आज हमारे गाँव में जनगणना का प्रथम चक्र प्रारम्भ हुआ। नए प्रावधान के अनुसार हम 4 प्राणियों को फॉर्म 2 में प्रवेश दे सदा सदा के लिए हमारी जड़ काट दी गई। मुझे आज दुहरा दु:ख है - जड़ से कट जाने का कम और गाँव जवार में राजपूतों की संख्या में 4 की कमी का अधिक । मैंने यह पता लगाने को कहा है कि जो जनगणना करने आया था वह किस जाति का था (बहुत गहरा पेंच है इसमें, आप लोग समझ रहे होंगे)?
जाति की संख्या कम होने के बहुत नुकसान होते हैं । कलऊ में संख्याबल ही बल है। संघे शक्ति कलौयुगे -यहाँ संघ से अर्थ आर एस एस या भारत नहीं है। हमारे महाज्ञानी पुरखों ने यह भाँप लिया था कि कलऊ में संघ का अर्थ जातिगत संख्या होगा सो यह बता गए कि शक्ति का स्रोत क्या होगा ! अब यह हमलोगों की बेवकूफी कि सदियों की ग़ुलामी और तिरसठ सालों की आ-जा-दी के कारण उनकी सीख के मर्म को भूलने लगे थे। संघी लोगों को जनता की इस भुलक्कड़ी पर बहुत मलाल था। पंचायतें कर कर जवान जवानियों को लटकाने, झोपड़ी फूँकने, जिन्दा जलाने, नंगे दौड़ाने आदि आदि के बाद भी जनता को अपना बल याद नहीं रह पा रहा था सो बिचारे बहुत दु:खी थे कि जनगणना का साल आ गया ! कहीं किसी संघी को सूझा और वह चिल्लाया - "पौ बारह" ... शुरू हुई जाति आधारित जनगणना । संघी लोग बहौत खुश हैं। अब यह उल्लू की दुम सरीखी जनता कभी जाति भूल नहीं पाएगी। पता नहीं जो कारड बन रहा है उसमें जाति का कॉलम होगा कि नहीं ? गिरिजेश राव राजपूत, सतीश यादव अहिर, सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी ब्राह्मण (बहुत बड़ा हो गया लेकिन दक्खिनी नामों से छोटा ही है) - कितना क्यूट लगेगा ! हम अपनी परम्परा को भूल चले थे, अब याद रहेगी हमेशा - वो ही परम्परा, समृद्ध सांस्कृतिक परम्परा।
तो आज मुझे सूझा कि क्यों न ब्लॉगरों की भी जाति आधारित गणना की जाय ? अब सबसे पूछना ठीक नहीं (मुई अभी तक इस मामले में सीखी गई शरम नहीं गई जब कि मास्साब लोग गली मोहल्ले एकदम बेहिचक पूछे जा रहे हैं - का हो ज्ञान चचा ! तोहार जात का है?) । इसलिए अनुमान के आधार पर सूची लगा रहे हैं। जिन्हें आपत्ति हो वे अपनी आपत्ति टिप्पणियों के माध्यम से दर्ज करा सकते हैं। उनकी जाति 'बदल' मेरा मतलब 'सही' कर दी जाएगी । जो लोग अपने को किसी जाति का नहीं मानते वे लोग यह बता सकते हैं कि वे क्या लिखाना चाहेंगे लेकिन 'जाति' होनी ज़रूर चाहिए। कॉलम खाली मत छोड़ना सुद्धन ! जिनके नाम छूट गए हैं वे अपना नाम दर्ज करा सकते हैं। हिन्दू धर्म के अलावा अन्य धर्मों के लोगों का भी आह्वान है, अपनी जाति अवश्य लिखाएँ। तो शुरू करते हैं :
नाम | जाति |
सिद्धार्थ | ब्राह्मण |
सतीश | यादव |
अरविन्द | ब्राह्मण |
स्वप्न मं | ब्राह्मण |
अभय | ब्राह्मण |
अनुराग | |
राजीव | ब्राह्मण |
अभिषेक | ब्राह्मण |
वाणी | ब्राह्मण |
मनोज | ब्राह्मण |
शास्त्री | ब्राह्मण |
पंकज | ब्राह्मण |
पंकज | ब्राह्मण |
पूजा | ब्राह्मण |
प्रवीण | ब्राह्मण |
