tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post7258081075641566066..comments2023-10-30T15:17:40.771+05:30Comments on एक आलसी का चिठ्ठा ...so writes a lazy man: कोणार्क सूर्यमन्दिर - 10 : ज़िहादी इस्लाम पर विजय का स्मारकगिरिजेश राव, Girijesh Raohttp://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comBlogger37125tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-45291905252618238312016-02-13T17:06:51.318+05:302016-02-13T17:06:51.318+05:30कोणार्क विजय का स्मारक है, यह आज ही पता लगा।
विचित...कोणार्क विजय का स्मारक है, यह आज ही पता लगा।<br />विचित्र तर्क हैं, सिर दर्द का उपचार करते समय घुटने में पट्टी क्यों नहीं बांधी?<br />कथित आचार्यों की दूध में नीम्बू निचोड़ने की प्रवृत्ति नहीं बदलने वाली।<br />मन्दिर में दलित प्रवेश को लेकर झूठ को अनवरत दोहराते देखकर हैरानी होती है।Subhashhttps://www.blogger.com/profile/02096530563692497613noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-49894784778872522082016-02-13T11:37:24.357+05:302016-02-13T11:37:24.357+05:30इतिहास के बढ़िया विश्लेष्ण के साथ अति सुंदर आलेख .स...इतिहास के बढ़िया विश्लेष्ण के साथ अति सुंदर आलेख .समझने में असमर्थ हूँ कि इस लेख के संदर्भ का हिंदू धर्म की जाति-व्यवस्था से क्या सम्बन्ध है कि इसकी चर्चा हुई . वैसे सभी धर्मों-समाजों में किसी ना किसी आधार पर विभेद अस्तित्व में है. इसलिए जाति व्यवस्था को हिंदुत्व के सभी गुणों पर भारी मानना सिरे से ही गलत है Parmeshwari Choudharyhttps://www.blogger.com/profile/13942433781714760104noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-71008424405008816032016-02-12T22:20:40.459+05:302016-02-12T22:20:40.459+05:30बहुत अच्छी सीरिज। बहुत अच्छी सीरिज। हिन्दी-ब्लागरhttps://www.blogger.com/profile/10701838830298321197noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-138286682723915652015-07-18T13:49:03.136+05:302015-07-18T13:49:03.136+05:30काफिर नहीं कातिल नहीं शैताँ नहीं हूँ मैं
अल्लाह त...काफिर नहीं कातिल नहीं शैताँ नहीं हूँ मैं <br />अल्लाह तेरी रहमत मुसलमाँ नहीं हूँ मैं Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-88434730871743525972015-07-18T13:46:35.513+05:302015-07-18T13:46:35.513+05:30वे राई का
पहाड़ बना लेते हैं
मैं गोवर्धन भी
ऊँ...वे राई का <br />पहाड़ बना लेते हैं<br /><br />मैं गोवर्धन भी<br />ऊँगली पर थाम लेता हूँ<br /><br />वे रूहानियत के पर्दे में<br />युद्ध के पैगाम देते हैं<br /><br />मुझे युद्ध में भी<br />जीवन के गीत याद आते है<br /><br />उनके पास<br />सब बना बनाया है..बातें भी<br />मेरे पास<br />बना बनाया कुछ भी नहीं<br /><br />वे हर चीज़ को<br />तिरछी नजर से<br />किसी ख़ास रंग के<br />असर में देखते हैं<br /><br />मैं हर चीज़ को<br />खुली आँखों से देख लेता हूँ<br /><br />तभी तो<br />पूछता हूँ तुमसे... <br /><br />हे ईश्वर !<br />जब तुमने इन<br />आदमीनुमाओं को बनाया था<br />सामान कहाँ से लाया था ?<br />***<br />Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-82351121696355817352013-06-20T00:24:21.818+05:302013-06-20T00:24:21.818+05:30अत्याचारी को उसी की भाषा में प्रत्युत्तर देना, कूट...