tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post6330986820752473267..comments2023-10-30T15:17:40.771+05:30Comments on एक आलसी का चिठ्ठा ...so writes a lazy man: ... प्रकाश जिसने अँधेरों के सूरज को डूबने की राह धकेलागिरिजेश राव, Girijesh Raohttp://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comBlogger34125tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-13273941554556990262013-01-13T07:26:18.911+05:302013-01-13T07:26:18.911+05:30पुण्यात्मा को एक बार फिर स्मरण। सचमुच वे अपने समय ...पुण्यात्मा को एक बार फिर स्मरण। सचमुच वे अपने समय से कहीं आगे थे! संजय मो सम का अनुभव वर्तमान भारत की एक अलग ही तस्वीर पेश करता है। Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-45072109649796825962013-01-12T19:23:33.653+05:302013-01-12T19:23:33.653+05:30कहीं और यह कहता तो यकीनन झूठा मान लिया जाता, यहाँ ...कहीं और यह कहता तो यकीनन झूठा मान लिया जाता, यहाँ ऐसा नहीं होगा इसलिये बताता हूँ। <br />शायद सातवीं या आठवीं में था तो अपने कमरे में इनका चित्र लगाया था, छाती पर हाथ बाँधे और ओज भरे नेत्रों से प्रेरणा देते - उठो, जागो और अपने लक्ष्य से पहले मत रुको। यह चित्र हमेशा मेरे कमरे में लगा रहा। उस समय मैं साढ़े इक्कीस साल का था जब नौकरी के सिलसिले में एक दूसरे शहर गया और किराये का मकान सजाने के लिये बाजार में एक पोस्टर बेचने वाले नौजवान से जब विवेकानन्द का पोस्टर मांगा तो उसने दो तीन बार पूछा, "किसका?" और फ़िर बोला, फ़िल्मी हीरो के पोस्टर दीवाली के बाद निकालेंगे, ढूंढ लेना आकर।"<br />पद्म सिंह के कमेंट से एकदम सहमत (अगर सहित)।<br />आभार।<br />संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-90940703122577432912013-01-12T09:55:17.821+05:302013-01-12T09:55:17.821+05:30बहुत कुछ समय की गर्त मे खो जाता है। जिस युवावर्ग क...बहुत कुछ समय की गर्त मे खो जाता है। जिस युवावर्ग के लिए स्वामी जी ने अलख जगाई आज वो ही उन्हें भुला चुका है। इस तरह के आलेखों की बहुत आवश्यकता है। हममें जाने कितने छोटे छोटे विवेकानन्द सोए पड़े हैं। जरूरत बस उन्हें जगाने की है।<br /><br />अगर इस आलेख का आपके कण्ठ से सस्वर पाठ भी सुन पाते तो धन्य होते.... Padm Singhhttps://www.blogger.com/profile/17831931258091822423noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-13956819924235731322010-01-31T12:25:39.657+05:302010-01-31T12:25:39.657+05:30मैनें रहबर जी द्वारा लिखित जीवनी तो नहीं, लेकिन नर...मैनें रहबर जी द्वारा लिखित जीवनी तो नहीं, लेकिन नरेन्द्र कोहली के "तोड़ो, कारा तोड़ो" के समस्त खंड पढ़े हैं.. और मेरी प्रिय पुस्तकों में से एक है..!<br /><br />वस्तुतः मेरे विचार से इस उदात्त मनीषी को देश-काल की सीमाओं में बाँधना पर्याप्त अन्याय होगा.. ये विभूतियाँ सिर्फ देश नहीं, बल्कि आत्मगौरव विस्मृत हर जाति, चाहे वह किसी देश में हो, में जीवन की गरिमा का संदेश देने और प्राणिमात्र को एकात्मता सूत्रों में आबद्ध करने के लिये युगों-युगों में आविर्भूत होती आई हैं.. उनसे तुलना किये जाने वाले लोग शायद उस स्तर तक कभी न पहुँच पायें..<br /><br />@ अरविन्द जी<br />अच्छा हुआ कि स्वामी जी का ३९ साल की अवस्था में ही इस निस्सार जगत से मोहभंग हो गया.. वरना उन जैसों की शतायु मेधा धारण कर पाना संभव नहीं है इस संसार के लिये..!<br /><br />और हाँ.. कोई पुनर्जन्म की अवधारणा नहीं.. एक ही शक्ति थी जो विभिन्न देश-काल में विभिन्न नामों से आविर्भूत होती आई..हर एक जीनियस, हर एक "न भूतो न भविषयति". और विवेकानन्द शायद इनके सबके उपर..!!!!कार्तिकेय मिश्र (Kartikeya Mishra)https://www.blogger.com/profile/03965888144554423390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-67259503670508597122010-01-21T00:20:43.769+05:302010-01-21T00:20:43.769+05:30भारतीय मनीषा सर्वग्राही समावेशी थी। और सदा ही रहेग...