प्रवीण | ब्राह्मण |
दिनेश | ब्राह्मण |
मीनू | कायस्थ |
अनूप | ब्राह्मण |
अशोक | ब्राह्मण |
रचना | ब्राह्मण |
संजीव | ब्राह्मण |
रवीन्द्र | कायस्थ |
पंकज | ब्राह्मण |
राज | राजपूत |
अमरेन्द्र | ब्राह्मण (फोन द्वारा नाम ग़ायब रहने की शिकायत के बाद प्रविष्टि की गई। क्षमा प्रभु! ) |
महफूज | राजपूती पठान ((टिप्पणी के बाद जोड़ा गया। अर्ज किया है,"लागी छूटे ना sss") |
सतीश | कायस्थ |
दिव्या (टिप्पणीकार) | गर्वीली भारतीय ( Proud Indian) - जिस तरह से ब्राह्मण, राजपूत, पठान आदि कई प्रकार के होते हैं वैसे ही भारतीय कई प्रकार के होते हैं जिनमें 'गर्वीला/ली' भी एक प्रकार है। |
समीर लाल | कायस्थ (टिप्पणी में अनुरोधात्मक आदेश के बाद जोड़ा गया। अनजाने में छूट गया था। अन्यथा न लेते हुए कृपा दृष्टि बनाए रखें।) |
अली सैय्यद | नामालूम |
प्रशान्त | पता नहीं |
प्रवीण | गर्वीला विशुद्ध भारतीय शू्द्र (इत्ता बड़ा जाति नाम पहली बार देखे हैं) |
फ़िरदौस | आदम |
डी. के. | ब्राह्मत्व |
पंकज | ई |
अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए और यादवों, कायस्थों आदि का इतना कम प्रतिनिधित्त्व देखते हुए मैं जयचन्दी इस्टाइल में इन जातियों के लिए ब्लॉग जगत में आरक्षण का प्रस्ताव रखता हूँ। साथ ही ये प्रस्ताव भी रखता हूँ:
(1) ब्राह्मणों ने इस मुफ्त सुविधा को हड़प लिया है। लिहाजा यह तय पाया जाय कि ब्राह्मण ब्लॉगरों को प्रतिदिन कुल पोस्ट संख्या की 10% से अधिक पोस्ट संख्या की अनुमति न दी जाय। इस संख्या में भी सरयूपारीण, कान्यकुब्ज, मैथिल, नम्बूदरी, गौड़ीय आदि की संख्या के हिसाब से आंतरिक आरक्षण तय किया जाय।
(2) टिप्पणियों की संख्या में भी यही सिस्टम लागू किया जाय। ब्राह्मण ब्लॉगरों के लिए यह आवश्यक कर दिया जाय कि 9 ग़ैरजातीय ब्लॉगों पर टिप्पणी करने के बाद ही सजातीय ब्लॉग पर टिप्पणी कर सकें।
(3) जाति आधारित ब्लॉग संघ बनाए जाँय - राजपूत चिट्ठाकार संघटन, कान्यकुब्ज ब्राह्मण ब्लॉगर महासभा, श्रीवास्तव कायस्थ ब्लॉग असोसिएशन । ब्लॉगस्पॉट पर इस तरह के पंजीकृत संघटनों को स्पेस आवंटन उनकी जाति संख्या के व्युत्क्रमानुपाती हो ताकि कम प्रतिनिधित्त्व वाली जातियाँ आगे आ सकें।
(4) ब्लॉगवाणी पर पसन्द/नापसन्द के लिए हर व्यक्ति को पहले अपनी जाति बतानी होगी। उसके बाद यदि वह किसी सजातीय पर एक पसन्द का चटका लगाता है तो किसी विजातीय ब्लॉग पर स्वचालित प्रक्रिया से दो नापसन्दगी का चटका लग जाएहा। यदि कोई किसी विजातीय को पसन्द करता है तो उसकी ब्लॉग पोस्ट पर दो नापसन्दगी का चटका लगेगा। यदि कोई किसी विजातीय पर नापसन्द का चटका लगाता है तो उसके सजातीय किसी अन्य ब्लॉग पर स्वचालित प्रक्रिया के तहत दो पसन्द का चटका लग जाएगा...
ब्लॉग प्लेटफॉर्म की इस छोटी सी जगह में जाति आधारित गणना करते दिमाग इतनी खुराफातें सोच बैठा। जब लोगों के पास अरबों का डाटा बेस हो जाएगा तो क्या कुछ नहीं सोचा जा सकता !