अत्याचारी को उसी की भाषा में प्रत्युत्तर देना, कूटनीति नहीं परम पवित्र धर्म है...<br />रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-40868564051691731992012-07-22T22:19:51.975+05:302012-07-22T22:19:51.975+05:30आभार। आप को पसन्द आई तो समझिये श्रम सफल हुआ। गुणी ...आभार। आप को पसन्द आई तो समझिये श्रम सफल हुआ। गुणी जन सराहें तो आत्मविश्वास बढ़ता है। धन्यवाद। <br /> ...जहाँ तक मुझे याद है बचपन की इतिहास की पुस्तक में यह चित्र था। फिलहाल तो नेट पर टहलते हुये ही मिला। इसका उल्लेख और उपयोग तो पुनर्निर्माण वाली कड़ी में भी है... है बड़ा रहस्यमय क्यों कि 1809 की बनी पेंटिंग में भी मुख्य शिखर आंशिक रूप ही प्रदर्शित है। इतना अवश्य है कि आमलक तक था। बाद की पेंटिंगों में क्रमश: ऊँचाई कम होती गई है माने ढहता गया।... 1809 से पहले फोटोग्राफी का आविष्कार नहीं हुआ था। स्पष्ट है कि यह किसी सधे प्रशिक्षित अंग्रेज/यूरोपीय हाथ का बना पेंसिल चित्र या वुडकट जैसा कुछ है। ...अभी तो और भी ऐसा कुछ हाथ में है जो चौंकाता है। समय आने पर प्रस्तुत होगा, शीघ्र ही। साथ बने रहिये। पुन: धन्यवाद।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-43163649973841131392012-07-22T21:37:28.916+05:302012-07-22T21:37:28.916+05:30आज कुछ घंटों से आपकी पोस्टों को ही पढ़ रहा हूँ और ...आज कुछ घंटों से आपकी पोस्टों को ही पढ़ रहा हूँ और साथ ही चिंतन मनन भी हो रहा है. असहमति अथवा इतर सोच की गुन्जायिश तो हर लेख के लिए बनती ही हैं परन्तु कुल मिलाकर (holistically) बेहद रुचिकर, ज्ञानवर्धक, विचारोत्तेजक श्रंखला रही. आपके परिश्रम को नमन. <br />अंतिम तस्वीर कहाँ से मिल गयी?P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-75207482081510813712012-07-15T12:52:46.463+05:302012-07-15T12:52:46.463+05:30शतप्रतिशत सहमत!शतप्रतिशत सहमत!Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-5680491927565101682012-07-14T11:46:36.693+05:302012-07-14T11:46:36.693+05:30@ Shilpa ji हिन्दू राष्ट्रों के बारे में अधिक जानन...@ Shilpa ji हिन्दू राष्ट्रों के बारे में अधिक जानने के लिए इस लिंक पर पहुंचे >> http://www.hindusthangaurav.com/hindudesh13.aspAmit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-18536745268849545282012-07-14T11:44:48.366+05:302012-07-14T11:44:48.366+05:30@ Shilpa ji हिन्दू राष्ट्रों के बारे में अधिक जानन...@ Shilpa ji हिन्दू राष्ट्रों के बारे में अधिक जानने के लिए इस लिंक पर पहुंचे >>>> http://www.hindusthangaurav.com/hindudesh13.aspAmit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-42916353237602960872012-07-14T11:32:57.117+05:302012-07-14T11:32:57.117+05:30वे इतिहास के अंग हैं। समस्या उनके पुस्तकों में रहन...वे इतिहास के अंग हैं। समस्या उनके पुस्तकों में रहने से नहीं, सच को छिपाने और विकृत करने से है। यह भी कि केन्द्र में क्या है? औरंगजेब जैसों के नाम पर राजधानी में मार्ग हैं। <br />ताजमहल के शिल्पी का नाम सामान्य ज्ञान में प्रश्न होता है लेकिन कोणार्क मन्दिर का नहीं!<br /> यह तो बताया जाता है कि हिन्दुओं की जाति व्यवस्था और संगठन की कमी के कारण हमलावर विजयी हुये लेकिन यह नहीं बताया जाता कि हमला करने की मनोवृत्ति ही ग़लत है और ऐसी हर किताब वाहियात जिसमें इसके लिये खुदाई आदेश हों। <br />और यह भी नहीं कि सूर्यमन्दिर एकता और प्रतिरोध के विजय का स्मारक है।