भारतीय मनीषा सर्वग्राही समावेशी थी। और सदा ही रहेगी <br />विवेकानंद मेरे भी आराध्य युग पुरुष हैं <br />ये लिंक देखिएगा <br /><br />http://www.lavanyashah.com/2008/09/shami-bibeknondo.html<br /><br />स स्नेह्म<br />- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-85068150224018122842010-01-14T18:54:06.001+05:302010-01-14T18:54:06.001+05:30बहुत ही सार्थक आलेख.आपने ' शून्य ' के पार ...बहुत ही सार्थक आलेख.आपने ' शून्य ' के पार जाकर मीमांसा की जो बहुत जरूरी थी.दुर्भाग्य कि हम अपने महर्षियों को बस पूजते हैं ,अपनाते नहीं .<br /><br />संक्रांति पर अनंत शुभकामनायें.RAJ SINHhttps://www.blogger.com/profile/01159692936125427653noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-28111101418591537552010-01-14T06:45:30.325+05:302010-01-14T06:45:30.325+05:30मेरे लिए तो विवेकानंद एक हिन्दू स्फिंक्स सरीखे हैं...मेरे लिए तो विवेकानंद एक हिन्दू स्फिंक्स सरीखे हैं -महान मनाव मेधा ,चुम्बकीय व्यक्तित्व ,गहन स्वाध्याय ,मोहक वक्तृता ,स्पष्ट दृष्टि ,पर फिर भी बहुत अनकहा रह गया इस आधुनिक सन्यासी से /का -मुझे दुःख होता है महान भारतीय मेधाओं के अल्प कालिक जीवन से -शंकर ,रामानुजन ,विवेकानंद --काश ये और भी जीवित रहे होते तो मानवता का कितना भला होता .<br />आपका यह आलेख इस महामानव के जम दिन पर है -शत शत नमन !<br />महफूज की टिप्पणी पर सहज ही यह उक्ति याद सी हो आयी -हे ईश्वर इन्हें माफ़ करना ए नहीं जानते ये क्या कह रहे हैं !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-75556158002013937152010-01-13T20:54:42.407+05:302010-01-13T20:54:42.407+05:30मकर संक्रांति पर्व की हार्दिक शुभकामना . भगवान सूर...मकर संक्रांति पर्व की हार्दिक शुभकामना . भगवान सूर्य की पहली किरण आपके जीवन में उमंग और नई उर्जा प्रदान करेमहेन्द्र मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/00466530125214639404noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-90102347774747384012010-01-13T20:10:41.304+05:302010-01-13T20:10:41.304+05:30@ ज्ञानदत्त जी
आप थियोसॉफिस्ट के प्रिय विषय की दिश...@ ज्ञानदत्त जी<br />आप थियोसॉफिस्ट के प्रिय विषय की दिशा में टिप्पणी किए हैं। <br />शंकर, कृष्णमूर्ति, रजनीश, विवेकानन्द, रामानुजम और ऐसे ही और लोगों की प्रतिभा के बारे में पुनर्जन्म जैसी बातें वे लोग करते रहे हैं। ...पता नहीं कितना सच है!<br />इन विभूतियों ने सोचने पर मजबूर तो किया ही हुआ है।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-27192483873649440832010-01-13T19:33:01.134+05:302010-01-13T19:33:01.134+05:30यह मेरे लिये पहेली है कि आदिशंकर, रामानुजम, विवेका...यह मेरे लिये पहेली है कि आदिशंकर, रामानुजम, विवेकानन्द ... इतनी कम उम्र में इतना कर के चले गये। <br />यूं लगता है कि पुनर्जन्म को नकारने वाले कहीं गलती करते हैं। अन्यथा इतनी मेधा!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-88820647447926605922010-01-13T15:40:42.492+05:302010-01-13T15:40:42.492+05:30उनका जीवन कुछ ऐसा था कि जैसे मोमबत्ती के दोनों सिर...उनका जीवन कुछ ऐसा था कि जैसे मोमबत्ती के दोनों सिरों में लौ जला दिया जाय ताकि अधिक प्रकाश मिले। शरीर की सीमाएँ तो रहती ही हैं। <br /><br /><br />अब क्या बचा..वाकई सब कुछ समेत लिया आपने..<br /><br />बहुत गदगद हूँ..इस आलेख से ..आपका यह रूप बेहद ही अच्छा/संतुष्टीपरक लगा मुझे...!<br /><br />मुझे लगता है ऋषि विवेकानन्द पर आपको और भी लिखना चाहिए..एक स्वाभाविक लोभ हो रहा है मुझे आपकी ज्ञान राशि को देख..!Dr. Shreesh K. Pathakhttps://www.blogger.com/profile/09759596547813012220noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-78358014857699543962010-01-13T12:20:38.916+05:302010-01-13T12:20:38.916+05:30स्वामीजी तक पर अफवाहे हैं?
