tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post1714962557646701016..comments2023-10-30T15:17:40.771+05:30Comments on एक आलसी का चिठ्ठा ...so writes a lazy man: चँवर में डूबे धानगिरिजेश राव, Girijesh Raohttp://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-19648700931069362972009-09-18T01:42:51.712+05:302009-09-18T01:42:51.712+05:30भई दाम देख कर किताब खरीदने की आदत तो अपनी भी है .....भई दाम देख कर किताब खरीदने की आदत तो अपनी भी है .. क्या करें जाती ही नहीं । और प्रकाशक इस बात को समझते ही नहीं ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-23137698057826777342009-09-17T16:30:10.434+05:302009-09-17T16:30:10.434+05:30महोदय, बहुत अच्छी कविताएं लिखते हैं। आपका ब्लॉग पढ...महोदय, बहुत अच्छी कविताएं लिखते हैं। आपका ब्लॉग पढ़कर अच्छा लगा। आगे भी यह सिलसिला जारी रहेगा।<br />धन्यवादRatan Singh Shekhawathttps://www.blogger.com/profile/07589100482987233062noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-10458763298926906912009-09-16T22:25:26.514+05:302009-09-16T22:25:26.514+05:30bahut aabhar mere blog par aane ka........aapke su...bahut aabhar mere blog par aane ka........aapke sujhawon ko maan liya,<br />aapne achcha likha hai.सुशीला पुरीhttps://www.blogger.com/profile/18122925656609079793noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-20652378506143259782009-09-14T00:57:24.856+05:302009-09-14T00:57:24.856+05:30itni mhgai hone par bhi ham kai tarh ke pkvan khat...itni mhgai hone par bhi ham kai tarh ke pkvan khate hi hai ,shadiyo me behisab kharch krte hi hai .a.c. me yatra krte hi hai aur bhi laxri vaprte hi hai fir pustke khreedte smy hi mhgai yad aati hai .<br />kyo?शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-72720274461234854022009-09-12T10:01:43.589+05:302009-09-12T10:01:43.589+05:30सीमित आय में मैकडोनाल्ड से बच्चे को नए डिश खिला दो...सीमित आय में मैकडोनाल्ड से बच्चे को नए डिश खिला दो या हिन्दी एकेडमी से किताबें ले लो। दोनों नहीं हो सकते। प्राथमिकता क्या होनी चाहिए? -- बिलकुल सही कहा है बंधू | हम हिंदी वाले ना जाने कितनी नावों मैं पैर डाले हुए हैं .. बिच मैं पेंडुलम की तरह लटक गए हैं |,,,,Rakesh Singh - राकेश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/03770667837625095504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-83851840202893901382009-09-10T20:54:47.060+05:302009-09-10T20:54:47.060+05:30किताबों की बात चीत पर मेरी टिप्पणीनुमा पोस्ट पर आप...किताबों की बात चीत पर मेरी टिप्पणीनुमा पोस्ट पर आपकी टिप्पणी से बनी इस पोस्ट पर क्या टिप्पणी करूँ...? <br />देर भी हो चुकी है और प्रायः सभी विचार एक ही सहमति पर आकर टिक चुके हैं, इसलिए टिप्पणीकर्ताओं की सूची में शीर्ष पर बने रहने को अपनी उपलब्धि मानते हुए आपको इस पोस्ट के लिए धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-29178305350886427142009-09-10T16:52:45.353+05:302009-09-10T16:52:45.353+05:30आप ने महत्वपूर्ण और सारगर्भित मुद्दा उठाया है..मै...आप ने महत्वपूर्ण और सारगर्भित मुद्दा उठाया है..मै तो यही कहूंगा--<br />"मंजिल को पाने की खातिर,कोई राह बनानी होगी।<br />दूर अंधेरे को करने को,कोई शमा जलानी होगी।<br />पैदा होकर मर जाते हैं, जाने कितने लोग यहाँ;<br />लेकिन नया करोगे कुछ तो,तेरी अमर कहानी होगी।"