tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post6445916644032921569..comments2023-10-30T15:17:40.771+05:30Comments on एक आलसी का चिठ्ठा ...so writes a lazy man: तिब्बत - चीखते अक्षर (7)गिरिजेश राव, Girijesh Raohttp://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-73671113028997674092011-06-27T17:34:21.927+05:302011-06-27T17:34:21.927+05:30क्रूर और वीभत्स!
क्या ये फ़ासीवाद नहीं है?
और लेख...क्रूर और वीभत्स! <br />क्या ये फ़ासीवाद नहीं है?<br />और लेखों की प्रतीक्षा रहेगीअमिताभ त्रिपाठी ’ अमित’https://www.blogger.com/profile/12844841063639029117noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-67170939999489073032011-06-24T18:58:23.241+05:302011-06-24T18:58:23.241+05:30क्रूरता की हदें पार करती अमानवीयता!!
अनुरागजी नें...क्रूरता की हदें पार करती अमानवीयता!!<br /><br />अनुरागजी नें सही कहा……<br /><br />"हिरण्यकशिपु से लेकर आज तक ऐसी व्यवस्थायें सबसे पहले धर्म को ही कुटिल, क्रूर और नियोजित तरीके से निशाना बनाती रही हैं।"सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-61212762073791294852011-06-23T05:10:41.967+05:302011-06-23T05:10:41.967+05:30@ इस सबके बाद भी चीन में विकास है .........यह किसी...@ इस सबके बाद भी चीन में विकास है .........यह किसी आश्चर्य से कम नहीं है. <br />दैत्यराज में विकास हो सकता है - मगर होता मानवता की क़ब्र पर ही है क्योंकि वहाँ दो ही वर्ग होते हैं - एक शासक जोकि राष्ट्र का अकेला और सबसे बडा पूंजीपति भी होता है और दूसरा शासित जिसमें ग़रीब मज़दूर किसान आदि आते हैं। इसके अलावा, मानवीय सम्बन्ध, भावनायें, व्यक्तिगत स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति, सम्वेदना, दया, करुणा आदि के लिये ऐसी व्यवस्था में कोई स्थान नहीं होता। एक और बात, दैत्यराज अपने अतिरिक्त किसी अन्य ईश्वर की पूजा को बर्दाश्त नहीं कर सकता इसलिये उसके निशाने पर सबसे पहले धर्म आता है। हिरण्यकशिपु से लेकर आज तक ऐसी व्यवस्थायें सबसे पहले धर्म को ही कुटिल, क्रूर और नियोजित तरीके से निशाना बनाती रही हैं।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-66823323158671931702011-06-22T14:58:53.082+05:302011-06-22T14:58:53.082+05:30ओह...
क्या कहें...ओह...<br /><br />क्या कहें...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-67482048339414912312011-06-21T22:49:08.116+05:302011-06-21T22:49:08.116+05:30आह कलेजा मुँह को आया !! वैसे तो यहूदियों वाली भी क...आह कलेजा मुँह को आया !! वैसे तो यहूदियों वाली भी कम नहीं है, उनका डेथ केम्पों में जीवन, उन पर भयानक मनोवैज्ञानिक प्रयोग, चेतन अवस्था में सर्जरी करना और भय पर शोध आदि-आदि |<br /><b>पर सिर्फ सुन लेना और दिन-रात ऐसे विषयों पर शोधन करते रहना दोनों बातों में बहुत फर्क है |</b> ये तिब्बत वाली Ph.D. करते हुए आपका मानसिक संतुलन जवाब नहीं दे रहा है ये भी बड़ी बात है !! या जवाब दे रहा है, पता नहीं, पर जांच के देखिये क्या आपके व्यवहार में इन दिनों हिंसा बढ़ी ;-) या एंग्जायटी को पकड़ गए या अवसाद को पकड़ गए या वैराग्य को पकड़ गए ? ;-) हाँ, मनोचिकित्सकों के अनुसार तो वैराग्य भी एक मानसिक रोग ही है, उनके अनुसार गौतम बुद्ध भी किसी मानसिक रोग से पीड़ित हैं ;-) ;-)<br /><br />वैसे बाऊ-मण्डली, 273010, तिब्बत आदि ये सब थीसिस, इनकी किताब कब छपने जा रही है, एडवांस बुकिंग कर लो मेरी तो |योगेन्द्र सिंह शेखावतhttps://www.blogger.com/profile/02322475767154532539noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-83851908113973145962011-06-19T19:44:30.378+05:302011-06-19T19:44:30.378+05:30चीन में अतिवाद है, चीन में क्रूरता है, चीन में ताओ...