tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post7200351452625967439..comments2023-10-30T15:17:40.771+05:30Comments on एक आलसी का चिठ्ठा ...so writes a lazy man: हिन्दी ब्लॉगरी का सर्वश्रेष्ठ व्यंगबाजगिरिजेश राव, Girijesh Raohttp://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comBlogger26125tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-85848533296728730802010-08-23T18:46:02.600+05:302010-08-23T18:46:02.600+05:30शायद हमहूँ मिले हैं इनसे इलाहाबाद में !
बेहतरीन ल...शायद हमहूँ मिले हैं इनसे इलाहाबाद में ! <br />बेहतरीन लेखनी है इनकी ! पढ़ते रहे हैं हम पहले से ही ! आभार ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-10317010110255830552010-07-20T05:14:35.976+05:302010-07-20T05:14:35.976+05:30कृष्ण मोहन मिश्र जी से परिचय कराने का शुक्रिया! (अ...कृष्ण मोहन मिश्र जी से परिचय कराने का शुक्रिया! (अब कब तक छिपे रहेंगे?)<br /><br />"<b>लेकिन अब स्मार्ट भैया वगैरह भी मुँह बिचका कर भाव न दिखाने लगें - यह डर लग रहा है।</b>" <br /><br />सबके सामने काहे शर्मिन्दा कर रहे हो अनुज? हम मुँह बिचकाते कहाँ हैं भाव दिखाते वक़्त?Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-28028996688152853562010-07-19T08:28:41.359+05:302010-07-19T08:28:41.359+05:30मुझे अफ़सोस है कि आप सुदर्शन पर इतनी देर से पहुँचे...मुझे अफ़सोस है कि आप सुदर्शन पर इतनी देर से पहुँचे। कृष्णमोहन से हमारा परिचय बहुत पुराना हो चुका है। इलाहाबाद के दोनो कार्यक्रमों में उपस्थित थे। थोड़ा लो-प्रोफ़ाइल रहना पसन्द करते हैं। मुँह से कम बोलते हैं। लेखनी की बोली झन्नाटेदार है।<br /><br />हमने उनके लगभग सारी पोस्टें पढ़ी हैं। रागदरबारी इश्टाइल में क्रिकेट चर्चा पढ़कर शिव भैया ने मुझसे इनका नम्बर मांगा था। आप चाहें तो मैं इनका फोटो भेंज दूँ। अपने हाथ से खींचा हुआ।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-3296015782012505142010-07-19T07:26:42.252+05:302010-07-19T07:26:42.252+05:30कृष्ण मोहन मिसिर जी अपने ब्लॉग नाम सुदर्शन के अनुर...कृष्ण मोहन मिसिर जी अपने ब्लॉग नाम सुदर्शन के अनुरूप सुदर्शन व्यक्तित्व वाले हैं। वे ऐसे अकेले व्यंग्यबाज हैं जो अपने लेखों में एनिलेटेड कार्टून का प्रयोग करते हैं। उनके बारे में मुझे सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी ने बताया था। <br /><br />मिसिरजी धांसू लिखते हैं। उनके राजनीतिक व्यंग्य मजेदार होते हैं। रागदरबारी की तर्ज पर लिखी उनकी एक पोस्ट तो झकास है।<br /><br />आपने यह बड़ा पुण्य का काम किया जो उनके बारे में जिक्र किया। अब उनके बचे हुये लेख बांचे जायेंगे।अनूप शुक्लhttp://hindini.com/fursatiyanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-69657852269703765822010-07-18T09:02:33.847+05:302010-07-18T09:02:33.847+05:30कृष्ण मोहन मिश्र व शेफाली पाण्डेय, नि:संदेह दोनों ...कृष्ण मोहन मिश्र व शेफाली पाण्डेय, नि:संदेह दोनों ही बहुत अच्छा लिखते हैंKajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-51983262832526080352010-07-18T06:16:28.676+05:302010-07-18T06:16:28.676+05:30@ डॉ सत्यकाम और बाला जी जैसे लोगों का निष्क्रिय हो...@ डॉ सत्यकाम और बाला जी जैसे लोगों का निष्क्रिय होना दुखद है ! '' सखा धर्म निबहौं केहि भांती '' की प्रश्नाकुल स्थिति छोड़ जाती हैं ऐसी दुर्घटनाएं !Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-62078489705720921832010-07-17T23:47:17.799+05:302010-07-17T23:47:17.799+05:30@के.एम.मिश्रा जी ,
