tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post5832002499072049097..comments2023-10-30T15:17:40.771+05:30Comments on एक आलसी का चिठ्ठा ...so writes a lazy man: प्रिंटर की धूल और मोटी रोटियाँ ...गिरिजेश राव, Girijesh Raohttp://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comBlogger31125tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-81889524255254230532010-01-05T19:42:19.743+05:302010-01-05T19:42:19.743+05:30भाई हजारों यादें घूम रही हैं दिमाग में ! आपकी पोस्...भाई हजारों यादें घूम रही हैं दिमाग में ! आपकी पोस्ट पढ़कर कल तो ऐसे ही चुप निकल गया. माँ के बारे में क्या कहा जाय. घर पर टमाटर, अमरुद (थोड़े कच्चे से) नहीं आते. और तिल के लड्डू भी नहीं बनते अब. देखते ही माँ की आँखें नम हो जाती हैं... बेटा होता तो खाता. <br />इटारसी के आस-पास बैग में चार्जर टटोल रहा था तो एक पोलीथिन में कुछ तिल के लड्डू मिले... और कुछ आंवला. पता है मैं रखते देखकर चिल्लाता. जब-तब दूर तक साथ छोड़ने<br />आई, माँ का चेहरा याद आता है. देख लेना... क्या सच में बाहर जाना जरूरी है. पुणे से फ़ोन करते हो तो लगता है यहीं कहीं हो ! और मोटा ना हो जाने के डर से कम खाने पर... छोडिये फिर कभी. लिख नहीं पाऊंगा ज्यादा इस पर.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-44346564418322069492010-01-04T15:53:14.690+05:302010-01-04T15:53:14.690+05:30तीन बार रोंगटे खड़े हुए और टिपण्णीयाँ पढ़ते आँखे ना...तीन बार रोंगटे खड़े हुए और टिपण्णीयाँ पढ़ते आँखे नाम हो ही गयीं. आज ही घर से लौटा हूँ. शाम को टिपियाता हूँ इस पर. अभी इतना ही !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-81062072982770740462010-01-01T07:45:04.469+05:302010-01-01T07:45:04.469+05:30मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आँसू
मुद्दतों माँ...मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आँसू<br />मुद्दतों माँ ने नहीं धोया पल्लू अपना....गंगेश रावhttps://www.blogger.com/profile/10791109109633152718noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-45023915245959932392009-12-29T10:40:50.377+05:302009-12-29T10:40:50.377+05:30@बेनामी
टाइपिंग की कुछ गलतियों की ये सजा दोगे कि...@बेनामी <br /><br />टाइपिंग की कुछ गलतियों की ये सजा दोगे कि नाम ही बदल दोगे दोस्त...!<br />मायने भी बदलोगे मेरा और नाम भी...बहुत नाइंसाफ़ी है..आलसी के चिट्ठे पर द्रुत गति से रूपांतरण कार्य...!Dr. Shreesh K. Pathakhttps://www.blogger.com/profile/09759596547813012220noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-65953400364299345832009-12-29T07:55:52.926+05:302009-12-29T07:55:52.926+05:30मैं शिरीष से सहमत हूँ.
लेकिन अर्थान्यवन होता है. स...मैं शिरीष से सहमत हूँ.<br />लेकिन अर्थान्यवन होता है. सहमती नहीं सहमति होता है.<br />श्रीश से अच्छा शिरीष लगता है न !बेनामीhttps://www.blogger.com/profile/10555797016317745618noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-60526610902972314822009-12-28T22:13:37.209+05:302009-12-28T22:13:37.209+05:30bahut der se is beshkeemti post ko dekh paa raha h...bahut der se is beshkeemti post ko dekh paa raha hoon.....(pc bimar hai in dino)<br /><br /><br />aankhein purnam hain........<br /><br />maai re maai <br />tor gunvaa hum kaise gaain!गंगेश रावhttps://www.blogger.com/profile/10791109109633152718noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-80700092634431916132009-12-28T13:52:13.049+05:302009-12-28T13:52:13.049+05:30बइठ, रोटिया सेरा जाइ एहिसे पहिलही बोला देहनी हें (...बइठ, रोटिया सेरा जाइ एहिसे पहिलही बोला देहनी हें (बैठो, पहले ही परोस कर रख देने से रोटी ठंडी हो जाती, इसलिए पहले ही बुला लिया है)। <br />बैठता हूँ और फिर याद आती है आवाज, "टेबल पर आ जाइए, खाना लगा दिया है।" <br />पत्नी को रोटी ठंडी हो जाने की चिंता नहीं, अपना काम खत्म करने की चिन्ता है। ... यह तुलना मैं क्यों करता हूँ ?<br /><br />यहाँ थोड़ा अर्थान्यवयन में मेरी सहमती नही है..मुझे लगता है यह अंतर थोड़ा समय सापेक्ष शैलीगत है और हाँ माँ की तुलना तो कर ही नही सकते.किसी से .<br /><br />"दूसरे दिन से ही रोटियाँ मोटी होने लगी थीं।"<br /> आह रे माँ की ममता..!<br /><br />गाँव , इस समय पिताजी की 'और रोटियों की माँग' को ठुकराया जा रहा होगा ...<br /><br />राव साहब ! इतनी भावनात्मक प्रस्तुति....!<br /><br />टिक्कर(मोटी रोटियां) खाने का मेरा भी जी है.......Dr. Shreesh K. Pathakhttps://www.blogger.com/profile/09759596547813012220noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-77106128793255260752009-12-27T20:16:08.735+05:302009-12-27T20:16:08.735+05:30अस महीन बात काहे लिखथ्य। पढै में कष्ट होथ!