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-62762480788148149062012-07-14T10:17:30.570+05:302012-07-14T10:17:30.570+05:30which 13 amit ji ? strange - in khasta sher also p...which 13 amit ji ? strange - in khasta sher also presently girijesh ji was talkin about the number 13, and now here. also friday the 13th ...Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-29986912972720695892012-07-13T09:29:32.793+05:302012-07-13T09:29:32.793+05:30सही कहा गिरिजेश जी, "हिंसा के पक्ष में कोई ईश...सही कहा गिरिजेश जी, "हिंसा के पक्ष में कोई ईश्वरीय आदेश नहीं था" <br />स्मृतियों आदि में उल्लेखित हिंसा भी विशिष्ट परिस्थितियों में विशिष्ट पुरूषों द्वारा अपवाद मार्ग की तरह प्रयुक्त हुई है वहाँ विवशता रेखांकित हुई है। हिंसा सर्वसामान्य, सर्वजनभोग्य नहीं थी। ऐसा तो किंचित भी नहीं था कि कोई आम-फ़हम अविवेकी मुँह उठाए गाज़ी बनने को निकल पडे!!सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-17206921474480380062012-07-13T08:52:13.745+05:302012-07-13T08:52:13.745+05:30हिंसा जैसे वैष्णव शैव, बौद्ध सनातनी यहाँ भी थी। कई...हिंसा जैसे वैष्णव शैव, बौद्ध सनातनी यहाँ भी थी। कई बातें स्मृतियों में थीं लेकिन वे ईश्वरीय वाणी नहीं थीं। यहाँ विधर्मियों के लिये हिंसा के पक्ष में कोई ईश्वरीय आदेश नहीं था। इस कारण बहुत शीघ्र ही हिंसा शमित कर समन्वय की राह पकड़ ली जाती। क़यामत तक काफिरों पर तलवार भाँजने का कोई अंतिम आदेश नहीं था।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-65664026598656053262012-07-12T23:32:18.775+05:302012-07-12T23:32:18.775+05:30मुझे तो इस बात पर भी हैरानी होती है कि, आखिर मुस्ल...मुझे तो इस बात पर भी हैरानी होती है कि, आखिर मुस्लिम शासकों को भारत के इतिहास में इतना तवज्जों क्यों दिया गया है ?? जब कि, इनमें से कोई भी हिन्दुस्तानी नहीं था, न अकबर, न बाबर, न हुमायूँ । ये सारे के सारे लुटेरे थे, जिन्होंने हमारे देश में आकर, हमारी आवाम को जी भर के लूटा है। फिर भी अकबर महान है ??? वो कैसे ???? भारतीय सरकार ने महाराणा प्रताप, शिवाजी को इतिहास की पुस्तकों में वो स्थान क्यों नहीं दिया, जबकि वो अपना देश इन लुटेरों के बचाने के लिए लड़ रहे थे, और ये लुटेरे विदेशी थे। ऐसा उल्टा इतिहास भारत में ही संभव है। इस बात के लिए एक मुहीम चलनी ही चाहिए। इन सारे तुर्कों को भारत के इतिहास के पन्नों से निकाल फेंकना चाहिए और भारत का सही इतिहास फिर से लिखा जाना चाहिए।<br /><br />आपने ऐसा लिखा है की पढ़ते-पढ़ते मेरा बी.पी हाई हो गया, बहुत ही ओजपूर्ण...आपका लिखा हिन्दुस्तान का बच्चा-बच्चा पढ़े ऐसा कुछ होना चाहिए, ताकि सबको सही जानकारी मिले..स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-8331503260822848072012-07-12T00:46:53.298+05:302012-07-12T00:46:53.298+05:30अगर नेतृत्त्व ठीक हो तो जनता बहुत कुछ कर सकती है औ...अगर नेतृत्त्व ठीक हो तो जनता बहुत कुछ कर सकती है और किताबी मजहबों के विपरीत समस्त मानवीय मूल्यों और मत मतांतरों को समाहित किया हुआ सनातन धर्म अफीम नहीं, जनजीवन की प्राणशक्ति है।<br />--<br />काश! यह एक बात सभी को समझ आ जाए.