tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post9050579919940073751..comments2023-10-30T15:17:40.771+05:30Comments on एक आलसी का चिठ्ठा ...so writes a lazy man: कुरुक्षेत्र में ..क्या उखाड़ लोगे ?गिरिजेश राव, Girijesh Raohttp://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comBlogger25125tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-6769962834278393492011-12-14T08:19:10.995+05:302011-12-14T08:19:10.995+05:30शिल्पा जी,
वहाँ कोई कब्जा नहीं है और न गाजर घास।...शिल्पा जी, <br /><br />वहाँ कोई कब्जा नहीं है और न गाजर घास। सफाई है। लगभग ढाई एकड़ में फैले इस पार्क की देखभाल हमलोग ही करते हैं। सरकारी अमला झाँकने तक नहीं आता।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-78545550756340155712011-12-13T11:37:20.648+05:302011-12-13T11:37:20.648+05:30देखती हूँ की पोस्ट पुरानी है- और दुनिया के दस्तूर ...देखती हूँ की पोस्ट पुरानी है- और दुनिया के दस्तूर के ही अनुरूप इस पर भी खूब गाजरघास उग गयी है - पिछली टिपण्णी डेढ़ साल पुरानी है ... :)<br /><br />पूछने की हिम्मत कर सकती हूँ की अब क्या हाल हैं वहां ? या कि गाजरघास का राज ख़त्म हो कर इंसान का ( सरकारी या फिर गैर सरकारी - official या unofficial अतिक्रमण ? )<br />कब्ज़ा हो चुका है उस खुली ज़मीन पर ?<br /><br />यदि अब भी खुला मैदान है - तो बच्चे खेलते क्यों नहीं वहां ? एक बार सफाई के बाद यदि यहाँ खेलने आदि के groups आने लगें, तो सफाई बनी रहेगी |Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-91376125627480769412010-05-04T09:15:29.536+05:302010-05-04T09:15:29.536+05:30कालोनी में अगर क्रिकेट खेलने वाले मिल जायें तो शाय...कालोनी में अगर क्रिकेट खेलने वाले मिल जायें तो शायद काम आसान हो जाये ।K M Mishrahttp://kmmishra.tknoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-2190983110239389362010-05-02T15:06:02.419+05:302010-05-02T15:06:02.419+05:30गंगा किनारे एक चौदह पन्द्रह साल का किशोर हग रहा था...गंगा किनारे एक चौदह पन्द्रह साल का किशोर हग रहा था। सब के आने जाने के रास्ते के पास। मैं तो बगल से निकल गया। पर पत्नी जी से न रहा गया। उसे ललकार दिया। "यहीं चूतड़ पर दो चप्पल जमाऊंगी हरामी के पिल्ले, उठ, जा, आपनी मां की गोदी में हग।"<br />वह भागा। कुछ लोग उसका पक्ष लेने लगे तो पत्नीजी ने उन्हे भी लखेदा। बोलती बन्द हो गयी सबकी।<br />पता नहीं तब क्या उखड़ा। :)Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-59996071815972444702010-05-01T21:25:59.851+05:302010-05-01T21:25:59.851+05:30इस तरह के प्रयास होते रहें तो लोगों का संबल बना रह...इस तरह के प्रयास होते रहें तो लोगों का संबल बना रहता है और एक हल्की फुल्की आस बंधी रहती है कि कोई तो है जो देख रहा है। इस एक हल्के से डर या दबाव का होना भी अपने आप में बहुत काम का होता है।<br /><br /> लगे रहो भई लगे रहो। <br /><br />और हां, <br /><br />जौनपुर से अभी अभी उखाड़ कर आ रहा हूँ :)<br /><br /> गुड़ वगैरह लेकर आया हूँ...जब उखाड़ते हुए थक जाना तो अपने पास बंदोबस्त है....एक भेली गुड़ और एक लोटा पानी से तरी आ जाती है :)सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-51448347642350202632010-05-01T11:46:39.926+05:302010-05-01T11:46:39.926+05:30गाजर घास बड़ा भयंकर प्रतीक है. गाजर लुभाती है और घा...गाजर घास बड़ा भयंकर प्रतीक है. गाजर लुभाती है और घास काटती है. अच्छा ये बताएये कि बैचारी गाजर घास कहाँ उगे, उसे भी तो उगने का जीने का अधिकार है?पंकजhttps://www.blogger.com/profile/05230648047026512339noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-26226526601382935232010-05-01T11:11:42.462+05:302010-05-01T11:11:42.462+05:30हगना शब्द कितना सुहाना लगता है!!!!