(बहुत ...अस महीन बात काहे लिखथ्य। पढै में कष्ट होथ!<br /> (बहुत मन का लिखा बन्धु!)Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-25615697816701417872009-12-26T13:55:56.890+05:302009-12-26T13:55:56.890+05:30भईया माई क ममतयी अइसन होथ .छ महीना से माई साथै अ...भईया माई क ममतयी अइसन होथ .छ महीना से माई साथै अहाँ अऊर अब यहिं उमर माँ खाना नाहीं बनई सकतीन मुला भयहु के हाथे इतना बनवावत खियावती अहाँ ,तौनौ घिउ दूध दही की कपड़ा छोट पडई लाग बा . दूसरी और डाक्टर हमार दौडावत अहाँ की परहेज नाहीं करीत .<br /><br />भगवान आप पे यी ममत्व क छाँव हमेशा बनये रहैं , इहई प्रार्थना .RAJ SINHhttps://www.blogger.com/profile/01159692936125427653noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-79365504630907032132009-12-25T21:22:05.569+05:302009-12-25T21:22:05.569+05:30हर मां की उँगलियों के पोरों में एक मौलिक स्वाद रच ...हर मां की उँगलियों के पोरों में एक मौलिक स्वाद रच सकने में कामयाब मसालों का अपना माप होता है और उसकी पूर्णता बेटे को खिलाने पर ही होती है.वो हर रोज़ या मौका मिलने पर ये प्रदर्शन कर पाने की कल्पना में ही दिन शुरू करती है.ये बात मैं इसलिए कह पा रहा हूँ क्योंकि माओं का एक ही संसार होता है,पिताओं का भूगोल भिन्न होता है.<br />पोस्ट में इस बात को कितनी आत्मीयता से और अपने ऊपर लेकर कह गए आप! मानते हैं.sanjay vyashttps://www.blogger.com/profile/12907579198332052765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-88466035009116008242009-12-25T19:59:30.079+05:302009-12-25T19:59:30.079+05:30वाह! सबकुछ आँखों के सामने तैर गया। रोज ही घटित होत...वाह! सबकुछ आँखों के सामने तैर गया। रोज ही घटित होता सा। इस साल माघमेला में माँ नहीं आ रही हैं। बहुत कुछ मिस करूंगा।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-43136353155105308922009-12-25T18:29:46.873+05:302009-12-25T18:29:46.873+05:30padhate padhate kab SHABD dhoondhale pad.. gaye, p...padhate padhate kab SHABD dhoondhale pad.. gaye, pata hi nahi chala.Bahoot achhi anubhooti hui.संजय आनन्दhttps://www.blogger.com/profile/11848496018168533443noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-38179382092065674002009-12-25T17:11:16.379+05:302009-12-25T17:11:16.379+05:30बहुत मुश्किल है कुछ कहना.
