tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post8324559379048461751..comments2023-10-30T15:17:40.771+05:30Comments on एक आलसी का चिठ्ठा ...so writes a lazy man: संत रविदास, मीराबाई और गबरू चमारगिरिजेश राव, Girijesh Raohttp://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-22380102798704914512016-02-23T15:37:45.849+05:302016-02-23T15:37:45.849+05:30भक्तिकाल में, जैसे भक्तियोद के तात्कालीन कारण...भक्तिकाल में, जैसे भक्तियोद के तात्कालीन कारण थे. ऐसे ही कारण समय समय पर, समाज की एकरसता के विरूद्ध खड़े होते हैं. Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-15779716657470733772015-04-06T08:52:33.833+05:302015-04-06T08:52:33.833+05:30ऐसी भगती करे रैदासा ... जय हो!ऐसी भगती करे रैदासा ... जय हो!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-38055289664242656522015-02-03T18:00:03.302+05:302015-02-03T18:00:03.302+05:30वर्ग-अहंकार के संतुलन का यों तो सबसे बड़ा प्रमाण उ...वर्ग-अहंकार के संतुलन का यों तो सबसे बड़ा प्रमाण उसी समय (लेकिन दबे स्वर में ) मिल गया था जब अभिजात्य राजपूत रानी इस अछूत ( उस समय घोर अछूत )संत की शिष्या बनी और बाद में भक्तिकाल की ज्ञानमार्गी शाखा के कवियों नानक ,दादू आदि के साथ रैदास का नाम प्रमुखता के साथ जुड़ गया . यह भक्ति के साथ साहित्य कला का भी प्रभाव था . अब संगीत और वह भी समय के साथ बदलते और दिनोंदिन लोकप्रिय होते पॉप संगीत में 'गबरू चमार ' का नाम ही अपने आप में आत्मगौरव का प्रतीक है फिर रचना बेशक लोकप्रिय होने का विश्वास भी कराती है . संत की रचनाओं से कलाकार प्रेरणा ले रहे हैं यह और भी अच्छी बात है . 'बेगमपुरा 'और 'गबरू चमार ' मेरे लिए नई जानकारी है . आभार आपका . गिरिजा कुलश्रेष्ठhttps://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-57478367284792222972015-02-03T09:25:50.314+05:302015-02-03T09:25:50.314+05:30Bahut sundar.Bahut sundar.Anonymousnoreply@blogger.com