tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post7548548575628280666..comments2023-10-30T15:17:40.771+05:30Comments on एक आलसी का चिठ्ठा ...so writes a lazy man: चन्द्रहार ज्यों भारशिव पुरस्कारगिरिजेश राव, Girijesh Raohttp://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comBlogger30125tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-56367171563426829652012-06-14T21:24:06.230+05:302012-06-14T21:24:06.230+05:30अच्छी संगत देख के संगी बदले रूप
जैसे आम के साथ मे...अच्छी संगत देख के संगी बदले रूप <br />जैसे आम के साथ में मीठी हो गइ धूप। <br /><br />सबकी पूजा एक सी अलग अलग है रीत <br />मस्जिद जाये मौलवी कोयल गाये गीत।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-67290407371624524452012-06-14T06:09:07.173+05:302012-06-14T06:09:07.173+05:30मंदिर में पूजन के बाद पहली पंक्ति में खड़े लोंग पा...मंदिर में पूजन के बाद पहली पंक्ति में खड़े लोंग पा जाते हैं प्रसाद , पीछे खड़े पवित्र जल की छींटों से खुश हो जाने वालों जैसी अनुभूति हुई अनदेखे में शामिल होकर भी ...वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-57899237484676563612012-06-13T20:28:57.665+05:302012-06-13T20:28:57.665+05:30अपनी बात बताने के लिये आप का आभार।
'मो सम कौन&...अपनी बात बताने के लिये आप का आभार।<br />'मो सम कौन' में जो मौलिकता है और जो perspective है वह बहुतों को आकर्षित करता है। पाठकों के साथ होते संवाद भी बहुत जीवंत होते हैं। <br />मानसिक हलचल और इस ब्लॉग के अतिरिक्त भी जो आठ ब्लॉग हैं, एक से बढ़ कर एक हैं। पढ़ कर स्वयं समझ जाइयेगा। ... बाकी मेरी सीमाओं को तो आप ने पढ़ ही लिया होगा।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-41787481529709986982012-06-13T20:25:17.944+05:302012-06-13T20:25:17.944+05:30धन्यवाद। आप को विशेष। आप जैसे युवाओं के 'बेबाक...धन्यवाद। आप को विशेष। आप जैसे युवाओं के 'बेबाक कारण' बहुत ही तोषदायी रहे और समझने में बहुत सहायता मिली... <br />...बाकी के बारे में यही कहूँगा कि सब कुछ इस आलेख में लिखित है। आप दुबारा पढ़ेंगे तो अवश्य समझेंगे।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-82707251337088192752012-06-13T18:00:50.751+05:302012-06-13T18:00:50.751+05:30ज्ञानदत्त जी का लेखन अच्छा है उनके उठाये कई मुद्द...ज्ञानदत्त जी का लेखन अच्छा है उनके उठाये कई मुद्दे भी रोचक लगते हैं .<br />मो सम कौन .?.पहले शायद कभी पढ़ा हो ,याद नहीं..<br />नए ब्लोगों से परिचय हुआ ,आभार.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-36432077801747781902012-06-13T13:16:57.436+05:302012-06-13T13:16:57.436+05:30ओझा को यहाँ पर देखना सुखद लगा, बाकी कोई और ब्लॉग क...ओझा को यहाँ पर देखना सुखद लगा, बाकी कोई और ब्लॉग को लेकर हैरानी नहीं हुई. <br /><br />कुछ बातें हैं मन में, लोग मुझसे झगडा नहीं करते इसलिए कह देता हूँ.<br />सर्वप्रिय ब्लोग्स मैं इन्हें नहीं कहूँगा. क्योंकि एक तो आपने आखिर कितने लोगों को निमंत्रण भेजा होगा, बहुत सारे लोगों को निमंत्रण आपने ही नहीं भेजा होगा. आपकी स्वयं की एक विचारधारा है, इसलिए स्वयं के संकोच को त्यागकर, उदार बनकर आपने बहुत सारे विपरीत विचारधारा वाले लोगों को अपनी राय रखने को अगर कहा भी होगा, तो वे संकोच कर गए होंगे. या कि बहुत सारे लोग इस आयोजन का हिस्सा ही नहीं बनना चाह रहे होंगे. इसलिए जो भी मत आये होंगे वे नितांत परिजनों के रहे होंगे. यह सब कहने के बाद ओझा का यहाँ होना भी हैरानी नहीं पैदा कर रहा.