tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post5705752853975261008..comments2023-10-30T15:17:40.771+05:30Comments on एक आलसी का चिठ्ठा ...so writes a lazy man: लोक : भोजपुरी - 10: चइता के तीन रंगगिरिजेश राव, Girijesh Raohttp://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-33642453600090605782015-04-03T06:55:12.744+05:302015-04-03T06:55:12.744+05:30फिर बन गया आज का एक और दिन! फिर बन गया आज का एक और दिन! Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-10782293569387217232014-04-05T13:00:56.671+05:302014-04-05T13:00:56.671+05:30मन गदगद हो गया जी. :)मन गदगद हो गया जी. :)Satish Chandra Satyarthihttps://www.blogger.com/profile/09469779125852740541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-61577052879383754142012-04-07T12:46:31.305+05:302012-04-07T12:46:31.305+05:30:) वाह! इसे पहले भी पढ़ सका था, लेकिन सुन आज ही पाय...:) वाह! इसे पहले भी पढ़ सका था, लेकिन सुन आज ही पाया हूँ।<br />आज तो पूरा दिन सुखद हो गया है।Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-31462835318596535612012-03-29T15:42:28.284+05:302012-03-29T15:42:28.284+05:30लोक संस्कृति में जो आनंद होता है वह अन्यत्र कहीं ह...लोक संस्कृति में जो आनंद होता है वह अन्यत्र कहीं हो ही नहीं सकता....बहुत ही सराहनीय पोस्ट...लेकिन ....यह आलसी का चिटठा तो कहीं से नहीं लग रहा.....एक बात बताएं..आलसी कौन..? लिखनेवाला या पढनेवाला...?devendra gautamhttps://www.blogger.com/profile/09034065399383315729noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-44262410962423539802012-03-29T09:47:03.947+05:302012-03-29T09:47:03.947+05:30हमेशा की तरह ... अद्भुद... अद्भुद....हमेशा की तरह ... अद्भुद... अद्भुद....Padm Singhhttp://padmsingh.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-35480519467264912442012-03-29T08:51:22.269+05:302012-03-29T08:51:22.269+05:30क्या कहने ,इस आयोजन से चैत माह धन्य हो गया ...और क...क्या कहने ,इस आयोजन से चैत माह धन्य हो गया ...और क्या कहूं?Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-32830083191218904142012-03-29T08:11:22.478+05:302012-03-29T08:11:22.478+05:30ये चैता हैं। स्त्री स्वरूप तो चैती हैं जिनकी रचना ...ये चैता हैं। स्त्री स्वरूप तो चैती हैं जिनकी रचना और गायन दोनों में स्त्रियों की प्रमुख भूमिका होती है। मैंने आलेख में बताया भी है। <br />स्त्रियाँ रच रही हैं और नये गीत भी आ रहे हैं। शारदा सिन्हा की सरस्वती परम्परा जारी है। अच्छे की मात्रा तो हमेशा कम रहती है। सूप की तरह फटक कर अच्छे को निकाल लेना ही वांछनीय है।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-8903662492363222282012-03-29T07:49:56.555+05:302012-03-29T07:49:56.555+05:30कई बार इस पोस्ट पर आये..चैती सुने और सुनते हुए आपक...कई बार इस पोस्ट पर आये..चैती सुने और सुनते हुए आपके वर्णन को पढ़कर मुग्ध होते रहे। इन सब आनंद के बीच यह खयाल आया कि इस इस प्रेम-विरह चैती लेखन गायन में पुरूषों का बड़ा तगड़ा योगदान है। महिलाओं ने भी लोकगीतों के माध्यम मांगलिक अवसरों पर गीत गाये हैं जिन्हे सुनकर लगता है कि इनकी रचना भी महिलाओं ने ही की होगी। भोजपुरी क्षेत्र की महिलाएं पुरूषों की तुलना में शिक्षा से वंचित रही हैं फिर भी लोक गीतों में उनकी काव्य प्रतिभा दिखती है। इन सब के बावजूद जो भोजपुरी गीत बाजार में आ रहे हैं उनमें महिलाओं की इस प्रतिभा की झलक देखने को नहीं मिलती।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-68083639961721826052012-03-29T06:49:43.968+05:302012-03-29T06:49:43.968+05:30’गढ़न’ देख रहे हैं भैया! और बिलकुल सच- "राग का...’गढ़न’ देख रहे हैं भैया! और बिलकुल सच- <b>"राग का अतिरेक हो तो मन उच्छृंखल हो ही जाता है।"</b><br />प्लेयर्स चले तो मन सचमुच अतिरेकी होने की राह पर हो आया! <br />आभार ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-34814865563924094112012-03-29T00:50:01.179+05:302012-03-29T00:50:01.179+05:30गिरिजेश जी! आनन्द आ गइल बा चइता सुन केगिरिजेश जी! आनन्द आ गइल बा चइता सुन केबस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-7018319818028964462012-03-28T21:51:35.204+05:302012-03-28T21:51:35.204+05:30संगीत भूख की याद मिटाने में बड़ा सहायक होता है।संगीत भूख की याद मिटाने में बड़ा सहायक होता है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-84984003848399120992012-03-28T20:45:32.645+05:302012-03-28T20:45:32.645+05:30Chahne wala to bau ka hoon lekin chaita padhkar bh...Chahne wala to bau ka hoon lekin chaita padhkar bhi jhoom utha...gungunane laga ..aur achanak mahsoos hua ki are ye main kis rau main bah gaya ...gungunaya bhi wahi...hobe de bihan koili...dhanyabad.Anonymousnoreply@blogger.com