tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post2015787847257058347..comments2023-10-30T15:17:40.771+05:30Comments on एक आलसी का चिठ्ठा ...so writes a lazy man: तोरू और अविनाश के साथ - वनसरू की छाँव मेंगिरिजेश राव, Girijesh Raohttp://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comBlogger27125tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-7308449457219714732017-11-04T00:08:42.258+05:302017-11-04T00:08:42.258+05:30त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये ।
गृहाण सम...त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये । <br />गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर ।।इस मंत्र का अर्थ समझाये please OMARAM JAAThttps://www.blogger.com/profile/03609222124476377755noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-20816499146341621872013-02-20T06:04:49.488+05:302013-02-20T06:04:49.488+05:30आज पता चला ,अविनाश जी इतने दिनों से ब्लाग पर अुनपस...आज पता चला ,अविनाश जी इतने दिनों से ब्लाग पर अुनपस्थित क्यों है..प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-57973827733499440922012-07-22T19:17:05.707+05:302012-07-22T19:17:05.707+05:30अनूदित प्रतीत नहीं होता.अनूदित प्रतीत नहीं होता.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-91849829271945704572012-06-22T07:47:53.848+05:302012-06-22T07:47:53.848+05:30अति सुन्दर! अविनाश और गिरिजेश दोनों का आभार!अति सुन्दर! अविनाश और गिरिजेश दोनों का आभार!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-30014993648334056272012-06-20T10:29:34.534+05:302012-06-20T10:29:34.534+05:30चकित - विस्मित !चकित - विस्मित !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-48264018020473961442012-06-20T05:53:46.227+05:302012-06-20T05:53:46.227+05:30प्रतुल जी, यह हुई न बात! श्रमिक गली ने आप से भी थो...प्रतुल जी, यह हुई न बात! श्रमिक गली ने आप से भी थोड़ा श्रम करा ही लिया। :) <br />आभार।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-16103216600849759382012-06-19T14:22:37.521+05:302012-06-19T14:22:37.521+05:30'चिह्न' से बना है 'चिह्नना' मतलब प...'चिह्न' से बना है 'चिह्नना' मतलब पहचानना, संकेत लगाना. <br /><br />अनचिह्ना = बिना कोडिंग किया, पहचान के बिना, संकेतहीन.<br /><br />हाँ, यह बात सही है - प्रादेशिक भाषा में व्याकरणिक भाषा के विकृत रूप स्वीकार हैं. इसलिये 'अनचिन्हा' प्रचलन में अभी भी है.<br /><br />मुझे जब भी सही का पता चलता है उसे स्वीकार लेता हूँ... यहाँ किसी प्रकार का हठ नहीं है.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-39726372299430799322012-06-19T14:05:01.115+05:302012-06-19T14:05:01.115+05:30दोनों ही सही हैं.....
वाक्यों में प्रयोग पर निर्...दोनों ही सही हैं..... <br /><br />वाक्यों में प्रयोग पर निर्भर हैं.... स्मित और स्मिति.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-49846322286225353582012-06-19T01:58:25.040+05:302012-06-19T01:58:25.040+05:30अद्भुत !अद्भुत !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-17449976233540609372012-06-18T23:14:36.714+05:302012-06-18T23:14:36.714+05:30धन्य हुये हम! :) आभार आप का।
स्मिति या स्मित?धन्य हुये हम! :) आभार आप का। <br />स्मिति या स्मित?गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-33986197417659946832012-06-18T18:09:15.741+05:302012-06-18T18:09:15.741+05:30@ अविनाश जी, मुझे वास्तव में पसंद आया है आपका किया...@ अविनाश जी, मुझे वास्तव में पसंद आया है आपका किया भावानुवाद. <br /><br />'कमाल की उलथा' का व्यंग्यार्थ न निकालें.<br /><br />मात्रिक 'छंद' अतिरिक्त श्रम की चाहना रखता इसलिये अनुदित भाव मुक्त छंद में ही अपना सौन्दर्य बिखेर रहे हैं. विश्वास करें.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-35882941731148051282012-06-18T18:05:18.411+05:302012-06-18T18:05:18.411+05:30गिरिजेश जी
आपके तार्किक उत्तर निरुत्तर भी करते है...गिरिजेश जी <br />आपके तार्किक उत्तर निरुत्तर भी करते हैं और स्मिति भी देते हैं. <br />आपसे बात करने का दोहरा लाभ होता है.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-20522505580308539842012-06-17T21:11:47.157+05:302012-06-17T21:11:47.157+05:30अद्भुत!
