tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post72410418151289163..comments2023-10-30T15:17:40.771+05:30Comments on एक आलसी का चिठ्ठा ...so writes a lazy man: अर्द्धनारीश्वरगिरिजेश राव, Girijesh Raohttp://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-83637684896491319042011-11-26T20:23:17.835+05:302011-11-26T20:23:17.835+05:30बहुत सुन्दर।बहुत सुन्दर।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-31790812355617408042011-11-25T11:46:42.088+05:302011-11-25T11:46:42.088+05:30नयनाभिरामनयनाभिरामArvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-45908072630626525232011-11-24T21:44:16.457+05:302011-11-24T21:44:16.457+05:30बहुत ही सुन्दर!बहुत ही सुन्दर!Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-10338987745733696632011-11-24T21:34:30.662+05:302011-11-24T21:34:30.662+05:30@ मो सम कौन
सर जी, चित्र अच्छा लगा तो शेयर कर दिय...@ मो सम कौन<br /><br />सर जी, चित्र अच्छा लगा तो शेयर कर दिया, कौनो निहितार्थ नहीं है। वैसे ही जैसे नटराज का वह चित्र देख बिटिया से शंकर को देश में लय होते, उससे उभरते और प्रभाव में एक ही दर्शाने के लिये कहा था ... <br />पीरी मीरी एक साथ साधना बहुत कठिन है। निराला याद आ गये - असल योद्धा भोगी भी होगा। शिव-शिवा युग्म ऐसा ही है।... <br />तलाश अभी जारी है क्यों कि इस चित्र में स्त्री तत्व प्रधान है, यिंग यांग संतुलन नहीं है फिर भी मेरा देखा अर्द्धनारीश्वर का अभी तक का यह सर्वोत्तम चित्र है।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-37371321659603906682011-11-24T18:47:52.939+05:302011-11-24T18:47:52.939+05:30न! लगता तो नहींन! लगता तो नहींAvinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-82404248049274014362011-11-24T11:42:46.677+05:302011-11-24T11:42:46.677+05:30नहीं, मैंने रख लिया है।नहीं, मैंने रख लिया है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-27550649492612249012011-11-24T11:34:56.859+05:302011-11-24T11:34:56.859+05:30नयनाभिराम...नयनाभिराम...दीपक बाबाhttps://www.blogger.com/profile/14225710037311600528noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-46208270450532897552011-11-24T10:53:26.243+05:302011-11-24T10:53:26.243+05:30शायद नहीं।
इस बहाने अलका बिटिया द्वारा मिश्रित\स...शायद नहीं। <br />इस बहाने अलका बिटिया द्वारा मिश्रित\संपादित चित्र देश शंकर वाली पोस्ट एक बार फ़िर से देख ली।<br />वैसे इस पोस्ट में पूछा गया प्रश्न एक सहज प्रश्न है या कोई निहितार्थ है इसमें भी? <br />पता नहीं क्यों एक ही समय में एक से ज्यादा भाव समान रूप से लिये पात्र मुझे भी बहुत प्रभावित करते हैं, जैसे सिख गुरुओं का पीरी और मीरी को एक साथ जीने का भाव, यह अर्धनारीश्वर...।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-37513158101317337052011-11-24T10:49:34.979+05:302011-11-24T10:49:34.979+05:30चित्र देखते ही यही प्रश्न कौंधा था...इतना सुंदर ! ...चित्र देखते ही यही प्रश्न कौंधा था...इतना सुंदर ! ई कहाँ से पा गये गुरू..? नीचे पढ़ा, आपने पूछा भी यही है।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.com