<br /><br />लेकिन, सच यह भी है कि यह केवल आप थे जिन्होंने लोगों की राय ली है, अब से पहले पुरस्कार देने वालों ने तो किसी की राय लेनी भी जरुरी नहीं समझी. और यह भी एक अजीब सा सच है कि जो ब्लोग्स सबसे ज्यादा पसंद किये जाने वाले बताये जाते थे, वही सबसे ज्यादा नापसंद भी किये जाते रहे हैं, हालांकि ऊंची आवाज में इसे कोई कहेगा नहीं. इस प्रतियोगिता से वो ब्लोग्स चुन कर आये हैं जिन्हें लोग पसंद तो एक हद तक करते ही हैं, लेकिन जिन्हें नापसंद करने वाले बेहद कम हैं. मैं कभी ओझा को नियमित नहीं पढता हूँ, परन्तु ऐसा कभी नहीं हुआ कि उनका कोई पोस्ट पढने पर मैंने कहा हो, कि क्या बोर करता है यार ये.* <br /><br />जिन लोगों को भी आपने निमंत्रण भेजा और उन्होंने अपनी राय दी या नहीं दी, उन्हें यह कहने का कोई अधिकार नहीं कि यह गलत है, या यह असत्य है. उन्हें जनमत पर विश्वास नहीं है, शायद. आप पर अविश्वास करना आपके साथ ही ज्यादती होगी. सार यह है कि आप वाकई बधाई के पात्र हैं जिन्होंने इतने बड़े आयोजन को सफलता से संपन्न किया. यह चाय पानी का बंदोबस्त नहीं था, बल्कि एक चुनाव प्रक्रिया थी जिसमे सारे मेल, चैट, ब्लोग्स, और भी अनेक माध्यमों को आपने देखा, सांख्यिकी और गहन विश्लेषण था, और बेशक काफी परिश्रम भी था. मेरे जैसे लोगों को कम से कम यह मेहनत देखकर तो कुछ बोलने में शर्म करनी चाहिए.<br /><br />वे सभी लोगों को भी शुभकामनाएं जो सर्वप्रिय ब्लोग्स की सूची में स्थान बनाने में कामयाब रहे. <br /><br />* ओझा अपने ही वय के हैं, अतः उनका उदाहरण रखना धर्मसम्मत लगा. यकीन है वे इसका बुरा नहीं मानेंगे.<br />** आपमें से बहुत सारे लोगों की मैंने नेगेटिव मार्किंग की थी. उसकी जायज़ वजहें भी लिखीं थी.Neerajhttps://www.blogger.com/profile/11989753569572980410noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-842463349717148802012-06-12T22:06:41.473+05:302012-06-12T22:06:41.473+05:30संजय जी - मेरा नाम तो ६६ में भी नहीं था [ sooooo s...संजय जी - मेरा नाम तो ६६ में भी नहीं था [ sooooo saaaad :( ..........., :) ] - किन्तु जैस आपने कहा " सिर्फ इतना जानता हूँ कि यहाँ रिज़ल्ट कुछ भी रहता. विशवास नहीं डोलने वाला था| "<br /><br />सहमत हूँ - यह चन्द्रहार सच ही चन्द्र हार है - अनमोल, खूबसूरत, निर्दोष, पारदर्शी, इमानदार |<br /><br />गिरिजेश जी आपको कई कई बधाइयाँ और आभार इस खूबसूरत हार को सजाने / संजोने के लिए | <br /><br />------ <br /><br />and also girijesh ji - <b>थैंक्स </b>फॉर इन्क्लुडिंग में इन दिस - " ...अनेक अनदेखे रह गये। कुमाउँनी चेली, बेचैन आत्मा, सत्यार्थ मित्र, संजय व्यास, मन का पाखी, सुदर्शन,वाणी गीत, अवधी कै अरघान, शिल्पकार के मुख से, महाजाल पर सुरेश चिपलूनकर, दशमलव, रेत के महल,सिंहावलोकन, छम्मकछल्लो कहिस, शब्दों का सफर, मैं घुमंतू, पुरातत्त्ववेत्ता, मल्हार, जय हिन्दी ... जाने कितने। "Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-56816506808148767792012-06-12T21:56:03.549+05:302012-06-12T21:56:03.549+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-70244884323229083222012-06-12T19:38:03.106+05:302012-06-12T19:38:03.106+05:30ये ल्लो! आप निकलने के बाद देखे, प्रवेश करने के पहल...ये ल्लो! आप निकलने के बाद देखे, प्रवेश करने के पहले न देखना था। कोई बात नहीं आप की नज़र तो सर्वदा शुभ होती है। :) <br />सीमाओं को आप ने acknowledge किया, धन्य हुआ कि आप ने भाव को समझा और सराहा। धन्यवाद।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-19146926799688590512012-06-12T19:34:13.504+05:302012-06-12T19:34:13.504+05:30आप की बात ज्यों सोने में सुहागा।आप की बात ज्यों सोने में सुहागा।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-27180950221479237182012-06-12T19:32:35.693+05:302012-06-12T19:32:35.693+05:30मैं भी प्रसन्न हूँ :)