इस देश को चला रहे और उनकी सरपरस्ती में चल रहे बन्दरों के हाथ एक बहुत घातक उस्तरा लगने वाला है। आस्तिकों से निवेदन है कि अपने भगवान से इस देश की पहले से ही बहुत गहरी खुद चुकी जड़ों के लिए दुआ करें। नास्तिकों से अपील है कि जन को शिक्षित करें। सवर्णों से अपील है कि यह सुनिश्चित करें कि उनकी संख्या अधिक से अधिक लिखाई जाय। ज़रूरत पड़े तो तफरीह करते बंगलादेशियों की मदद लें। अवर्णों से अपील है कि जाति आधारित जनगणना के विरोधियों को भरे चौराहे पकड़ पकड़ पीटें । ... हद है ऐब्सर्डिटी की !
राजपूत चिठ्ठाकार महासभा जिन्दाबाद जिन्दाबाद
जवाब देंहटाएंअच्छा व्यग्य है....लेकिन यह जातिगत जनगणना देश को और भी बड़ी मुसीबत मे डाल देगी....पता नही सरकार क्या सोच कर यह सब करवा रही है....सिर्फ जनगणना होती तो कुछ समझ भी आता...
जवाब देंहटाएंहमारी सनातन परंपरा में राजपूतों को राजपद का अधिकारी माना गया है इसलिए सभी ब्राह्मणों से अनुरोध है कि ज्ञानवान राजा के प्रस्तावों के गुणवगुण पर चर्चा कर गिरिजेश जी के सभी प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित करें.
जवाब देंहटाएंप्रस्ताव संख्या एक में सरयूपारीण के लिए जो पोस्ट संख्या तय की जायेगी वह मुझे लौटली मेल से बतलाने की कृपा करें. टिप्पणी की संख्या संबंधी अनिवार्यता कुछ शिथिल की जानी चाहिए क्योंकि हम दिन में औसतन एक-दो ही टिप्पणी कर पाते हैं. प्रस्ताव संख्या तीन के संबंध में हम अपना मत बहस तक सुरक्षित रखते हैं. प्रस्ताव संख्या चार के संबंध में लेख है कि मैथिल जी से विचार विमर्श के बाद इसे पारित कर दिया जाये.
जब डाटाबेस तैयार हो जाए तो हीरामन जी से बोलकर सूची प्रकाशित कर दी जावे ताकि दावा आपत्ति के लिए समय दिया जा सके.
शेष शुभ.
Very funny!
जवाब देंहटाएंसंघे शक्ति कलौयुगे
संघम शरणम...
स्वप्न मंजषा
वर्तनी अलर्ट
ब्लॉग मतलब बवाल। ब्राह्मण बहुत बवालकारी होते हैं। छोटे से इस डाटाबेस से सिद्ध भी हो गया।
अरे भय्या, अन्दर की बात (ओपन सीक्रेट) है, काहे पब्लिक कर रहे हो?
इस क्रांतिकारी निष्कर्ष पर अब गली गली में फैली परशुराम सभाएँ इस क्षत्रिय का गला रेतने न निकल पड़ें।
वो ज़माने (कब के) गए जब खलील खान फाख्ता उड़ाया करते थे (आजकल? नहीं बोलूंगा)अगर कीड़ा काटने पर कर्ण हिल जाता तो परशुराम बाबा जग जाते और उसकी मरहम पट्टी करते मगर उस नादान ने बिना हिले खून (अपवित्र) उन पर गिरने दिया, उस मूर्खता पर क्रोध आया था. बेफिक्र रहो ब्राह्मण अभी भी क्रान्ति और रक्तपात से तब तक दूर रहते हैं जब तक चर्बी का कारतूस दांत से काटने को मजबूर न किये जाएँ (दुःख की बात है मगर करम की गति न्यारी)
'सही' कर दी जाएगी...
इस द्विज का जन्मगत वर्ण ब्राह्मण है मगर जाति तो देव है - ठीक कर दीजिये आर्यश्रेष्ठ!
सरयूपारीण, कान्यकुब्ज, मैथिली, नम्बूदरी, गौड़ीय आदि की संख्या के हिसाब से आंतरिक आरक्षण...
सांख्यधारियों (संखधार, शकधर, और पौलत्स्य आदि) और सनाढ्यों का क्या होगा?
आस्तिकों से निवेदन ... नास्तिकों से अपील...
बारूदी सुरंग वाले उन धर्म-हंताओं के बारे में क्या जो आस्तिकों-नास्तिकों-विचारकों सबके दुश्मन हैं ?
