देखो! यह चूहा मर चुका है। इससे डरना मूर्खता है।
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कॉकरोच मटर की फली के कीड़े जैसा ही जीव है। यूँ हाय तौबा मचाने और भागने की आवश्यकता नहीं। फर्निचर से चोट लग सकती है।
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जल्दी में था। भीगा तौलिया बिस्तर पर रख दिया तो कौन सा पाप कर दिया? मैचिंग कलर के लिये बीस दुकानों पर तुम्हारे साथ घूमते मैं कभी झुँझलाया?
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जब मैं लिखता हूँ या मयूजिक सुनता हूँ तो सवाल पूछने पर ऊ हूँ टाइप ही जवाब दे सकता हूँ, समझ जाना चाहिये। मुँह फुला कर चल देने का क्या तुक? मैं मल्टी टास्कर नहीं हूँ बाबा कि एक साथ सब्जी, दाल, भात और कढ़ी पका सकूँ और बीच बीच में सीरियल में साड़ियों का चलन भी दिमाग में बिठा सकूँ। यकीन नहीं होता तो सीरियल राइटर से ही पूछ लो। वह भी बीवी से ऐसे ही त्रस्त होता होगा।
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देखो! फिल्म में कुछ अटपटा लगेगा तो मैं कमेंट करूँगा ही। जहाँ अच्छा होता है, वहाँ तो मैं भी चुप देखता हूँ।
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टी वी पर एक साथ तीन फिल्में मैं देख सकता हूँ। यह मेरा मल्टीटास्किंग है। तुम्हें न पसन्द हो तो वो दूसरा टी वी है ना!
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दोनों डार्क कलर तो थे – एक उसमें का तो दूसरा इसमें का। अब डार्क ब्लू और लाइट ब्लैक का अंतर नहीं दिखा तो कौन सा पहाड़ टूट पड़ा? किसी ने तो पैंट की मोहरी उठा कर नहीं देखा! रंग के ऐसे बारीक फर्क तुम्हें ही दिखते हैं। उफ्फ!
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सिर के पके बाल उखाड़ो नहीं, कैंची से कुतर दिया करो दो तीन दिन पर। मुझे कलर सलर नहीं करना।
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तुम भी खर्राटे लेती हो। कहो तो रिकॉर्ड कर सुना दूँ।
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ऐसे नहीं। एक महीने तुम सब्जी लाओ और एक महीने मैं। खर्च बराबर न हुआ तो कहना। मोल तोल करना तुम्हारी हॉबी है, सीधे क्यों नहीं कह देती? कम से कम टाइम खोटा करने का दुख तो नहीं होगा।
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मोबाइल में डाटा फ्री है। फोन नहीं लगता तो यह नेटवर्क का दोष है। मैं हमेशा इंटरनेट पर नहीं जमा रहता यार! ऑफिस में ढेरों काम हैं जिनके लिये मुझे सेलरी मिलती है।
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देखो वह बस एक कुलीग भर है। उसका हसबेंड मुझसे बहुत स्मार्ट है। वे दोनों हैप्पी हैं। फोन पर हँस कर बात करने का मतलब यह नहीं कि कोई खिचड़ी पक रही है।
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वहाँ से निकलना था तो साफ साफ कह देती! कामवाली काम करके जा चुकी थी, मुझे पता था सो कह दिया।
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अरे यार! सबके बच्चे तुम्हारे बच्चों के एज ग्रुप में ही हैं। कोई उनसे इतना बड़ा नहीं कि यूँ कहने वाली बात हो। वैसे भी उमर अधिक होना कोई नवाँ अचम्भा तो नहीं! आठवीं तो तुम हो ही।
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घड़ी एकदम सही चल रही है। तुम तैयार हो रही थी।
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जो काम मुझे करना हो, बता दिया करो। मैं अनुमान लगाने में भोदूँ हूँ। नहीं होता तो तुमसे ....
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अरे मजाक किया मैंने! इतना भी नहीं समझती!
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प्रेरणा: The most eligible bachelor श्री श्री अभिषेकानन्द NY के गुगल शेयर
:)
जवाब देंहटाएंbut we are from venus - and mars is mars, venus is venus
:)
ओहो तो आपो ..इहे दुनियादारी वार्तालाप के बीच ही फ़ंसे हैं पार्थ । बहुत जोरदार आदान पिरदान चल रहा है ..चले दीजीए ।
जवाब देंहटाएंबहुत से संवाद हमारी चारदीवारी से चुराए लगते हैं!!
जवाब देंहटाएंजी बाई डिफाल्ट डाईलोग हैं ये .
हटाएंभाई साहब !
जवाब देंहटाएं"boss(एक अत्यंत ही व्य्यापक शब्द -आवश्यकतानुसार फिट कर लीजियेगा ) is always right"
इस मन्त्र अक निरंतर जप करें...