अंग्रेजी में कविता का मर्म नहीं समझ पाता।...अद्भुत!<br /><br />अंग्रेजी में कविता का मर्म नहीं समझ पाता। अविनाश भाई को पढ़कर ही मुग्ध हूँ। ..बधाई हो शब्द सम्राट।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-89756303172146202452012-06-17T08:12:38.917+05:302012-06-17T08:12:38.917+05:30अविनाश के अनुवाद से ही कुछ समझ पाई.......मैंने तो ...अविनाश के अनुवाद से ही कुछ समझ पाई.......मैंने तो पहले भी कहा है -http://archanachaoji.blogspot.in/2011/03/blog-post_18.htmlArchana Chaojihttps://www.blogger.com/profile/16725177194204665316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-19696293787375578192012-06-17T03:36:47.849+05:302012-06-17T03:36:47.849+05:30अद्भुत! अनुवादित कविता मानो स्वयं कवि की अपनी रचन...अद्भुत! अनुवादित कविता मानो स्वयं कवि की अपनी रचना हो.<br />बधाई इस अनुपम प्रस्तुति हेतु.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-9682892851492206672012-06-16T23:28:01.154+05:302012-06-16T23:28:01.154+05:30कविताओं, उनमें भी अंगरेजी कविताओं के मामले में अपन...कविताओं, उनमें भी अंगरेजी कविताओं के मामले में अपन below poverty line हैं| तोरू दत्त की कविता, अविनाश द्वारा अनुवादित, आपके ब्लॉग पर - नदी-नाव-संयोग कहना ठीक रहेगा? <br />अपना काम 'हमारा वनसरू तरु' से बखूबी चल गया, मूल को पढ़ा तो सिर्फ अनुवाद न्याय की दृष्टि से, सच ये है कि दोनों ही बहुत खूबसूरत हैं|<br />शानदार, जानदार, दानेदार:)संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-20909820000484786452012-06-16T22:37:08.805+05:302012-06-16T22:37:08.805+05:30छंद तो याद नहीं है, (तुलसी ने ?), मुंडन होने के पह...छंद तो याद नहीं है, (तुलसी ने ?), मुंडन होने के पहले के बालों के लिए उपयुक्त किया था बाल्य्काण्ड में।Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-81089654441910874262012-06-16T22:33:49.558+05:302012-06-16T22:33:49.558+05:30प्रतुल जी,
हर्ष हुआ आपको देख कर।
'गभुआरे' ...प्रतुल जी,<br />हर्ष हुआ आपको देख कर।<br />'गभुआरे' का अर्थ 'कोमल' ही होता है, अर्थात जो छूने में मुलायम हो।<br />'कोकिला' वाली मजबूरी गिरिजेश जी बता ही चुके हैं, मैं तोरू को अनुवाद करके गलत नहीं कहना चाहता था।<br />भावानुवाद में फ्रांस और इटली न लेना आप मेरी मजबूरी कह सकतें है, या सौन्दर्यबोध का यत्न - दोनों ग्राह्य है।Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-42424515138543842222012-06-16T20:36:06.117+05:302012-06-16T20:36:06.117+05:30असाधारण!असाधारण!मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-90531982210906798022012-06-16T18:30:11.018+05:302012-06-16T18:30:11.018+05:30लाजवाब अनुवाद!! हिन्दी शब्द भंडार के पुष्प और भी ख...लाजवाब अनुवाद!! हिन्दी शब्द भंडार के पुष्प और भी खिल कर शृंगारित हो उठे है। स्तुत्य है अविनाश जी का कला सामर्थ्य!!सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-72795819868718850402012-06-16T18:24:32.134+05:302012-06-16T18:24:32.134+05:30प्रतुल जी, इस कविता का अनुवाद मैं स्वयं कर सकता था...प्रतुल जी, इस कविता का अनुवाद मैं स्वयं कर सकता था लेकिन अपने मुक्त स्वभाव के कारण स्वयं संतुष्ट नहीं होता, मेरी दृष्टि में इसके साथ न्याय हिमांशु या अविनाश कर सकते थे। अविनाश को कहा कि वह इसके पहले एक अंग्रेजी गीत का अनुवाद कर चुके थे तो मेरी समझ में यह था कि अंग्रेजी शब्दों को हिन्दी तराश देने में उन्हें अधिक श्रम नहीं करना पड़ेगा। यदि आप मूल लेख देखेंगे तो वहाँ श्रम को लेकर हास परिहास सा कुछ हुआ था। <br />अब आप की बात का शिष्यसमझ से ही उत्तर यह है कि 'गभुआरे' का अर्थ यही दो बतायें तो ठीक। थोड़ा छ्न्द बन्ध चाहिये, मुक्त सा बताना ठीक नहीं। :) <br />कोकिला वाली आप की बात एकदम सही है। बुद्धिनाथ मिश्र ने अपने एक गीत की प्रस्तुति में भी इस बात को बताया है जो कि संयोगवश बहुत पहले यहाँ प्रस्तुत की जा चुकी है - http://kavita-vihangam.blogspot.in/2011/11/blog-post.html. कुछ बातें मुझसे बार बार