tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post3782275650010525995..comments2023-10-30T15:17:40.771+05:30Comments on एक आलसी का चिठ्ठा ...so writes a lazy man: कोणार्क सूर्य मन्दिर - 15 : क्षैतिज योजना और वास्तुमंडल - 1गिरिजेश राव, Girijesh Raohttp://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-79437354973225631572012-08-29T00:53:58.922+05:302012-08-29T00:53:58.922+05:30मंदिर की संरचना पर आपका शोध काबिले तारीफ है। (हाला...मंदिर की संरचना पर आपका शोध काबिले तारीफ है। (हालांकि काबिले तारीफ इसके लिए छोटा शब्द है लेकिन अभी इसी से काम चला लें... बाकी तारीफ आगे के लिए सुरक्षित है)<br /><br />बहुत साल पहले एक शोधकर्ता का भाषण सुना था। एक घंटे में उन्होंने भारत के पिछले एक हजार साल में मंदिरों की मूल संरचना में हुए बदलावों के बारे में विस्तार से जानकारी दी थी। इसमें जैन मंदिरों का विशेष उल्लेख था। जैन मंदिर इसलिए क्योंकि उन मंदिरों को बाहरी आतताइयों ने कुछ विशिष्ट कारणों से छेड़ा नहीं था। <br /><br />उस भाषण को पूरा तो मैं याद नहीं कर पा रहा हूं, लेकिन मेरे दिमाग में एक मोटी छवि यह बनी कि मंदिरों की संरचना कभी एक जैसी नहीं रही है। आदिकाल में जो मंदिर बन रहे थे, उनमें गर्भगृह को इस प्रकार चारों ओर से घेरा नहीं जाता था। बाद में गर्भगृह के आगे के निर्माण कार्य होने, सामाजिक आयोजनों के केन्द्र बनने, सत्ता के लोगों के आसन लगने के कारण गर्भगृह का चेहरा एक ही हो गया, बाकी तीन कपाट धीरे धीरे बंद होते गए। सूर्य मंदिर के लिए हो सकता है कि निर्माणकर्ताओं ने सूर्य की रश्मियों के साथ तादात्म्य बैठाने के लिए इसके गर्भगृह को केवल पूर्व की ओर रखा हो, लेकिन शुरू से ऐसा नहीं होता था। <br /><br />इसी के साथ मंदिर की मुख्य संरचना, यादि गर्भगृह, उसके आगे (चारों ओर) का स्थान, इस प्रकार बना होता था कि हर कोण से साम्य में रहता था। बाद के मंदिरों में यह चीज लुप्त हो गई और मंदिर की मुख्य संरचना में चार के बजाय अधिक कोणों ने प्रवेश लेना शुरू कर दिया... <br /><br />उन प्रोफेसर का नाम भी भूल गया, मेरा एक मित्र साथ में था, किसी दिन उससे पूछकर बताउंगा, उन प्रोफेसर ने इस क्षेत्र में शानदार शोध किया है.. Astrologer Sidharthhttps://www.blogger.com/profile/04635473785714312107noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-35505014124032241712012-08-26T18:51:38.377+05:302012-08-26T18:51:38.377+05:30पुरुष > पोरसा ... क्या बात है भइया!तिया पाँचा प...पुरुष > पोरसा ... क्या बात है भइया!तिया पाँचा पर थोड़ा और 'लैट' मारिये न! <br /> गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-22964427043243130192012-08-26T16:42:46.697+05:302012-08-26T16:42:46.697+05:30भोजपुरी 'पोरिसा' भर पानी में डूब कर 'प...भोजपुरी 'पोरिसा' भर पानी में डूब कर 'पुरुष' की लम्बाई याद आई .<br />'तीन-पांच'.... शायद पञ्च तत्व गुन तीनी चदरिया है.<br />आज मन से पढ़ने बैठा हूँ .<br />हम भाग्यशाली हैं कि इतिहास की पुनर्रचना के गवाह हैं , आपसे बोलते-बतियाते .<br /> rajani kanthttps://www.blogger.com/profile/01145447936051209759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-77371134322621063122012-08-24T10:27:12.903+05:302012-08-24T10:27:12.903+05:30पता नहीं आपका ब्लॉग अपडेट कैसे चूक गया, आज ही देख...पता नहीं आपका ब्लॉग अपडेट कैसे चूक गया, आज ही देखा है, अभी समझने में कुछ वक्त लगेगा। फिर टिप्पणी करूंगा। अभी की टिप्पणी तो केवल उपस्थिति मात्र की सूचना है... :) Astrologer Sidharthhttps://www.blogger.com/profile/04635473785714312107noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-56641243036890798152012-08-17T23:10:35.717+05:302012-08-17T23:10:35.717+05:30:) सत्य वचन कविवर !