घोर संकट है जी..। सोचिए नहीं पा रहे हैं कि अपने को हम का समझें? ब्राह्मण तो बड़ा बदनाम होने वाला है ऐसे तो जी...। उधर अरविन्द जी ने ब्राह्मण का अर्थ ही बड़ा गरिष्ट बता दिया है। कोई पैथालॉजी सेन्टर खोलकर इसकी सटीक टेस्टिंग की व्यवस्था की जाय।
जवाब देंहटाएंफिलहाल तो मेरी यही मांग है।
हम किसमें जाएँ?.... धर्म से तो हम ख़ुद को मुसलमान कहते हैं.... ज़ात से हम राजपूती पठान हूँ... फिर भी इसको नोट कर ही लीजिये.... बड़ा खराब लगता है.... धर्म और जाति लिखना.... ऐसा लगता है कि सारी पढाई लिखाई पर गोबर फेर दिया ..... जात-पात .....धर्म कर्म ....यह सब जाहिलों का काम है ना.... हम तो बेतिया-हाता के चमरौटी में भी खाना खाए हैं.... वैसे अगर ...अखिल भारतीय क्षत्रिय ब्लोग्गर महासंघ बनायेंगे तो हमको भी डाल दीजियेगा... उमें.... हमरा राष्ट्रवाद बहुते डिफरेंट किस्म का है.... का बताएं अब आपको....
जवाब देंहटाएंमेरी बात = महफूज जी से सहमत हो रहा हूँ !
जवाब देंहटाएंक्यों ? , यह मैं नहीं बताउंगा ! आप समझ रहे होंगे !
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'राजपूत' से लिस्ट की शुरुआत करके आपने गौतम बुद्ध के सपने को
जैसे साकार करने की ब्लागीय चहल-पहल-चुहल की हो ! - :)
सतीश से सतीश सक्सेना जी का भी भ्रम हो रहा है ! उन्हें कायस्थ कोटि में
डाला जा सकता है , कायस्थों की कम संख्या से सहानुभूति हो रही है | - :)
सक्सेना = कायस्थ , सन्दर्भ ; आपकी ही एक पोस्ट की एक टीप से ---
'' The 12 offsprings of lord Chitragupta are-- Srivastava, Mathur, Sinha, Khare,
Dusre, Ashthana, Nigam, Saxena, Prasaad, Johri... (Kindly google).''
===========
अभी पुनः आना होता रहेगा !
@
जवाब देंहटाएंबारूदी सुरंग वाले उन धर्म-हंताओं के बारे में क्या जो आस्तिकों-नास्तिकों-विचारकों सबके दुश्मन हैं ?
- वह बौत जटिल बैग्य़ानिक बिशै है। इसके लिए मरकस बाबा (अली जी कहीं दिख नहीं रहे इसलिए छूट ले लेते हैं नहीं तो मार्क्स कहते) का छिद्रांवेषण :) चल रहा है।
@ अमरेन्द्र जी,
इसे कहते हैं बवाल काटना। पहले महफुजवा की टिप्पणी से लुतुही लगाना और फिर गौतम बाबा की बात कर पलीता लगाना! दोहाई महराज! हम अपना नाम नीचे किए देते हैं। हम तो सोचे कि पहला घन अपने उपर ही गिरे इसलिए उपर रखे थे ( हम वीर बलिदानी गर्वीले क्षत्रियों की संतान हैं विप्रश्रेष्ठ! राष्ट्र(ब्लॉगजगत)की रक्षा के लिए हमारा सिर सर्वदा आगे रहेगा)। अब आप सिर काटने के बजाय बवाल काटने पर उतारू हैं तो यह दीन क्या करे!
... पँचनद से लेकर कन्याकुमारी तक, लाट देश से कामाख्या तक गौतम बाबा पददलितों के जीवनधन बने हुए हैं आर्य!
हम आप की शरण में हैं। हमें धर्म और नीति का श्रेष्ठ मार्ग बताएँ देव !...
व्यंग तो अच्छा है ...लेकिन कुछ ठीक नहीं लगा ...
जवाब देंहटाएंऔर जैसा नंबर दिख रहा है उससे तो यही बुझा रहा है कि ....ब्लॉग जगत में सारा कूड़ा सवर्ण लोग ही फैला रहे हैं ???
ही ही ही ही ही ही ही ही............ महफुजवा........ हा हा हा हा हा हा ....... हमनी के अईसन लागल ..... जईसन कि गोरख्पुरवे....बाटीं .....हमनी के..... सज्जी जने.... हमनी के इहे नमवे से बुलावे ला..... ओईए जा...... माजा आ गईल....
जवाब देंहटाएंजय गोरखपुर....
जय कुसिनगर....
जय हाटा, कसया...पडरौना.....
