tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post6774232172862012311..comments2023-10-30T15:17:40.771+05:30Comments on एक आलसी का चिठ्ठा ...so writes a lazy man: लापता कौवेगिरिजेश राव, Girijesh Raohttp://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comBlogger44125tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-69136939603139163212011-12-03T16:58:07.304+05:302011-12-03T16:58:07.304+05:30ओह - कौवों पर इतनी गहन विवेचना |
वैसे - हम लोग मो...ओह - कौवों पर इतनी गहन विवेचना |<br /><br />वैसे - हम लोग मोबाइल communication यह पढ़ते है कि यह जो मोबाइल towers की भरमार है - इससे sparrows ख़त्म हो जायेंगी धीरे धीरे - पर कौवे क्योंकि कुछ strong हैं तो नहीं होंगे | वैसे हम मनुष्यों पर भी असर करता है यह radiation परन्तु उतना नहीं - क्योंकि हमारा mass इन नन्ही चिड़ियों से कई गुणा अधिक है | पर लगता है यह radiation बेचारे कौवों को भी अपनी लपेट में ले रहा है | हम मनुष्य अपनी convenience के लिए जो न करें सो कम है | पहले जंगली जानवर शिकार में मारते थे, अब indirectly चिड़ियों को मार रहे हैं |Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-47241650147591367512010-10-28T22:33:32.388+05:302010-10-28T22:33:32.388+05:30गिरिजेश जी, बन्दा खाँटी बिहारी है. घर हुआ कुदरा,...गिरिजेश जी, बन्दा खाँटी बिहारी है. घर हुआ कुदरा, जो कि अब कैमूर जिलान्तर्गत है. ९० के दशक के पूर्व यह रोहतास में था.<br />बाकी, बातों का सिलसिला चल ही पड़ा है तो और बातें भी होंगी...लेकिन आपको पढ़ना सुकून देता है. आप स्वांत सुखायः लिखते हैं, शायद इसीलिए.<br />और ..... वह कहते हैं ना कि 'ask me anytime, I am just a mail/phone call away. ha ha haLalithttps://www.blogger.com/profile/07381473297376142200noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-41280802807451786592010-10-28T19:02:34.629+05:302010-10-28T19:02:34.629+05:30अमरेन्द्र जी,
आभार
ललित जी!
भूली बात याद दिलाने...अमरेन्द्र जी, <br />आभार<br /><br />ललित जी! <br />भूली बात याद दिलाने के लिए आभार। लगता है आप अपने क्षेत्र के ही हैं :) जरा बताइए न। <br /><br />चंडीगढ़ की खबर देने के लिए सम्वेदना के स्वर को आभार।<br /><br />नंगल की खबर देने के लिए निर्मला जी को धन्यवाद। <br /><br />आज अल्लसुबह झुटपुटे में मुझे भी दो दिख गए। हालात इतने खराब नहीं हुए लेकिन खराब हो रहे हैं। कुछ तो है जो इन्हें कम कर रहा है। शायद कीटनाशक दवाएँ जैसा कि बाकी सुधी लोगों ने भी बताया है।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-88052522573938692452010-10-28T18:52:26.148+05:302010-10-28T18:52:26.148+05:30हमारे यहाँ तो बहुत हैं यहाँ से ले जाईये। बार बार आ...हमारे यहाँ तो बहुत हैं यहाँ से ले जाईये। बार बार आँगन साफ करना पडता है सारा दिन बीठ साफ करते रहो। शुभकामनायें।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-35220381776084797812010-10-28T15:29:15.036+05:302010-10-28T15:29:15.036+05:30मिथिला के एक बहुचर्चित गीत में,आंगन में चंदन के पे...मिथिला के एक बहुचर्चित गीत में,आंगन में चंदन के पेड़ पर कागा की आवाज़ सुन विरहिणी कहती है कि यदि आज पिया आ गए तो मैं तुम्हारी चोंच सोने से मढ़वा दूंगी।<br />कागा की मौजूदगी के लिए चंदन के पेड़ का प्रयोग विशेष महत्व का है। यह काग की शुभता,शुचिता,निष्ठा,ईमानदारी आदि को दर्शाता है। मगर धीरे-धीरे बेचारे की ऐसी उपेक्षा हुई कि अब तो बस छात्रों को संदर्भ देने मात्र के लिए काकचेष्टा का प्रयोग रह गया है।कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-23385420074063087222010-10-28T01:22:28.896+05:302010-10-28T01:22:28.896+05:30इतनी जानकारीपूर्ण पोस्ट के लिए आभार !