... बिना पत्नी के गृहस्थ क...मैं भी प्रसन्न हूँ :) <br />... बिना पत्नी के गृहस्थ क्या कर सकता है? अभी कमेंट लिखते हुये भी घी की ककोरी चीनी के साथ चाभ रहा हूँ - कर्टेसी श्रीमती जी।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-50608751727734865202012-06-12T19:23:25.191+05:302012-06-12T19:23:25.191+05:30जी, फिलहाल के माहौल में पाठकों के बताये कारणों का ...जी, फिलहाल के माहौल में पाठकों के बताये कारणों का मुजाहरा हो रहा है। थोड़ी शांति हो जाय तो देखेंगे। वैसे आशा कम ही है। बहुत काम बाकी पड़ा है रे बाबा! आगे आगे देख। :)गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-27488737946724871022012-06-12T19:15:56.899+05:302012-06-12T19:15:56.899+05:30विचारों का/में तत्व के बारे में आप लोगों के मतैक्य...विचारों का/में तत्व के बारे में आप लोगों के मतैक्य से अवगत हुआ। :)गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-37758306603325344222012-06-12T17:37:23.675+05:302012-06-12T17:37:23.675+05:30मत प्रक्रिया के दौरान पाठकों के बताए कारण और उसका ...मत प्रक्रिया के दौरान पाठकों के बताए कारण और उसका विश्लेषण जानने की उत्कंठा है। क्या कारण होते है जो ब्लॉग सर्वाधिक पसंद किए जाते है।<br />यह तो निश्चित है कि दायित्वबोध प्रगाढ़ होता ही है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-21642084699328225362012-06-12T16:48:12.588+05:302012-06-12T16:48:12.588+05:30बहुत ही अच्छा लगा सब कुछ, सच पूछिए तो पहली बार एक ...बहुत ही अच्छा लगा सब कुछ, सच पूछिए तो पहली बार एक अजीब सी तृप्ति का अनुभव हुआ है इस ब्लॉग जगत में, नहीं तो कहीं कुछ अटका सा रह ही जाता था...यहाँ सब निष्पक्ष और विश्वासपूर्ण था...<br />मेरी पसंद की एक बेहद बेहतरीन फिल्म A Beautiful Mind का ज़िक्र देखकर और भी ज्यादा ख़ुशी हुई...Russel Crow का लाजवाब अभिनय, <br />यह सिर्फ़ फिल्म नहीं है, ज्ञान है, कुछ भी असंभव नहीं है, अगर आप करना चाहे तो, और अगर आपके अपनों का साथ हो तो, प्रोफसर Nash की पत्नी Alicia को ना भूलें जो संग खड़ी रही हर पल...<br />सब आनंदम, आनंदम है यहाँ..हम वैसे ही तो लोहा नहीं मानते न आपका :)<br />आभारस्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-30086065024709958482012-06-12T12:22:37.446+05:302012-06-12T12:22:37.446+05:30@वह सिस्टम एनलिसिस पढ़ाते। सबको कंफ्यूज कर देते और...@वह सिस्टम एनलिसिस पढ़ाते। सबको कंफ्यूज कर देते और मुझे बहुत समझ में आते।<br /><br /><br />आचार्य .... बहुत प्रोब. होती है, अब देखिये न २ बार पढ़ चुना हूँ आपकी पोस्ट, तीसरी बार फिर देखि ओर मात्र ये जाना :<br />सर्वप्रिये ब्लॉग उपर लगे रहेंगे, दिसम्बर तक<br />जनवरी से अगले वर्ष के ब्लोगर चुने जायेंगे :)<br /><br />बकिया उ चार्ट-वार्ट अपनी समझ में नहीं आये :)<br /><br />बाकि पांडेय जी सही बोले हैं : विचारों का तत्व बना रहे .दीपक बाबाhttps://www.blogger.com/profile/14225710037311600528noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-13612543599049687152012-06-12T09:40:41.114+05:302012-06-12T09:40:41.114+05:30मन का होना समझ आता है, मन का कुछ हो जाना भ्रमित कर...