चीन में अतिवाद है, चीन में क्रूरता है, चीन में ताओइज्म है, चीन में दुनिया पर छा जाने का दुस्साहस है, चीन में दुनिया को धता बताने की क्षमता है .....और इस सबके बाद भी चीन में विकास है .........यह किसी आश्चर्य से कम नहीं है. <br />एक बार चीन की आधुनिक पीढी का एक वीडिओ देखने को मिला .....शर्मनाक ....एक मिडिल स्कूल की छात्रा को स्कूल के सभी छात्रों ने क्लास में सबके सामने किसी बात पर पीट-पीट कर निर्वस्त्र होने के लिए बाध्य कर दिया ....उसके निर्वस्त्र होने पर भीड़ ने खुशी में नारे लगाए ...इनमें लड़कियां भी शामिल थीं. और भी वीडिओ देखे जिनमें सार्वजनिक रूप से वर्ज्य कृत्यों का सार्वजनिक स्थलों पर प्रदर्शन किया गया था ....अवर्णनीय .......अमानवीय ....बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-83140953036352201862011-06-19T18:55:23.894+05:302011-06-19T18:55:23.894+05:30ओह्ह क्रूर अति क्रूर है ये चीनी दमन मुझे लगता है क...ओह्ह क्रूर अति क्रूर है ये चीनी दमन मुझे लगता है की अंग्रेजो जैसा या उससे जयादा ही दमन तिब्बतियों का चीनी कमूनिस्ट कर रहे हैं..<br />मगर दमन के बाद क्रांति होती है ..आशुतोष की कलमhttps://www.blogger.com/profile/05182428076588668769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-72777354784040359222011-06-19T04:41:01.268+05:302011-06-19T04:41:01.268+05:30बहुत ही दर्दनाक कथा है यहबहुत ही दर्दनाक कथा है यहLalithttps://www.blogger.com/profile/07381473297376142200noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-57700868081499974402011-06-18T23:27:58.268+05:302011-06-18T23:27:58.268+05:30दृढ़ निष्ठावान साम्यवादी ऐसे ही होते हैं. वे किसी ...दृढ़ निष्ठावान साम्यवादी ऐसे ही होते हैं. वे किसी भी सीमा तक जा सकते हैं.निशांत मिश्र - Nishant Mishrahttps://www.blogger.com/profile/08126146331802512127noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-77886848821360109962011-06-18T22:55:45.931+05:302011-06-18T22:55:45.931+05:30विस्तृत इतिहास पढ़वाने का आभार, बहुत लोग इन तथ्यों...विस्तृत इतिहास पढ़वाने का आभार, बहुत लोग इन तथ्यों से अवगत नहीं होंगे।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-53446301043611412652011-06-18T21:18:11.759+05:302011-06-18T21:18:11.759+05:30काफी खौफनाक है ये सब...हालांकि भारत में जो कुछ है ...काफी खौफनाक है ये सब...हालांकि भारत में जो कुछ है उसके बावजूद चीन से तुलना करने पर सब कुछ काफी सुकून देता है<br /><br /><a href="http://hansikefavare.blogspot.com/2011/06/funny-exam-jokes.html" rel="nofollow">हंसी के फव्वारे में- हाय ये इम्तहान</a>Ruchika Sharmahttps://www.blogger.com/profile/01901713115488409912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-41385905642185321672011-06-18T19:24:11.174+05:302011-06-18T19:24:11.174+05:30कभी कभी मानव प्रजाति पर भी लज्जा सी आती है कि उसने...कभी कभी मानव प्रजाति पर भी लज्जा सी आती है कि उसने कैसे कैसे <br />जुल्म अपनी ही प्रजाति पर ढाए हैं -और उनके औचित्य सिद्ध करने के लिए कैसी कैसी <br />लफ्फाजियों को अंजाम दिया है -साम्यवाद एक ऐसा ही जुमला रहा है जिसकी आड़ में मानव मात्र पर <br />जोर जुल्म का दौर दौरा है -आज भी ऐसी सोच के लोग हैं और सभी देशों को /देशवासियों को इनसे सावधान <br />रहना चाहिए और प्रतिवाद की कोई भी कीमत चुकाने के लिए तैयार !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.com