ही ही ही ही ही ही .....
अब चलत हईं....सुते .... रतिया ...गहरा गईल..... सबेरवा ...जल्दी निकले के बा.... पांचे बजे.... कल्हियां फिर मुलाक़ात होईं....रतिया में....
जवाब देंहटाएंबाय बाय
टेक केयर ...
महफुजवा की टिप्पणी से हमहूँ लुतुही लगा रहे हैं ...
जवाब देंहटाएंक्षत्रिय पुत्र,
आपके सर कटाने की अदा पर बलिहारी जाऊं....आपका यह बलिदान खाली नहीं जाएगा...
नोह कटवाने से काम चली ..तो बलिदान करे वास्ते हमहूँ तैयार बानी.....
मेहरारू लोगन के नोह बलिदान भी महा बलिदान होई ...
@ राव साहब ,
जवाब देंहटाएं@ '' ..... इस क्रांतिकारी निष्कर्ष पर अब गली गली में फैली परशुराम सभाएँ इस क्षत्रिय का गला रेतने न निकल पड़ें । ''
------ हमैं तौ कौनौ परसुराम सभा नहीं दिखी अबै तक बिलागी दुनिया मा !
आपका जानकारी हुवे तो हमहू का बताओ ना साहिब !
अलबत्ता , एक स्वघोषित कलजुगी परशुराम हैं जो शब्द-परशु ( ? ) को उठाये जहां - तहां दिख जाते हैं नारी - वध और बाल - वध करते हुए ! पर उनके यहाँ तो आप 'पयलग्गी स्वीकारें' ठोंक आये हैं !सो आप निष्कंटक रहें ! :)[इस्माइली]
गौतम बाबा को लेकर आप इतने हलकान हैं तो बात समझ में आती है ! आपकी बात पर बस इतना कहूंगा कि दलितों के एक बड़े बौद्धिक वर्ग ने भी यह स-तर्क होकर मानना शुरू कर दिया है कि हमारे लिए बौद्ध नहीं आजीवक अनुकरणीय-धारणीय-सम्माननीय हैं | अब वे बुद्ध को मानें या मंखलीगोशाल को ? वैसे मामले को लाईट ही चलने दीजिये , बड़ा पेंच है ! :)
@ हम आप की शरण में हैं। हमें धर्म और नीति का श्रेष्ठ मार्ग बताएँ देव !...
------- अरे भैया , हम छुद्दुर जीव हैं और हम तो सरजूपारी हैं , जो देव हों वो आयें धर्म और नीति का मार्ग दिखाने ! :)
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@ महफूज भाई ,
अरे महराज आप भाषा के मोह में 'कंटेंट' से अपना ध्यान भटकाने लगे हैं ! आखिर काहे मोस्कुलर पठान ? :)
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@ अदा जी ,
अवधी मा यक बुझौहल है ---
'' बीसन कै सिर काटि लिहेन | ना मारेन ना खून किहेन '' नोह = नाखून = ना+खून | शब्दों से की जाने वाली कत्ल बिना खून ( नाखून ) वाली ही होती है | ब्लॉग जगत भी इसका एक उम्दा उदाहरण है ! क्यों न यहाँ भी इस्माइली लगा दूँ ! :)
बहुते जरुरी था इ जनगणना ...साफ़ हो गया ना कि बवाल कौन करता है ...पलीता कौन लगाता है ...अब जो बहुसंख्यक हैं उन पर लगाम कसना आसान रहेगा ...
जवाब देंहटाएंजनगणना वाले कॉलम में एक केटेगरी इंसानों की भी है या नहीं ...जाति इंसान , धर्म इंसान ...
छुटपन में कभी जाति के बारे में नहीं सोचे थे कट्टर जातिवादी परिवार में जन्म लेने के बावजूद सारी सहेलियां गैर जाति की ही रही ...मगर आजकल बच्चे किसी भी नाम को सुनकर पहले जाति पूछते है और इसके लिए उनके पास मजबूत कारण हैं ......शिक्षा ने जाति-धर्म -प्रांतीय-भाषाई विवाद कम करने में सहायता की है (????)
शानदार व्यंग्य ...मगर फायदा क्या है ...लिखते रहे आप ...सरकार तो जनगणना करवा के रहेगी जातिवार ...!!