आवश्यक है आप...इतनी जानकारीपूर्ण पोस्ट के लिए आभार !<br />आवश्यक है आपका प्रेम के बीच बीच में जानवर और पक्षियों पर कुछ-कुछ बोल जाना ! समाज-उद्वेल बना रहना चाहिए !<br /><br />काला कौवा ही था , जिसके चोंच में सोना मढ़ाने की बात माता कौशल्या ने की थी ! उम्मीद है जयंतवा भुरैठा रहा होगा , सीता जी का गोड़ खने वाला !! <br /><br />पोस्ट सचेत करने वाली है ! भयावह लक्षण हैं ये सब ! आगे आगे देखिये होता है क्या !!Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-47354701459464417462010-10-27T22:18:29.304+05:302010-10-27T22:18:29.304+05:30हाँ, जियुतिया में माई गोहरावते रह जाले आ चिल्होर क...हाँ, जियुतिया में माई गोहरावते रह जाले आ चिल्होर के दरसन ना होला. हमनी देने करियवा कौवा के डोमहा कौवा कहल जात रहे (एक सन्दर्भ हो सकता है जाति और वर्ण के सम्बन्ध का, और कैसे और जातिमुलक तथा जातिसूचक कहावतें बनी और प्रचलित हुईं) आ बाकिर खुदे गाँव गइला ज़माना हो गइल त का बताईं कि ओने के लउकत बा आ केतना लउकत बा......:)Lalithttps://www.blogger.com/profile/07381473297376142200noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-21344056675705930552010-10-27T19:19:23.585+05:302010-10-27T19:19:23.585+05:30कौए तो फिर भी दिखते हैं...चील-गिद्ध गायब हो गए।कौए तो फिर भी दिखते हैं...चील-गिद्ध गायब हो गए।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-67803528097139332612010-10-27T11:33:11.064+05:302010-10-27T11:33:11.064+05:30सोचा! चंड़ीगढ के कौओं की उपस्थिति भी दर्ज करा दूं त...सोचा! चंड़ीगढ के कौओं की उपस्थिति भी दर्ज करा दूं ताकि सनद रहे!<br /><br />इधर तो बहुत सारे कौए हैं, सुखना झील पर <br />पिकनिक मनाते हुए लोगों से भोजन मांगते, इन बदमाशों से मिलना हमेशा बहुत मजेदार होता है। <br /><br />मेरे तीसरे माले के फ्लैट में कबूतरों के घोसलों के सुरक्षा प्रबन्ध पूरे परिवार की सामूहिक जिम्मेदारी होती है, परंतु उन प्रबन्धों को भी जब तब ये शैतान धता बता कर, कबूतरों के अंडे चट कर जाते हैं। <br />In Chandigarh, "All is well".सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-69143729854597067472010-10-27T07:30:30.744+05:302010-10-27T07:30:30.744+05:30आपकी चिंता जायज़ है ... कौवे वास्तव में कम हो रहे ह...आपकी चिंता जायज़ है ... कौवे वास्तव में कम हो रहे हैं ... लगभग पांच छह साल पहले तक कौवे बहुतायत में दीखते थे लेकिन इधर काफी दिनों से नहीं दिख रहे हैं ... इलाहाबाद के आसपास अधिकतर धूसर गले वाले कौवे ही पाए जाते हैं लेकिन कभी कभी चमकीले कौवे भी दीखते हैं <br />पहले घरेलू जानवरों के मरने पर उनकी खाल निकाल कर शेष खुले में छोड़ दिया जाता था जिन्हें गिद्ध और कौवे खाया करते थे .... आज जानवरों के मरने से पहले इंसान उन्हें खा जाता है ... गिद्ध तो दस साल पहले ही पूर्णतः विलुप्तप्राय हो गए हैं ... उनका पंख फैला कर दौड़ कर उड़ना और उसी तरह किसी हवाई जहाज की तरह लैंड करना सिर्फ यादों में बचा है ..<br />कौवों में कई बार अद्भुद एकता देखा है मैंने ... एक कौवे के बच्चे को पकड़ लें ... सैकड़ो कौवे इकट्ठे हो कर घेर लेते हैं और यथासंभव हमला करने से भी नहीं चूकते ... एक बार तो पूरे दिन मेरा घर से निकलना दूभर हो गया था ...