इसका नंबर अभी आ...हगना शब्द कितना सुहाना लगता है!!!!<br />इसका नंबर अभी आया ही नही, कतार में ही खड़ा है।<br /><br /><br />बकिया पोस्ट लाजवाब है।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-10977661037842393602010-04-30T18:50:55.803+05:302010-04-30T18:50:55.803+05:30मेरी कॉलोनी में तो लॉन ही नहीं है मगर कॉलोनी २५ फु...मेरी कॉलोनी में तो लॉन ही नहीं है मगर कॉलोनी २५ फुट चौड़ी है। गाजर घांस यहाँ भी जम जाते थे। मैने भी एकला चलो रे की नीति पर उखाड़ने की प्रक्रिया प्रारंभ करी धीरे-धीरे बात लोगों की समझ में आ गई। कॉलोनी में एक भी वृक्ष नहीं थे एक वर्ष के अथक प्रयास से वन विभाग की मदद से कई वृक्ष लगवाए। सभी को अपने-अपने घर के सामने के वृक्ष को जिंदा रखने की जिम्मेदारी दी। आज कॉलोनी हरी-भरी है। शुरू-शुरू में तो कॉलोनी में ऐसे लोग भी मिले जो कहते थे... आप तो सड़क ही छोटी कर दे रहे हैं..! आज वे भी प्रसन्न हैं। <br />उखाड़ना तो पड़ता ही है। पहल भी किसी न किसी को करनी ही पड़ेगी। आप अकेले उखाड़ने के बजाय कुछ समझदार लोगों को ढूंढ कर एक समीति का गठन कर लें और भी समस्याओं का निदान हो जाएगा। <br />मेरे गुरूजी कहते थे.. करने से होता है, करो करो...देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-54136414798933013852010-04-30T15:03:47.917+05:302010-04-30T15:03:47.917+05:30झूठ क्यों बोलें जब हम नहीं उखाड़ रहे कुछ भी...
बह...झूठ क्यों बोलें जब हम नहीं उखाड़ रहे कुछ भी...<br />बहुत दिन हो गए ऐसा कुछ उखाड़ने का प्रयास किये... लगभग साल भर. थोडा बहुत उखाड़ा था फिलहाल बंद है. कई बहाने मिल जाते हैं आलसी इंसान को. यहाँ नहीं बताएँगे क्या उखाड़ने का प्रयास था, बताने का क्या लाभ? वैसे ये सटके हुए लोग जिन्हें ये सब देखकर खुजली होती है... मेरे एक दोस्त कहते है 'थोडा तो सटका हुआ है ऐसे ही कोई थोड़े न... ' (कुछ भी उखाड़ने लगता है?). उखाड़ते रहिये... साथ में कुछ और लोग सटकते जाएँ तो बात बने.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-27565470852257367042010-04-30T07:45:43.266+05:302010-04-30T07:45:43.266+05:30वैसे आपके जैसे सच्चे इंसान हैं कहाँ ?
