आज दीपावली है। कार्त्तिक मास की अमावस्या। सूर्य स्वाति नक्षत्र पर। चन्द्र भी निशा बेला में उत्सव समाप्ति तक स्वाति नक्षत्र में। स्वाति यानि सु+अति यानि बहुत अच्छी। दो सप्ताह पश्चात पूर्णिमा के दिन चन्द्र कृत्तिका राशि पर होगा इसलिये इस महीने का नाम कार्त्तिक है।
यह समय धान की फसल का है। प्राचीन काल में वृहि या शालि या धान की शस्य पवित्र और क्षुधापूरक मानी गयी। इस नये अन्न के भात से ही देवतुल्य पितरों को श्रद्धांजलि दी जाती। कृषक के लिये यह धान्य से घर भरने का समय होता, व्यापारियों के लिये धन के आगमन का और राजन्य के लिये कराधान का। वर्षा ऋतु समाप्त हो चुकी होती और आवर्द्धित विशाल सरस्वती के पवित्र तट श्रौत सत्रों, सुदूर समुद्र के अभियान पर निकलने वाली व्यापारिक नावों और खाली खेतों को पुन: तैयार करने को उद्यत कृषकों की गतिविधियों से गुंजायमान हो उठते। सरस्वती उनकी जीवन प्राण थी। यह समय हर वर्ग के लिये यज्ञ जैसा होता।
ऐसे आह्लाद के समय कवियों की मेधा ऋत अनुशासित सुखी और समृद्ध समाज की कल्पना और संरचना के सूत्र रचने लगती। उसके आह्वान को, उसके आशीर्वाद को और उससे संवाद को देखिये वैश्वामित्र मधुच्छन्दा ऋषि क्या कहते हैं! (ऋग्वेद 1.3.10-12)
पावनकारी, अन्नयुक्त और धनदात्री सरस्वती धन के साथ हमारे यज्ञ की कामना करें।
सत्य की प्रेरक, सुमतिशील जनों को चेताने वाली सरस्वती हमारे यज्ञ को ग्रहण कर चुकी है।
अगाध श्रेष्ठशब्दशाली सरस्वती बुद्धिमानों को चेतनाशील बनाती है। वही समस्त शुभ कर्मज्ञान को प्रकाशित करती है।
सत्य की प्रेरक, सुमतिशील जनों को चेताने वाली सरस्वती हमारे यज्ञ को ग्रहण कर चुकी है।
अगाध श्रेष्ठशब्दशाली सरस्वती बुद्धिमानों को चेतनाशील बनाती है। वही समस्त शुभ कर्मज्ञान को प्रकाशित करती है।
दीपावली पर्व में धन की पूजा और अमावस की रात श्रेष्ठ शब्दों वाली प्रकाशमयी विद्यादायिनी सरस्वती की उपासना के बीज वैदिक परम्परा में निहित हैं। धन धान्य का मद विद्या से अनुशासित रहे, यही उद्देश्य है।
दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ...
जवाब देंहटाएंआपको भी सपरिवार दीप-पर्व की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंबहुत सामयिक उद्बोधन !
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ !
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंवैसे हमारे यहाँ के राशि आधारित बहुत सारे कार्यकलाप वैज्ञानिक हैं.. गृह आधारित बहुत सारी बातें तो आधुनिक पढ़े लिखे भी नहीं सुलझा पाये हैं । दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर। दीपावली मनाये जाने का सबसे प्राचीन वर्णन कहाँ मिलता है?
जवाब देंहटाएंराजस्थान में मीणा जनजाति में भी दीवाली के दिन (या शायद अगले दिन ) श्राद्ध करते हैं .
जवाब देंहटाएंbest wishes to you too ... i am sorry i am late in greetings - did not see this post ...
जवाब देंहटाएं