tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post8089016829185342303..comments2023-10-30T15:17:40.771+05:30Comments on एक आलसी का चिठ्ठा ...so writes a lazy man: साधु स्त्रियों! - 1गिरिजेश राव, Girijesh Raohttp://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-5752309896359803032012-07-15T11:03:51.660+05:302012-07-15T11:03:51.660+05:30वाह...वाह...Astrologer Sidharthhttps://www.blogger.com/profile/04635473785714312107noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-10196313742239748192012-05-12T07:48:07.090+05:302012-05-12T07:48:07.090+05:30अब आपका अगला (हो सकता है लिख चुके हों ) नहीं तो अग...अब आपका अगला (हो सकता है लिख चुके हों ) नहीं तो अगला शीर्षक होना चाहिए <br />साध्वी स्त्रियाँ :)Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-69146851207250384452012-05-12T07:46:22.979+05:302012-05-12T07:46:22.979+05:30अब मैं यह तो नहीं कहूँगा कि मेरे और आपके पिता एक द...अब मैं यह तो नहीं कहूँगा कि मेरे और आपके पिता एक दूसरे के प्रतिछाया रहे मगर साम्य बहुत हैं -<br />१-दोनों बी एच यू के विद्यार्थी रहे ..<br />२-दोनों साहित्य के विद्यार्थी रहे <br />३.दोनों के साईंस पाठी निकम्मे पुत्र हुए ,एक ज्यादा दूसरा कम -<br />४-दोनों ने ही पढने ,विद्याध्ययन,श्रेष्ठ साहित्य मनन चिंतन को प्रेरित करते रहे <br />५-दोनों ने ही समृद्ध घरेलू लाईब्रेरी बनायी ...<br />६-दोनों ही ने सेक्स विषय पर अपने पुत्रों से बेबाक चर्चायें की <br />कहीं कोई ग्रंथि नहीं <br />७-एक उम्र के बाद दोनों ही पुत्र से प्रेमवत हुए ...<br />८.दोनों ही जार जवार के सम्मानित शख्सियत हैं /रहे ...<br />९-दोनों ही जीवन भर एक निष्ठ दाम्पत्य जीवन जिए हैं <br />और पुत्रों को यह असहज जीवन विरासत में सौंपे हैं <br />१०-दोनों परले दर्जे के सेल्फ रिलायंट-पुत्र से कोई अपेक्षा नहीं की ....न साथ रहे ...<br />११-दोनों रामचरित मानस के अनन्य प्रेमी रहे /हैं ..यह संस्कार उनके अदरवाईज ज्ञान से रहित पुत्रों में भी आया है और राहत की बस यही बात है <br />१२-बाकी कुछ दुर्गुण भी पुत्रों ने सीखे हैं और इसके लिए भी वे ही जिम्मेदार हैं :) <br />किमाधिकम ......हाँ मेरे पिता जी का मात्र ६२ वर्ष में अचानक हृदयाघात से निधन हो गया १९९९ में ..मैं बिलकुल भी इस <br />रिक्तता के लिए तैयार नहीं था ..<br />आप कितने भाग्यशाली हैं ..उनकी छत्रछाया आप पर हैं ...<br />यह पिता पुत्र का स्नेह सम्बन्ध बना रहे....चिरन्तन काल तक मेरी तो यही अभिलाषा है !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-90223975792319781532012-05-11T17:12:57.289+05:302012-05-11T17:12:57.289+05:30अपने बाबूजी की झलक देख रहा हूँ पिताजी में! हर चीज ...अपने बाबूजी की झलक देख रहा हूँ पिताजी में! हर चीज के लिए मुक्त किया गया हूँ। क्यों जो मैं लिखना चाहता हूँ(सँजो कर रख छोड़ा होता है मन में लिखने को) झट से,खूब सधे भाव से लिख डालते हो भईया! खूब तृप्त हो रहा हूँ। <br />खुद के लिए आशीर्वाद लग रहा है यह लेखन! आभार ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-28801133152685413832012-05-10T23:28:01.221+05:302012-05-10T23:28:01.221+05:30पिता-पुत्र का यह संबंध अनुकरणीय है ,यही दाय संतान ...पिता-पुत्र का यह संबंध अनुकरणीय है ,यही दाय संतान को संस्कारवान बनाता है !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-50857279841256696772012-05-10T23:09:07.216+05:302012-05-10T23:09:07.216+05:30मैं भी इसी दुविधा से जूझ रही हूँ आजकल. मेरे पिताजी...मैं भी इसी दुविधा से जूझ रही हूँ आजकल. मेरे पिताजी आपके पिताजी की तरह अनुशासनप्रिय नहीं थे, शायद अम्मा के जल्दी देहांत हो जाने के कारण. वो बहुत मस्तमौला थे और उतने ही प्रबुद्ध भी. मेरे दोस्त तक ये कहते हैं कि बाऊ अपनी उम्र से पचास साल आगे की सोच रखते थे. हमें उन्होंने भरसक पूर्वाग्रहों से मुक्त रखा, जाति, धर्म, लिंग इन सभी चीज़ों से ऊपर रखकर पालन-पोषण किया. मेरे और मेरे पिताजी के बीच दो पीढ़ियों [बयालीस साल] का उम्र का फासला था, तो भी वे इतने प्रगतिशील थे. और आज अपने दोस्तों की अजीब सी हालत देखकर छटपटाहट होती है कि क्या बताऊँ. बाऊ की बहुत याद आती है. लगता है कि वो होते और मेरे दोस्तों के माँ-बाप को समझाते तो शायद कुछ बात बन जाती.muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-91950555812595271832012-05-10T23:02:51.780+05:302012-05-10T23:02:51.780+05:30मुझे ठीक से याद तो नहीं पर आपसे ही या किसी और से इ...