पाठ्य-पुस्तक में कभी इसी नाम से एक व्यंग्य हुआ करता था। ढूंढता तो रहता हूँ लेकिन अब किताबों में मिलती नहीं वैसे रचनायें - ’साईकिल की सवारी’ ’चचा छक्कन ने केले खरीदे’ ’चचा छक्कन ने तस्वीर टांगी’
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पाठ्य-पुस्तक में कभी इसी नाम से एक व्यंग्य हुआ करता था। ढूंढता तो रहता हूँ लेकिन अब किताबों में मिलती नहीं वैसे रचनायें - ’साईकिल की सवारी’ ’चचा छक्कन ने केले खरीदे’ ’चचा छक्कन ने तस्वीर टांगी’
जवाब देंहटाएंजय हो..सहज हैं दोनों..नित का ही कार्य है..
जवाब देंहटाएं:-)
जवाब देंहटाएंसुन्दर फोटो!
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