हमारे यहाँ त...वैसे आपके जैसे सच्चे इंसान हैं कहाँ ?<br />हमारे यहाँ तो इनसब बातों की ज़रुरत नहीं होती ...लेकिन वोलेन्टियर का काम हम भी कर देते हैं...ओल्ड एज होम में....बुजुर्गों के काम आजाते हैं....<br />हमारी शुभकामना है आपके लिए....स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-50073711151832917992010-04-30T07:13:49.577+05:302010-04-30T07:13:49.577+05:30sharad kokas ji, rao saab, ali ji jaise samaj sevi...sharad kokas ji, rao saab, ali ji jaise samaj sevi ko pranaam...hume to ghaas ukhadne mein sharam aati hai....female hone ki ek aur demerit..ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-79824079174346929972010-04-30T03:56:23.956+05:302010-04-30T03:56:23.956+05:30उखाड़ तो हम किसी का भी कुछ नहीं पाते ...आम भारतीय ...उखाड़ तो हम किसी का भी कुछ नहीं पाते ...आम भारतीय की तरह राय दे सकते हैं ...गाजर घास उखाड़ते हुए भी बहुत एलर्जी करती हैं ...इसको जड़ से उखाड़ना बहुत जरुरी है ...वर्ना फिर से उगेगी ...सारी मेहनत दुबारा ....इस नेक कार्य के लिए शुभकामनायें ....!!<br /><br />ना उखाड़ पायें किसी का कुछ ...मॉर्निग वाक करते हुए देर तक सोने वाले सज्जन पड़ोसियों के घर के आगे लगी स्ट्रीट लाईट बंद करने का जिम्मा जरुर ले रखा है पतिदेव ने ...हम तो नए वृक्ष लगा कर संतुलन बनाने का प्रयास कर लेते हैं ...जहाँ हर तरफ गौरैया के लुप्त होने का शोर है ...हमारी गली इनके कलरव से गुलजार रहती है दिन भर ...वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-13786118195265580282010-04-30T01:57:13.145+05:302010-04-30T01:57:13.145+05:30भाई उखाड़ने का यह नेक काम मै भी किया करता हूँ । आप...भाई उखाड़ने का यह नेक काम मै भी किया करता हूँ । आपके इस वाकये को पढ़कर यह अच्छा लगा कि मै ही एक पागल नहीं हूँ । आजकल कुछ और पागल मेरे साथ आने लगे हैं । इसके अलावा एक काम और भी करता हूँ मैं बाल्टी लेकर निकलता हूँ और अगल बगल की स्ट्रीट के प्यासे पौधो को भी पानी दे आता हूँ मै । कुछ लोग मुस्कराते हुए निकल जाते है , कुछ लगे रहो के भाव के साथ और कुछ बढ़िया नाइस जैसे कमेंट के साथ । <br />लेकिन कुछ भी कहिये ... हमारे जैसे लोग दुनिया में हैं राव साहब ....चलिये लगे रहें...<br />।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-57705177452542100712010-04-29T20:42:13.378+05:302010-04-29T20:42:13.378+05:30.