हलक में अटकी हुई बात बाहर निकल...@के.एम.मिश्रा जी ,<br /><br />हलक में अटकी हुई बात बाहर निकल जाये तो बड़ी राहत मिलती है :)<br />याद दिलाने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-82069920001665268782010-07-17T23:40:58.989+05:302010-07-17T23:40:58.989+05:30सुपरलेटिव से बचना चाहिए... हम तो बस इसीलिए कह रहे ...सुपरलेटिव से बचना चाहिए... हम तो बस इसीलिए कह रहे हैं क्योंकि इसका मतलब ये हुआ कि आप हिंदी के सारे ब्लॉग/पोस्ट पढ़ते हैं :) <br />पर अब आप कह ही दिए हैं तो रीडर में जोड़ते हैं, और पढ़ते हैं.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-30239697563966753842010-07-17T22:51:44.100+05:302010-07-17T22:51:44.100+05:30@ गिरिजेश राव
मैं आपके चयन शेफाली पांडेय
के नाम...@ गिरिजेश राव<br /><br /><br /><br />मैं आपके चयन शेफाली पांडेय<br />के नाम की संस्तुति करता हूं<br />पर आप फैन ही क्यों हुए<br />गर्मी इतनी भीषण है<br />एसी होना नहीं पथ दुर्गम है।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-46375474262721360892010-07-17T22:44:25.885+05:302010-07-17T22:44:25.885+05:30अली भाई आपकी याद्दाश्त के क्या कहने । यह व्यंग 199...अली भाई आपकी याद्दाश्त के क्या कहने । यह व्यंग 1999 में इलाहाबाद से निकलने वाली एक छोटी से मासिक पत्रिका ‘मधुर सौगात’ में छपा था । उसमें आधा अधूरा छपा था ब्लाग पर पूरा छपा है ।K M Mishrahttp://kmmishra.tknoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-66500005032271015712010-07-17T20:52:32.880+05:302010-07-17T20:52:32.880+05:30@ महिला व्यंग्य ब्लॉगरों में शेफाली पाण्डेय जी htt...@ महिला व्यंग्य ब्लॉगरों में शेफाली पाण्डेय जी http://shefalipande.blogspot.com/ का मैं जबरदस्त फैन हूँ। और किसी को जानता ही नहीं। वह अकेली ही काफी हैं।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-20690987104710650312010-07-17T20:13:48.490+05:302010-07-17T20:13:48.490+05:30व्यंग्यबाज के बाद एक व्यंग्यनार पकड़ कर लाने क...व्यंग्यबाज के बाद एक व्यंग्यनार पकड़ कर लाने के लिए भी विनम्र आग्रह है।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-59142629572666361302010-07-17T19:56:51.640+05:302010-07-17T19:56:51.640+05:30वही तो मैं कहने वाला था की ऐसे ही सुब्रमन्यन जी क...वही तो मैं कहने वाला था की ऐसे ही सुब्रमन्यन जी को आहूत कीजिये आर्य ,<br />कृष्ण कुमार जी को आपने इलाहाबाद में मिलवाया था -मगर बाद में लगा जैसे सपना देखा हो !<br />पर यह तो हकीकत थी आज पता चली ...Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-92029773882009857702010-07-17T19:54:02.327+05:302010-07-17T19:54:02.327+05:30गिरिजेश जी,
डा. सत्यकाम के पुराने पोस्ट्स मैंने पढ...गिरिजेश जी,<br />डा. सत्यकाम के पुराने पोस्ट्स मैंने पढ़ लिये थे, तभी तो उनका फ़ैन हुआ, वरना किस वजह से उनका जिक्र करता। ये अच्छा किया आपने कि इनके catche links दे दिये। मैं आने में लेट हो गया था का मतलब ये था कि semi-live संवाद तक नहीं हो पाया उनसे, लेख पढ़कर ही अपनापन सा लगता था। और बाला जी तो वही केरल पुराण हैं न, उनका भी सारा ब्लॉग बांच गया था मैं, और मुझे भी बहुत पसंद है।<br />बहुत हो गई आप की हां में हां, लगेगा जरूर ठकुरसुहाती का आरोप, भागता हूं।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-15831305899773564612010-07-17T19:51:37.214+05:302010-07-17T19:51:37.214+05:30पहले भी मिश्र जी की कुछ पोस्टें पढ़ चुका हूँ.....प...पहले भी मिश्र जी की कुछ पोस्टें पढ़ चुका हूँ.....प्रवीण जी की तरह मुझे भी यही महसूस हुआ कि इनके लेख धरातल से जुड़े हुए हैं। 'बिना माईक वाले जमाने में पूजा और नमाज बिना शोर के कैसे अदा की जाती होगी' जैसी धारदार पंक्तियों के रचेता से परिचित करवाना अच्छा लगा।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-33929004109271938352010-07-17T19:23:19.797+05:302010-07-17T19:23:19.797+05:30@ मो सम कौन
