tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post665429014371601717..comments2023-10-30T15:17:40.771+05:30Comments on एक आलसी का चिठ्ठा ...so writes a lazy man: अण्णा हजारे का जन्म लखनऊ में हुआ था? कल ही...गिरिजेश राव, Girijesh Raohttp://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-80657385590238506772011-08-25T09:25:17.861+05:302011-08-25T09:25:17.861+05:30किसी का भी कोई प्रमाणपत्र बन सकता है।किसी का भी कोई प्रमाणपत्र बन सकता है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-78129430918108527092011-08-23T08:27:31.525+05:302011-08-23T08:27:31.525+05:30बधाई और शुभकामनाये !बधाई और शुभकामनाये !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-11047949287984816382011-08-22T20:39:05.146+05:302011-08-22T20:39:05.146+05:30यहाँ सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि हर आदमी यहाँ दूसरो...यहाँ सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि हर आदमी यहाँ दूसरों से अपेक्षा रखता है वह भ्रष्टाचार से मुक्त हो ,अपने भ्रष्टाचार को लेकर वह मुतमईन है!Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-7273378012342464192011-08-22T14:36:42.250+05:302011-08-22T14:36:42.250+05:30@ जो सिर्फ अपने को चमकाने के लिये जुलूसों में सबसे...@ जो सिर्फ अपने को चमकाने के लिये जुलूसों में सबसे आगे हैं, साथ ही आन्दोलन का 'अपहरण' करने की ताक में भी लगे हैं। <br />यह इसलिये लिख रहा हूँ कि 'अमर उजाला' की खबर थी कि भीतर घूसखोरी बदस्तूर जारी है और बाहर साहब/कर्मचारी आन्दोलन में भी लगे हैं।...<br />सही है,भाई साहब वही लोग सबसे ज्यादा सक्रिय है यूपी में,<br /><br />बढ़िया पोस्ट,,आभार.<br />आपको कृष्ण जन्माष्टमी पर्व की शुभकामनायें और बधाइयाँ.डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-79776404360269795622011-08-22T14:33:43.108+05:302011-08-22T14:33:43.108+05:30चैतन्य जी की बात सही है की आम आदमी भ्रष्ट नहीं होत...चैतन्य जी की बात सही है की आम आदमी भ्रष्ट नहीं होता है उसे व्यवस्था भ्रष्ट बनने के लिए मजबूर करती है यदि व्यवस्था सही हो तो बाकि चीजे अपने आप सही होने लगती है | किसी को भी घुस देने की आदत नहीं होती है लोग मजबूर हो कर ही देना सुरु करते है और बाद में यही रिवाज बना दिया जाता है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-86091838835830073722011-08-22T12:33:38.456+05:302011-08-22T12:33:38.456+05:30@chetany ji ne bilkul sahi kaha....@chetany ji ne bilkul sahi kaha....Sachin Jainhttps://www.blogger.com/profile/03415152658747911115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-11540472425228830392011-08-22T10:42:07.278+05:302011-08-22T10:42:07.278+05:30किसी भी समाज में 10% लोग ईमानदार होते हैं कैसी भी ...किसी भी समाज में 10% लोग ईमानदार होते हैं कैसी भी व्यव्स्था हो वह ईमानदार ही रहता है, 10% बेईमान होते हैं पक्के बेईमान, कभी न सुधरने वाले बेईमान ! बाकी 80% न ईमानदार होते हैं न बेईमान वो अगर व्यव्स्था ईमानदार होती है तो ईमानदार होते हैं व्यव्स्था बेईमान होती है तो वो बेईमान हो जाते हैं! (ये वही लोग होतें हैं जो सिंगापुर जाने पर पान की पीक सड़क पर नहीं फेकते बल्कि गटक जाते हैं। अमेरिका जाकर अपना टैक्स सही तरह से देने लगते हैं)....<br />जनलोकपाल बिल इन्हीं 80% लोगों के लिये है!!चैतन्य आलोकhttp://www.samvedanakeswar.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-3205445554189792072011-08-22T10:24:59.360+05:302011-08-22T10:24:59.360+05:30@ क्या ही अच्छा होता कि ये लोग ऐसे ही जुलूस के साथ...