Girijesh ji,
This is the irony. I do agree with....<br />Girijesh ji,<br /><br />This is the irony. I do agree with with you. I too have witnessed all this. People are reluctant to pay a small amount even. They are ready to live in mess and stink, but not ready to spend . It reflects our mentality . Our attitude. People are not ready to grow and prosper .'Let go' attitude is prevalent. I guess it will take ages to change the trend and bring awareness in the crowd.<br /><br />Still, let's hope for the best..<br /><br />Although i'm prepared for the worst.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-58729435082876557832010-04-29T20:36:02.343+05:302010-04-29T20:36:02.343+05:30प्रतीकात्मक तौर पर मुहिम में हाथ बटाने के ख्याल से...प्रतीकात्मक तौर पर मुहिम में हाथ बटाने के ख्याल से गाज़र घास के कुछ पौधे हमने भी उखाड़ फेंके है...कुछ यूँ समझिये अपने अपने कुरुक्षेत्र :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-12514662925381928682010-04-29T20:15:03.346+05:302010-04-29T20:15:03.346+05:30दिव्या जी,
थोड़ा कहा बहुत समझना। बस इतना जान लीजिए...दिव्या जी, <br />थोड़ा कहा बहुत समझना। बस इतना जान लीजिए कि रखरखाव और चौकीदार के लिए रु100/- प्रतिमाह देने को भी लोग तैयार नहीं हैं।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-91882747120684780982010-04-29T15:36:02.151+05:302010-04-29T15:36:02.151+05:30Hire a man or a woman for the purpose. Labour char...Hire a man or a woman for the purpose. Labour charges can be shared with neighbours. [ kaam bhi ho gaya aur gareeb ko do paisa bhi mil gaya ]<br /><br />Hum to aise hi ukhadwate theyy.<br /><br />Division of labour !ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-78442297386738942092010-04-29T15:24:34.432+05:302010-04-29T15:24:34.432+05:30ठीक है सर !ठीक है सर !Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-82937836493710379442010-04-29T12:05:21.345+05:302010-04-29T12:05:21.345+05:30अखाड़ते रहिए, एक न एक दिन तो उखड़ ही जाएगी। मदद की...अखाड़ते रहिए, एक न एक दिन तो उखड़ ही जाएगी। मदद की जरूरत हो तो आवाज दीजिएगा, एक दिन वहीं पर ब्लॉगर्स मीट रख दी जाएगी और सबसे ज्यादा उखाडने वाले को एक उखाड़श्री की पदवी भेंट की जाएगी।<br />--------<br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">गुफा में रहते हैं आज भी इंसान।</a><br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">ए0एम0यू0 तक पहुंची ब्लॉगिंग की धमक।</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-20932822529508355232010-04-29T11:14:43.929+05:302010-04-29T11:14:43.929+05:30जमे रहो.....एक ओर घास होती है जो एलर्जी करती है......जमे रहो.....एक ओर घास होती है जो एलर्जी करती है......डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-63498802748891284142010-04-29T10:18:27.428+05:302010-04-29T10:18:27.428+05:30लगे रहो भाई जी :)।लगे रहो भाई जी :)।रचना त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/12447137636169421362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-54594418726180167962010-04-29T09:37:57.044+05:302010-04-29T09:37:57.044+05:30इस पावन कार्य में लगे रहें. जब जमीन में नमीं हो तो...इस पावन कार्य में लगे रहें. जब जमीन में नमीं हो तो उन्हें पूरे जड़ से उखाड़ा जा सकता है. हम उखाड़ते तो नहीं इकठ्ठा करते हैं. आस पास के पिकनिक स्थलों में लोगों द्वारा फेंकी गयी नाना प्रकार की वस्तुओं को.PN Subramanianhttp://mallar.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-21630833148373456072010-04-29T09:37:22.496+05:302010-04-29T09:37:22.496+05:30सही कहा , उखाड़ने के लिए कुछ बचा ही नहीं !सही कहा , उखाड़ने के लिए कुछ बचा ही नहीं !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-28168743823750044982010-04-29T09:19:17.798+05:302010-04-29T09:19:17.798+05:30हम तो कुछ उखाड़ नहीं सकते, क्योंकि यहाँ उखाड़ने के...हम तो कुछ उखाड़ नहीं सकते, क्योंकि यहाँ उखाड़ने के लिये कुछ है ही नहीं, हाँ हम वित्तीय अशिक्षितता को उखाड़ने का प्रयास जरुर कर रहे हैं, और लगभग रोज कोई न कोई हमारा शिकार होता है :)विवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-14639967388481684362010-04-29T09:08:14.640+05:302010-04-29T09:08:14.640+05:30ब्लॉग जगत की गाजर घासों का जिम्मा हम लेते हैं ......ब्लॉग जगत की गाजर घासों का जिम्मा हम लेते हैं ........हाय हाय<br />बहुत सिविल काम में लगे हैं ......<br />मेरी शुभकामनाएं !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.com