tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post1914989395916494544..comments2023-10-30T15:17:40.771+05:30Comments on एक आलसी का चिठ्ठा ...so writes a lazy man: उत्तरायण के दिन अब मकर संक्रांति नहीं होती! गिरिजेश राव, Girijesh Raohttp://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-72740481214665531152019-09-23T09:44:26.519+05:302019-09-23T09:44:26.519+05:30पञ्चांग में संशोधन की जिम्मेवारी भारत सरकार के विज...पञ्चांग में संशोधन की जिम्मेवारी भारत सरकार के विज्ञान और प्रोद्योगिकी मंत्रालय की होती है जो इसे पुणे और उज्जैन की वेधशालाओं की सिफारिश पर दुरुस्त करता रहता है. Ranbir S Phaugathttps://www.blogger.com/profile/12907332305082603719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-16649165063422690032016-12-23T14:02:44.026+05:302016-12-23T14:02:44.026+05:30दिल्ली में सबसे छोटे दिन (10 घंटे 19 मिनट 7 सैकंड)...दिल्ली में सबसे छोटे दिन (10 घंटे 19 मिनट 7 सैकंड) 20,21 और 22 दिसंबर को होते है और 23 दिसंबर से दिन बड़े होने शुरू होते हैं. किन्तु सूर्यास्त सबसे जल्दी 28 नबम्बर से 5 दिसंबर के बीच होता है. उसके बाद देर से सूर्यास्त होना शुरू होता है. सूर्योदय 13 जनवरी (मकर संक्रांति) तक लगातार और अधिक देरी से उगता है (8 जनवरी से 13 जनवरी को प्रातः 7:13 पर) उसके बाद जल्दी निकलना शुरू. क्या मकर संकांति का सम्बन्ध सूर्योदय के जल्दी शुरू होने से है? राजेंद्र गुप्ता Rajendra Guptahttps://www.blogger.com/profile/01811091966460872948noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-936487505704114752014-12-23T12:44:40.822+05:302014-12-23T12:44:40.822+05:30बहुत कुछ नया जानने मिला है. आभारबहुत कुछ नया जानने मिला है. आभारमुकेश पाण्डेय चन्दनhttps://www.blogger.com/profile/06937888600381093736noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-79666683375278608512014-12-22T14:52:42.904+05:302014-12-22T14:52:42.904+05:30गज़ब ... कितना कुछ है जिसको जाना, समझा और सोचा नहीं...गज़ब ... कितना कुछ है जिसको जाना, समझा और सोचा नहीं है आज तक ...<br />पढो तो किसी फंतासी से कम नहीं लगता ... दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-25055484736718078262014-12-22T09:25:46.584+05:302014-12-22T09:25:46.584+05:30Ye hui baat. chura ,dahi aur tilkut ka bhog aaj hi...Ye hui baat. chura ,dahi aur tilkut ka bhog aaj hi lagata hoon. BTWur writeup/research is thought provoking....surya ki gati ko dekh Konark par likhe aap ke lekh yaad aa gaye. waise main to Bau ka deewana hoon.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-45625013217250277602014-12-22T08:57:24.522+05:302014-12-22T08:57:24.522+05:30(3) जब हम महाविषुव vernal equinox के पश्चगमन prece...(3) जब हम महाविषुव vernal equinox के पश्चगमन precession की 25920 वर्षों की आवृत्ति की बात करते हैं तो सरलता के लिये बाकी गतियों जैसे nutation (दोलन), अक्षीय झुकाव के परिवर्तन (22° 13' 44" से 24° 20' 50" के बीच का दोलन) और अन्य ग्रह आकाशीय पिंडों के प्रभाव आदि को छोड़ देते हैं। इन सबका सम्मिलित प्रभाव बहुत ही जटिल है और लम्बी संगणकीय गणनाओं की माँग करता है। सम्मिलित प्रभाव के पश्चात की आवृत्ति लगभग 19500 से 23500 वर्षों की परास में पड़ती है। 