लगता है कि ब्लॉगवाणी द्विभाषी या बहुभाषी होने की राह चल चुकी है। कृपया पार्श्व का स्क्रीनशॉट देखें।
मुफ्त सेवा प्रदान करते इस एग्रीगेटर साइट की विषयवस्तु क्या हो, कैसी हो, किस भाषा में हो - इन पर निर्णय लेने के लिए इसका प्रबन्धन स्वतंत्र है। यह उनका अधिकार है।
लेकिन अंग्रेजी चिट्ठों की बाढ़ में हिन्दी चिट्ठे दिखने बहुत कम हो जाएँगे जो कि अभी विकसित होती हिन्दी ब्लॉगरी के लिए शुभ नहीं होगा।
बहुभाषी होने की स्थिति में ब्लॉगवाणी को प्रयोक्ता के लिए भाषा चुनने का विकल्प अलग से देना चाहिए ताकि जिसे जिस भाषा का ब्लॉग देखना हो वही दिखे। इससे अपेक्षाकृत कम ब्लॉग संख्या वाली हिन्दी ब्लॉगरी को फलने फूलने में सहूलियत रहेगी।
आप अपने विचार बताइए।
आप सही कह रहे हैं. ब्लागवाणी के बहुत सारे नये फीचर्स बन कर रिलीज़ का इंतज़ार कर रहे हैं. फिलहाल हम उन्हें टैस्ट कर रहे हैं.
जवाब देंहटाएंब्लागवाणी में अन्य भारतीय भाषायें जल्द ही सम्मिलित होंगी. इसकी प्रक्रिया चालू हो चुकी है.
आपके पास भाषा चुनकर सेट करने की सुविधा होगी. मतलब अगर आप चाहें कि आप सिर्फ हिन्दी-मराठी की सारी प्रविष्टियां पढ़ पायें और बाकी भाषायें न दिखें तो हो पायेगा.
जब ब्लागवाणी में नई भाषायें आयेंगी तब यह सुविधा साथ ही मिलेगी. यही नहीं आप ब्लागवाणी का इन्टरफेस भी अपनी पसंदीदा भाषा में देख सकेंगे.
चलिए, सिरिल ही बता गये...तो मसला ही समाप्त!!
जवाब देंहटाएंसही कह रहे हैं,अभी तो यह शुरुआत है.
जवाब देंहटाएंमुझे ब्लागवाणी के बहुभाषी भारतीय एग्रीगेटर के रूप में परिवर्तित होने की सूचना थी। वैसे भी ब्लागवाणी का मराठी संस्करण पहले से चल रहा है। पर बहुभाषी होने का प्रोजेक्ट बड़ा है उस में समय लगेगा। बहुभाषी होने का लाभ ये है कि दूसरी भाषाओं के लोगों में हिन्दी के प्रति संपर्क बढ़ेगा जो हिन्दी के लिए शुभ और लाभदायक ही सिद्ध होगा। ब्लागवाणी को मकर संक्रांति पर आगे बढ़ने के लिए बहुत शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंएक समस्या..फिर उपयुक्त समाधान...!
जवाब देंहटाएं---------विचार परक लिखा आपनें , बढ़िया पोस्ट -------
जवाब देंहटाएंजै जै।
जवाब देंहटाएंसुस्वागतम !
जवाब देंहटाएं@ cyril gupta ji - ब्लागवाणी में अन्य भारतीय भाषायें सम्मिलित होना स्वागत योग्य है परन्तु यह बताने की भी कृ्पा करें आप भारतीय भाषाएँ मानते किन्हें हैं, जो नोट पर 15 भारतीय भाषाएँ लिखी होती है वह या आपकी अलग सूची है? विशेष रूप से यह बताएँ कि भारतीय भाषा उर्दू भी शामिल होगी या नहीं?