डा. सत्यकाम का चुप हो जाना मेरे ब्लॉग...@ मो सम कौन <br />डा. सत्यकाम का चुप हो जाना मेरे ब्लॉग जीवन की दो बड़ी दुर्घटनाओं में से एक है। दूसरी है जय हिन्दी वाले बालसुब्रमण्यम जी का चुप होना। लेकिन बाला जी के लेख अभी भी उपलब्ध हैं। <br />डाक्टर साहब ने पुराने लेख क्यों हटा दिए, पता नहीं। नौकरीपेशा आदमी की जान पर सासतें कुछ अधिक ही होती हैं। <br />उनके लेखों के कैच लिंक यह हैं:<br />http://webcache.googleusercontent.com/search?q=cache:rgdGyAm4De0J:doctorsatyakam.blogspot.com/2009/08/blog-post_24.html+http://doctorsatyakam.blogspot.com/2009/08/blog-post_24.html&hl=en&gl=in&strip=1<br /><br />http://webcache.googleusercontent.com/search?q=cache:CrFzrJ8I1p8J:doctorsatyakam.blogspot.com/2009/08/blog-post_25.html+http://doctorsatyakam.blogspot.com/2009/08/blog-post_25.html&hl=en&gl=in&strip=1<br /><br />http://webcache.googleusercontent.com/search?q=cache:csENmUCcWaEJ:doctorsatyakam.blogspot.com/2009/08/blog-post_29.html+http://doctorsatyakam.blogspot.com/2009/08/blog-post_29.html&hl=en&gl=in&strip=1<br /><br />http://webcache.googleusercontent.com/search?q=cache:qBgGUVztiIwJ:doctorsatyakam.blogspot.com/2009/09/blog-post.html+http://doctorsatyakam.blogspot.com/2009/09/blog-post.html&hl=en&gl=in&strip=1गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-43186197121617047222010-07-17T18:53:13.411+05:302010-07-17T18:53:13.411+05:30@ अभियान :)
@ व्यंगबाज ,
वर्षों पहले कहीं पढा है ...@ अभियान :)<br /><br />@ व्यंगबाज ,<br />वर्षों पहले कहीं पढा है ये व्यंग ! ब्लाग में नहीं प्रिंट में ठीक से याद नहीं आ रहा ?उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-52584010508727134622010-07-17T18:11:46.335+05:302010-07-17T18:11:46.335+05:30अरे ई तो अपने मिश्रा जी निकले ...जागरण जंक्शन वाले...अरे ई तो अपने मिश्रा जी निकले ...जागरण जंक्शन वाले ..वाह वाह क्या बात है ।अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-992154886206684032010-07-17T18:10:12.326+05:302010-07-17T18:10:12.326+05:30गिरिजेश सर,
कृष्ण मोहन मिश्र जी का मैं भी फ़ैन हूं...गिरिजेश सर,<br />कृष्ण मोहन मिश्र जी का मैं भी फ़ैन हूं, और आपके ब्लॉग पर पहूचने से पहले से ही उन्हे पढ़ रहा हूं।<br />सचमुच उनका लेखन बहुत मौलिक और स्तरीय है। <br />सुदर्शन ब्लॉग अपने आप में एक संपूर्ण ब्लॉगजगत है।<br />साथ ही एक और मिश्र जी का जिक्र भी करना चाहूंगा, शिव कुमार मिश्रा जी भी बहुत अच्छे वयंग्य लिखते हैं और राजनैतिक व्यंग्य में तो उनका सानी दूर दूर तक नहीं दिखता।<br />और साहब, आपकी आज की पोस्ट किसी ’क्लासिक’ से कम है क्या?<br />अब एक अनुरोध, वाया आपके ब्लॉग ही एक ब्लॉग ’डा. सत्यकाम’के ब्लॉग पर पहुंचा था, मुझे आने में देर हो गई, वहां अब कुछ नहीं है, अगर हो सके तो उन्हें भी सक्रिय करवायें।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-84073516397460430032010-07-17T16:38:50.389+05:302010-07-17T16:38:50.389+05:30उनके लिखे व्यंग धरातल से जुड़े मिलते हैं।