4000 वर्षों का यह अंतर जटिलता को रेखांकित करता है। अधिक जानना हो तो नेट पर Milankovitch Cycles डाल कर ढूँढ़ें। <br />(4) नक्षत्रों में तारों की संख्या एक समान नहीं है। इसलिये सूर्य के आभासी नभ पथ ecliptic का विभाजन भी बराबर खंडों में नहीं था। यह भी कि हजारो वर्ष पहले की तुलना में अब क्रांतिमंडल ecliptic से नक्षत्रों की स्थितियाँ भी बदल चुकी हैं। धीमी गति से ऐसा होने के कारण अब भी स्थिति ऐसी नहीं कि संबंध पहचाने न जा सकें। <br />(5) आर्ष ग्रंथों में वर्णित बातों के अलंकार और ढंग को समझने के लिये उन्हीं के समकालीन भाषा तंत्र अर्थात वैदिक छान्दस या प्रारम्भिक संस्कृत का प्रयोग करना होगा। निरुक्त शास्त्र का सतर्क अध्ययन और उसका उपयोग अपेक्षित हैं। <br />(6) आधुनिक तकनीकी और विज्ञान के प्रयोग से तत्कालीन प्रेक्षणों को उनके संगत रूप में समझा जा रहा है। यह सतत जारी प्रक्रिया है। गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-58706108645686130202014-12-22T08:31:23.198+05:302014-12-22T08:31:23.198+05:30(1) जय संहिता (8800 श्लोक) से महाभारत (लगभग 100000...(1) जय संहिता (8800 श्लोक) से महाभारत (लगभग 100000 श्लोक) तक होने में महाभारत कई बार भिन्न भिन्न कालखंडों में परिवर्द्धित किया गया। जो कालखंड महाभारत का बताया जाता है, उस में भारतीय राशि या संक्रांति से परिचालित न हो कर वैदिक श्रौत सत्रों से संचालित होते थे। पितामह के लिये सूर्य का उत्तरायण होना महत्त्वपूर्ण रहा होगा न कि मकर संक्रांति क्यों कि ऐसे किसी विभाजन या संक्रमण से उस समय के गणित ज्योतिष को कुछ नहीं लेना देना था। <br />यहाँ एक पक्ष यह भी है कि महाविषुव आधारित देवयान और पितृयान की संकल्पना उत्तरायण और दक्षिणायन से कैसे जुड़ती रही या परिवर्तित हुई। किसी भी यान को अच्छा या खराब मानना बाद का विकास है - शतपथ ब्राह्मण से भी बाद का। <br />(2) महाविषुव आज पूर्वभाद्रपद नक्षत्र पर ही है। आधुनिक राशियों Pegasus और Pisces वाला क्षेत्र। <br />गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-47457981832305841322014-12-22T08:16:41.388+05:302014-12-22T08:16:41.388+05:30भीष्म पितामह ने जब प्राण त्यागे थे क्या उस समय संक...भीष्म पितामह ने जब प्राण त्यागे थे क्या उस समय संक्रांति और उत्तरायण एक ही थे? और उस समय सूर्योदय किस नक्षत्र में था ?<br />वैदिक समय की मान्यता के अनुसार 25920 वर्ष के समय अंतराल को महाविषुव के दिन सूर्य के किसी नक्षत्र पर होने से जिन अवधियों में बाँटा है वो मृगशिरा से शुरू होते हुए पिछला रोहिणी तक क्रमिक रूप से है जो अब पूर्वभाद्रपद पर है ?अभिषेक मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07811268886544203698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-9828762031973023332014-12-21T20:26:41.689+05:302014-12-21T20:26:41.689+05:30बाबा रे बाबा........... समझ नहीं आया। भूगोल पढ़ी ह...बाबा रे बाबा........... समझ नहीं आया। भूगोल पढ़ी है, ज्योतिष नहीं।<br />मैं आशा करती हूं कि कभी यह समझ पाऊंगी।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/11817881044691240179noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-86952534070397361422014-12-21T19:24:36.851+05:302014-12-21T19:24:36.851+05:30गज़ब!गज़ब!देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.com