tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post5440058797008135846..comments2023-10-30T15:17:40.771+05:30Comments on एक आलसी का चिठ्ठा ...so writes a lazy man: फुरसत के दो कप . .. .गिरिजेश राव, Girijesh Raohttp://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-5902440337207180412009-10-03T03:22:59.623+05:302009-10-03T03:22:59.623+05:30वाह रे आलसीपन !
लोगॊं को पता ही नहीं
आलस्य तो सांस...वाह रे आलसीपन !<br />लोगॊं को पता ही नहीं<br />आलस्य तो सांसारिकता से आवरण है<br />इसी आवरण में विचारों के मन्द समीर बहा करते हैं<br />किसी को क्या पता...!हेमन्त कुमारhttps://www.blogger.com/profile/01073521507300690135noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-88562568204473187082009-10-02T19:51:15.759+05:302009-10-02T19:51:15.759+05:30बड़ी ईर्ष्या हो रही है। हमारे लिये तो सबेरे का समय ...बड़ी ईर्ष्या हो रही है। हमारे लिये तो सबेरे का समय सात बजे से ढ़ाई घण्टा तो "दारुजोषित की नाईं" नाचते बीतताहै! <br />और फोन पर जो हमारी भाषा होती है हमारी, वह सुन थानेदार भी कुछ शब्द सीख ले! :(Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-89013549598922735882009-10-02T07:42:08.530+05:302009-10-02T07:42:08.530+05:30पत्नी काटे तरकारी/पति भरे हुंकारी/ कैसी लीला त्रिप...पत्नी काटे तरकारी/पति भरे हुंकारी/ कैसी लीला त्रिपुरारी्<br /><br />जै हो आलसी सम्राट की।अनूप शुक्लhttp://hindini.com/fursatiyanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-5057082596535225172009-10-02T01:33:25.652+05:302009-10-02T01:33:25.652+05:30अब इस पर क्या कहूं...
छुट्टे भिजवा दूं...अब इस पर क्या कहूं...<br /><br />छुट्टे भिजवा दूं...रवि कुमार, रावतभाटाhttp://ravikumarswarnkar.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-43827245175809057142009-10-01T22:25:54.510+05:302009-10-01T22:25:54.510+05:30भगवान् ने ठीक इसी वक़्त चलने वाली स्कूल बनाई, जिसस...भगवान् ने ठीक इसी वक़्त चलने वाली स्कूल बनाई, जिससे फुरसत का आकाश थोडा और फ़ैल गया.इसमें बच्चों की धमाचौकडी से मुक्त सब कुछ जैसे मंद विलंबित में चलता है.<br />अपने वाली बात कह दी आपने.sanjay vyashttps://www.blogger.com/profile/12907579198332052765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-14974751023054100592009-09-30T17:36:28.927+05:302009-09-30T17:36:28.927+05:30"शुद्ध फुरसत" क्या बात है !
फैशन के दौर..."शुद्ध फुरसत" क्या बात है ! <br />फैशन के दौर में गारंटी की तरह लगता है ये शब्द तो !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-23967481138956081572009-09-27T00:27:20.689+05:302009-09-27T00:27:20.689+05:30लगता है जैसे अपनी खटिया कल्पवृक्ष के नीचे डाल ली ह...लगता है जैसे अपनी खटिया कल्पवृक्ष के नीचे डाल ली हो| ऐसा खुशकिस्मत आदमी आलसी हो सकता है (बल्कि होना ही चाहिए) मगर नास्तिक नहीं|<br /><b>प्रसन्न रहो, आबाद रहो<br />बनारस रहो या इलाहाबाद रहो!</b>Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-7211670368902321382009-09-26T16:12:40.068+05:302009-09-26T16:12:40.068+05:30आप और अरविन्द जी की दिनचर्या के यह क्षण एकदम से सि...आप और अरविन्द जी की दिनचर्या के यह क्षण एकदम से सिमिलर हैं - मैं समझ नहीं पा रहा हूँ । आवश्यक रचनाधर्मिता की आवश्यक शर्त तो नहीं यह !Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-18649096584162654442009-09-26T13:35:52.135+05:302009-09-26T13:35:52.135+05:30पेट के बल लेटा -यही तो मेरी भी कम्फर्ट मुद्रा है -...पेट के बल लेटा -यही तो मेरी भी कम्फर्ट मुद्रा है -बाकी भी सिमिलैरिटी हैयै है -तरकारी से लेकर हूँ हाँ और सब !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-74941597305156864612009-09-25T16:34:16.343+05:302009-09-25T16:34:16.343+05:30"यहां आपका आलस्य चरमोत्कर्ष पर होता है.........."यहां आपका आलस्य चरमोत्कर्ष पर होता है............आप आलसियों के निर्विवाद सम्राट हैं............"<br /><br />मैंने कभी जिक्र नहीं किया पर आलसी सम्राट होने का मुकुट मेरे सिर पर होना चाहिये । इधर आठ बजे तक मेरी आंख खुल रही है । सवेरे सवेरे हल्की सी ठंड बढ़ जाती है और ब्रह्ममुहुर्त की नींद का तो क्या कहना ।K M Mishrahttp://kmmishra.tknoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-86213622274794668032009-09-25T16:02:42.840+05:302009-09-25T16:02:42.840+05:30यहां आपका आलस्य चरमोत्कर्ष पर होता है............आ...यहां आपका आलस्य चरमोत्कर्ष पर होता है............आप आलसियों के निर्विवाद सम्राट हैं............ईश्वर आपके आलस्य को शक्ति प्रदान करें .गंगेश रावhttps://www.blogger.com/profile/10791109109633152718noreply@blogger.com