tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post6886516310557779135..comments2023-10-30T15:17:40.771+05:30Comments on एक आलसी का चिठ्ठा ...so writes a lazy man: ....रोवें देवकी रनिया जेहल खनवागिरिजेश राव, Girijesh Raohttp://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-39414002213354896332009-08-17T15:26:45.588+05:302009-08-17T15:26:45.588+05:30अदभुत प्रविष्टि । निश्चय ही इस संवेदना का अनुभव हम...अदभुत प्रविष्टि । निश्चय ही इस संवेदना का अनुभव हम न कर सके वहाँ । <br /><br />देवकी के भीतर के उस अनुभव का विचार कर रहा हूँ- कलेजा मुँह को आ रहा है । वसुदेव तो क्रमशः मरण के बाद निखरी हुई जीवन की संभावनाओं को संजो रहे थे-कृष्ण परिचायक थे उसके, पर देवकी का क्या ? वह तो माँ थी । जिस उत्साह की संवेदना से भर कर देवकी कृष्ण-जन्म की बाट जोह रहीं थी और जिसने सांसारिक और सांस्कारिक अनुभूतियों से विलग कर दिया था उन्हें, उसी संवेदना ने कृष्ण-जन्म के बाद उन्हें पुनः अपने माँ के संस्कारगत अस्तित्व के प्रति उदग्र भाव से उन्मुख कर दिया था शायद ।<br /><br />मैं जो कुछ कह रहा हूँ पता नहीं इस प्रविष्टि के संदर्भ मे है अथवा नहीं, पर इतना जरूर है कि प्रविष्टि ने इतना कहने को विवश कर दिया था ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-37656454698804773582009-08-14T21:55:00.819+05:302009-08-14T21:55:00.819+05:30बनारस की वह भावप्रवण घडी आपको याद आ गयी -मैं अपनी ...बनारस की वह भावप्रवण घडी आपको याद आ गयी -मैं अपनी संवेदनशीलता को कोसता हूँ की इतना दिन यही रहते हो गया मेरे पैर क्यों ऐसे मार्मिक शब्दों पर नहीं ठिठक गए ! <br />जन्माष्टमी की शुभ कामनाएं !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-91762920602495911742009-08-14T08:33:01.720+05:302009-08-14T08:33:01.720+05:30बहुत सुंदर संस्मरणात्मक पोस्ट।
हमारे देश का सच यह...बहुत सुंदर संस्मरणात्मक पोस्ट।<br /><br />हमारे देश का सच यह है कि देवकी की पीड़ा करोडों महिलाओं की पीड़ा है। न धाई न डाक्टर, न पोषण। अंतिम दिवस तक घोर परिश्रम किए जाना उनकी नियति है। प्रसव के बाद न मैटेर्निटी लीव न पोषक भोजन...<br /><br />अवतारों में नारी क्यों नहीं एक भी? इसे यों समझाया जा सकता है। सभी धर्मों का संबंध पुरुषसत्तात्मक, सामंतवादी व्यवस्था के साथ होता है। धर्म की उत्पत्ति ही सामंतवाद के साथ होती है, और धर्म का मूल उद्देश्य ही सामंतवाद को एक धार्मिक आधार देना होता है। सामंतवाद में नारी को दोयम दर्जा ही प्राप्त होता है, तो अवतार, जो शक्ति की पराकांष्ठा को दर्शाते हैं, नारी कैसे हो सकते हैं?<br /><br />हां दुर्गा आदि भी हमारे देवी-देवता की परंपरा में हैं, और अर्धनारीश्वर भी ! पर ये मुख्य धारा में नहीं है, इससे इन्कार नहीं किया जा सकता।<br /><br />खैर, ये सब बातें इस पोस्ट के लिए अप्रासंगिक हैं। क्योंकि पोस्ट एक अलग दृष्टिकोण से लिखा गया है, नोस्टाल्जिया उरेकनेवाला, और इसमें वह पूरी तरह सफल हुआ है।बालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणhttps://www.blogger.com/profile/09013592588359905805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-68388066371991956572009-08-14T08:32:25.609+05:302009-08-14T08:32:25.609+05:30कन्हैया जो भी थे, अगर ना भी थे... कमाल के थे (हैं ...कन्हैया जो भी थे, अगर ना भी थे... कमाल के थे (हैं और रहेंगे) ! <br />जय कन्हैया लाल की.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-921293288121800692009-08-14T07:44:32.134+05:302009-08-14T07:44:32.134+05:30बहुत ही सुन्दर गीत. पढ़कर दुःख हुआ कि गाना क्यों न...बहुत ही सुन्दर गीत. पढ़कर दुःख हुआ कि गाना क्यों नहीं सीखा. <br />मैंने बनारस कई बार देखा मगर हमेशा ही एक पर्यटक की दृष्टि से. एक बार वहां नौकरी करने का सुयोग भी बना मगर प्रभु की इच्छा - रहना नहीं लिखा था, सो नहीं हुआ. अब रहा आपका सवाल. जितनी समझ है उतना उत्तर देने की गुस्ताखी कर रहा हूँ सो: पूर्ण-पुरुषोत्तम की जगह किसी को तो पटका था न तानाशाह ने, स्त्री का अवतार वही है जो पुरुष अवतार के लिए पटका जाता है फिर भी उसका जन्मोत्सव नहीं होता.<br />अब नास्तिकता की बात छेड़ ही दी है तो अब मेरा एक सवाल:- छोडो नहीं पूछता.Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-51920191367251366962009-08-14T04:58:04.756+05:302009-08-14T04:58:04.756+05:30Bahut bhala laga ye Sansmaran ...Na jane kab,