आश्चर्य !स्वामीजी तक पर अफवाहे हैं? <br />आश्चर्य !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-58097328816940455362010-01-13T00:08:12.517+05:302010-01-13T00:08:12.517+05:30गिरिजेश जी ,विवेकानंद जी जैसे विचारक के सिद्धांतों...गिरिजेश जी ,विवेकानंद जी जैसे विचारक के सिद्धांतों को सही मायने में कोई समझ नहीं पाया , और आज के युवाओं के लिए तो जैसे वे बेमानी से हो चुके हैं ,आपके बहाने उनकी याद हो आई , अब बताईये आलसी आप हुए कि हमसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-49745827376488493292010-01-12T23:45:08.308+05:302010-01-12T23:45:08.308+05:30शत शत नमन स्वामी जी को और आलसी जी को भी अलाल होकर ...शत शत नमन स्वामी जी को और आलसी जी को भी अलाल होकर भी हम जैसे चुस्त-दुरुस्त लोगों से लाख गुना ज्यादा तेज और बेहतर है।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-71208964187747162532010-01-12T22:57:48.362+05:302010-01-12T22:57:48.362+05:30@ संजय व्यास
बस विवेकानन्द सम्पूर्ण बाङ्गमय, हंसरा...@ संजय व्यास<br />बस विवेकानन्द सम्पूर्ण बाङ्गमय, हंसराज रहबर रचित जीवनी और ढेर सारा धैर्य।<br />वादा करता हूँ एक नई दुनिया उद्घाटित होगी।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-65927233061787019722010-01-12T22:55:46.666+05:302010-01-12T22:55:46.666+05:30@ उनका जीवन कुछ ऐसा था कि जैसे मोमबत्ती के दोनों स...<b>@ उनका जीवन कुछ ऐसा था कि जैसे मोमबत्ती के दोनों सिरों में लौ जला दिया जाय ताकि अधिक प्रकाश मिले। </b><br /><br /> विवेकानंद जी के बारे में सब कुछ इस लाईन में समेट दिया गया है।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-14579530160168558272010-01-12T22:54:00.222+05:302010-01-12T22:54:00.222+05:30अति उत्तम, ये है लोगों का महापुरुषों के वारे में ज...अति उत्तम, ये है लोगों का महापुरुषों के वारे में ज्ञान. एक उन्हें विष से मार रहा है, शायद उसे केवल आनंद का ही ज्ञान है, चाहे विवेक हो या दया. दूसरा उन्हें अल्प आयु के कारण ब्रह्मचर्य से मार रहा है, हे अली! कल कहीं ये भगत सिंह आदि और हाँ जीसस की पोस्टमार्टम खोज कर उन्हें भी ब्रह्मचर्य से न मार दें. ये जरूरी तो नहीं कि हमें हर बात का ज्ञान हो पर अंट शंट लिखने से पूर्व अर्जन कर लें तो बेहतर.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-89612476569120827452010-01-12T22:15:52.267+05:302010-01-12T22:15:52.267+05:30ऐसे महापूरुषो को शब्द से सम्बोधित करना मुश्किल होग...ऐसे महापूरुषो को शब्द से सम्बोधित करना मुश्किल होगा, इनके जैसा व्यक्तित्व हमारा हमेशा मार्गदर्शन करता रहेगा । आभार आपकाMithilesh dubeyhttps://www.blogger.com/profile/14946039933092627903noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-84361553618568948302010-01-12T20:47:13.777+05:302010-01-12T20:47:13.777+05:30ऐसे ही महामानव दैवीय गुणों से युक्त हो जाते हैं धी...ऐसे ही महामानव दैवीय गुणों से युक्त हो जाते हैं धीरे धीरे बहते समय की गाढी श्यानता के साथ.<br />कुछ टिप्पणियों से मुझे लगा कहीं ये वही ऐतिहासिक प्रोसेस तो नहीं एडिशन और निगेशन का?<br /><br />विवेकानंद पर बहुत महत्वपूर्ण नहीं पढ़ पाया हूँ, हाँ रामकृष्ण जी पर रोमां रोलां की जीवनी ज़रूर बहुत पहले पढ़ी थी.