नया जवान होता व्यक्ति अभिव्यक्ति के सागर जेब में लिए चलता है। जेब भी कैसी ! पानी तक न टपके। जब जरूरत हो तो निचोड़ कर ऐसी टपकाए कि बस ....
थोड़ा रूमानी और ताक झाँक वाला स्वभाव हो तो क्या कहने !
आज अपनी पुरानी डायरी आप के सामने खोलना प्रारम्भ कर रहा हूँ - पन्ने दर पन्ने , बेतरतीब । डायरी रोजनामचा टाइप नहीं बल्कि सँभाल कर छिपा कर किए प्रेम की तरह - जब मन आया लिख दिए, जब मन आया चूमने चल दिए, बहाने चाहे जो बनाने पड़ें।
नई जवानी में बचपना अभी शेष है लेकिन आश सी है कि इन पन्नों को भी उतना ही प्यार दुलार मिलेगा।
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9 मई 1992 'झुलसा सारा गाँव'
आज चाँदनी के आगन में, गरमी धरती पाँव
झुलस गए सब फूल पतंगे, झुलसा सारा गाँव।
सूख गए सब ताल तलइया
कोयल छोड़ चली अमरइया
गिद्धों के उन्मुक्त भोज में
कउवे बोलें काँव
झुलसा सारा गाँव।
भाग चले सब छोड़ घोंसले
मन में जलता काठ कोप ले
भाग दौड़ छीना झपटी में
सधते सबके पाँव
झुलसा सारा गाँव।
दीप दिवाली होली गाली
खा गइ सभी अमीरी (?) साली
नए ठाँव के नए ठाठ में
चलती कागज की नाँव
झुलसा सारा गाँव।
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अच्छी भावपूर्ण .धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना है इतनी देर बाद अपनी रचनाओं को पढना बहुत अच्छा लगता है आभार्
जवाब देंहटाएंपढ्कर बहुत अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा रचना -आप तो पूरे कवि भी हैं !
जवाब देंहटाएंगिद्धों से याद आया अब तो बेचारे गायब ही हो गए !
जवाब देंहटाएंतो गोया अब हमें रोज़ आपकी डायरी पढ़नी होगी!!! चलो, ये भी झेल लेते हैं:)
जवाब देंहटाएंगज़ब बेहतरीन रचना!
जवाब देंहटाएंखोल डायरी लिखी शायरी
जवाब देंहटाएंब्लॉगपोस्ट बन देख जाय री
आलस से अब जाग चुके हैं
कवि गिरिजेश राव
झुलसा सारा गाँव
Garmee ka sateek vardan.
जवाब देंहटाएं( Treasurer-S. T. )
Kavita Mein Bhi apka haath zordar hai.
जवाब देंहटाएंBadhai.
एक विशुद्ध धरती से जुड़े आदमी की कविता पढ़ रहे हैं, यह तो साफ हो गया। कोई भी शहरी अभिजात्य मोटिफ नहीं।
जवाब देंहटाएंअन्यथा ताल तलैया की जगह स्वीमिंग पूल होते। गिद्ध की जगह नाइटिंगेल। :-(
"डायरी रोजनामचा टाइप नहीं बल्कि सँभाल कर छिपा कर किए प्रेम की तरह...." इस पंक्ति पर ही वारा जाऊँ पहले तो । कितना माधुर्य होगा इस गोपन प्रेम की माधुरी में ।
जवाब देंहटाएंहम तो इस डायरी के पन्नों को कलेजे से लगा कर रखना चाहेंगे ।
अफ़सोस हो रहा है मैंने अपनी डायरीयां क्यों जला/फाड़ डाली ..अब जाकर अक्ल आई है पर का वर्षा जब कृषि सुखानी ..खैर अच्छा लगा आपको पढ़ कर.
जवाब देंहटाएंअद्भुत है भाई....ओर इससे पहले की भूमिका भी दिलचस्प है
जवाब देंहटाएंपुरानी डायरियाँ सम्भाल कर रखने से यही फायदा होता है आपको तो हुआ ही हमे भी हुआ जो बढिया गीत पढ़ने को मिला । मै भी आज अपनी पुरानी डायरियाँ टटोलता हूँ -शरद कोकास दुर्ग ,छ.ग.
जवाब देंहटाएंसामयिक भाव, सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
आपकी डायरी के पन्ने
जवाब देंहटाएंअब विश्व जाल पर
चिर काल तक
स्थायी हुए
कविता पसंद आयी
- लावण्या