भूमिका:
पार्टियों के चुनावी घोषणापत्रों के बारे में मान्यता है कि इनमें जीती हुई पार्टी द्वारा सरकार चलाने की प्राथमिकताओं, योजनाओं, मुख्य मुद्दों, लक्ष्यों और परिणाम आदि के बारे में पहले से ही मतदाताओं को बता दिया जाता है ताकि उसे मतदान के समय निर्णय लेने में आसानी रहे। व्यवहारिक और यथार्थ दृष्टि से देखें तो न तो मतदाता इन्हें गम्भीरता से लेता है और न राजनेता। कइयों को तो यह किस चिड़िया का नाम है, आज भी नहीं पता! मूर्ख बनने और बनाने के पंचवर्षीय प्रहसन मंचन के मंगलाचरण होते हैं चुनावी घोषणापत्र! ये गाँव गिराम की रात भर चलने वाली सस्ती नौटंकियों के प्रारम्भ में होने वाले उन वन्दनागीतों की तरह होते हैं जिनसे आगे अश्लील और भौंड़े प्रदर्शन अनिवार्य होते हैं।
मैंने सोचा कि क्यों न एक नागरिक, एक मतदाता का घोषणापत्र जारी किया जाय जो कि सैद्धांतिक ही सही, स्वामी है और अपना एवं प्रभुवर्ग का भाग्यविधाता भी है। हर पाँचवे वर्ष जिसका भाव सैद्धांतिक ही सही, बहुत ऊँचा हो जाता है! इस घोषणापत्र को आप व्यंग्य के रूप में भी ले सकते हैं और गम्भीर रूप में भी। क्या है कि अब दोनों में कोई अंतर नहीं रहा - यह लोकतंत्र की एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है जिसे चिह्नित किया जाना चाहिये।
घोषणापत्र को माँगपत्र की तरह पढ़ा जाना चाहिये हालाँकि यह भी एक बेतुकी बात फरियाद होगी।
घोषणापत्र:
(1) मुझे आजतक सरकार नहीं मिली, मुझे सरकार चाहिये। वास्तविक 'बहुमत' वाली सरकार चाहिये। सरकार से मेरा अर्थ उस समूह संस्था से है जो अनुशासित है, विधान और उत्कृष्ट मानदंडों के अनुसार सामयिक परिणामपरक काम करती है। सम्यक विकास के साथ अपना ऑडिट भी करती चलती है और निरंतर सुधार भी।
(2) भयमुक्त, पक्षपातविहीन, शोषणरहित समय और परिवेश चाहिये।
(3) बच्चों और युवजनों के लिये स्नातक स्तर तक मुक्त और मुफ्त शिक्षा चाहिये। वृद्धों के लिये अनिर्भर जीवन चाहिये।
(4) मिट्टी, वायु, जल, अन्न और जीवन - ये पाँच मेरे मौलिक अधिकार होने चाहिये।
(5) मुझे 24 घंटे बिजली चाहिये। गड्ढारहित सड़कें चाहिये।
(6) गाँव, गिराम, टोले, मुहल्ले स्तर तक जच्चगी बच्चगी से लेकर हृदय शल्य चिकित्सा तक की स्वास्थ्य सुविधायें चाहिये।
(7) आक्रामक और राष्ट्रकेन्द्रित अर्थ एवं विदेशनीति चाहिये।
(8) सीमाओं के लिये विश्वस्तरीय सुरक्षा चाहिये।
(9) मेरे द्वारा चुनी और मेरी सेवक सरकार यदि किन्हीं दो लगातार वर्षों में ऑडिट में पूर्वपरिभाषित और पूर्वनिर्धारित मानकों की कसौटी निकम्मी पायी जाती है तो उसे भंग कर नयी सरकार गठित करने की सुस्पष्ट व्यवस्था और क्रियान्वयन चाहिये किंतु मुझे पाँच वर्षों से पहले चुनाव नहीं चाहिये।
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घोषणापत्र इतना लम्बा नहीं होना चाहिये कि पढ़ने में आलस आये और इतना जटिल भी नहीं कि समझते नींद आये। मैंने लिख दिया, आगे आप की इच्छा। जय राम जी की!
इस घोषणापत्र को देखकर वे निपट अनपढ़ होने का ढोंग अवश्य रचेंगे ...
जवाब देंहटाएंइस घोषणापत्र का समुचित स्वागत होना चाहिये !
जवाब देंहटाएं:) badhiya
जवाब देंहटाएंbest wishes to all of us for our (day)dreams of getting such as we wish :)
:(
:)
(y)
हटाएंइस घोषणा पत्र को मैं अपने मित्रों के सांथ बांटना चाहता हूँ ....
जवाब देंहटाएंसभी राजनैतिक दलों पर चुटकुला सुनने सुनाने का रिवाज आम जनता के बीच रहा है। अब यह सामग्री इन दलों के भीतर जनता पर चुटकुले के रूप में सुनी सुनायी जाएगी। :)
जवाब देंहटाएंआप का घोषणा पत्र शायद हर नागरिक के मन की बात है.यह सब असंभव नहीं है लेकिन सरकार में देश के लिए कुछ करने की इच्छा होनी चाहिये.
जवाब देंहटाएंयहाँ अमीरात में लोकतंत्र से चुनी सरकार नहीं है परन्तु मुझे यह कहने में थोडा भी संकोच नहीं कि आप के द्वारा
दिए बिन्दुओं २,३,४,5,,6,7,8 को आप इस देश में यहाँ के नागरिकों के लिए लागू देख सकते हैं .
मेरे विचार में भारत के नागरिक अगर मोदी जी को पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने में सहयोग करें तो शायद देश का उद्धार हो जाए!
आपकी इस प्रस्तुति को ब्लॉग बुलेटिन की आज कि बुलेटिन जन्म दिवस - बाबू जगजीवन राम जी और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंआपका घोषणापत्र मेरा भी है, अब तो पास से गूँज सकते हैं।
जवाब देंहटाएंयह गंवई के पक्ष में टिल्टेड है। नागरिक के पक्ष में नहीं।
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