tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post9063185250560913894..comments2023-10-30T15:17:40.771+05:30Comments on एक आलसी का चिठ्ठा ...so writes a lazy man: फेयरनेस क्रीम, आर्यत्त्व और नासमझीगिरिजेश राव, Girijesh Raohttp://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-18686821507364986552015-09-16T15:12:16.263+05:302015-09-16T15:12:16.263+05:30मानव के जैविक क्रम-विकास (organic evolution) के दौ...मानव के जैविक क्रम-विकास (organic evolution) के दौरान त्वचा के रंग का विकास स्थानीय पर्यावरण से प्रभावित हुआ। अफ्रीका के भूमध्यरेखा क्षेत्र में पराबैंगनी किरणों की अधिकता के कारण गोरे मानव प्रकृतिक रूप से जीवित नहीं रह सकते थे। लेकिन जब मानव सारी दुनिया में फैलते गए तो कुछ स्थानों पर गोरे लोग जीवित रह सकते थे, काले नहीं। प्रकृति ने पुरुष के अवचेतन मन में उसके बच्चों की माता का चुनाव करने नैसर्गिक प्रवृत्ति भी विकसित की। बच्चे पैदा करने के लिए साथिन का स्वस्थ होना अनिवार्य है। अवचेतन मन किसी की त्वचा का रंग देख कर उसके खून में घुले हुए विषैले तत्वों का और स्वास्थ्य का अनुमान लगा सकता है, और यह अनुमान लगाना काले या साँवले व्यक्तियों की अपेक्षा गोरे मानुष की त्वचा पर आसान है। पूरे शरीर में ओठों की त्वचा सबसे पतली होती है। ओठों के लाल होने का अर्थ है -- हेमोग्लोबिन की अधिकता, खून में आक्सीजन की अधिकता, विषैले तत्वों की कमी। इस तरह इवोल्यूशन के दौरान मानव के अवचेतन मन ने स्वस्थ साथी की पहचान करना सीखा है। अतः गोरे रंग और लाल ओठों के प्रति स्वाभाविक आकर्षण का विकास हुआ। क्रीम, लिपस्टिक और अन्य सौन्दर्य प्रसाधनों के व्यापार की सफलता के पीछे यही जैविक कारण हैं। अतः गोरेपन के प्रति आकर्षण की प्रवित्ति नैसर्गिक है, उसके विकास के कारण जैविक ही हैं। राजेंद्र गुप्ता Rajendra Guptahttps://www.blogger.com/profile/01811091966460872948noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-91943362253840443272015-09-16T13:37:40.629+05:302015-09-16T13:37:40.629+05:30मानस में वर्ण-निरपेक्षता समाज को सप्रयास स्थापित क...मानस में वर्ण-निरपेक्षता समाज को सप्रयास स्थापित करनी पड़ेगी। आपका आलेख प्रभावशाली है.Parmeshwari Choudharyhttps://www.blogger.com/profile/13942433781714760104noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-37231506403936465392015-09-16T00:54:23.947+05:302015-09-16T00:54:23.947+05:30तब रूप काला करने वाली फेयर न लवली बनायी जाए ? :) ...तब रूप काला करने वाली फेयर न लवली बनायी जाए ? :) अभिषेक आर्जवhttps://www.blogger.com/profile/12169006209532181466noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-57406893832089739812015-09-14T15:40:51.506+05:302015-09-14T15:40:51.506+05:30सब बाजार और व्यापार की महिमा है . जो ना समझे वो अन...सब बाजार और व्यापार की महिमा है . जो ना समझे वो अनाड़ी है .गिरिजा कुलश्रेष्ठhttps://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-29408254042609996982015-09-13T20:49:11.551+05:302015-09-13T20:49:11.551+05:30बढ़िया :) बढ़िया :) सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-40970731416723488332015-09-13T20:14:35.519+05:302015-09-13T20:14:35.519+05:30ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, खुशहाल वैवाहिक जी...ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, <a href="http://bulletinofblog.blogspot.in/2015/09/blog-post_13.html" rel="nofollow"> खुशहाल वैवाहिक जीवन का रहस्य - ब्लॉग बुलेटिन </a> , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !ब्लॉग बुलेटिनhttps://www.blogger.com/profile/03051559793800406796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-2151592793362440082015-09-13T19:12:12.767+05:302015-09-13T19:12:12.767+05:30... सच है दुनिया वालों कि हम नहीं अनाड़ी (अनार्य) ... सच है दुनिया वालों कि हम नहीं अनाड़ी (अनार्य) Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.com