चुनाव परिणामों के एक दिन पूर्व कुमार गन्धर्व का गाया कबीर का यह निरगुन सुन रहा हूँ. कुछ अलग ही अर्थ ले रहा है.
ठगों ने लूट लिया हमें. मजे की बात कि कल लूट के बँटवारे को हम बड़े उत्साह के साथ लाइव टी वी पर देखेंगें. हमें अपने लुटने का कोई भान नहीं होगा. हम तो एक खेल प्रेमी की तरह पल पल बदलते स्कोर के रोमान्च में तल्लीन यह जोड़ लगाने में मसगूल होंगें कि अब आगे 5 वर्षों तक हमारा मुनीम कौन होगा ! कौन होगा जो अर्थ व्यवस्था और मुद्रा प्रबन्धन पर बड़ी बड़ी बातें करेगा और चुपके चुपके गद्दी के नीचे से माल सरकाता रहेगा !!
हमारे हिस्से आएँगें बस खाता, बही, रजिस्टर वगैरह.
माल तो कहीं और ताल मिला रहा होगा.
. . . आए जमराज पलंग चढ़ि बैठा, नैनन अँसुआ फूटलयो
कौन ठगवा नगरिया लूट लयो? . . .
प्रतीक्षा करें कल की.
लेकिन आप आलसी तो नहीं लगते।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
gadhaa kya hai....kisi gareeb ki taqdeer hai, shaayad hi kabhi bhare aur sanvre..aapki koshish stutya hai
जवाब देंहटाएंbadhai!