<br />...<br />कौवों में सामाजिक समझ होती है जिसके चलते वो एक दूसरे को आवाज़ दे कर सहायता के लिए बुला लेते हैं ... अपना घोसला बनाते हैं लेकिन कोयल उनके अण्डों के साथ या उन्हें गिरा कर अपने अंडे दे देती है जिसे कौवा बच्चे होने तक अपना समझ कर सेता है ... इस प्रक्रिया में कोयल को अपने घोसले से फुलस्पीड में खदेड़ते भी देखा है... <br />....<br />कौवा हिंदू धर्म में पितरों के सदृश भी माना जाता है... पिंडदान के बाद कौवों को भोजन करवाया जाता है <br />.....हिंदी साहित्य और विरह व प्रेम के विषयों में कौवे को बहुतायत से स्थान दिया जाता है ...<br /><br />....इस लिए<br />पर्यावरण की सुरक्षा के लिए <br />शुभ सूचना वाहक <br />सामाजिक सहयोग की भावना द्योतक<br />होशियार सामाजिक पक्षी <br />और पितरों तक पुण्यवाहक <br />श्रीकृष्ण के कर से रोटी खाने वाले "कृष्ण काग"<br />को लुप्त होने से बचाएं ...पद्म सिंहhttp://padmsingh.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-34497229723422319792010-10-27T06:02:51.705+05:302010-10-27T06:02:51.705+05:30सब अमरीका में ग्रेण्ड कैनियन में पहुँच गये हैं वैल...सब अमरीका में ग्रेण्ड कैनियन में पहुँच गये हैं वैली ऑफ डेथ में..भारत में दूसरे कौव्वों का कब्जा हो गया है.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-74225946744191772522010-10-27T05:48:04.256+05:302010-10-27T05:48:04.256+05:30कौवे से सम्बंधित ज्ञान में वृद्धि हुई ...
सामने पा...कौवे से सम्बंधित ज्ञान में वृद्धि हुई ...<br />सामने पार्क है मगर कौवों का दिखना कम हुआ है ...वैसे भी बिहार के मुकबले राजस्थान में कौवे कम ही दिखते रहे हैं शुरू से ही ... !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-22099163559077351702010-10-27T02:12:52.778+05:302010-10-27T02:12:52.778+05:30बड़े कौवों ने अपनी स्वार्थपूर्ति की खातिर छोटे कौव...बड़े कौवों ने अपनी स्वार्थपूर्ति की खातिर छोटे कौवों को मार भगाया..दीपक 'मशाल'https://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-14822373912151113452010-10-26T23:45:01.536+05:302010-10-26T23:45:01.536+05:30प्रभु अपनी दिल्ली में कौवों को अच्छी खासी संख्या ह...प्रभु अपनी दिल्ली में कौवों को अच्छी खासी संख्या है. और कौवे का एक जोड़ा बिलकुल आपके दिए चित्र कि सी अवस्था में मेरे घर के सामने वाले बिजली के खम्बे पर एक दुसरे कि खुजली मिटाता मुझे अक्सर नजर आता है.जिस तरह से निश्चिन्त होकर वो जोड़ा मुझे प्रेमालाप में मगन दीखता है वो मैंने तो अभी तक किसी दुसरे पक्षी जोड़े में नहीं देखा है. यहाँ तक कि जो loving bird के नाम से छोटे से तोते जैसे पक्षी बाजार में मिलते हैं वो भी इतने प्यार से एक दुसरे को नहीं सहलाते. मुझे आश्चर्य है कि हमारे कवियों कि नजर इस पक्षी के प्रेम प्रदर्शन पर अभी तक क्यों नहीं पड़ी.VICHAAR SHOONYAhttps://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-19547004414817343342010-10-26T23:10:11.376+05:302010-10-26T23:10:11.376+05:30वाह ज्ञान प्राप्ति हुई !