मुझे ठीक से याद तो नहीं पर आपसे ही या किसी और से इस प्रश्न को कहीं तो पूछा था कि संतान को पालने का सही तरीका क्या हो सकता है, मेरा मुख्य फोकस यौन शिक्षा को लेकर था, बच्चे को कब किस समय (वैसे बदलते ज़माने के हिसाब से समय भी बदल जाता है) कौनसी सी बात समझा देनी है |<br /><br />मेरे लिए ये श्रृंखला खासी महत्वपूर्ण होगी कल को अगर मुझे बच्चे पलने पड़े तो ;-)<br />बेसब्री से इन्तेज़ार है अगले अंक का भी |योगेन्द्र सिंह शेखावतhttps://www.blogger.com/profile/02322475767154532539noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-80747385423344115242012-05-10T21:57:47.644+05:302012-05-10T21:57:47.644+05:30बस यह कहूँगा - आज प्रसन्न हूँ कि टिप्पणी का विकल्प...बस यह कहूँगा - आज प्रसन्न हूँ कि टिप्पणी का विकल्प खोल दिया था कभी। इस टिप्पणी का एक एक वाक्य कम से कम दो बार पढ़ा जाना चाहिये। यह उन बातों की ओर संकेत करती है जिन्हें छोड़ दिया था। पात्रता...ज्ञानवृद्ध...<br />... पिता ने छोटे पुत्र को अलग ढंग से संस्कारित किया!गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-20410951504524015262012-05-10T11:37:08.418+05:302012-05-10T11:37:08.418+05:30पिता अगर मित्र और मार्गदर्शक बन जाए तो इससे अच्छा ...पिता अगर मित्र और मार्गदर्शक बन जाए तो इससे अच्छा कुछ हो नहीं सकताsonalhttps://www.blogger.com/profile/03825288197884855464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-32536181995847005132012-05-10T11:17:26.589+05:302012-05-10T11:17:26.589+05:30क्या आजकल के स्मार्ट बच्चे वाकई स्वयं समर्थ हैं? क...क्या आजकल के स्मार्ट बच्चे वाकई स्वयं समर्थ हैं? क्या उन्हें हमारे निर्देशन की आवश्यकता नहीं है? कहीं ऐसा तो नहीं तो हम अन्धों को स्वयं दिशाओं का ज्ञान नहीं या हम स्वयं ही कंफ्यूज हैं?<br /><br /><br />jai baba banaras...Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/07499570337873604719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-65403532481981577802012-05-10T10:28:02.495+05:302012-05-10T10:28:02.495+05:30... कहना भूल गया था कि भूमिका भी अच्छी लगी और दो प...... कहना भूल गया था कि भूमिका भी अच्छी लगी और दो पीढियों का जुड़ाव भी जो वर्तमान भारत के "जेनरेशन गैप" की शब्दावली में कहीं छूटता जा रहा है।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-81368194770284767252012-05-10T10:26:22.764+05:302012-05-10T10:26:22.764+05:30फैले हाथ में कुछ भी आ जाये नियामत है। मगर जिनके पा...फैले हाथ में कुछ भी आ जाये नियामत है। मगर जिनके पास अपना बहुत कुछ था और अब नया बहुत कुछ आ रहा है उनके लिये यह संक्रमण काल है। असीम क्षमता वालों को कोई अंतर नहीं पड़ता। जयंत नरलीकर जी शायद वेदांत पर भी उसी तन्मयता के साथ भाषण दे सकते हैं जैसे अंतरिक्ष भौतिकी पर। जवाहरलाल नेहरू राष्ट्र विकास के लिये इनपुट लेते समय विनोबा और म्हालानोबिस को एक साथ बिठा सकते हैं (क्या विंची का ज़िक्र रेलिवेंट है?) लेकिन सबकी क्षमता, समझ, परिस्थितियाँ, शिक्षा एक सी नहीं होती। यह ध्यान देना ज़रूरी है कि क्या पाने की क्या क़ीमत दी जा रही है। यह लिखते समय मुझे तो कबीर बाबा ही याद आ रहे हैं, "सार-सार को गहि रहै, थोथा देइ उडाय"Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-65543468109666695952012-05-10T09:17:26.207+05:302012-05-10T09:17:26.207+05:30मैं बस यही कहूँगा कि संभवतः यही पिता का आदर्श रूप ...मैं बस यही कहूँगा कि संभवतः यही पिता का आदर्श रूप है, अभिव्यक्ति मुखरित न भी हो पाये पर हर पिता कुछ इसी तरह से सोचना चाहते होंगे।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-74465089880535467602012-05-10T08:58:06.055+05:302012-05-10T08:58:06.055+05:30आभार - अगली कड़ी का इंतजार रहेगा |
आपके पिता जी ...आभार - अगली कड़ी का इंतजार रहेगा |<br /> <br />आपके पिता जी बहुत special पिता लगते हैं , जिनके पिता ऐसे हों उनके पुत्र की अनूठी प्रतिभा का समुचित विकास हो पाना समझ में आता है | <br /><br />अक्सर देखती हूँ - कई बच्चे प्रतिभावान होते हैं - विकसित नहीं हो पाती उनकी प्रतिभा | और यह भी की जो सच में ही स्ट्रोंग और सच्चे लोग हैं - अक्सर बहुत अच्छी पेरेंटिंग से आये हैं (सब नहीं - अधिकतर केसेस में )|Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.com