tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post856253563465268233..comments2023-10-30T15:17:40.771+05:30Comments on एक आलसी का चिठ्ठा ...so writes a lazy man: लोक : भोजपुरी - 2 : कवने ठगवा - वसुन्धरा और कुमार गन्धर्व : एक गली स्मृति कीगिरिजेश राव, Girijesh Raohttp://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-75847677245992069432017-02-17T23:41:03.277+05:302017-02-17T23:41:03.277+05:30मुझे नही याद मैने कहां से सीखा पर २० साल की वय तक ...मुझे नही याद मैने कहां से सीखा पर २० साल की वय तक कई समारोहों मे इसे लोकगीत की तरह गाकर वाहवाही लूटी थी।<br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/14846252604195746077noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-79776264830044097792012-03-02T17:21:31.568+05:302012-03-02T17:21:31.568+05:30कितना रुलाते हैं आप !कितना रुलाते हैं आप !rajani kanthttps://www.blogger.com/profile/01145447936051209759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-83191073339235043762012-02-17T00:41:50.510+05:302012-02-17T00:41:50.510+05:30अच्छा है जो यहाँ आप हैं।
मैं फिर आया, आना ही था।अच्छा है जो यहाँ आप हैं।<br />मैं फिर आया, आना ही था।Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-58898063361010366282012-02-15T04:16:24.791+05:302012-02-15T04:16:24.791+05:30पता नहीं क्यों मनु की याद आई !पता नहीं क्यों मनु की याद आई !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-3048216255299976542012-02-13T23:13:36.151+05:302012-02-13T23:13:36.151+05:30आकाशवाणी से एक लंबे समय तक जुड़े रहते हुए देखा है क...आकाशवाणी से एक लंबे समय तक जुड़े रहते हुए देखा है कि वहाँ वास्तव में बहुत से सांस्कृतिक और सुगम संगीत कलाकरों की रिकॉर्डिंग उपलब्ध है.. मगर साथ ही उन कीमती आवाजों की दुर्दशा भी देखी है.. एक समय रेडियो सीलोन ने यह काम बहुत ही हिफाज़त से किया था.. वो गीत जो बचपन में सुने थे आज भी ज़हन में ताज़ा हैं.. आज पंडित सत्यदेव दुबे याद आ गए.. <br />"कौनो ठगवा नगरिया लूटल जाए" को शास्त्रीय और सुगम संगीत दोनों धुनों में सुना है और असर दोनों का एक ही पाया.. आँखों से आंसू झरने लगते हैं.. वही होता है जब "गोरी सोयी सेज पर" सुनते हैं.. आज आपका यह आलेख दिल में ऐसा गहरा असर कर गया है कि कुछ कहना मुश्किल है!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-51575859232025969832012-02-13T15:35:18.907+05:302012-02-13T15:35:18.907+05:30@SATISH PANCHAM JI
I WOULD LIKE TO HAVE THAT B/W R...@SATISH PANCHAM JI<br />I WOULD LIKE TO HAVE THAT B/W RECORDING PLZगंगेश रावhttps://www.blogger.com/profile/10791109109633152718noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-90388722575883751962012-02-13T10:18:45.399+05:302012-02-13T10:18:45.399+05:30कबीर की कविताएँ बिना किसी व्याकरण की हद के साथ फैल...कबीर की कविताएँ बिना किसी व्याकरण की हद के साथ फैलीं, इसलिए उसमें मिलवा-पन है। <br /><br />कल ही पोस्ट पढ़ रहा था, आकाशवाणी के जिक्र पर रुक गया, फिर कुछ बातें एक पोस्ट में लिखने चला गया। लिखा, फिर अभी बांचा पूरी पोस्ट। <br /><br />गंधर्व-वसुंधरा का गाया यह सुनता रहा हूँ, अल्पावधि का उत्कृष्ट गायन है यह! पसंदीदा! <br /><br />जइसे धधकेले हो गोपीचन्द! लोहरा घरे लोहसाई - की प्रतीक्षा के साथ!Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-13182581907642433562012-02-13T08:22:12.543+05:302012-02-13T08:22:12.543+05:30"कौन ठगवा" और उसके अलावा भी कुमार गन्धर्..."कौन ठगवा" और उसके अलावा भी कुमार गन्धर्व को इतना सुना है कि क्या कहूँ, और कबीर, वे तो लगता है जैसे बरसों से साथ ही चल रहे हों। लेकिन उस सिख किशोर का किस्सा आज ही सुना ...Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-30975489270731712762012-02-13T08:12:29.845+05:302012-02-13T08:12:29.845+05:30भोजपुरी श्रृंखला की दोनों पोस्टें पढ़ें -आँखें महज...भोजपुरी श्रृंखला की दोनों पोस्टें पढ़ें -आँखें महज भर ही नहीं आयीं बकायदा अश्रुपात भी जारी है ....मन न जाने कैसा उभ चुभ कर रहा -बचो गिरिजेश, ऐसी संवेदना घातक है !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-41027740921994469272012-02-12T22:47:04.757+05:302012-02-12T22:47:04.757+05:30शनिवार की सुबह साढ़े पांच बजे ऐसे संगीतमय कार्यक्र...शनिवार की सुबह साढ़े पांच बजे ऐसे संगीतमय कार्यक्रम दूरदर्शन चैनल पर आते हैं। पिछले महीने ही सुबह सुबह इसी गीत को पूरी तान और लय के साथ गाता देख मन हिलोर उठा था। ब्लैक एण्ड वाइट में ही थी रिकार्डिंग। दूरदर्शन को वाकई अपने ऐसे कार्यक्रमों को बाहर मार्केट में लाकर बेचना चाहिये। लोग हाथों हाथ लेंगे।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-49372303127222179212012-02-12T15:11:42.414+05:302012-02-12T15:11:42.414+05:30मार्मिक संस्मरण..बेहतरीन आलेख। ऐसी आलेख भोजपुरी क्...मार्मिक संस्मरण..बेहतरीन आलेख। ऐसी आलेख भोजपुरी क्षेत्र के हिंदी कवियों को भी प्रेरित करेंगे और भोजपुरी का कुछ भला होगा इसमें तनिक भी संदेह नहीं।...अभी तो आभार ही स्वीकारें।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-67218747773978021712012-02-12T13:40:26.022+05:302012-02-12T13:40:26.022+05:30पढ़ने के बाद स्मृति-आलाप कर रहा हूं। शब्द नहीं है....पढ़ने के बाद स्मृति-आलाप कर रहा हूं। शब्द नहीं है....Girindra Nath Jha/ गिरीन्द्र नाथ झाhttps://www.blogger.com/profile/12599893252831001833noreply@blogger.com