tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post4411197669046871243..comments2023-10-30T15:17:40.771+05:30Comments on एक आलसी का चिठ्ठा ...so writes a lazy man: कुछ लिखना है लेकिन मन नहीं बन रहा इसलिए यह लिख दिया :)गिरिजेश राव, Girijesh Raohttp://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comBlogger23125tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-79685680013301656742010-03-25T14:17:12.754+05:302010-03-25T14:17:12.754+05:30गिरिजेश जी ,
आपसे सहमत .वर्तनी संबंधी त्रुटियों को...गिरिजेश जी ,<br />आपसे सहमत .वर्तनी संबंधी त्रुटियों को छोड़ बदलाव नहीं हो आलेख में.मैंने मोडेरेसन लगाया .कुछ बक्वासियों और कुटिलों से बचने के लिए.उनका जाहिर होना अगर मुक्त अभिव्यक्ति को कलंकित करे तो.वर्ना आलेख लेखक भी उस कलंक का दोषी हो जाता है .RAJ SINHhttps://www.blogger.com/profile/01159692936125427653noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-1850671206979875832010-03-24T01:10:08.538+05:302010-03-24T01:10:08.538+05:30पैकेट का दूध, प्रेम भी ले गया और घलुआ भी ! क्या ज़...पैकेट का दूध, प्रेम भी ले गया और घलुआ भी ! क्या ज़माना आ गया है भई.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-34869975119266535142010-03-23T13:58:00.508+05:302010-03-23T13:58:00.508+05:30पोस्ट में सुधार की गुन्जाइश तो रहनी चाहिये, क्योंक...पोस्ट में सुधार की गुन्जाइश तो रहनी चाहिये, क्योंकि आमतौर पर वर्तनी की अशुद्धियां हो ही जातीं हैं. हमारे पास भी टिप्पणी मॉडरेशन का कोई प्रावधान नही है.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-17914997763493083672010-03-22T11:01:24.193+05:302010-03-22T11:01:24.193+05:30पोस्ट अपडेटिंग का तरीका ब्लॉगर के चरित्र का दर्पण ...पोस्ट अपडेटिंग का तरीका ब्लॉगर के चरित्र का दर्पण होता है।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-6246807499148153822010-03-22T11:00:32.386+05:302010-03-22T11:00:32.386+05:30कोई भी रचना सतत परिमार्जन के लिये खुली होनी चाहिये...कोई भी रचना सतत परिमार्जन के लिये खुली होनी चाहिये। हां अगर रचना इण्टरेक्टिव हो, जैसे ब्लॉग पोस्ट तो उसमें अपडेट का समय या चिन्ह (जैसे शब्द बदलना शब्द के स्ट्राइकथ्रू से इंगित हो) से पता चलना चाहिये। <br />अच्छे ब्लॉगर को अपनी पुरानी पोस्टें री-विजिट कर परिमार्जित करते रहना चाहिये। कई लिंक उनमें काम नहीं करते और कुछ सामग्री अप्रासंगिक हो जाती है।<br />यह विषय चर्चा के लिये सतत खुला है!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-36021674083399809822010-03-22T10:00:22.541+05:302010-03-22T10:00:22.541+05:30वैसे हम भी आपको पढते हैं मगर कभी टिपियाते नहीं हैं...वैसे हम भी आपको पढते हैं मगर कभी टिपियाते नहीं हैं.. :)<br /><br />फिलहाल तो अभय तिवारी जी के संग खड़े हैं..<br /><br />वैसे जहां तक मुझे याद आता है, मैंने भी कभी टिपियाये कि ना टिपियाये वाले विषय पर नहीं लिखा है.. सोचता हूँ कि मैं भी यह बचा हुआ काम कर ही डालू.. :)PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-50442138282775693222010-03-22T07:35:50.081+05:302010-03-22T07:35:50.081+05:30aaj somvaar hai...aalsiyon me to hamara bhi bada n...aaj somvaar hai...aalsiyon me to hamara bhi bada naam hai..lekin lagta hai hame bhi apna aalas tyaagkar tippaniyon par kuchh likhna hee padega ...शेफाली पाण्डेhttps://www.blogger.com/profile/14124428213096352833noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-85338457723777392952010-03-22T02:00:50.958+05:302010-03-22T02:00:50.958+05:30आखिर ऐसे भी पाठक हैं जो पढ़ते तो हैं लेकिन टिप्पणी...