B...Bahut bhala laga ye Sansmaran ...Na jane kab, <br /><br /> Bana BHOLE NATH ki Nagariya ke Darshan honge <br /><br /> Chaliye, door se hee , Krishna Kanhaiyya ki Jai <br /><br /> Ramchandr ji ki Jai, Bam Bam Bhole nath ki Jai <br /><br /> Aur<br /><br />JAGT JANNI BHAWANI ki VANDANA bhee ker lete hain ..<br /><br />[ Angrezee mei tippani ki maafi, the reason is : <br />~~ I m away from my PC ]लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-39735340828671273992009-08-14T04:54:48.965+05:302009-08-14T04:54:48.965+05:30@सतीश पञ्चम जी,
हाँ, वही जगह। बाबा का नाम तो नहीं...@सतीश पञ्चम जी,<br /><br />हाँ, वही जगह। बाबा का नाम तो नहीं जानता लेकिन ".....जिया हो जिया......एकदम लूट के....बोलते रहो......हरे रमवा...एक दम लूट के...." कहते एक सज्जन अवश्य थे। याद दिलाने के लिए धन्यवाद। <br /><br />उस जोड़ुवे कीर्तन के स्वर में मैं ऐसा डूब गया था कि बस्स ! आज भी ऑफिस में कभी कभी बैठे ठाले गाने लगता हूँ तो लोग कुतुहल से देखते हैं !<br /><br />अभी बनारस गया था तो सूना था। बड़ा खराब लगा।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-91843938103485676662009-08-14T04:46:34.774+05:302009-08-14T04:46:34.774+05:30@सिद्धार्थ बबुआ
शक्ति पूजा की परम्परा लोक मैं कैस...@सिद्धार्थ बबुआ<br /><br />शक्ति पूजा की परम्परा लोक मैं कैसे, क्यों और कहाँ से है - लिखने बैठूँगा तो एक पुराण रच जाएगा। <br /><br />तारनहार के जन्म पर यह एक 'नास्तिक दृष्टि' है। कहते हैं न कि हिन्दू धर्म में एक नास्तिक के लिए भी पर्याप्त स्थान है। शुद्ध व्यक्तिगत बात है। मुझे लगता है कि देवकी की पीड़ा को लीला पुरुषोत्तम की चकाचौंध के आगे बहुत कम समझा और गुना गया। लीला जो थी ! <br /><br />विशुद्ध मानवीय दृष्टि से देखने पर लगता है कि अवतारवाद पुरुष प्रधान समाज के लिए ही अधिक रहा है। बाद में राधा, गोपी वगैरह को प्रवेश करा कर इसे संतुलित करने के प्रयास किए गए।<br /><br />यह लेख भावुक मन की बहक ही है। इस समय भी जब लिख रहा हूँ तो बनारस की वह रात जैसे साक्षात सामने है। और 'घोरठ' गाँव का विलुप्त 'कृष्ण जन्मोत्सव' भी। इस वर्ष सोचा था कि जाकर फिर प्रारम्भ कराऊँगा लेकिन दुनियादारी के चक्कर में हो नहीं सका। ...<br /><br />आँखें नम है। बहक को चाबुक मार कर रास्ते पर लाने के लिए धन्यवाद। 'या देवी सर्व भूतेषु श्रद्धा रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:'<br /><br />जय कन्हैया लाल की !<br /><br />आज गावत मन मेरो झूम के . . .गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-54297444808130907842009-08-13T23:13:07.709+05:302009-08-13T23:13:07.709+05:30वारणसी स्टेशन के बाहर निकलते ही तुरंत सामने जो छोट...वारणसी स्टेशन के बाहर निकलते ही तुरंत सामने जो छोटा सा बैठकमय मंदिर है शायद आप उसकी बात कर रहे हैं। वह स्थान अब वहां नहीं दिखता। शायद कहीं दूर जगह बदल कर बैठकी हो रही हो। मैं भी कई बार उन लोगों के पास खडे होकर झांझ पखावज का आनंद ले चुका हूँ। <br /><br />वहीं पर शायद आपको बाबा निगोडे दास मिले होंगे.....रह रह कर करताल बजाते कह बैठते हैं .....जिया हो जिया......एकदम लूट के....बोलते रहो......हरे रमवा...एक दम लूट के....सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-70305027490921729342009-08-13T22:55:53.042+05:302009-08-13T22:55:53.042+05:30@कन्हैया तुम अवतार भी हुए तो पुरुषोत्तम के ! नारी ...@कन्हैया तुम अवतार भी हुए तो पुरुषोत्तम के ! नारी क्यों नहीं हुए ?<br /><br />भइया, ई का गजब का सवाल उठा दिए? पुरुषोत्तम का अवतार? नारी का क्यों नहीं? काहें आग लगाने पर तुले हुए हैं?<br /><br />अरे भाई, दुर्गा जी को भुला गये का? साल में दो बार नौ-नौ दिन तक सारा हिन्दू समाज जिनके व्रत उपवास और पूजा में मग्न रहता है। इनके १०८ नाम, नौ विशिष्ट रूप और सभी देवताओं का अंश अपने में समेटकर राक्षसों के नाश के लिए सदैव तत्पर छवि आपने बिसरा दी है क्या?सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-74459020545362162602009-08-13T22:35:21.816+05:302009-08-13T22:35:21.816+05:30बहुत ही मनमोहक पोस्ट........भोजपुरी पंक्तिया बहुत ...बहुत ही मनमोहक पोस्ट........भोजपुरी पंक्तिया बहुत ही अच्छी लगी. आभार.Chandan Kumar Jhahttps://www.blogger.com/profile/11389708339225697162noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-76996786245316828352009-08-13T22:27:39.224+05:302009-08-13T22:27:39.224+05:30बढिया संस्मरण- आभार।बढिया संस्मरण- आभार।चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.com