रविवार, 17 नवंबर 2019

सबरीमाला अय्यप्पा मण्डलपूजा वृश्चिक संक्रांति


आज भोर के आकाश में अद्भुत छटा थी। चंद्रमा पुनर्वसु नक्षत्र (मिथुन राशि) पर आर्द्रा व पोलक्स तारकों को मिलाने वाली सरल रेखा पर थे।
आज ही वृश्चिक सङ्क्रान्ति है। मलयालम सौर पञ्चाङ्ग में महीनों का आरम्भ सूर्य की राशि सङ्क्रांतियों से होता है अत: आज वृश्चिक मास का पहला दिन है। आज ही मण्डल पूजा हेतु प्रसिद्ध सबरीमला या सबरीमाला मन्दिर खुल गया है।

४१ दिनों के तप के पश्चात आज लाखो श्रद्धालु धर्मशास्ता अय्यप्पा के दर्शन करने अपने भक्ति अर्पण को पहुँचेंगे। भारत के अन्य बड़े पर्वों की ही भाँति यह पर्व भी ग्रह गति व नाक्षत्रिक घटनाओं से जुड़ा हुआ है। इस मन्दिर का एक अन्य आकर्षण मकरज्योति है। मकर संक्रांति से जुड़े महत्त्वपूर्ण नाक्षत्रिक प्रेक्षण हेतु इस लेख को पढ़ें -

सबरीमाला, शीत अयनांत, मकर संक्रांति और वाम-इस्लाम-ख्रिस्तान आक्रमण 



   

2 टिप्‍पणियां:

  1. .. जी सादर धन्यवाद बहुत ही उपयोगी लेख लिखा है आपने दरअसल में केरला के
    बारे में आधिक जानकारी जानना चाहती हूं ,और यह लेख मेरे लिए बहुत उपयोगी होगा

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  2. सबरीमाला का मंदिर दक्षिण भारत के सबसे दुर्गम मंदिरों में से एक है, फिर भी यह हर साल तीन से चार मिलियन तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है। सबरीमाला जाने के लिए पहाड़ के जंगलों के माध्यम से बहु-दिन की शुरुआत करने से पहले, तीर्थयात्री 41 दिनों के कठोर उपवास, ब्रह्मचर्य, ध्यान और प्रार्थना के साथ खुद को तैयार करते हैं।

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