जवाब देंहटाएंजवाब का इन्तजार रहेगा,
ब्लॉगवाणी रजिस्ट्रड मेम्बर
मुहम्मद उमर कैरानवी
स्वागत है। सिरिल जी, पहले कमेंट पर क्लिक करने से ब्लाग खुल जाते थे। लेकिन अब नही खुलते कृपया इसका समाधान करें। आभार
जवाब देंहटाएंउर्दू का मसला जटिल है... हमने भी सिरिल से उर्दू शामिल करने का अनुरोध किया था पर उनकी दिक्कतें जानकर लगा कि फिलहाल ब्लॉगवाणी उनसे बचे तो बेहतर। उम्मीद करते हैं कि भारतीय तथा पाकिस्तानी उर्दूदां प्रोगरामर कोई विकल्प दे ही रहे होंगे
जवाब देंहटाएंमैं कर्नाटक से हूं और तुलु भाषी हूं, यह एक मरती हुई भाषा है। अगर ब्लॉगवाणी इसे शामिल करे तो मैं ब्लाग लिखूंगी। ब्लॉगवाणी से अनुरोध है कि कृ्पा करके तुलु को जरूर शामिल करे।
जवाब देंहटाएंइसमें कोई मदद चाहिये हो तो मैं करने को तैयार हूं प्लीज!
कुछ और भाषायें मैं यहां सुझा रहा हूं ब्लागवानि के लिये
जवाब देंहटाएं1. मगधी
2. माळवी
3. भोजपुरी
4. अवधी
5. ब्रजभाषा
बेशक यह सब भाषायें हिन्दी से मिलती जुलती हैं लेकिन इन्हें अलग स्थिति मिलनी चाहिये
यह तो बढ़िया है!
जवाब देंहटाएंज्यादा से ज्यादा भारतीय भाषाओं को शामिल किया जाना चाहिये और उसके अनुवाद की सेवा भी उपलब्ध हो तो बात ही कुछ और है।
जवाब देंहटाएंभाषाओं को एक-एक कर ही सम्मिलित कर पायेंगे. अभी यह निश्चित नहीं है कि आखिरकार कितनी और कौन-कौन सी भषायें सम्मिलित होंगी.
जवाब देंहटाएंजिनमें अनुवाद और काम संभव होगा करेंगे. लेकिन भाषाओं का जोड़ना एक लगातार चलने वाला प्रोसेस है. पहले फेज़ में 4-5 भाषायें ही आयें.
सराहनीय कार्य..!!
जवाब देंहटाएंअच्छा विषय उठाया है आपने। सिरिल गुप्त की टिप्पणी से इस पर प्रगति का पता चला। सराहनीय कार्य है।
जवाब देंहटाएंब्लॉग वाणी का नया outlook और फीचर्स बहुत ही अच्छा है . ब्लोगवाणी ने एक बार पुनः साबित किया है कि वो नंबर वन अग्रीगेटर है .
जवाब देंहटाएंhttp://www.janokti.com/
अच्छी जानकारी...और अगर अनुवाद भी मिले पढने को, तब तो सोने पे सुहागा
जवाब देंहटाएंआपकी मंशानुरूप और सिरिल जी की घोषणानुरूप देख रहा हूँ ब्लॉगवाणी को बदला हुआ । काफी दिनों बाद आया हूँ नेट पर । ब्लॉगवाणी लुभा गया । इंटरफेस परिवर्तन और कंटेंट परिवर्तन ने काफी समर्थ बना दिया है ब्लॉगवाणी को ।
जवाब देंहटाएंब्लॉगवानी बहुभाषी हो इसमें कोई बुराई नहीं है किंतु इन भाषाओं में अँग्रेज़ी नहीं होनी चाहिए. साथ ही प्रत्येक भाषा के लिए प्रथक खंड हों.
जवाब देंहटाएंएक अच्छा कदम !
जवाब देंहटाएंमैं भी सहमत हूं राव साब...इन एग्रीरेटर को कुछ प्राथमिकता तो बनानी पड़ेगी- भाषाई प्राथमिकता!
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