बुधवार, 9 मार्च 2011

69 -1

संयोग जीवन के अनिवार्य अंग हैं। हम सबका इनसे पाला पड़ता है। संयोग किसी भी रूप में घट सकते हैं। आप को अन्धविश्वासी बना सकते हैं, विश्वासी बना सकते हैं, कौतुहल से भरे बचपन को पुन: पुन: आप के भीतर जगा कर जीवनपर्यंत खिलन्दड़ बनाये रख सकते हैं। यह इस पर निर्भर है कि आप कितने सम्वेदनशील हैं और जीवन को गम्भीरता और हल्केपन के मिश्रण के रूप में कितना देख पाते हैं।
मेरे जीवन में 69 अंक का संयोग निर्माणकाल के दौरान बना रहा। इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा के अनुक्रमांक से प्रारम्भ हुआ यह संयोग सेवायोजन के आखिरी चरण में एक साथी के इनकार और बाद में उसके त्यागपत्र तक बना रहा। जाने वह कहाँ है? आज भी यह जानने की उत्सुकता है कि मेरे भाग्यांक    को जानते हुये भी काटने वाला आज किस स्थिति में है? मैं इसे बचपना नहीं बचपन मानता हूँ जो अभी भी मेरे भीतर जीवित है। अंकों के साथ खिलवाड़ और उनसे जुड़े संयोगों से आँखमिचौनी की मेरी प्रवृत्ति दिन ब दिन बढ़ती रही है। मजे की बात यह है कि न तो मुझे अंकज्योतिष में विश्वास है और न उससे जुड़ी तमाम शाखाओं पर ‘शाखा ते शाखा पर जाहीं’ जैसी कोई खिलन्दड़ प्रवृत्ति है।
47 कड़ियों में भी अधूरे रह गये प्रेमपत्र पिनकोड 273010 में अंक संयोगों की छाया अंत तक दिखती रहेगी। अंक को गिनती से जुड़ा ही समझें, कुछ और नहीं । इसे लिखते हुये भी संयोगों से पाला पड़ता रहा है। सबसे नये वाले का तो पता अभी हाल में चला – मैं दंग रह गया। सम्बन्धित व्यक्ति को बताया भी और साथ ही दु:खी भी हुआ। फिर यह सोच कर स्वयं को बहला लिया कि संयोग घटते ही रहते हैं और एक अकेली कहानी जैसी कोई बात नहीं होती।
गणितीय दृष्टि से 69 एक अर्द्ध अभाज्य अंक है। यह विभाजित तो होता है लेकिन अभाज्य संख्याओं से। विभाजन का यह स्वभाव अकड़ और झुकाव के सामंजस्य को दर्शाता है। यह बात तो आप ने सुनी ही होगी - इतने न झुको कि दूसरे तुम्हें गलीचों की तरह रौदें और इतने अकड़ू भी न बनो कि टूट जाओ!
यह संयोग ही है कि धनु राशि में पाया जाने वाला आकाशीय तारक समूह एम-69 clip_image002हमारी आकाशगंगा के घूर्णन केन्द्र के बहुत निकट है। अब इसका नाम एम-46 भी हो सकता था लेकिन संयोग तो संयोग है। यह माना जाता है कि आकाशगंगा के घूर्णन केन्द्र में एक अति विशाल ब्लैक होल है। संतुलन के लिये घूमना आवश्यक है और घूमने के लिये एक शक्तिशाली केन्द्र। clip_image004ऐसा हमारे जीवन में भी है। हमारे मस्तिष्क में भी चेतना का एक अतिशक्तिशाली केन्द्र है और हम सारा जीवन उसके इर्द गिर्द घूमते रहते हैं। हमारे जीवन की गुणवत्ता उस केन्द्र की शक्ति पर निर्भर है। ऐसा सब के साथ है केवल धनुराशि वालों के साथ नहीं  
69 घूर्णन सममिति, प्राकृतिक संतुलन और विरुद्धों के सामंजस्य का प्रतीक है। प्रतीक तो प्रतीक होते हैं और यह बस संयोग है कि अंतर्राष्ट्रीय भारतीय लिपि (अज्ञानता के कारण लोग अरेबिक स्क्रिप्ट भी कहते हैं) में यह अंक ऐसा दिखता है कि इसे इन सबसे जोड़ा जा सके अन्यथा देवनागरी लिपि का उनहत्तर इनका प्रतीक नहीं बन सकता। 

ताओवाद में प्रयुक्त दो विरुद्ध शक्तियों के प्रतीक ताइजीतू में भी इस अंक की छटा दिखती है। प्रकृति में परस्पर विरुद्ध प्रतीत होती दो शक्तियों यिन यांग के आपसी जुड़ाव, पारस्परिक निर्भरता और एक दूसरे को उठान देने के स्वभाव को दर्शाता यह प्रतीक अरस्तू के स्वर्णिम माध्य, कंफ्यूसस के मध्यमान मत,बौद्धों के मज्झिम मार्ग और सनातनी योग के संतुलन मार्ग से भी जुड़ता है। विपरीत शक्तियाँ एक दूसरे के सापेक्ष ही अस्तित्त्व में होती हैं। [क्रमश:]
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इस आलेख के लिये कुछ सामग्री वीकीपीडिया से ली गई है, लेखक आभारी है।