@ क्या ही अच्छा होता कि ये लोग ऐसे ही जुलूस के साथ इन संस्थानों में अपनी माँगों और समस्याओं की पूर्ति/सुलझाव के लिये घुसते और अड़ जाते! ............... stream line....sahi nabz...<br /><br />@pancham da'<br /> "rajnitik rakhi wawant" <br /> 'kya baat hai'<br /><br />pranam.सञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-10432619673852578092011-08-22T08:16:29.312+05:302011-08-22T08:16:29.312+05:30अच्छी कविता पढ़ाई है, देखते हैं कि संसद भ्रष्टाचार...अच्छी कविता पढ़ाई है, देखते हैं कि संसद भ्रष्टाचार के विरूद्ध है या नहीं ? वैसे अभी मम्मीजी बाहर हैं ।विवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-81779103690084089822011-08-22T07:47:24.439+05:302011-08-22T07:47:24.439+05:30सभी के लिए ये हाथ धो लेने का मौक़ा है :)सभी के लिए ये हाथ धो लेने का मौक़ा है :)Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-50420510393484760372011-08-22T05:48:38.861+05:302011-08-22T05:48:38.861+05:30@ क्या ही अच्छा होता कि ये लोग ऐसे ही जुलूस के साथ...@ क्या ही अच्छा होता कि ये लोग ऐसे ही जुलूस के साथ इन संस्थानों में अपनी माँगों और समस्याओं की पूर्ति/सुलझाव के लिये घुसते और अड़ जाते!<br /><br />एकदम सही पकडा है। डटे रहिये, कई लोगों को मार्ग ढूंढने में सहायता की आवश्यकता है, अन्ना में भी वही दिशा-निर्देशक ढूंढ रहे हैं वे।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-23119462135122353332011-08-21T23:19:52.027+05:302011-08-21T23:19:52.027+05:30कुछ सकारात्मक परिणाम की आशा में...कुछ सकारात्मक परिणाम की आशा में...P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-47483825995226390172011-08-21T23:10:57.387+05:302011-08-21T23:10:57.387+05:30यही चिढ़ मुझे भी है यार कि ये 'राजनीतिक राखी ...यही चिढ़ मुझे भी है यार कि ये <b> 'राजनीतिक राखी सावंत'</b> टाइप के लोग ताक में हैं कि कब और कैसे अन्ना के आंदोलन के जरिये खुद को हाइलाइट करें। टीवी पर देख रहा था किसिम किसिम के लोग अन्ना से जुड़ रहे हैं, जो त्रस्त है वह तो है ही जो त्रास देता है, वह भी शामिल है। <br /><br /> खैर, ई तो महामंथन का दौर है तो राछस औ देवता का भेद करना उचित नहीं लग रहा लेकिन लगता है जल्द ही इन राछसों से भी निजात पाने के लिये कुछ करना होगा जो आंदोलन में रंगे सियार बने घुसे हुए हैं। <br /><br />आज देखा एक आध्यात्मिक महाशय सरकार से बातचीत में शरीक हो रहे हैं, टीवी पर बार बार फ्लैश हो रहा है कि जनाब गुफ्तगू में हैं.....वही जनाब जो टीवी पर सुबह सुबह लोगों का भाग्य जगाते हैं...देखें इस आंदोलन के जरिये खुद का और देश का कितना भाग्य जगा पाते हैं ।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-80846549017377092762011-08-21T23:09:55.178+05:302011-08-21T23:09:55.178+05:30गिरिजेश जी ! इसी स्थिति से व्यथित हो कर मैंने भी इ...गिरिजेश जी ! इसी स्थिति से व्यथित हो कर मैंने भी इसी विषय पर आज ही एक लेख लिखा है. शहर के बड़े-बड़े भ्रष्ट लोग "मैं अन्ना हूँ ' लिखी हुयी टोपी लगाकर अन्ना के समर्थन में धरने पर बैठ रहे हैं. इन नालायकों को ज़रा भी शर्म नहीं है कि ये तो अन्ना का मल-मूत्र बनने के लायक भी नहीं हैं...और चले हैं अन्ना को भरोसा देने कि हम आपके साथ हैं ...और देश को यह भरोसा देने कि अब मैं भी अन्ना जितना ही पवित्र और भरोसेमंद बन गया हूँ . सच कहूं तो देश को खतरा है ऐसे कुकुर्मुत्तायी छद्म अन्नाओं से.बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.com