tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post8356311008292870721..comments2023-10-30T15:17:40.771+05:30Comments on एक आलसी का चिठ्ठा ...so writes a lazy man: लोक: भोजपुरी-1: साहेब राउर भेदवागिरिजेश राव, Girijesh Raohttp://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-53466059477873341332012-03-20T10:46:37.302+05:302012-03-20T10:46:37.302+05:30बहुत मीठा गीत सारपूर्ण भी । सच ही कहा है साबुन पान...बहुत मीठा गीत सारपूर्ण भी । सच ही कहा है साबुन पानी से अंदर के पाप कैसे मिटे ?Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-82963467872164482142012-03-09T07:22:42.846+05:302012-03-09T07:22:42.846+05:30दुर्लभ चीज़ है कम से कम आज के ज़माने में.. हैं ऐसे...दुर्लभ चीज़ है कम से कम आज के ज़माने में.. हैं ऐसे लोग अभी भी पर मीडिया की चकाचौंध में छिप गए हैं.. और रेकार्डिंग बढ़िया है! :)अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-8337697017385037032012-03-09T07:22:12.651+05:302012-03-09T07:22:12.651+05:30दुर्लभ चीज़ है कम से कम आज के ज़माने में.. हैं ऐसे...दुर्लभ चीज़ है कम से कम आज के ज़माने में.. हैं ऐसे लोग अभी भी पर मीडिया की चकाचौंध में छिप गए हैं.. और रेकार्डिंग बढ़िया है! :)अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-33016187694834661342012-02-11T14:50:04.586+05:302012-02-11T14:50:04.586+05:30आँखि के कोर नम बा. मन के भाव आ माटी में भेद ना होख...आँखि के कोर नम बा. मन के भाव आ माटी में भेद ना होखे. <br />सादर बधाई.Saurabhhttps://www.blogger.com/profile/01860891071653618058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-57500920661890924992012-02-11T07:43:39.057+05:302012-02-11T07:43:39.057+05:30आनन्द आ गया। भाषा के उदाहरण इस ब्लॉग पर पहले भी दे...आनन्द आ गया। भाषा के उदाहरण इस ब्लॉग पर पहले भी देख चुका हूँ मगर भोजपुरी को समर्पित एक पूरी शृंखला, क्या कहने! गीत पूरा सुना, अच्छा लगा, अनुज का आभार! यह याद करते हुए अच्छा लग रहा है कि कुछ अच्छे ब्लॉग्स को वर्षों से निर्बाध पढता रहा हूँ, निश्चित रूप से उन उत्कृष्ट ब्लॉग्स में यह ब्लॉग भी एक है। शुभकामनायें!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-48809305345235218902012-02-11T05:30:24.191+05:302012-02-11T05:30:24.191+05:30आश्वस्त हुआ कि अब कुछ हीरे अपनी चमक से परिवेश में ...आश्वस्त हुआ कि अब कुछ हीरे अपनी चमक से परिवेश में फैली दूषित ग्रंथियों को दूर करंगे। <br /><br />इसे नये माध्यम का लोकतांत्रिक असर कहूँगा कि उपेक्षित अनाम अज्ञात भी आ जा रहे हैं, क्या पता कलाओं में पनपी सामंतशाही ऐसे ही टूटे। <br /><br />खलील की आवाज का वह अमिट प्रभाव मैं अनुमान भर कर रहा हूँ, अनुभूत करूँगा एक न एक दिन, ऐसा आशावाद हुलास मार रहा है। <br /><br />भोजपुरी में निर्गुन की समृद्धि ऐसी है कि अन्य भारतीय भाषाएँ शायद कमतर ही दिखें, सही नाम उद्धृत किये हैं आपने, कबीर-रैदास जैसों के निर्गुण-गुण-रस की भूमि यही है। <br /><br />इन अनाम महाशय ने मन मोह लिया, झाझर के बीच में यह अमृत-स्वर-लहरियाँ कई बार ‘प्ले’ बटन दबवाने में पूर्ण समर्थ हैं। अब आप इनके अधिकाधिक गीतों से हमें रूबरू करायेंगे, पूर्ण विश्वास है।Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-34124244316534083962012-02-10T21:07:38.492+05:302012-02-10T21:07:38.492+05:30रिकार्डिंग सुनकर आनंद आ गया। वाह!
