शनिवार, 26 जनवरी 2013

खुशकिस्मती और मारामारी


गुडुवा झुलनवा से- अबे, आज तो अधिक कमाई हो गयी! भीख माँगने के साथ झंडे भी बेच लिये।
झुलनवा,"तो चल पिक्चर चलते हैं।"
गुडुवा,"नहीं, उस्ताद को पता चला तो बहुत मारेगा।"
झुलनवा,"मेरी तो मारता ही रहता है, अधिक क्या कर लेगा? मैं चला।"
गुडुवा झुलनवा को खुशकिस्मत समझ रुआँसा हो गया है।

3 टिप्‍पणियां:

कृपया विषय से सम्बन्धित टिप्पणी करें और सभ्याचरण बनाये रखें। प्रचार के उद्देश्य से की गयी या व्यापार सम्बन्धित टिप्पणियाँ स्वत: स्पैम में चली जाती हैं, जिनका उद्धार सम्भव नहीं। अग्रिम धन्यवाद।