<b>आखिर ऐसे भी पाठक हैं जो पढ़ते तो हैं लेकिन टिप्पणी नहीं करते।</b><br />कितनी अजीब सी बात है आपके प्रोफाइल में क्लिक किया तो नहीं खुला.<br />तो आपको ये ही बात कहने के लिए अपूर्व से आप का लिंक माँगा...<br /><b>आखिर ऐसे भी पाठक हैं जो पढ़ते तो हैं लेकिन टिप्पणी नहीं करते।</b><br />कल सुबह से परेशान हूँ. चलो अब तसल्ली है. बात वही है पर दोबारा कहूँगा (क्यूंकि कहने के लिए ज़्यादा मेहनत की ज़रूरत नहीं पड़ी कॉपी पेस्ट से काम चल गया...एक आलसी का ब्लॉग, एक आलसी का कमेन्ट. जोड़ी राम मिलते हैं आपको पता है ना ? ) <br /><b>आखिर ऐसे भी पाठक हैं जो पढ़ते तो हैं लेकिन टिप्पणी नहीं करते।</b>दर्पण साहhttps://www.blogger.com/profile/14814812908956777870noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-62798267563110446722010-03-22T01:54:23.313+05:302010-03-22T01:54:23.313+05:30टाइमपास से शुरू होकर यह पोस्ट सूरज का सातवाँ घोड़ा...टाइमपास से शुरू होकर यह पोस्ट सूरज का सातवाँ घोड़ा का ज़िक्र आते तक अपनी पूरी ऊंचाए पर पहुंच गई इसके आगे का ज़िक्र ज़रूरी नहीं । पाठको से अनुरोध है पहले" सूरज का सातवाँ घोड़ा " पढें।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-67302902427298629552010-03-22T00:16:18.606+05:302010-03-22T00:16:18.606+05:30आनंद आ गया,निर्मल आनंद।अलाली का मज़ा तो हम भी लेते ...आनंद आ गया,निर्मल आनंद।अलाली का मज़ा तो हम भी लेते हैं और इस इलाके के सर्व्श्रेष्ठ अलाल भी कहलाते है मगर आपकी अलाली का कोई जवाब नही है।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-55702594520117759442010-03-21T22:04:13.405+05:302010-03-21T22:04:13.405+05:30टीप्पणी प्रकाशन की बात पे बिलकुल असहमत! आदमी की ही...टीप्पणी प्रकाशन की बात पे बिलकुल असहमत! आदमी की ही तरह पोस्ट को भी हमेशा बदल जाने का अधिकार होना चाहिये.. ये क्या बात हुई कि एक बार कलमा पढ़ लिया तो पलटने का रस्तवा ही बन्द हो गया?अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-72582656911162657592010-03-21T21:37:27.937+05:302010-03-21T21:37:27.937+05:30२ लीटर भर सारे प्रश्नों के बाद आखिर में नीली स्याह...२ लीटर भर सारे प्रश्नों के बाद आखिर में नीली स्याहि वाला ५० मिलि घलुआ आनन्द दे गया. परम आनन्द :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-35991646662491808032010-03-21T19:43:29.927+05:302010-03-21T19:43:29.927+05:30लेकिन यह भी अच्छा रहा..लेकिन यह भी अच्छा रहा..डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-39732863551995410682010-03-21T16:04:42.750+05:302010-03-21T16:04:42.750+05:30भैंस रखने वाले अगर प्रेम में पड़ते हैं ...तो भैंसे...भैंस रखने वाले अगर प्रेम में पड़ते हैं ...तो भैंसे ही बिक जाती हैं ...प्रेम तो खैर हवा होता ही है ....इसलिए भैंस रखने वालों को प्रेम से बचना चाहिए ...<br />और इसके लिए धन की कहाँ आवश्यकता है ...किसी भैंस वाले के दुहिये बन जाने के कौन से पैसे लगते हैं ...:):)<br />आलस तो बहुत आ रहा था मगर टिप्पणी कर ही दिए ...टिप्पणी पर दो पोस्ट हम भी लिख चुके हैं और ऐसी प्रविष्टियों के बाद ही पाठक और टिप्पणियां बढ़ी हैं इसलिए ये भी एक फ़र्ज़ हो गया है ...!!<br /><br />तनिक गंभीरता से कहें तो प्रेम धन से नहीं होता ...अभी अभी आपकी कविता में पढ़ कर आये हैं ...!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-77335489557412941672010-03-21T14:51:52.583+05:302010-03-21T14:51:52.583+05:30बहुत अच्छी प्रस्तुति।बहुत अच्छी प्रस्तुति।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-32724803833960012142010-03-21T10:42:11.381+05:302010-03-21T10:42:11.381+05:30चलिए संस्कारित हुए आप भी ....हरि ॐ !