मन का होना समझ आता है, मन का कुछ हो जाना भ्रमित कर जाता है, विचारों में तत्व बना रहे..प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-87186973497998076222012-06-12T08:51:15.013+05:302012-06-12T08:51:15.013+05:30सार्थक और मजेदार रही पूरी प्रक्रिया, परिणाम सहित.सार्थक और मजेदार रही पूरी प्रक्रिया, परिणाम सहित.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-72083733420974624902012-06-12T08:47:27.668+05:302012-06-12T08:47:27.668+05:30हर आयोजन की अपनी सीमायें हैं, नभ और आकाशगंगाओं की ...हर आयोजन की अपनी सीमायें हैं, नभ और आकाशगंगाओं की भी होती हैं। यहाँ महत्वपूर्ण और पते की बात वही है जो अनुराग जी ऊपर लिख गए हैं - आपकी भावना!<br />आत्मविवेक से पोषित जन जानते हैं कि किस समय, काल और वातावरण में उनका स्थान क्या है, होना चाहिए। वास्तव में प्रशंसित व्यक्ति सच्ची प्रशंसा करना भी जानते हैं।<br />पुरस्कारों को ले मैं हमेशा उदासीन रहा हूँ, पर यहाँ बात परिणाम की न थी, प्रक्रिया की थी, जैसा कि संजय जी कहते हैं। क्रम में थोडा फेरबदल होने ने भी कोई सदाशयता कम न होनी थी इस आयोजन की।<br />'प्रशंसा माह' आयोजन से याद आया, 'थैंक्स गिविंग डे' पर दूर देशों से आने वाले नोट/मेल कितना हर्ष दे जाते हैं।<br />A Beautiful Mind देख रखी है, अच्छी फिल्म है।<br />अपने गुरुजनों की बहुत सी बातें याद हो आयीं- उनपर फिर कभी।<br />सभी पुरस्कृत वरीय जनों को बहुत बधाई।<br />इस स्वच्छ-मधुप आयोजन की सफलता की शुभकामनायें स्वीकारें हे भारशिव!<br /><br />PS: घर से निकलते हुए दिठौना दिखा, अच्छा हैं। :)Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-82790374047196814112012-06-12T08:16:19.770+05:302012-06-12T08:16:19.770+05:30सेंटीमेंटल, मेंटल, मेटल ...सेंटीमेंटल, मेंटल, मेटल ...Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-30748398849253195982012-06-12T07:31:24.551+05:302012-06-12T07:31:24.551+05:30मेंटल भी है ;)मेंटल भी है ;)गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-86032382383259303282012-06-12T07:28:24.723+05:302012-06-12T07:28:24.723+05:30बहुत सेंटी पोस्ट लिख दी है आज तो आपनेबहुत सेंटी पोस्ट लिख दी है आज तो आपनेKajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-18574636219934298202012-06-12T07:16:46.529+05:302012-06-12T07:16:46.529+05:30:)
अमिय सराहिय अमरता , गरल सराहिय मीचु।
आप की व...:) <br />अमिय सराहिय अमरता , गरल सराहिय मीचु। <br /><br />आप की विधेयात्मक सक्रियता पूरे आयोजन के लिये आशीर्वादी अभिषेक की तरह रही। नो थैंक्स। <br />हाँ, बधाई के लिये धन्यवाद।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-47287931615487582652012-06-12T07:12:35.327+05:302012-06-12T07:12:35.327+05:30आप का फिर से मन बना और आप ने जीवंतता का अनुभव किया...आप का फिर से मन बना और आप ने जीवंतता का अनुभव किया, मेरा श्रम सफल हुआ। <br />धन्यवाद। <br />यह फिल्म मेरी अब तक की देखी फिल्मों में सबसे अधिक पसन्द है, वैसे मैं फिल्में बहुत कम देखता हूँ।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-6130928654409434382012-06-12T07:09:44.357+05:302012-06-12T07:09:44.357+05:30आप की निश्चिंतता मेरी उपलब्धि।
धन्यवाद जी। ज़ेन म...आप की निश्चिंतता मेरी उपलब्धि। <br />धन्यवाद जी। ज़ेन मेल की प्रतीक्षा रहेगी।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.com