@ अमरेन्द्र
जवाब देंहटाएंजी
इस ऐब्सर्ड संसार में वास्तविक और आभासी की सीमाएँ गड्डमगड्ड हैं। आप चाहें तो हम दोनों क्रमश: राजपूत चिट्ठाकार महासभा और परशुराम सभा के प्रारूप पर काम प्रारम्भ करें :)
@ 'नारी - वध' और 'बाल - वध' - ऐसा तो मुझे कभी नहीं लगा। 'हमहूँ मुक्तिबोध' टाइप के शोर में अभिव्यक्ति के छूट गए और उपेक्षित क्षेत्रों पर शब्दकारी करना उत्तम कर्म है।
@ कोई पैथालॉजी सेन्टर खोलकर इसकी सटीक टेस्टिंग की व्यवस्था की जाय।
यह रोग नहीं हमारी रगों में दौड़ता शाश्वत कीड़ा है जिसका कोई इलाज नहीं। गौतम, दयानन्द, विवेकानन्द, ईश्वरचन्द... और जाने कितने सपूत कोशिश कर हार गए। जाति व्यवस्था हमारी प्राण है जी - हम भले मिट जायँ यह नहीं मिटने वाली।
@ नाखून बलिदान की अदा सोहा गई। :)
हम तो अपना सिर नीचे सरका दिए हैं। अब चचा फरंट पर हैं। सोच रहा हूँ कि पहली लाइन खाली ही रख दूँ। :)
और जिनके माता पिता सजातीय नहीं है ...वे क्या लिखेंगे ...जाति - कंफ्यूज्ड (एक महान ब्लॉगर से उधार लिया शब्द )
जवाब देंहटाएंई लुक्की कब लगी ....? मामला शीशे सा साफ़ है ! सारी खुराफात की जड़ यही जन्मना बरहमन लोग ही हैं ...सारे विवादों के पीछे बस यही हैं ......हर जगह कब्जियाये हुए हैं ..आपके कुछ सुझाव बहुत माकूल हैं -गैर ब्लॉगर बरहमन लोगन को टिप्पणी आरक्षण मिलना ही चाहिए ...कितना अच्छा लिख भी तो रहे हैं बिचारे ....
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएंName- Divya
Gender- Female
Caste- A Proud Indian !
Jo bhi pyar se mila , hum ussi ke ho liye. !
यहा भी मनुवादी ब्राह्मण पहुन्च कर कब्जा जमा लिये है अभी बहन जी को बताता हू कि कुछ कोअर्डिनेटरो को लगाये कही यह सतीश मिश्रा की चाल तो नही है तकि यहा भी भाई चारा सम्मेलन करा कर अपनी नेतागिरी चमकाई जाय मुझे तो यह गणनाकार की नियत पर ही सन्देह है ओ बी सी का कोई ब्लागर नही मिला और पन्डितो की गणना शुरू मे ही हो गैइ अच्छा लफ़डा छेड दिया पहले ही पन्डितो का पलडा भारी कर दिया यह से भी भगाने का इरादा है आखिर जाति दिखा दी आपने
जवाब देंहटाएंसराहनीय प्रयास है गणना मे काट्म्कूट अच्छी बात नही है उससे सन्देह होता है
@ अरुण जी
जवाब देंहटाएंआप 'सर्वजन' महाप्रयोग शास्त्र की बात कर रहे हैं। बन्दा इस नवीन विषय में अज्ञानी है।
ओबीसी गणना का काम तो आप को सौंपा गया था! इतने दिनों तक ग़ायब रहे और अब अपना काम दूसरों के मथ्थे मढ़ने की कोशिश ! नहीं चलेगी।
कृपया ओबीसी ब्लॉगरों की सूची अविलम्ब प्रस्तुत करें।
.....
टेबल में काट पीट तो इस ऐब्सर्ड व्यवस्था की एक छोटी सी झाँकी भर है आर्य ! समझिए।
समीर लाल-कायस्थ,,, जरा जोड़ लो,...फिर पढ़ते हैं आगे. :)
जवाब देंहटाएंपोस्ट पढ़ते ही...भकुवाये हुए घूम रहे है अपनी 'जात' ढूंढते...सत्तू वगैरह बंधवा लिया गया है ! लैपटाप भी साथ धर लिया है ताकि टाइम टू टाइम आपकी पोस्ट का अपडेट ले पायें क्या पता आपई ना चिपकवा दो कोई 'जात' हमारे नाम के साथ ! अब आपसे क्या छुपायें , बड़ी दिक्कत है आम आदमी होने से ससुरा इतिहास भी मिलाये नहीं मिल रहा ! हमारे लिये प्रार्थना कीजिएगा कि हम सफल होके लौटें फिलहाल हमारे सुर को सहारा दीजियेगा ...
