शनिवार, 23 जनवरी 2010

पुरानी डायरी से -11 : ... मैं बूढ़ा हो गया ...

22 मई 1992, समय:__________                                                          .... मैं बूढ़ा हो गया ...



सुबह सुबह आज 
दाढ़ी बना रहा था।
थोड़ा सा एकांत देख
बीवी ने कहा
सुनते हो, बिटिया सयानी हो गई है
कहीं बातचीत तो करो ! 


उसी पल 
शीशे में कनपटी के बाल सफेद हो गए।
चेहरे की झुर्रियाँ उभर कर चिढ़ाने लगी मुँह । 
आँखें धुँधली हो गईं।
उसी पल
मैं बूढ़ा हो गया।
... मेरे भीतर कुछ टूट गया। 

23 टिप्‍पणियां:

  1. अकस्मात ही राजा दशरथ की याद हो आयी -उन्हें भी अपनी कनपटी के स्वेत बाल अचानक ही दिखे थे और उन्होंने राम के राज्याभिषेक का निर्णय ले लिया -
    अरमान बुलंद होने चाहिए -भले ही अवसान सन्निकट हों !

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  2. सच!
    ------------
    बच्ची खिलखिलाई
    चीनी लगी है
    आपके मुंह पर
    मैंने बताया
    काल है बेटा.

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  3. यह प्रश्न साल भर से मेरा भी पीछा करता है। लेकिन यहाँ तो खोपड़ी के बचे खुचे दस परसेंट बाल भी सारे पहले ही सफेद हो चुके हैं।

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  4. ऐसा...?

    निम्न मध्यम वर्ग में ऐसी झुर्रियाँ और यह सफ़ेदी कुछ जल्दी ही नमूदार हो लेती है...।

    आपने तो यह सब काफी पहले सोच लिया था। डायरी बता रही है कि आप बहुत जल्दी सयाने हो गये थे।

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  5. बेटियों के सयाने होने से अभिभावकों का बुढाना ....
    आप सच्चे बूढायें हैं औरी एतना साल पहिले से ...
    बूढायें रहें .....शुभकामनाएं ....!!

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  6. बात दृश्य की ही कर रहें हैं जो आइने में घट गया या उसकी जो परिणामतः टूट गया अन्तर में ।

    यह वैपरीत्य दिखाना है न ! कि बीवी कहे कि बिटिया सयानी हो गयी तो छरहरा हो जाय मन, प्रमुदित हो परिणय के उपक्रम करे !

    मैं कह नहीं पा रहा आपके मन के भीतर घटा सच, पर सच में टूटन महसूस रहा हूँ , जबकि मेरी बिटिया तो अभी एक साल की भी नहीं हुई !

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  7. डायरी पर १८ साल पहले का समय अंकित है उसके बाद से गोमती में पानी ज़रूर खूब बह गया होगा पर बिटिया का पिता अब भी बेटी के सयाना होने पर बालों में अतिरिक्त सफेदी पाता है.
    यहाँ कहा जाता है बेटियाँ आपकर्मी होती है बाप कर्मी नहीं.अपना भाग्य खुद लेकर आतीं हैं.
    एक दिलासा जो समाज देता है बेटी के पिता को.

    शीशे में अपनी कनपटी के बाल मैं भी सफ़ेद हुए देखता हूँ.

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  8. अरर्विन्द जी से सहमत । हम तो कब के जान चुके हैं हा हा हा

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  9. .
    .
    .
    अच्छी अभिव्यक्ति, पर यह सब पर लागू नहीं...
    मेरी बिटिया का साथ और दिनों दिन बढ़ना...हर दिन कुछ और ताजा, कुछ और जवान कर देता है मुझे तो... शायद मैं अपवाद होऊँ... :)

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  10. क्या तस्वीर खींचते हो सर जी...1992 यानि कि करीब सोलह साल पहले की लिखी गयी इबारत...

    सुंदर! अति सुंदर!!

    उधर हरकीरत जी की त्रिवेणियों पर आपका इशारा सही था। त्रिवेणी में हर मिस्रा पूर्ण होना मांगता है। कुछ लिखा है मैंने आपकी टिप्पणी का रिफर कर के...

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  11. ------रचना में गम्भीर संदेश है,बढ़िया लगी--------

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  12. Bhai sahab aapko to garv hona chahiye ki ye baal dhoop me safed nahin hue... :)
    bahut kuchh kahti kuchh panktiyan...
    haan likhawat bhi bahut sundar hai...
    Jai Hind... Jai Bundelkhand...

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  13. उसी पल
    शीशे में कनपटी के बाल सफेद हो गए।
    चेहरे की झुर्रियाँ उभर कर चिढ़ाने लगी मुँह ।
    आँखें धुँधली हो गईं।
    उसी पल
    मैं बूढ़ा हो गया।

    अजीब बात है ना के जुदा औलादे अपना जुदा जुदा असर रखती है ....मसलन बेटा ...ओर जवान बनाता है ....ओर बेटिया आज भी २०१० में बूढ़ा करती है .....

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  14. मनोज जी की बात से सहमत होते हुये " बेहतरीन भावाभिव्यक्ति".

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  15. समय से पहले बुढाना अच्छी बात नहीं है :)

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  16. चाहूँ अगर मैं,
    रुक जाये समय
    तो रुकेगा तो नहीं.
    दर्पण में देखा करता हूँ तो
    काले कम और सफेद ज्यादा हैं बाल
    उठाता हूँ कूँची रंगने को,
    तभी आती है संभव दौडी दौडी
    कुछ बीजगणित का सूत्र पूछ्ती
    तो कहता हूँ उससे
    अरे छोटे बच्चे
    पढते हो ये सब क्यूं
    तो कहती वो,
    मैं छोटी नहीं,
    जानते हो पापा!
    अगले चुनाव में वोट दुंगी.
    मैं फिर सोचता हूँ,
    चाहूँ अगर मैं,
    रुक जाये समय
    तो रुकेगा तो नहीं.

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  17. मैंने महसूस किया जो आपने लिखा है । जिगर के टुकडे से बिछुडने का एहसास हो जाना अचानक । कहीं कुछ टूट जाता है । बूढा कर जाता है ।

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  18. सन बानबे में बुढ़ा गये, और आज नौजवानों के साथ हँसी-ठट्ठा कर रहे हैं.. हैं??

    द क्यूरियस केस ऑफ गिरिजेश राव

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