.........वैसे सुबह आपकी ...वाह ज्ञान प्राप्ति हुई !<br /><br />.........वैसे सुबह आपकी पोस्ट पढ़ कर स्कूल गया तो गौर करने पर शहर की तुलना में कौवे अधिक दिखाई पड़े|......और हाँ सब धूसर गले के ही मालिक थे!<br /><br />.......कुछ बच्चों ने बताया कि पिछले साल बाल काटने वाले (नउवा) को इतना परेशान करते थे कौवे कि उसने अपने घर में एक कौवे को ही मार कर लटका रखा था ......... जिसे देख कर बाद में कौवों ने वहां जाना बंद कर दिया |प्रवीण त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/02126789872105792906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-80267982082426168532010-10-26T23:02:50.991+05:302010-10-26T23:02:50.991+05:30@ रश्मि जी,
मुम्बई वाले फिल्म तो सारे जहाँ के लिए...@ रश्मि जी, <br />मुम्बई वाले फिल्म तो सारे जहाँ के लिए बनाते हैं, केवल आमची मुम्बई के लिए नहीं। इसलिए कौवा संरक्षण में उनकी अंटी ढीली होनी जरूरी है। :) <br /><br />@ सुज्ञ जी <br />देखता हूँ लेकिन 'आतूर' नहीं 'आतुर' होइए। :)गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-67011490918757164992010-10-26T22:40:56.452+05:302010-10-26T22:40:56.452+05:30मुंबई महानगर मैं तो कौवे भरे पड़े हैं..मुंबई महानगर मैं तो कौवे भरे पड़े हैं..S.M.Masoomhttps://www.blogger.com/profile/00229817373609457341noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-67144155905877723392010-10-26T21:16:46.686+05:302010-10-26T21:16:46.686+05:30@ गंगेश
प्वाइंट 13 अली सा की टिप्पणी से उपजा निष्...@ गंगेश <br />प्वाइंट 13 अली सा की टिप्पणी से उपजा निष्कर्ष है। :) <br /><br />गरिमा बेटी! <br />"मैं अच्छा हूँ" यह कहना तो अपने मुँह मियाँ मिठ्ठू बनना होगा। अपने मुँह मियाँ मिठ्ठू बनने का अर्थ अपने पापा से पूछो :) <br /><br />एक इंजीनियर अच्छा लेखक हो सकता है। एक अच्छा इंजीनियर तो किसी भी शिल्प में अच्छा काम कर सकता है और लेखन तो शिल्पकारी ही है। <br />शिल्प के अर्थ के लिए अपने पापा को कष्ट दो। :)गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-44981734102387515422010-10-26T20:33:36.423+05:302010-10-26T20:33:36.423+05:30काग विमर्श बहुत ही अच्छा चल रहा है......
निष्कर्ष...काग विमर्श बहुत ही अच्छा चल रहा है......<br /><br />निष्कर्ष में बिन्दु -13 को स्पष्ट करें......<br /><br />क्या कोई उदाहरण दिखा है......<br /><br /><br />और हाँ आपकी बिटिया गरिमा का कहना है की बड़े पापा अगर इतने अच्छे लेखक हैं तो इंजीनियर का काम करने की क्या आवश्यकता है?<br /><br /><br />बेहतर होगा की आप स्वयं उसके प्रश्न का उत्तर दे दें .......<br /><br />सादरगंगेश रावhttps://www.blogger.com/profile/10791109109633152718noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-21602485953428893372010-10-26T20:33:06.124+05:302010-10-26T20:33:06.124+05:30Giddha ke baad ab kauon ka number hai . Jab Insan ...Giddha ke baad ab kauon ka number hai . Jab Insan kaua aur giddh ki jagah le raha hai to bechre kahan se bachenge. vaise itane masoom kauye aapko mile kahan?rajivhttps://www.blogger.com/profile/10917588871855963207noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-43646902488209512092010-10-26T20:16:50.193+05:302010-10-26T20:16:50.193+05:30गिरिजेश जी,
एक रूपक पढवाने के लिये आतूर हूं
http...गिरिजेश जी,<br /><br />एक रूपक पढवाने के लिये आतूर हूं<br /><br />http://shrut-sugya.blogspot.com/2010/10/blog-post_26.htmlसुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-52356410908234369032010-10-26T20:12:25.637+05:302010-10-26T20:12:25.637+05:30अब तो निष्कर्ष भी आ गया.