जवाब देंहटाएं"जाने जां ढूंढता फिर रहा हूँ तुझे रात दिन तू कहां ssssss"
देखिये आप मित्र हैं कम से कम इतना तो फेवर कीजियेगा...लिखिये- नाम : अली सैय्यद / जाति : नामालूम / उम्र : काम के लायक :) / काम : चाकरी / पता : जगदलपुर , छत्तीसगढ़ , भारत !
वो क्या है कि लिस्ट में नाम नहीं होने से पास पड़ोस में बड़ी थू थू हो रही है ! आगे हाल ये है कि जानकारियां मिलते ही संपादनार्थ सूचित किया जाएगा !
PD!! पूरा नाम प्रशान्त प्रियदर्शी.. पता नहीं साला(अगर किसी को आपत्ति हो इस गाली से तो इसे बीप कि आवाज के साथ पढ़ें) कौन जाती का है.. हमको तो इसके धर्म को लेकर भी शंका है..
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएं@ गिरिजेश जी ,
जवाब देंहटाएं@ ...हम दोनों क्रमश: राजपूत चिट्ठाकार महासभा और परशुराम सभा के प्रारूप पर काम प्रारम्भ करें
------- इच्छा तो है अपुन की भी पर बाभनन का कौन भरोसा , कहते हैं न , --- '' बाभन कूकुर हाथी / जाति के नाहीं साथी | '' सो आप के साथ चलाये 'प्रिजेक्ट' में हम तो औंधे मुंह गिर पड़ेंगे | पर राजपूतों के बारे में हमारे एक प्रिय बिहारी मित्र कहते हैं कि अगर पाकिस्तान अपना राष्ट्राध्यक्ष एक राजपूत को बनाने का फैसला कर ले तो भारत के सारे राजपूत कहने लगेंगे - ' भारत पाक सहोदर भाई / राजपूत पै मोहर लगाई ' ! अतः हे क्षात्र-बाहो , आप चालू रहें ! अपन तो ख़तम हो लिए पंडित ! - :)
@ ... यह रोग नहीं हमारी रगों में दौड़ता शाश्वत कीड़ा है जिसका कोई इलाज नहीं
क्या करेंगे , इकबाल साहब फरमा गए हैं न , 'कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी ' ! यहाँ क्रिस्तानी और मुस्लिम आये वो भी जाति के खांचे में बंट गए ! इधर जातिवाद का नया आधुनिक-राजनीतिक-उन्नयन आँख में उंगली डाल-डाल कर बहुत कुछ दिखा रहा है ! जातिवाद को मिटाने के प्रतिक्रियावादी-अवसरवादी तरीके शायद एक बड़ी दिक्कत बन रहे हैं ! क्षात्र-साधो , 'करमन की गति न्यारी ' ! - :)
और आपको ( या किसी को भी ) क्या लगता है कि '' गर्वीली/ला भारतीय ( Proud Indian) '' जाति के खांचे में नहीं फिट होगा !/? कल ही एक चटकीली/ला भारतीय आ जाय तो ! वैसे भी वर्ण-व्यवस्था से अलग क्या जाति 'एग्जिस्ट' नहीं करेगी ? जाति का बाह्याचार इसमें भी व्यापेगा ! प्रिय चिन्तक हजारी प्रसाद द्विवेदी का एक वाक्य रखना चाहता हूँ -'भारत में छोटी से छोटी जाति भी अपने से छोटी एक जाति बना लेती है |' आप चाहें तो शुरुआती 'छोटी से छोटी जाति' की जगह 'कोई भी जाति ' भी कह लें ! तुलनात्मक क्षुद्र आत्म-गौरव में जीना तो जैसे इस भूभाग का ईश्वर प्रदत्त आशीर्वाद हो !
मौत के पहले तक तो जाने क्या-क्या देखना है , हम सब बड़े हसीन संक्रमण के
सोपान पर है , जहां देखना ही देखना है ---
'' गो हाथ को जुम्बिश नहीं आँखों में तो दम है
रहने दो अभी सागर-ओ-मीना मेरे आगे। '' [ चचा ग़ालिब ]
अब तो चल रहा हूँ दर्शक दीर्घा में ही ! वैसे भी बहुत बक चुका ! आभार !
पिज्जा का मज़ा तब आता है जब पूरा का खाया जाये । अलग अलग खाईयेगा तो मजा नहीं पाईयेगा ।
जवाब देंहटाएंgre8
जवाब देंहटाएंवाह रे जनगणना !
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएं.
