tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post4583366821354110684..comments2023-10-30T15:17:40.771+05:30Comments on एक आलसी का चिठ्ठा ...so writes a lazy man: खम्भे जैसी खड़ी है ...गिरिजेश राव, Girijesh Raohttp://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comBlogger41125tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-48711779968321561422013-02-14T02:04:00.909+05:302013-02-14T02:04:00.909+05:30.......जिन्दगी ......कितने रंग ढ़लती है .....................जिन्दगी ......कितने रंग ढ़लती है .................हम न जाने जाने क्या क्या जीते हैं...........अभिषेक आर्जवhttps://www.blogger.com/profile/12169006209532181466noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-33221326848353792622013-02-14T00:51:23.042+05:302013-02-14T00:51:23.042+05:30पढ़ते-पढ़ते कहीं खो सा गया...शायद अपने बचपन में........पढ़ते-पढ़ते कहीं खो सा गया...शायद अपने बचपन में.....याद आ गयी माँ-पिता जी की गृहस्थी की दुश्वारियाँ....उनका एक-दूसरे की कही-अनकही बातों को समझ लेना.....हम बच्चों की छोटी-छोटी खुशियों के लिए उनके बड़े-बड़े त्याग.....वो सूनी दीवार पर पहली अजन्ता घड़ी के लगने के बाद की ख़ुशी.....!!!!<br />ये लेख पढ़के जाने क्यूँ ऐसा लगा कि शायद "जीवनसाथी" ऐसे ही होते हैं !!!!....वैलेंटाइन से कितने अलग....मूक समर्पण -निश्छल प्रेम- परस्पर सम्मान.....हमारे समाज की आधारशिला....!!!!!शक्ति प्रताप सिंह विशेनhttps://www.facebook.com/shakti.singhvishennoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-31108812020295756542013-02-14T00:12:52.175+05:302013-02-14T00:12:52.175+05:30कदमों के निशान मिले तो लगा कि नहीं यह बियाबान नहीं...कदमों के निशान मिले तो लगा कि नहीं यह बियाबान नहीं, एक रास्ता है, कितना गहरा और कितना अनजान, यह तो नहीं जानता, लेकिन कदमों के निशान सुकून दे जाते हैं... <br /><br />भाभीजी को नमन् Astrologer Sidharthhttps://www.blogger.com/profile/04635473785714312107noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-12585538934154531852010-03-10T11:13:50.085+05:302010-03-10T11:13:50.085+05:30लकी हो दोस्त आपकी किस्मत पर रश्क आता है !लकी हो दोस्त आपकी किस्मत पर रश्क आता है !aarkayhttps://www.blogger.com/profile/04245016911166409040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-17648702724668264212010-02-16T21:06:32.672+05:302010-02-16T21:06:32.672+05:30So sweet...........Kash koi mere liye bhi aisa lik...So sweet...........Kash koi mere liye bhi aisa likhta :-)Dollynoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-25169721653980238602010-02-16T21:05:06.205+05:302010-02-16T21:05:06.205+05:30bahute badiya hai :-)bahute badiya hai :-)rinkoo & dollynoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-34906700912070022042010-02-16T21:04:08.752+05:302010-02-16T21:04:08.752+05:30bahute badiya hai :-)bahute badiya hai :-)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-41632090766153589482010-02-16T08:28:45.171+05:302010-02-16T08:28:45.171+05:30तुम हो सब है!!! आपकी लेखनी और निश्चल मन को नमन. भा...तुम हो सब है!!! आपकी लेखनी और निश्चल मन को नमन. भावों की अभिव्यक्ति में जो तरलता विद्दमान है वो बिरलों को ही मिलती है. हार्दिक बधाई स्वीकारें.Meenu Kharehttps://www.blogger.com/profile/12551759946025269086noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-17609472814462178712010-02-15T20:31:55.969+05:302010-02-15T20:31:55.969+05:30हम्म...पुरुष अपनी भावनाएं कम ही प्रकट करते हैं.......हम्म...पुरुष अपनी भावनाएं कम ही प्रकट करते हैं....सबकुछ मन के तहखाने में छुपा कर रखते हैं...बडा सा नवताल का ताला लगा....आपने सिर्फ ताला ही नहीं खोला...हमें थोड़ी सी झलक भी दिखा दी,उस तहखाने की.....शुक्रिया इस वैलेंटाइन दिवस का..:)rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-48720338392414854192010-02-15T17:47:39.096+05:302010-02-15T17:47:39.096+05:30लाजवाब!