टकराती हैं, नहीं? :) <br />अनुवादक की स्थिति विचित्र होती है। उसे मूलस्वर की ओर भी ध्यान देना होता है। देखिये तो तोरू क्या कहती हैं? And far and near kokilas hail the day; जिस समय की यह कविता है उस समय काव्य रूढ़ि में गाती कोकिला ही था, प्रगतिशील युग में अब तो टेलीफोन धुन बजती है, कोयल गाता/गाती नहीं ;)<br />टेलिफोन धुन में बजने वाली <br />मेलबोर्न बिजली मचलने वाली <br />डिजिटल में सुर है तराशा <br />मैडोना है या नताशा <br />पश्चिमी तटों की गुहा समझने के लिये थोड़ा और पहले जायें - गुहा cave का अनुवाद है। अविनाश की विशेषता इसमें है कि पंक्ति समुच्च्य के भाव को आकार दिया है। मैंने इनसे भावानुवाद का अनुरोध किया था। <br />In distant lands, by many a sheltered bay,<br />When slumbered in his cave the water-wraith<br />And the waves gently kissed the classic shore<br />Of France or Italy, beneath the moon,<br /><br />देसभाषाओं में संस्कृत शब्द तद्भव होते हैं जैसे तरु का तोरू :) <br />भोजपुरी में 'चीन्हना' पहचान के तौर पर प्रयुक्त होता है। जैसा कि पहले ही कहा - अंग्रेजी शब्दों को हिन्दी तराश देने में सिद्धहस्त हैं अविनाश, 'अनचीन्हा' का प्रयोग कर उसे उस देसज अर्थगुरुता और सोंधेपन से संपृक्त कर दिया है जो कि संस्कृत ध्वनि में सम्भव नहीं। <br />हाँ, चीह्ना या अनचीह्ना जैसा कुछ मैंने नहीं सुना :) हो सकता है आप जैसे अनचीन्हे से अनचीन्हे हैं वैसे ही मैं इनसे अनचीन्हा होऊँ। :)गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-59499656037987506202012-06-16T17:15:28.500+05:302012-06-16T17:15:28.500+05:30मुझे अपने प्रिय कवि का काव्य-लेखन और अनुवाद सभी पस...मुझे अपने प्रिय कवि का काव्य-लेखन और अनुवाद सभी पसंद है. और विशेष स्नेह पाने को ही जबरन आलोचना की खींचमखाँच करता हूँ. <br />इस अनुवाद से प्रतीत होता है जब भी अविनाश जी किसी रचना को अपने भाषिक साँचों में ढालेंगे ... वह मूल रचना से कमतर नहीं आँकी जायेगी. <br /><br />शिष्यभाव से पूछ रहा हूँ : 'गभुआरे शावक' का अर्थ समझ तो रहा हूँ... लेकिन 'गभुआरे' मेरे लिये नया शब्द है.. क्या इसका अर्थ 'बेचारे' से है? अथवा, 'मासूम' से है? अथवा कुछ ओर? <br /><br />"सभी दिशाओं से गाती है गीत कोकिला,"<br />@ 'कोकिल'/ 'कोकिला' को मैं भी तब तक मधुर कंठ की गायिका ही मानता था जब तक कि सत्य नहीं जानता था... नर कोकिल कर्णप्रिय गायन करता है [कूहू-कूहू] जबकि मादा कोकिल (कोकिला) कर्णकटु स्वर में कभी-कभी बोलती है [किक-किक]. <br /><br /> .... And the waves gently kissed the classic shore Of France or Italy, beneath the moon,<br />....जब अपनी गुहा में जल-प्रेत सोता है। और तरंगे शशि के नीचे चुम्बन देतीं, हलके से चुपचाप पश्चिमी श्रेष्ठ तटों को। <br />@ कमाल की उलथा. साधु!<br /><br />अनचीन्हा = अनचीह्नाप्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-80899229256924470602012-06-16T16:36:48.562+05:302012-06-16T16:36:48.562+05:30सटीक और प्रवाहमयी अनुवाद..सटीक और प्रवाहमयी अनुवाद..प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-49175663280287438702012-06-16T16:28:35.627+05:302012-06-16T16:28:35.627+05:30सबसे पहले अविनाश को ढेर सारी बधाई और आशीष...बहुत ख...सबसे पहले अविनाश को ढेर सारी बधाई और आशीष...बहुत खूबसूरत अनुवाद किया है उसने..<br />दूसरा, आपके अगले प्रयास के लिए शुभकामनायें...हम आपके साथ हैं, दशक के ब्लोग्गर सम्मान का आयोजन भी बहुत सफल होगा, हमें पूरा विश्वास है..स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-66296433235963211152012-06-16T15:51:59.755+05:302012-06-16T15:51:59.755+05:30तोरू दत्त सी अनन्य प्रतिभा...उसकी कलम से निकली अद्...तोरू दत्त सी अनन्य प्रतिभा...उसकी कलम से निकली अद्भुत और अनोखी कविता--पहले ही विस्मित करने को पर्याप्त थीं!<br />अब अविनाश भईया का अनुवाद-छन्द! ठगे-से रह गए! अप्रतिम! <br />शब्दों ने कहाँ यह बताया है कि ये अनुवाद के लिए सजे हैं...हिन्दी का सौंदर्य है लरजता!Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.com