भैंस के साए /...चलिए संस्कारित हुए आप भी ....हरि ॐ !<br />भैंस के साए /छाये में भी प्रेम प्रस्फुटित हो रहे हैं -ज्ञान वृद्धि हुयी .<br />कुछ लोग तो सीधे भैंस से ही सख्यपन निबाहते पाए गए हैं<br />और धन की महिमा से भला क्या इनकार? बाकी टिप्पणी पर पोस्ट तो ठीकई है<br />कहीं किसी ने मूल पोस्ट ही बदल दी है क्या ?Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-7841049605989911482010-03-21T10:13:06.522+05:302010-03-21T10:13:06.522+05:30चलो आपका भी संस्कार हो गया...
बधाई...चलो आपका भी संस्कार हो गया... <br /><br /><br />बधाई...Astrologer Sidharthhttps://www.blogger.com/profile/04635473785714312107noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-3813532489099304412010-03-21T09:38:10.616+05:302010-03-21T09:38:10.616+05:30टिप्पणी पर आपने कुछ सवाल उठाये हैं. एक सोच हमारी भ...टिप्पणी पर आपने कुछ सवाल उठाये हैं. एक सोच हमारी भी. कई सारे ब्लॉग पढता हूँ, कुछ लिखता भी हूँ. टिप्पणियां भी पढता हूँ. ज्यादातर ब्लॉग के टिप्पणी में देखता हूँ कि लोग बस 'सुन्दर', 'अच्छा' या 'nice' कह कर निकल लेते हैं. ब्लॉग के विषय पर, उसमे उठाये गए मुद्दे पर अपनी भावनाएं लोग कम ही लिखते हैं. क्या ये नहीं होना चाहिए कि लेखनी की तारीफ़ से ज्यादा उस लेखनी पर चर्चा हो टिप्पणियों के माध्यम से.<br />खैर, रविवार की सुबह की तो बात ही कुछ और है. आज आँखों ने खुलने से ही इनकार कर दिया. 7 बजे से अभी तक ढेरों प्रयत्न कर चूका था. अब जब पिताजी की झाड पड़ी है तभी उठ सका हूँ. :)<br />अंशुमान, http://draashu.blogspot.comAashuhttps://www.blogger.com/profile/01903987800218010521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-78166627178825087352010-03-21T09:34:24.499+05:302010-03-21T09:34:24.499+05:30hamra to padhne ka hi man nahi kar raha hai ..
haa...hamra to padhne ka hi man nahi kar raha hai ..<br />haan nahi to ..!!:)स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-47005259520724062122010-03-21T09:27:45.821+05:302010-03-21T09:27:45.821+05:30तो ये रहा संडे यानि कि 'रविवारीय' सूरज का ...तो ये रहा संडे यानि कि 'रविवारीय' सूरज का आठवाँ घोडा :)<br /><br /> मस्त लिखा गुरू.....एकदम लग रहा है कि तन्नी गुरू केवल एक तौलिया लपेटे हुए पप्पू की दुकान पर जमघट लगाये हैं और कह रहे हैं...बह*** जिसको गरज होगी अपने पास आयेगा न तो **** से जायगा :)<br /><br />( साभार - काशी की अस्सी) <br /><br /> मजा आ गया रविवारीय सूरज का। मस्त लिखा है।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-76964374558430298502010-03-21T09:09:55.054+05:302010-03-21T09:09:55.054+05:30सुबह-सुबह आलस आ रहा है, टिप्पणी करने का मन नहीं ...सुबह-सुबह आलस आ रहा है, टिप्पणी करने का मन नहीं कर रहा।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-58068249426368449292010-03-21T09:03:11.240+05:302010-03-21T09:03:11.240+05:30और हमारे जैसे चौबीस घंटे ब्लोग से चिपके प्रेत किसी...<i> <b> और हमारे जैसे चौबीस घंटे ब्लोग से चिपके प्रेत किसी को भी ये मौका नहीं देते कि पहली टिप्पणी से पहले ही पोस्ट में हेर फ़ेर कर जाए ..संडे की सुबह आल्स ..ठीक है स्वाभाविक भी ..आप लंठ होते हैं तो भी हमें उत्ते ही भाते हैं .जित्ते आलसी होते हुए ...कुल मिलाके सार ये कि आप हमें भाते हैं ....पोस्ट पढ डाली है और कहीं से भी ऐसा नहीं लगा कि रत्ती भर भी आलस्य टपका हो .. </b> </i><br /><a href="http://www.google.com/profiles/ajaykumarjha1973#about" rel="nofollow"> अजय कुमार झा </a>अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-82211863965742490452010-03-21T09:00:41.308+05:302010-03-21T09:00:41.308+05:30अच्छा लगा
बाँच कर आनन्द आयाअच्छा लगा<br /><br />बाँच कर आनन्द आयाAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/09116344520105703759noreply@blogger.com