मेरे खयाल में सभी घर जो कम हिलते-डुलते हैं...लाजवाब!<br />मेरे खयाल में सभी घर जो कम हिलते-डुलते हैं ऐसे ही किसी खंबे की बदौलत। मेरा भी!दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-61803678072616473472010-02-15T17:33:39.398+05:302010-02-15T17:33:39.398+05:30ओहो ! मैडम को पोस्ट पढाई गयी या चुपके से पोस्ट हो ...ओहो ! मैडम को पोस्ट पढाई गयी या चुपके से पोस्ट हो गयी?Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-62973692532573094802010-02-15T13:04:36.356+05:302010-02-15T13:04:36.356+05:30पत्नियों को ऐसे धन्यवाद कम ही मिलते हैं.....! आपने...पत्नियों को ऐसे धन्यवाद कम ही मिलते हैं.....! आपने बड़ी संवेदना के साथ उनका आभार दिया।<br /><br />आभार आपका भी इस भावुक पोस्ट के लिये...!कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-89714152394881454702010-02-15T09:03:21.163+05:302010-02-15T09:03:21.163+05:30सुन्दर। बहुत सुन्दर। अति सुन्दर।सुन्दर। बहुत सुन्दर। अति सुन्दर।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/17201380931447059389noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-23331181850641511132010-02-15T00:46:36.819+05:302010-02-15T00:46:36.819+05:30सुन्दर!भावपूर्ण, प्यारी, पोस्ट! दोनों खंभों को बधा...सुन्दर!भावपूर्ण, प्यारी, पोस्ट! दोनों खंभों को बधाई और मंगलकामनायें!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-83674941615626501302010-02-14T23:22:02.074+05:302010-02-14T23:22:02.074+05:30खो जाने का दुःख भी गजब होता है , यह मैं इस समय अनु...खो जाने का दुःख भी गजब होता है , यह मैं इस समय अनुभव कर रहा हूँ ...<br />.<br />जिस सहजता को आज देख रहा हूँ आपकी पोस्ट पर , यह सहजता मुझे <br />आज से पहले आपके यहाँ नहीं मिली , जितना भी पढ़ा हूँ ... जो काव्य <br />आज मिल रहा है , वह पहले नहीं मिला था , यद्यपि कि कवितायेँ आपकी <br />और भी पढ़ चुका हूँ , .......... आज - सी सहजता को पाने के लिए आपकी <br />भविष्य की पोस्टों को निरखूँगा , पर क्या पा सकूँगा ; पर्याप्त संदेह है मुझे !<br />---- अरे यह क्या मैं तो उपदेशक सा बोल रहा हूँ और 'सो काल्ड' बच्चा भी हूँ !<br />पर जनाब इस बच्चे को शक्ति भी तो आपकी इस रचना ने ही दी है ... सो बच्चे का <br />क्या कसूर ! <br />.<br />पहले का लिखा मिट गया और अब उस तरह का लिख नहीं पा रहा हूँ !<br />.<br />बड़ा सुकून मिला ! फिर कब ऐसा संयोग होगा ? बता सकेंगे !/?Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-79319579866360541612010-02-14T23:20:10.877+05:302010-02-14T23:20:10.877+05:30आलसी तो मैं भी हूं मगर आप जैसा नही।आप आलसी होकर भी...आलसी तो मैं भी हूं मगर आप जैसा नही।आप आलसी होकर भी आलसी नही है।और आपने जो लिखा है उसे मैं अविवाहित होने के बावज़ूद समझने मे कामयाब हो गया।आंसू अगर पलकों का बांध न भी तोड़ पाये तो क्या आज़ादी की पहली लड़ाई तो छेड़ ही चुके हैं।हो सकता है कमेण्ट पूरा होते-होते वे आज़ाद हो जायें।सच्चे प्यार से बने मकान नही घर का सबसे मज़बूत खम्भा भाभी जी हैं।वे मुझसे काफ़ी छोटी हैं फ़िर भी मैं उन्हे प्रणाम करता हूं।शायद वेलेंटाइन डे की ये सबसे अच्छी और सच्ची पोस्ट है।सलाम करता हूं आपको और आपके जज़्बात को।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-21141006447367588012010-02-14T22:15:39.268+05:302010-02-14T22:15:39.268+05:30गज़ब भाव अभिव्यक्त कर दिए भइया...! भाभी जी को प्र...गज़ब भाव अभिव्यक्त कर दिए भइया...! भाभी जी को प्रणाम करते हुए मैं चला अपनी पोस्ट लिखने। :)सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-79128166047294814602010-02-14T22:02:23.646+05:302010-02-14T22:02:23.646+05:30जीवन का निर्धूम सांझा चूल्हा.