राउर, कइला कमा....रिकार्डिंग सुनकर आनंद आ गया। वाह!<br /><br />राउर, कइला कमा..ल जियरा, जुड़ाय गयल हमरो...देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-68252691368856098362012-02-10T17:41:15.332+05:302012-02-10T17:41:15.332+05:30मजा आई गवा सचहूँ में !
पहला वाला गीत भी पूरा दें त...मजा आई गवा सचहूँ में !<br />पहला वाला गीत भी पूरा दें तो और मजा आई जाएगागंगेश रावhttps://www.blogger.com/profile/10791109109633152718noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-834716470983147072012-02-10T17:40:08.741+05:302012-02-10T17:40:08.741+05:30वाह्य आवरण आत्मा की मुग्धता स्पष्ट नहीं कर पाता है...वाह्य आवरण आत्मा की मुग्धता स्पष्ट नहीं कर पाता है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-33998673764535259362012-02-10T16:49:25.573+05:302012-02-10T16:49:25.573+05:30बिहार ....बिदेसिया.....अ बिरहा ......एक ज़माना मं ...बिहार ....बिदेसिया.....अ बिरहा ......एक ज़माना मं बिहार के एही पहचान रहे. आज तेज़ रफ़्तार बाहन अ मोबाइल के कारण बिरह कुछ कम भइल बा. हम लालू के परसंसक ना हईं...पर भोजपुरी के दबंगई के साथ प्रसारित करे मं लालू के योगदान स्वीकार करतानी. हमारे ज़माना मं चाईं बाबा के रिकार्ड खूब बजत रहे ....हमहूँ उनकर कुल गाना सुनलीं. <br />आज हम रउआ के एह रूप देख के खुस बानी. भोजपुरी अ मगही लोक गीत के संकलन आ इतिहास संकलित कर सकीं त एगो महत्वपूर्ण काम होई . नेट पर ई कुल देख-सुन के बिदेस रहे बाला भोजपुरिया हिरदय के दसा के अनुमान लगाईं रउआ .....आपन माटी के खुसबू मं परान बसल बा...<br />आज रउआ भावुक कई देहलीं ....बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-32010753989444898742012-02-10T16:43:52.532+05:302012-02-10T16:43:52.532+05:30यही सही किया !यही सही किया !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-84090966862121251772012-02-10T10:30:39.021+05:302012-02-10T10:30:39.021+05:30bahut achha laga sunnabahut achha laga sunnaरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3124528716864366928.post-2854951884719463412012-02-10T08:01:57.908+05:302012-02-10T08:01:57.908+05:30गिरिजेश जी!
मूलतः मगध अंचल से आता हूँ, किन्तु ननिह...गिरिजेश जी!<br />मूलतः मगध अंचल से आता हूँ, किन्तु ननिहाल भोजपुर क्षेत्र में होने के कारण, मागधी और भोजपुरी दोनों भाषा से परिचय रहा.. बल्कि दोनों ही भाषाएँ लहू में बसी रहीं. भोजपुरी को केवल अश्लील ही नहीं गंवारों की भाषा भी समझा जाता रहा है. जब मैं दुबई में था तो वहाँ काम करने वाले मजदूर मेरे बैंक में आते थे, मगर उन्से कोई सीधे मुँह बात तक नहीं करता था. जब मेरी पोस्टिंग वहाँ हुई, तो वहाँ की भाषा ही भोजपुरी हो गई. गोड लागी से लेकर दुर् मरदे तक का तकिया कलाम धडल्ले से प्रयोग में आने लगा..<br />चंद सिक्कों के लालची तथाकथित कलाकारों के अतिरिक्त हमारे प्रमुख नेता ने इसमें कोई कसर नहीं छोड़ी.. लोग भूल गए कि प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद भी भोजपुरिया थे और जयप्रकाश नारायण भी. लोगों को याद रहा सिर्फ लालू. खैर, अच्छा लगा यह परिचय.. और यह लोक गीत तो जैसा कि मैं कहता हूँ बेसुरे कंठ का सबसे सुरीला गीत है. अपनी माटी के प्रति इसे ट्रिब्यूट मानते हुए सलाम् करता हूँ इस जज्बे को. मैंने अपने ब्लॉग की भाषा भी इसी भावना के साथ बनाए रखी है, कई लोगों के अनुरोध, विरोध के बावजूद भी!!<br />पुनः धन्यवाद!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.com