सहमत हूँ...
पर मुंबई में...अब तो निष्कर्ष भी आ गया.<br />सहमत हूँ...<br /><br />पर मुंबई में अतिरिक्त संरक्षण की जरूरत नहीं ,शायद<br />यहाँ बहुतायत में दिखते हैं,कौवेrashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-57042444098116442592010-10-26T20:00:17.069+05:302010-10-26T20:00:17.069+05:30कौवा विमर्श निष्कर्ष(अब तक)
1. कौवे वास्तव में दो ...<b>कौवा विमर्श निष्कर्ष(अब तक)</b><br />1. कौवे वास्तव में दो प्रकार के होते हैं: <br />(a) काग - चमकीला काला (Raven)<br />(b) कौवा - धूसर गले वाला (Crow)<br /><br />2. बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश,उज्जैन में ये लुप्तप्राय हैं। <br />3. दिल्ली में स्थिति सन्दिग्ध है। <br />4. गोवा, जगदलपुर और जबलपुर में कौवे ही कौवे हैं। <br />5. अमेरिका में दोनों प्रकार के कौवे हैं। As usual भारत का वहाँ कोई प्रभाव नहीं है। <br />6. इनके संरक्षण की अंतरराष्ट्रीय रेटिंग पर पुनर्विचार की आवश्यकता है। <br />7. अब विरहग्रस्त नायिकाएँ विरह से ही त्रस्त हो जाती हैं। उन्हें कौवों की आवश्यकता नहीं है। <br />8. अटारी पर बोलने वाला शख्स काग होता है, कौवा नहीं। कौशल्या जी भी काग के चोंच को ही सोने से मढ़वाने की बात करती थीं। इस पर और पुष्टि के लिए अयोध्या क्षेत्र के किसी ब्लॉगर की आवश्यकता है। <br />9. कौवे के रंग का उसके लिंग से कोई सम्बन्ध नहीं होता। <br />10. कुछ टाइप के फिल्मी गीत कौवे के बिना नहीं लिखे जा सकते। अत: मुम्बई की फिल्म इंडस्ट्री को कौवे के संरक्षण के लिए सामने आना चाहिए। <br />11. एक वरिष्ठ सूचना के अनुसार कोयल भी इतनी बेसुरी हो सकती है कि वह बाहरी दुनिया से भी कौवों को अपनी ओर खींच ले। <br />12. कौवे को सभी लोग उड़ाते रहते हैं इसलिए उसका अस्तित्त्व खतरे में पड़ गया है। जनहित में अपेक्षित है कि कौवा न उड़ाया जाय।<br />13. जो व्यक्ति प्रेम में पड़ जाता है उसे कौवे नहीं दिखाई देते। <br /><br />आप लोग अपनी समझ अनुसार स्माइली लगाने के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन <b> समस्या वाकई गम्भीर है। </b>गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-3554094821270737122010-10-26T19:13:16.922+05:302010-10-26T19:13:16.922+05:30गिद्धों के बाद कौवे भी !
ये नहीं पता था. जहाँ तक ...गिद्धों के बाद कौवे भी ! <br />ये नहीं पता था. जहाँ तक मुझे पता है दीखते हैं अभी भी कौवे. आज पता करता हूँ हमारी तरफ क्या हाल है. काग का काना होना भगवान् राम और जयंत की कथा से जोड़कर देखा जाता है. आपको तो पता ही होगा.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-66846223294819362012010-10-26T18:00:03.466+05:302010-10-26T18:00:03.466+05:30हमारा गाँव न तो पहाड़ पर है और न ही जंगल में। पूर्...हमारा गाँव न तो पहाड़ पर है और न ही जंगल में। पूर्वी उत्तर प्रदेश का तराई क्षेत्र है। फिर भी यहाँ पूर्णतः काले कौवे ही पाये जाते हैं। उनकी संख्या पहले से कुछ कम जरूर हुई है।<br /><br />इलाहाबाद में धूसर गले वाले दिखते थे। यहाँ वर्धा में मुझे किसी कौवे की शक्ल याद नहीं। अब ध्यान देता हूँ कि यहाँ हैं भी कि नहीं।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.com