गार्हस्थ और अलौकिक ...जीवन का निर्धूम सांझा चूल्हा.<br /><br />गार्हस्थ और अलौकिक एक साथ.<br /><br />अंत में तय कर पाया हूँ कि अनुपम प्रेम कविता ही है.sanjay vyashttps://www.blogger.com/profile/12907579198332052765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-89573681242178305932010-02-14T20:33:13.522+05:302010-02-14T20:33:13.522+05:30पोस्ट दिल को छू गई।
बेहद पसंद आई।पोस्ट दिल को छू गई। <br />बेहद पसंद आई।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-30949554553930426222010-02-14T20:04:59.923+05:302010-02-14T20:04:59.923+05:30गिरिजेश जी, दरअसल हम में से ज्यादातर लोग आर सी सी ...गिरिजेश जी, दरअसल हम में से ज्यादातर लोग आर सी सी का खम्भा बनाने के चक्कर में भूल जाते हैं कि सीमेंट की जरूरत कहीं और भी होती है...पर आपने जरूर समय समय पे याद किया और तभी एक गढ़ है आपके पास...<br />एक बात और आपने जितना सेंटिया दिया था अपने पोस्ट से, टिपण्णी कारों ने उतना हीं लाईट कर दिया मूड को...\<br />वेलेंटाइन डे की अच्छी शाम...ओम आर्यhttps://www.blogger.com/profile/05608555899968867999noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-91103685551348553762010-02-14T18:56:13.012+05:302010-02-14T18:56:13.012+05:30प्रविष्टि भले ही आज आ गयी, यह तो मन में स्थायी भाव...प्रविष्टि भले ही आज आ गयी, यह तो मन में स्थायी भाव की तरह रची-बसी थी !यह है आपके भाव-मुख की आकृति !<br /><br />कैसे रचा जा सकता है बाउ ! कैसे जीवन के बहुविधि रंगों से रंगी-आग और फाग-साथ ही दुलराती अभिव्यक्ति का वितान तन सकता है ! कैसे युक्ति और अनुभूति सहज घुट सकते हैं ! - यह इस प्रविष्टि से बेहतर और कौन कहेगा !Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-2900402341476699812010-02-14T18:32:50.177+05:302010-02-14T18:32:50.177+05:30आज यहाँ टीपने में मुझे बड़ी दिक्कत हो रही है ..
क्...आज यहाँ टीपने में मुझे बड़ी दिक्कत हो रही है ..<br />क्या पता अगले प्रयास में सफल हो सकूँ ! फिर आऊंगा ...Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-13320981462948552042010-02-14T18:17:52.060+05:302010-02-14T18:17:52.060+05:30@दीपक
ये प्रेम, समर्पण, त्याग और सहयोग ही सफल दांप...@दीपक<br />ये प्रेम, समर्पण, त्याग और सहयोग ही सफल दांपत्य जीवन की आधारशिला हैं(खैर मुझे क्या पता मैं तो अभी रंडवा हूँ ..;) )<br />'रंडवा' नहीं तुम कुँवारे हो अभी...समझे....!!स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-43540977186284553102010-02-14T18:16:19.775+05:302010-02-14T18:16:19.775+05:30गिरिजेश जी,
'तुम हो सब है' यही तो है वो नी...गिरिजेश जी,<br />'तुम हो सब है' यही तो है वो नींव, इमारत, डेंटिंग पेंटिंग जो भी कहें सबकुछ...<br />ऐसा लगा आप मेरी और मेरे जीवन आधार की कहानी कह रहे हैं...न जाने हम भी कितनी बार गिरे है उठे हैं..और चल रहे हैं साथ-साथ...शायद यही है हमेशा हर बार...बस प्यार..<br />बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति....स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-88290624336202382512010-02-14T15:26:33.421+05:302010-02-14T15:26:33.421+05:30मित्र यही तो प्यार है. भले ही ये उस ढांचे में फिट ...मित्र यही तो प्यार है. भले ही ये उस ढांचे में फिट न होता हो जिसके लिये आज का दिन जाना जाता है. हमारी कहानी में एक कोण और ये कि आज हमारे विवाह की वर्षगाँठ भी है.पंकजhttps://www.blogger.com/profile/05230648047026512339noreply@blogger.com