tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post848729264908686753..comments2023-10-30T15:17:40.771+05:30Comments on एक आलसी का चिठ्ठा ...so writes a lazy man: दशाश्वमेध से अस्सी तक - ढोढ़ी में तेलगिरिजेश राव, Girijesh Raohttp://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-34193724064269104692014-12-01T17:30:27.530+05:302014-12-01T17:30:27.530+05:30Capitalizing on old material -needs a revisit and ...Capitalizing on old material -needs a revisit and an addition with context to Manikarnika Moksha! Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-7654951670211501132014-11-30T22:20:26.395+05:302014-11-30T22:20:26.395+05:30बड़ा ही शानदार चित्रण है भाई साहब बड़ा ही शानदार चित्रण है भाई साहब ram thakurhttps://www.blogger.com/profile/17531441256386580953noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-44465174771370558632014-11-30T12:18:16.212+05:302014-11-30T12:18:16.212+05:30कई जमानों बाद ऐसा लेखन पढ़ने को मिला, अनायास।
दो च...कई जमानों बाद ऐसा लेखन पढ़ने को मिला, अनायास।<br />दो चीजें समझ नहीं आई, प्रस्तर पर लोहे का जोड़ और अंतिम पैरा की बनारसी भाषा। <br />उम्दा और सिर्फ उम्दाAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/11817881044691240179noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-67728677668037344552011-10-08T21:30:47.144+05:302011-10-08T21:30:47.144+05:30बेचैन आत्मा के यहाँ अनूप जी ने लिंक चेंपा और ई पोस...बेचैन आत्मा के यहाँ अनूप जी ने लिंक चेंपा और ई पोस्ट हाथ लगी।<br /><br /> ठीक इसी तरह मैं पैदल ही अस्सी घाट से हरिश्चंद्र घाट और आगे संभवत: मणिकर्णिका तक गया था। खूब तस्वीरें खींचा था। यही सब माहौल था।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-52529289464565968112009-09-23T23:49:30.884+05:302009-09-23T23:49:30.884+05:30गंध बिम्ब! बिम्ब गंध!
सुन्दर चित्रण!गंध बिम्ब! बिम्ब गंध! <br />सुन्दर चित्रण!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-7684931948568899172009-09-21T18:33:10.777+05:302009-09-21T18:33:10.777+05:30कमाल है एक ही जैसा बनारस देखा हमने..कमाल है एक ही जैसा बनारस देखा हमने..अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-49630829404425113242009-06-08T06:44:26.939+05:302009-06-08T06:44:26.939+05:30मल संस्कृति का सही चित्रण आपने दिखाया है कुछ तो मज...मल संस्कृति का सही चित्रण आपने दिखाया है कुछ तो मजबूरियां होती है ऐसे लोगों के पास , वर्ना ये हवाखोरी के लिए थोड़े आते हैं घाटों पर और लगे हाथ मल विसर्जन की क्रिया भी निपटा लेते हो <br /> बनारस भले ही माल से मालामाल हो रहा हो लेकिन नित्य क्रिया की समस्या से कसबे की ही भांति जूझ रहा है दीवालों पर गदहा लिख भर देने से गदहा हट नहीं जायेगा यहाँ यह कोई नहीं बताता या लिखता है की सार्वजनिक सौचालय या मूत्रालय यहाँ से इतनी दूर पर है कृपया उए प्रयोग करें बिना विकल्प दिए मात्र गली देने से गदहा मजबूरी में अनपढ़ बन कर ही सही नित्य क्रिया का अंजाम दे डालता है <br /> सटीक व बेबाक चित्रण के लिए धन्यवादarun prakashhttps://www.blogger.com/profile/11575067283732765247noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-75098801980175718982009-05-25T17:23:15.953+05:302009-05-25T17:23:15.953+05:30बहुत ही उम्दा लिखा है , कुछ यूँ लगा कि बनारस पहुच ...बहुत ही उम्दा लिखा है , कुछ यूँ लगा कि बनारस पहुच गया हूँ . बहुत ही देसी तरीके से बनारसी भाषा मै लिखा है. उम्मीद करता हूँ कि आपका आलस्य सुशुतावस्था मै ही रहेगा.गंगेश रावhttps://www.blogger.com/profile/10791109109633152718noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-79527155215468064652009-05-12T11:01:00.000+05:302009-05-12T11:01:00.000+05:30आपका यथार्थवादी दृष्टिकोण और मेरी तस्वीर - एक नया ...आपका यथार्थवादी दृष्टिकोण और मेरी तस्वीर - एक नया अनुभव है मेरे लिए ।सुधीरnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-76767685293092098472009-05-11T06:17:00.000+05:302009-05-11T06:17:00.000+05:30धन्यवाद अरविन्द जी. मुझे भी लगा कि पोस्ट लम्बी हो ...धन्यवाद अरविन्द जी. मुझे भी लगा कि पोस्ट लम्बी हो रही है लेकिन चित्रों को देखते हुए सोचा यह लम्बाई ज्यामितीय लम्बाई ही है. एक निहायत ही छोटे भ्रमण को दो भागों में देना मुझे नहीं सुहाया. <br /><br />वैसे भी बनारस के आगे अपना बस कहाँ चलने वाला? गंगा ने जैसे चाहा वैसे ही बह गए.<br /><br />आते रहें. आप लोगों की टिप्पणियों से बल और दिशा दोनों मिलते हैं.गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-63729399344263946802009-05-10T22:45:00.000+05:302009-05-10T22:45:00.000+05:30इतनी अच्छी पोस्ट मगर लम्बी हो गयी है -इसे दो पार्...इतनी अच्छी पोस्ट मगर लम्बी हो गयी है -इसे दो पार्ट में करना था -जाहिर है आलस कर गए !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-15323728546430495722009-05-10T18:06:00.000+05:302009-05-10T18:06:00.000+05:30thank u so much,,,,banaras aane ke liyethank u so much,,,,banaras aane ke liyeAshish Maharishihttps://www.blogger.com/profile/04428886830356538829noreply@blogger.com