मेरे कुकर्मों की निन्दा न करो
मेरे कुकर्म निम्नतर हैं
मेरे कुकर्म निम्नतर हैं
मेरे कुकर्म तुम्हें स्वीकार्य होने चाहिए:
उसने बलात्कार किया - तुम चुप रहे
उसने घोटाला किया - तुम चुप रहे
उसने देश को समझौते के नीचे दफन कर दिया - तुम चुप रहे
आज मेरे निम्नतर कुकर्म पर
तुम इतने प्रगल्भ क्यों हो?
तुम पक्षपाती हो
तुम उसके साथी हो
तुम्हारे मन में चोर है -
तुम्हें याद दिलाता हूँ
तुम्हारी कसौटी ।
तुम्हें दुनिया में हो रहे
हर कुकर्म , हर अत्याचार, हर घपले
से गुजरना होगा
उन पर लिखना होगा -
इसके बाद ही तुम लिख सकते हो मेरे स्याह कर्म
कराह सकते हो
मेरे कुकर्मों की तपिश से झुलसते हुए -
बेहतर है चुप रहो जैसे पहले रहे थे
तुम्हारा मौन तुम्हारा कवच है
गारंटी है
कि
तुम निरपेक्ष हो इस सापेक्ष दौर में -
बोलने पर तुम्हें सफाई देनी होगी :
उसने बलात्कार किया - तुम चुप रहे
उसने घोटाला किया - तुम चुप रहे
उसने देश को समझौते के नीचे दफन कर दिया - तुम चुप रहे
क्यों ?
.. अब देखो न तुम्हें इस 'क्यों' पर टाँग
मैंने अपनी टाँगे फैला दी हैं
एक और कुकर्म की भूमिका में -
उम्मीद है कि टँगे हुए तुम
चुप रहोगे।
well said
जवाब देंहटाएं"उम्मीद है कि टँगे हुए तुम
जवाब देंहटाएंचुप रहोगे" शानदार. मजा आ गया.
कल से इसी पर सोच रहा हूँ मैं भी. एक पोस्ट देखी थी एक 'बड़े रिपोर्टर' की और मन क्षुब्ध हो गया...
जवाब देंहटाएंकुछ भी डिफेंड करना हो तो किसी और को गाली देना चालु हो जाओ !
"सामयिक कविता रची गई आक्रामक तेवर में ..."
जवाब देंहटाएंamitraghat.blogspot.com
इस क्यों पर टंगे हुए लोग ही हैं जो हमारी वास्तविक ज़रूरतों पर भी कहते हैं " क्यों?"
जवाब देंहटाएंनवरात्र में विदेशी कवयित्रियों की कवितायें प्रतिदिन यहाँ पढ़े http://kavikokas.blogspot.com - शरद कोकास
उम्मीद है कि टँगे हुए तुम
जवाब देंहटाएंचुप रहोगे।
vaah...
आज आलसी कम लंठई ज्यादा करते दिखे ...गज़ब
जवाब देंहटाएंअजय कुमार झा
अब तो इस तर्क के आगे क्षुद्रता भी शर्म से पानी-पानी हो जाएगी।
जवाब देंहटाएंइस पर थूकने को नहीं कहेंगे?
मारो साले को..........मेरी सच्चाई बता रहा है.
जवाब देंहटाएं:)
एक शत-प्रतिशत सत्य को दर्शाती कविता.
कमजोर पर तो कुत्ता भी पहले भौंकता है ।
जवाब देंहटाएंनहीं हम चुप नहीं रहेंगे, पर बोलो कि बोलें क्या.
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