मन को अतीव शांति की अनुभूति होगी ...
आजमा के देखिये...
न मिले तो कहियेगा
सही है, बोस... :)
हटाएंये तुतनी-बुधनी और कहनी-सुननी देख लगता है कि राम-सीता जैसी आदर्शवादी जोड़ीयां बिना इन बातों के बोर हो जाती होंगी। जीवन का रस इन वाचिक-शाब्दिक उलाहनाओं में और बढ़ ही जाता है :)
जवाब देंहटाएंसमझ नहीं आता सीता-राम का समय कैसे गुजरता होगा, आपके लिए एक पोस्ट का प्रारूप है.
हटाएंयदि कॉकरोच या चूहा पडोसी के घर में पड़ा मिले तो !
जवाब देंहटाएंटी वी पर एक साथ तीन फ़िल्में ...दिख रहा है ,फिल्म नहीं देखनी है !
सुबह सवेरे के लिए इतना काफी है !
समझदार को इशारा काफी.
हटाएं:) ☺
जवाब देंहटाएंकार्टून - आपके द्वारा बनाया हुआ लगाना था... चलो फिर सही.
हटाएंलेख पसंद आया, उससे ज्यादा कार्टून और सबसे ज्यादा fine print!
जवाब देंहटाएंफाईन प्रिंट ??
हटाएंमस्त !!.... कार्टून का तो जवाब नहीं :)
जवाब देंहटाएंहाँ वो तो है ही -चित भी मेरी और पट भी!
जवाब देंहटाएंचित और पट - जी नहीं उनका सिक्का शोले के अमिताभ वाला सिक्का होता है...
हटाएंaaj kal ki viyatha katha .....
जवाब देंहटाएंjai baba banaras....
कितने लोगों का सुकून तैयार कर दिया ... हाहाहा
जवाब देंहटाएंहमारा तो खासकर ...
हटाएं- इनके घर जाने से पहले दाढी क्यों बना रहे हो? उनके घर जाने से पहले तो नहीं बनाई थी?
जवाब देंहटाएं- उठने से पहले कुर्सी की सीट/सोफ़े का कवर ठीक क्यों नहीं किया?
- आने के बाद बाहर पहने हुए कपड़े बदले क्यों नहीं
- अब ये समोसे क्यों ले आये? अब स्वास्थ्य पर ध्यान देने की उम्र आ गयी है
....
और हाँ, ये अपने ही घर में इतने सहमे-सहमे क्यों रहते हो, मैं खा तो नहीं जाऊंगी!
आप जरा ज्यादा ही सहम गए, नहीं तो ये लिस्ट और लंबी होती...
हटाएंघर घर में होने वाली बातें ... कहीं पत्नी की जुबां से कहीं पति की ... पर कोई भी डाइलोग कहें से भी आ सकता है ...
जवाब देंहटाएंतैयार रहिये.
हटाएंइससे मिलते जुलते न जाने कितने संवाद बनकर भी नहीं निकल पाये...
जवाब देंहटाएं:) बढ़िया है ! :)
जवाब देंहटाएंदाम्पत्य जीवन की संजीवनी हैं ये...ये न हो तो बेरस हो जायेगा जीवन...
जवाब देंहटाएंसंजीवनी - बेरस = जीवन .
हटाएंएकता के आपके प्रयास स्तुत्य है। जीवन कल्याण भावना में आपका योगदान सराहनीय है। :)
जवाब देंहटाएंएकता ???
हटाएंमस्त पोस्ट है।
जवाब देंहटाएंप्रश्न पत्र गढ़ती रहती है
वह मुझसे लड़ती रहती है।
चीनी लाये? भूल गये क्या!
सब्जी लाये? भूल गये क्या!
आंटा चक्की से लाना था
खाली आए? भूल गये क्या!
मुख बोफोर्स बनाकर मुझपर
बम गोले जड़ती रहती है।
:)
मज़े की बात ये - इस बोफोर्स कांड की आवाज़ कहीं भी सुनाई नहीं दी .
हटाएंपहले पूछ लूँ फिर कमेन्ट करूँगा। अगर कमेन्ट कर दिया तो निश्चय ही सुनने को मिलेगा कि तुमने मेरे बारे में नेट पर भी लिख डाला! :)
जवाब देंहटाएंछूट गया था ...मतलब यह समष्टि की समस्या है :)
जवाब देंहटाएंअंत में डॉ साहेब, इस पोस्ट का लिंक आपके ब्लॉग से मिला.... आभार.
हटाएंपहले तो क्लेअर कर दें कि इस पोस्ट पर डॉ साहेब के ब्लॉग से आये हैं, कई पोस्ट - जो न पढ़ सके - उन में ये भी है. बाकि आनंद आ गया ... लगता है बाई-डिफोल्ट डाईलोग हैं ये ...
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