जिससे जानकारी चाहूँ कोहली जी का ही नाम लेते हैं.आप क्या कहते हैं?sanjay vyashttps://www.blogger.com/profile/12907579198332052765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-61102932180583609472010-01-12T20:21:12.287+05:302010-01-12T20:21:12.287+05:30@ तो उनके postmortem रिपोर्ट में यही लिखा गया था....@ <i>तो उनके postmortem रिपोर्ट में यही लिखा गया था... कि ब्रह्मचर्य अपनाने कि वजह से उनकी अल्प आयु में मृत्यु हुई है....</i><br /><br />ऐसा कुछ नहीं है। बहुत विस्तृत छ: जीवनियों को मैं पढ़ चुका हूँ। कहीं ऐसा उल्लेख नहीं मिलता। वैसे भी मृत्यु के बाद पोस्टमॉर्टम के द्वारा ऐसी बातें मेडिकली सिद्ध नहीं की जा सकतीं।<br /><br />उनका जीवन कुछ ऐसा था कि जैसे मोमबत्ती के दोनों सिरों में लौ जला दिया जाय ताकि अधिक प्रकाश मिले। शरीर की सीमाएँ तो रहती ही हैं। <br /><br />यह बात सिर्फ वैसी ही है जैसे उनके शिकागो भाषण को 'शून्य' से सम्बन्धित किया जाता है। कोरी बकवास, अफवाह।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-10232423822041951522010-01-12T19:37:54.507+05:302010-01-12T19:37:54.507+05:30स्वामी विवेकानंद जी को श्रद्धांजलि. जब उनकी मौत हु...स्वामी विवेकानंद जी को श्रद्धांजलि. जब उनकी मौत हुई थी.... तो उनके postmortem रिपोर्ट में यही लिखा गया था... कि ब्रह्मचर्य अपनाने कि वजह से उनकी अल्प आयु में मृत्यु हुई है....डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-75735181576543067532010-01-12T18:46:21.062+05:302010-01-12T18:46:21.062+05:30@ विवेकानन्द नहीं, महर्षि दयानन्द को विष दिया गया ...@ विवेकानन्द नहीं, महर्षि दयानन्द को विष दिया गया था।<br />अतिशय शारीरिक और मानसिक श्रम के कारण विवेकानन्द श्वास रोग, मधुमेह और अन्य कई व्याधियों से ग्रसित हो गए थे। कहते हैं उन्हों ने स्वेच्छा से समाधि ले ली थी।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-1675924329912977152010-01-12T16:41:21.795+05:302010-01-12T16:41:21.795+05:30ऐसे महामनव को मात्र ३९ साल की उम्र में सम्भवतः किस...ऐसे महामनव को मात्र ३९ साल की उम्र में सम्भवतः किसी ने विष देकर मार दिया था। विवेकानन्द सचमुच ऋषि परम्परा के विद्वान और साधक थे। उन्होंने अपना सन्देश उस समय फैलाया जब संचार और आवागमन के साधन अत्यन्त सीमित थे।<br /><br />आपने उन्हें याद करके और उनके अवदान को इंगित करके बहुत अच्छा किया।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-17519599961760722010-01-12T13:11:48.435+05:302010-01-12T13:11:48.435+05:30बहुत सुन्दर रचना
बहुत बहुत आभारबहुत सुन्दर रचना <br />बहुत बहुत आभारPushpendra Singh "Pushp"https://www.blogger.com/profile/14685130265985651633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-37597820300164600192010-01-12T11:13:24.493+05:302010-01-12T11:13:24.493+05:30आज शायद एक दो पिज्जाओं की कीमत में विवेकानन्द का स...<b>आज शायद एक दो पिज्जाओं की कीमत में विवेकानन्द का सम्पूर्ण साहित्य मिल जाएगा। मैंने दसियों साल पहले बस रु. 125/- में लिया था।</b><br />काश इसके बाद भी उनके विचारों का प्रचार प्रसार हुआ होता .. हम उसके अनुरूप चल पाते .. उस महान आत्मा को हमारा नमन !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.com