<br />शेष मेरे ब्लाग पर....प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' https://www.blogger.com/profile/03784076664306549913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-41175593831607885422009-09-10T16:50:33.153+05:302009-09-10T16:50:33.153+05:30आप ने महत्वपूर्ण और सारगर्भित मुद्दा उठाया है..मै...आप ने महत्वपूर्ण और सारगर्भित मुद्दा उठाया है..मै तो यही कहूंगा--<br />"मंजिल को पाने की खातिर,कोई राह बनानी होगी।<br />दूर अंधेरे को करने को,कोई शमा जलानी होगी।<br />पैदा होकर मर जाते हैं, जाने कितने लोग यहाँ;<br />लेकिन नया करोगे कुछ तो,तेरी अमर कहानी होगी।"<br />शेष मेरे ब्लाग पर....प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' https://www.blogger.com/profile/03784076664306549913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-51170818200920705242009-09-10T08:31:57.069+05:302009-09-10T08:31:57.069+05:30हाँ पुरनियों की महक तो बनी ही रहेगी -उनका क्या विक...हाँ पुरनियों की महक तो बनी ही रहेगी -उनका क्या विकल्प ! मगर यह बहुत छोटी पोस्ट है !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-46158799631053468592009-09-09T16:01:08.184+05:302009-09-09T16:01:08.184+05:30सही कहा आपने, लम्बी सृजन यात्रा के लिए समर्पण भाव ...सही कहा आपने, लम्बी सृजन यात्रा के लिए समर्पण भाव की भी आवश्यकता होती है।<br /><a href="http://za.samwaad.com/" rel="nofollow">-Zakir Ali ‘Rajnish’</a> <br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">{ Secretary-TSALIIM </a><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">& SBAI }</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-5807172091093383842009-09-09T02:30:44.542+05:302009-09-09T02:30:44.542+05:30भई कितने बिम्बों और प्रतीकों में गद्य लिखते हो और ...भई कितने बिम्बों और प्रतीकों में गद्य लिखते हो और कहते हो यह उस लेख पर टिप्पणी है ।ब्लोगर जगत मे जो लोग शहीद हो गये उनकी एक सूचि जारी करवा दो ताकि उन्हे श्रद्धांजलि दी जा सके और दुआ की जा सके कि उसमे अपना कभी नाम न हो । बाकि लिखने का तो मन बहुत है अलेकिन अभी रात का ढाई बजा है और आलस आ रहा है । ब्लॉग का नाम ऐसा क्यों रखते हो भाई ?(स्पेलिंग सुधर लेन अब नीन्द आ रही है )शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-42899261218537663012009-09-09T01:48:39.030+05:302009-09-09T01:48:39.030+05:30very true ...very true ...लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-54935463076494393182009-09-08T23:08:43.900+05:302009-09-08T23:08:43.900+05:30"जब नई वाली पतली कलाई की क्लर्क उन्हें उठाती ..."जब नई वाली पतली कलाई की क्लर्क उन्हें उठाती है तो लगता है उसकी कलाई न टूट जाये कट्ट से!"<br /><br />काका आप भी लाजवाब हो । दो लाइन में उपन्यास का मसाला डाल दिये ।<br /><br />हम तो भइये मेक्डोनाल्ड की जगह किताबों पर पैसे अधिक कुर्बान करते हैं । 500-1000 का बजट किताबों का अलग फिक्स रहता है । दुख बस यही है कि किताबें ससुरी लगातार मंहगी होती जा रही हैं ।K M Mishrahttp://kmmishra.tknoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-39603632485115395832009-09-07T21:02:39.152+05:302009-09-07T21:02:39.152+05:30मैं तो अब धीरे धीरे पढने का मजा लेता हूँ....गाय भै...मैं तो अब धीरे धीरे पढने का मजा लेता हूँ....गाय भैंसों की तरह जुगाली करते करते.....