<br />---<br />उड़ीसा के राजा सही मायने में राजा धर्म निभा गए.गर्व होता है ऐसे शासकों पर.<br />ज्ञानवर्धन हुआ.<br />आभार.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-15573736188992220452012-07-11T11:48:34.154+05:302012-07-11T11:48:34.154+05:30यह लेख बहुत सारे लोगों को और चुभेगा अभी तो कुछ ही ...यह लेख बहुत सारे लोगों को और चुभेगा अभी तो कुछ ही लोग सामने आये हैं, ये लोग सच्चा इतिहास क्यों नहीं सुनना चाहते हैं ।विवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-54316126110244944052012-07-11T10:40:14.624+05:302012-07-11T10:40:14.624+05:30सारे इतिहास को जो बारह सौ सालो से पीड़ा दे रहा है उ...सारे इतिहास को जो बारह सौ सालो से पीड़ा दे रहा है उसे वास्तविक रूप में इतने कम और सरलता से कैसे अभिव्यक्त किया जाता है अच्छी तरह समझ में आगया यह लेख पढकर ................<br />बाकी सारे संसार को अपनी बर्बरता से मात्र एक सदी में पदाक्रांत कर लेने वाले इस बर्बर बेड़े को इस धरती को छूने में ही सदियाँ लग गयी थी .<br /><br />आभार इस पोस्ट के लिए !Amit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-14497608025990933872012-07-11T10:31:37.300+05:302012-07-11T10:31:37.300+05:30@ भारतीय इस बात से अनजान ही थे कि धर्म के लिए संघर...@ भारतीय इस बात से अनजान ही थे कि धर्म के लिए संघर्ष करना पडता है जिहाद का सामाना करना पडता है या रक्त बहाना पडता है।<br />वास्तव में भारतीय धर्म को तो जीते ही आये थे, और उपासना पद्दति के लिए शास्त्रार्थ के इतर शस्त्रों से भी लड़ाई होती है यह पहली बार क्रूर और बर्बर जाती वालों से ही जानने को मिला था ......Amit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-72095021942626483452012-07-11T10:26:14.016+05:302012-07-11T10:26:14.016+05:30वैसे हिंदू राष्ट्र एक ही नहीं था कुल जमा तेरह हिंद...वैसे हिंदू राष्ट्र एक ही नहीं था कुल जमा तेरह हिंदू राष्ट्र वर्तमान है इस विश्व में :)Amit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-695158328713248072012-07-11T10:22:43.230+05:302012-07-11T10:22:43.230+05:30आचार्य चतुरसेन का "सोमनाथ" भी पढ़ लीज्यो,...आचार्य चतुरसेन का "सोमनाथ" भी पढ़ लीज्यो, पता नहीं आपका खून कैसे खौलता है ....... हम जैसे अस्सी करोड के पानी नुमा खून जैसे द्रव्य में तो भाप भी नहीं उठती .Amit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-15799974645098664682012-07-10T16:12:08.895+05:302012-07-10T16:12:08.895+05:30Very nice descriptionVery nice descriptionसिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-56094540718659734622012-07-10T11:39:34.050+05:302012-07-10T11:39:34.050+05:30बहुत अच्छी और ऐतिहासिक जानकारी है, धन्यवादबहुत अच्छी और ऐतिहासिक जानकारी है, धन्यवादPankaj Kumarnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-82492150639859162252012-07-10T02:44:00.689+05:302012-07-10T02:44:00.689+05:30कुछ जगहों पर जाकर. आध्यात्म और गर्व की मिश्रित अनु...कुछ जगहों पर जाकर. आध्यात्म और गर्व की मिश्रित अनुभूति होती है. भावुक. पढ़कर लग रहा है. सोमनाथ प्रांगन में ऐसा हुआ था. कोणार्क जाना नहीं हो पाया अब तक.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.com