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नाम : प्रवीण शाह
काम : चाकरी (सेवा)
जाति : गर्वीला विशुद्ध भारतीय शू्द्र,
(शुक्र है खाता तो खुला)
आदरणीय गिरिजेश राव जी,
अच्छा व्यंग्य, पर कहीं न कहीं हकीकत को झुठलाता हुआ भी...चाहे-अनचाहे जातिवाद आज की एक ठोस हकीकत बन चुका है...हो जाने दीजिये यह गणना... कईयों की नेतागिरी/प्रभुता खत्म हो जायेगी इस से...
वैसे आदरणीय अरविन्द मिश्र जी की यह पोस्ट भी जाति को एक सर्वथा नया विस्तार सा दे रही है।
आभार!
वाह रे जनगणना,अच्छा व्यग्य है....!
जवाब देंहटाएं:>)}
जवाब देंहटाएंहा हा हा...
जवाब देंहटाएंव्यंग्य तो अच्छा है... लेकिन ध्यान रहे कहीं लोग इसे ही वोटर लिस्ट न मान बैठें...
कहीं ज़लज़ले की नज़र न पड़ जाए... सुना है ज़लज़ला आने वाला है...
नाम : फ़िरदौस ख़ान
जाति : जो 'आदम' की थी...
का यार गिरिजेश,
जवाब देंहटाएंएकदम्मै लकदक पोस्ट है...अब इस पर यार लोग बूझें जिसको जो बूझना है :)
वैसे कभी इस नजरिए से ब्लॉगिंग को नहीं देखा था , बाकि बात तो पते की कहे हो कि ब्राह्मण लिस्ट लंबी है :)
..हम अभी घोषित अवकाश पर हैं :-)
जवाब देंहटाएंभाई हम लोगों को किसलिए भूल गये...अजी देवत्व या ब्रह्मत्व न सही लेकिन थोडा बहुत ब्राह्मत्व तो हम भी रखते हैं :-)
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंप्रणाम!
जवाब देंहटाएंभारत की जनगणना में नियुक्त प्रगणकों को बहुत ही रोचक अनुभव प्राप्त हो रहे हैं............
खास तौर पर हमारा बुद्धिजीवी वर्ग!
तरस आता है ...........
खैर फिर बताते हैं आपको
अभी तो एक ही प्रश्न है कि आप अनुसूचित जाति/जनजाति से हैं या नहीं? आगे का पता नहीं
अभी तो यह प्रश्न पूछना बहुत ही भारी पड रहा है ..........
ह्म्म! हमें भी आज पहली बार एहसास हो रहा है कि ब्लोगजगत में ब्राह्मणों की संख्या शायद ज्यादा है। शायद इस लिए क्युं कि ये जनगणना पूरी नहीं। अगर हमारा नाम जोड़ा जाए इस लिस्ट में तो हमें विशुद्ध भारतीय बताया जाए। बिल्कुल ऐसा लग रहा है इस पोस्ट को पढ़ के जैसा तब लगा था जब वी पी सिंह ने मंडल कमीशन लागू करने का आगाज किया था। जो जाति की तरफ़ कभी देखते भी न थे वो भी उस चश्मे को चढ़ाने के लिए मजबूर हो गये।
जवाब देंहटाएंआभासी दुनियां में तो हमारी जाति "ई" है.
जवाब देंहटाएं@ अली जी,
जवाब देंहटाएंकुछ दिन व्यस्त था। क्षमाप्रार्थी हूँ कि आप की अच्छी थू थू हो गई। खैर देर से ही सही, नाम लिस्ट में डाल दिया है।
@ PD
भाई हम साम्प्रदायिक नहीं है सो धरम की बात नहीं छेड़ेंगे।
@ अमरेन्द्र जी,
आप के बिहारी मित्र की बात पढ़ने मात्र से ज्ञान वर्धन भया। मिलने पर तो सछात बोधुआ हो जाएँगे। हजारी प्रसाद जी की इस प्रसिद्ध बात से लोगों को अवगत कराने के लिए धन्यवाद। जाति व्यवस्था का कोर यही है।
@ प्रवीण जी,
भइ अभी तो इस पोस्ट को पढ़ने के बाद महारानी के महासामंत ने मामला अमात्यों की एक टुकड़ी को सौंप दिया है। अब देखिए क्या निर्णय होता है ! आप भी उस्तरे के समर्थक हैं !
हमने ना तो इतने दिनों तक कोई टिपण्णी की ना ही कोई पोस्ट, आपके फार्मूले के हिसाब से आगे टिपण्णी-ओपणी करनी चाहिए की नहीं ? :)
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