful post !beautifully written wonderful post !ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-41883588832036858892010-06-20T09:49:30.608+05:302010-06-20T09:49:30.608+05:30अब स्पष्टीकरण से मामला संदेहास्पद हो चला है !,,,,,...अब स्पष्टीकरण से मामला संदेहास्पद हो चला है !,,,,, :)Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-50788120110368489952010-06-20T07:47:58.798+05:302010-06-20T07:47:58.798+05:30@ सिद्धार्थ
अरे भाई, यह कहानी है, संस्मरण नहीं :)...@ सिद्धार्थ <br />अरे भाई, यह कहानी है, संस्मरण नहीं :)ऑफिस वातावरण में सहकर्मियों, बॉस और ग्राहक इन तीन की आपसी केमिस्ट्री को सहेजने का एक प्रयास है। <br /><br />मेरे ऑफिस में अभी भी सब कूल कूल है। मेरे जैसा हॉट जो बैठा है। ;)गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-64835878333533719392010-06-20T07:37:52.527+05:302010-06-20T07:37:52.527+05:30वह ऑफिस मैने देखा है।
यह सब कैसे हो गया जी...? मैं...वह ऑफिस मैने देखा है।<br />यह सब कैसे हो गया जी...? मैंने तो सबकुछ कूल-कूल देखा था...!!सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-18565680813986224942010-06-20T07:07:56.935+05:302010-06-20T07:07:56.935+05:30ये "आबनूसी किवाड़" सबके लिये बहुत बड़ी स...ये "आबनूसी किवाड़" सबके लिये बहुत बड़ी समस्या है और अगर हम खुद इसके पीछे हों तो दूसरों के लिये हम बड़ी समस्या हैं।<br /><br />बहुत ही अच्छा लिखा है, बस ऑफ़िस वाले न पढ़ लें ..।विवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-69886483179543278292010-06-19T22:40:09.645+05:302010-06-19T22:40:09.645+05:30बहुत अच्छी प्रस्तुति।
इसे 20.06.10 की चर्चा मंच (स...बहुत अच्छी प्रस्तुति।<br />इसे 20.06.10 की चर्चा मंच (सुबह 06 बजे) में शामिल किया गया है।<br />http://charchamanch.blogspot.com/मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-87385200387723505722010-06-19T20:36:48.358+05:302010-06-19T20:36:48.358+05:30चित्रण तो जोरदार है भइया--कोई शक नहीं.चित्रण तो जोरदार है भइया--कोई शक नहीं.डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-28715055515337107202010-06-19T19:35:19.223+05:302010-06-19T19:35:19.223+05:30रोचक.रोचक.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-378839836618609642010-06-19T17:59:36.758+05:302010-06-19T17:59:36.758+05:30भौंचक कर दिये हैं जी आज आप।
बसंत और फ़ागुन का मौस...भौंचक कर दिये हैं जी आज आप।<br />बसंत और फ़ागुन का मौसम लंबा खिच गया दीखता है, ग्लोबल वार्मिंग है या ब्लॉगल वार्निंग?<br />जो भी है, है मजेदार। कई ब्लॉग्स के शटर गिरने वाले हैं :))संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-35424719492981789362010-06-19T16:16:46.834+05:302010-06-19T16:16:46.834+05:30@गिरिजेश जी, भीतर भेदने वाली ऑंखें तो ठीक ...पर भ...@गिरिजेश जी, भीतर भेदने वाली ऑंखें तो ठीक ...पर भीतर मुस्कराने वाला काम ज़रा खतरनाक लग रहा है !<br /><br />@ वह बंडल से निकल प्रिंटर में घुसते ए फोर पेपर जैसा कोरा है - दोनों तरफ :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-29405196265534324302010-06-19T16:05:19.196+05:302010-06-19T16:05:19.196+05:30अड़े वड़ी सांई......अड़े बाबा चड़िया हो गया क्या.....अड़े वड़ी सांई......अड़े बाबा चड़िया हो गया क्या.....ऑफिस में ये सब करने को जाता है क्या....सुट्टो सांई....सुट्टो.....।<br /><br /> ये बंदा तो गया काम से....लिख के ले लो....तेलगी का स्टेंप बाजू में करो....ये असली स्टांम्प पेपर पे लिख के ले लो....ये छोरा तो गया काम से.....वड़ी चड़िया हो गया है एकदम चड़िया। <br /><br /> कविता लिखता है....धुत्त...वाली और इधर लपड़ झपड़ करता है बाहर वाली से....उसको देखता है...ऑब्जर्व करता है....वड़ी तुम काम कभी करता है.....आज से ये मेरा सिंधी सेठ का चिंदी निकाल के रहेगा ये ....एकदम चिंदी बना के छोडेगा ये:)<br /><br /> ऑफिस में ये सब ऑब्जर्वेशन जाने अनजाने होते रहते हैं....लेकिन कभी ऑफिस वालों को अपना ब्लॉग पढ़ने आमंत्रित मत करना....वरना बॉस के कान में ऐसा मंत्रित करेंगे कि .....बस :)<br /><br /> वैसे एक सेफ पैसेज ये है कि बॉस को भी ब्लॉगिंग में खींच लाओ :)<br /><br /><br /> मस्त पोस्ट है। एकदम रापचीक।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-55313851899501484782010-06-19T15:32:44.729+05:302010-06-19T15:32:44.729+05:30ऑफसीय चरित्र का सम्यक चित्रण ।ऑफसीय चरित्र का सम्यक चित्रण ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-67722687072372080142010-06-19T09:01:25.323+05:302010-06-19T09:01:25.323+05:30ओवरआल गुड लगा. कहीं-कहीं लिटल मुशकैल्टी हुई!ओवरआल गुड लगा. कहीं-कहीं लिटल मुशकैल्टी हुई!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.com