लेकिन मजा आता है। पहले भी classic रचनायें पढता था, अब भी पढता हूँ कुछ Additional यादों के साथ। <br /> 'बडे घर की बेटी', 'पूस की रात' , 'साबुन'...'लाल पान की बेगम'....ये कुछ ऐसी रचनायें हैं कि चाहे जब पढो आनंद देती हैं....। <br /> पहले साहित्य आदि से दुराव हो गया था मुझे...टेक्निकल ज्ञान ने दिमाग के भीतर शोर-शराबा झोंक रखा था....अब जब से साहित्य को पढ रहा हूँ...गुन रहा हूँ....लगता है कि शांति है, टेक्निकल चिल्ल-पों, कम्पयूटर की खटर पटर अब उतनी कर्कश नहीं लगती।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-61142562615248241392009-09-07T17:56:06.390+05:302009-09-07T17:56:06.390+05:30सीमित आय में मैकडोनाल्ड से बच्चे को नए डिश खिला दो...सीमित आय में मैकडोनाल्ड से बच्चे को नए डिश खिला दो या हिन्दी एकेडमी से किताबें ले लो। दोनों नहीं हो सकते। <br /><br />सच्ची बात...आधा बर्गर खा कर एक किताब खरीदनी ज्यादा फायदे का सौदा है....<br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-39843403520395740322009-09-07T15:51:06.541+05:302009-09-07T15:51:06.541+05:30हम क्या कहें। हमारे परिवेश में तो किताबें नहीं, मो...हम क्या कहें। हमारे परिवेश में तो किताबें नहीं, मोटी मोटी फाइलें हैं, जिन्हे उठाने में वेटलिफ्टिंग का मजा है।<br />जब नई वाली पतली कलाई की क्लर्क उन्हें उठाती है तो लगता है उसकी कलाई न टूट जाये कट्ट से!<br />उन फाइलों में जो भाषा है वह नदी की नहीं, गड़ही की भाषा है! रुकी सी, बेजान।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-40283556757642106442009-09-07T15:13:48.710+05:302009-09-07T15:13:48.710+05:30धार के विपरीत चलना हो या साथ बहते हुए भी अपनी विशि...धार के विपरीत चलना हो या साथ बहते हुए भी अपनी विशिष्टता ऐसे बनाए रखनी हो कि धारा में योगदान भी हो - दोनों में तप, निष्ठा और निरंतरता की आवश्यकता होती है। "<br /><br />पूरी तरह से मानी हुई बात !Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-20238607406688567102009-09-07T13:38:26.175+05:302009-09-07T13:38:26.175+05:30Kaalaa Namak ka jawaab naheen.
वैज्ञानिक दृष्टिको...Kaalaa Namak ka jawaab naheen.<br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को उन्नति पथ पर ले जाएं।</a>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-22493593444522150482009-09-07T13:33:13.084+05:302009-09-07T13:33:13.084+05:30अनवरत रचनाधर्मिता के लिए धैर्य आवश्यक ही है । आभार...अनवरत रचनाधर्मिता के लिए धैर्य आवश्यक ही है । आभार ।हेमन्त कुमारhttps://www.blogger.com/profile/01073521507300690135noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-19954102924563865272009-09-07T12:21:11.636+05:302009-09-07T12:21:11.636+05:30टिके रहने के लिये मेहनत तो करना ही होता है। लिखने ...टिके रहने के लिये मेहनत तो करना ही होता है। लिखने पढ़ने से कोई क्रांति तो नहीं हो जायेगी लेकिन अपना मर्जी के अनुसार लिखते-पढ़ते रहना सुकूनदेह् तो होता ही है। ये तो लागी लगने का मामला है।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-87039949052712886112009-09-07T10:38:44.040+05:302009-09-07T10:38:44.040+05:30सही है जी.
रामराम.सही है जी.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-71232662700131870922009-09-07T09:20:57.617+05:302009-09-07T09:20:57.617+05:30बिलकुल सही बात है आभार्बिलकुल सही बात है आभार्निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.com