उनके लिखे व्यंग धरातल से जुड़े मिलते हैं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-31013877661158556982010-07-17T16:11:05.943+05:302010-07-17T16:11:05.943+05:30राव साहब अपने श्रेष्ठ लोगों कि गहरे समुद्र में छल...राव साहब अपने श्रेष्ठ लोगों कि गहरे समुद्र में छलांग लगाई पर सर्व श्रेष्ठ व्यंग्बाज को किनारे से पकड़ लाये. बहुत अच्छे. मिश्रा जी को पहली बार पढ़ा. अच्छे लगे.एक अच्छे लेखक से परिचित करवाया इसके लिए धन्यवाद.VICHAAR SHOONYAhttps://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-44388573779777722152010-07-17T15:29:46.888+05:302010-07-17T15:29:46.888+05:30@ आप आ गए ! आनन्दम्, आनन्दम्।
भाई, आप तो इतने आलसी...@ आप आ गए ! आनन्दम्, आनन्दम्।<br />भाई, आप तो इतने आलसी नहीं। फोटो मेल कर दीजिए। जो फोटो आप ने बताया बहुत छोटा है। मजा नहीं आ रहा। <br />लिंक तो खुल ही नहीं रहा। असल में मेरे कनेक्सन की स्पीड बहुत कम है। कई ब्लॉग तो इसीलिए छूट जाते हैं। ... दुबारा ट्राई करूँगा। <br />...ब्लॉग जगत में अपनी एक ही तो धाक है - मिस्टेक से भी टाइपिंग मिस्टेक नहीं होता। कभी कभी स और श या उ और ऊ में हो जाता है तो उच्चारण कंफ्यूजन के कारण जिसे अरविन्द मिश्र, स्मार्ट भैया, अली जी, अमरेन्द्र जी जैसे विद्वान लोग सुधार देते हैं। <br />मिस्टेक जागरण वालों से हुआ है जो आप को दुनम्बरी बना दिए हैं। पहले वाले की खोज खबर लेनी पड़ेगी। सेटिंग वेटिंग का मुआमला भी हो सकता है .. आप तो बूझ ही रहे होंगे।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-25966159713562417802010-07-17T15:11:24.366+05:302010-07-17T15:11:24.366+05:30गिरिजेश जी काफी दिनों के बाद इधर आया तो पता चला कि...गिरिजेश जी काफी दिनों के बाद इधर आया तो पता चला कि मित्रवर गलत सलत टाईप करने लगे हैं । व्यंगबाज तक ठीक है लेकिन उसके पहले "सर्वश्रेष्ठ" टाइर्पिंग मिस्टेक हुआ है उसको कृपया सुधार लीजिये । <br /><br />मेरी फोटो भी आपके ब्लाग पर मौजूद है । अनुसरणकर्ताओं की लिस्ट में अलबेला खत्रीजी ओर आशोक पाण्डेय साहब दोनो लोगों के बीच धंसा हुआ हूं । <br /><br /><br />इधर एक गलत फहमी जागरण जंक्शन वालों को भी हो गयी । आपकी तरह वो भी मुझे श्रेष्ठ व्यंगकार मानते हुये तीन महीने चली प्रतियोगिता में दो नंबर का ब्लागर घोषित कर दिये हैं । बताईये । किसी को मुंह दिखाने के लायक नहीं रहा मैं । कृपया नीचे दिये लिंक पर क्लिक करके मेरे दुख में शामिल हों ।<br />http://contest.jagranjunction.com/2010/07/07/2nd-prize-winner/<br /><br />अभी थोड़ा जल्दी में हूं । रात में बैठ कर आराम से रानी का डंडा वगैरह पढ़ूंगा । आभार ।K M Mishrahttp://kmmishra.tknoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-87388702063178271682010-07-17T14:04:53.762+05:302010-07-17T14:04:53.762+05:30शुक्रिया भाई .तुमने एक नयी गली का रास्ता दिखाया है...शुक्रिया भाई .तुमने एक नयी गली का रास्ता दिखाया है .....वैसे कभी लपुझुन्ना भी पढना ....डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-61094023166809076612010-07-17T10:07:24.224+05:302010-07-17T10:07:24.224+05:30कृष्ण मोहन मिश्र जी बेहतरीन व्यंग्यकार हैं ... उन...कृष्ण मोहन मिश्र जी बेहतरीन व्यंग्यकार हैं ... उनके व्यंग्य लेख मेरे द्वारा पढ़े गए है ... आपके विचारों से मैं पूर्ण रूप से सहमत हूँ . उम्दा विचार अभिव्यक्ति ....आभारसमयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.com