रामराम.बहुत मुश्किल है कुछ कहना.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-28895235215856140272009-12-25T14:04:59.683+05:302009-12-25T14:04:59.683+05:30झकास ठेले है जी ......सेंटीयाना एक अच्छी आदत है इस...झकास ठेले है जी ......सेंटीयाना एक अच्छी आदत है इससे आत्मा की सर्विस होती रहती है ......मां अजीब शै होती है .मौका मिलने पर आज भी ..रोटी पे एक्स्ट्रा घी रख देती है ..डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-46158189960832523602009-12-25T12:28:23.441+05:302009-12-25T12:28:23.441+05:30"दुब्बर अब्बर" पे देर तक मुस्कुराता रहा...."दुब्बर अब्बर" पे देर तक मुस्कुराता रहा....<br /><br />कमाल है ना दुनिया की हर माँ ये बेटे की थाल में ज्यादा परोसना कैसे जानती है...इतना ज्यादा कि थाल से आधे से ज्यादा निकाल देने के बाद भी बचा हुआ भोजन हमेशा आपके डोज से ज्यादा ही होता है।<br /><br />श्रीमति जी ने पढ़ा ये पोस्ट कि नहीं?गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-29401630314343664522009-12-25T08:50:18.632+05:302009-12-25T08:50:18.632+05:30मेरी दुनिया है माँ...मेरी दुनिया है माँ...Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-3035278065141159512009-12-25T08:36:42.294+05:302009-12-25T08:36:42.294+05:30माँ !!!!!माँ !!!!!प्रवीण त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/02126789872105792906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-85056512609100417482009-12-25T07:26:17.796+05:302009-12-25T07:26:17.796+05:30बहुत भावुक कर देने वाली रचना। क्रिसमस पर्व की बहुत...बहुत भावुक कर देने वाली रचना। क्रिसमस पर्व की बहुत-बहुत शुभकामनाएं एवं बधाई।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-32879708020508115102009-12-25T06:23:08.048+05:302009-12-25T06:23:08.048+05:30भावनाओ से लबरेज रचना. अम्मा तो अम्मा है ---भावनाओ से लबरेज रचना. अम्मा तो अम्मा है ---M VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-7029544840651287442009-12-25T03:25:13.623+05:302009-12-25T03:25:13.623+05:30ठेठ भारतीय बेटे की प्रविष्टि ....वही ...मां और पत...ठेठ भारतीय बेटे की प्रविष्टि ....वही ...मां और पत्नी के बीच झूलती ....<br />इस स्नेह को कैसे दो रेखाओं में विभाजित किया है ....माँ का स्नेह अपने बेटे के प्रति अलग सा तो पिता यानी अपने पति के प्रति भी अलग ...सच ही दुनिया का कोई रिश्ता माँ की बराबरी नहीं कर सकता ...!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-51886245831191654082009-12-25T01:21:58.980+05:302009-12-25T01:21:58.980+05:30कुछ नहीं कहूंगा...
कहना बहुत मुश्किल जो है...
...कुछ नहीं कहूंगा... <br /><br />कहना बहुत मुश्किल जो है... <br /><br /><br />बहुत अच्छा लगा... <br /><br />मन तो भारी हुआ लेकिन लगा मन की बात हो रही है....Astrologer Sidharthhttps://www.blogger.com/profile/04635473785714312107noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-27529911336711690532009-12-25T01:20:32.283+05:302009-12-25T01:20:32.283+05:30निश:ब्द हूँ।निश:ब्द हूँ।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-14753618114120648622009-12-25T00:42:01.959+05:302009-12-25T00:42:01.959+05:30हई देख तो ..!!
माने पोस्ट जभे बनी ..जब कांदा-रोवा ...हई देख तो ..!!<br />माने पोस्ट जभे बनी ..जब कांदा-रोवा होई..<br />माँ खातिर बेटा दुबरावले लगबे करी हो.. और जोरू-महतारी में कौन बात के कैम्पीतिसन ??? इ तो वोही भईल... एगो आम, एगो अमरुद.. <br />हामरो बेटा आइल बा..लोग-बाग़ सब कहता ..मोट-सोट हो गईल बा...<br />माकिर हमरा आँखी में कौची घुसल बा. :)<br />अरे महराज ..मन भीज गइल ई पोस्टवा पढ़ी के ...माई के याद आवता...हमहूँ जब भी गइनी...एके बात ...हमरी बेटी कतना मेहनत करता, कतना दुबरा गइल बा...जब कि सब दोस्त सब लात मारे पीछे और बोलेलन 'what have you done to your fig....moti ???'<br />सुपट लेखन...!!!स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-1390924889538590062009-12-25T00:25:04.782+05:302009-12-25T00:25:04.782+05:30''जी '' और '' शब्द '&#...''जी '' और '' शब्द '' के बीच में <br />'' के '' छूट गया है ...<br />............ क्षमाप्रार्थी हूँ ,,,Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-91172743786518939362009-12-25T00:13:49.873+05:302009-12-25T00:13:49.873+05:30'' पर ममता राखै महतारी ''
..........'' पर ममता राखै महतारी '' <br />....... मिसिर जी शब्द मेरे भी हैं .Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.com