जब शब्दों के खिलाड़ीयों के पास ...:) सत्य वचन कविवर !<br />जब शब्दों के खिलाड़ीयों के पास ही शब्द कम पड़ जा रहे हैं इस श्रृंखला पर टिपण्णी करने में. तो हम तो क्या ही कहें ! Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-43854066330339742162012-08-17T14:02:45.701+05:302012-08-17T14:02:45.701+05:30बेहतर संकलन और प्रस्तुति !!बेहतर संकलन और प्रस्तुति !!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-60170824808354859682012-08-16T22:02:26.394+05:302012-08-16T22:02:26.394+05:30परिधि मापन की विधि बहुत आसान थी। प्रारम्भ में दिये...परिधि मापन की विधि बहुत आसान थी। प्रारम्भ में दिये अंग्रेजी पृष्ठों के चित्र को क्लिक कर बड़ा कर देखें। भास्कराचार्य ने विधि बता रखी है। <br /> गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-91807588227830303552012-08-16T10:17:04.880+05:302012-08-16T10:17:04.880+05:30जितना समझते है, उतना उलझते हैं...कुछ भी हो समझकर ह...जितना समझते है, उतना उलझते हैं...कुछ भी हो समझकर ही मानेंगे। आश्चर्य है कि परिधि कैसे मापी होगी?प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-26571463898185428932012-08-16T02:35:18.230+05:302012-08-16T02:35:18.230+05:30बेहद जटिल लगती हैं ये गणनाएँ.
हमारे पूर्वज बहुत ही...बेहद जटिल लगती हैं ये गणनाएँ.<br />हमारे पूर्वज बहुत ही बुद्धिमान और गणित में विद्वान हुआ करते होंगे.<br />मुझे तो इतना ही समझने में लग रहा है मैं कितनी ज्ञानवान हो गयी हूँ.<br /><br />अद्भुत जानकारी और आप की मेहनत तो इस श्रृंखला में दिखाई दे ही रही है ,Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-3592160780443968442012-08-15T11:33:16.685+05:302012-08-15T11:33:16.685+05:30मुझे तो १०-१५ मिनट में पढ़ के लिखने में भी अजीब लग ...मुझे तो १०-१५ मिनट में पढ़ के लिखने में भी अजीब लग रहा है। आपके इतने श्रम, इतने शोध को बड़े आराम से पढ़ के "वाह" कह निकल लेने का जी नहीं करता।<br />आज ED और survey labs में बिताये गए अतिरिक्त घंटे याद हो आए।<br /><br />बहुत आभार आचार्य! :) Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-50623032173963826822012-08-15T09:53:22.800+05:302012-08-15T09:53:22.800+05:30हजारों हजार टन उलझे सूत्र को सुलझाने का दूरह श्रम ...हजारों हजार टन उलझे सूत्र को सुलझाने का दूरह श्रम है यह तो!!<br />सुलझाना ही नहीं उसे उसके हर छोटे बिन्दु पर मूल स्वरूप में पुनः बुनना है। समझना भी दिमाग की नसों की सलवटें निकालने सम श्रम का कार्य है फिर भी विद्यार्थीपन में टिके रहने का प्रलोभन सवार है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-82291363289150599942012-08-15T07:55:03.248+05:302012-08-15T07:55:03.248+05:30आप को और अन्य सभी मित्रों को भी बधाइयाँ। ... मुझे ...आप को और अन्य सभी मित्रों को भी बधाइयाँ। ... मुझे आशा थी कि आप लेख पर भी कुछ कहेंगी, 15 अगस्त सन्देश तो ई मेल से भी दिया जा सकता है :( <br />...खैर, कोई बात नहीं जी। गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-39094708393127080492012-08-15T07:49:08.824+05:302012-08-15T07:49:08.824+05:30स्वतंत्रता दिवस महोत्सव पर बधाईयाँ और शुभ कामनाएं ...स्वतंत्रता दिवस महोत्सव पर बधाईयाँ और शुभ कामनाएं Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.com