मंगलवार, 14 जून 2011

संत निगमानन्द को श्रद्धांजलि

 गंगा शुद्धि के लिए दी प्राण की आहुति

गंगासम्मान योद्धा को श्रद्धांजलि 
तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहें। 

हरिद्वार कुम्भ क्षेत्र में अवैध खनन को रोकवाने और गंगा सम्बन्धित कई माँगों को लेकर 115 दिनों से अनशन कर रहे संत निगमानन्द से अंतत: जीवन हार गया। औषधियों के साथ विष देने की भी अफवाहें हैं। 

जब गंगा हारेगी तब क्या होगा? 
हारने जीतने को जीवन रहेगा?  

20 टिप्‍पणियां:

  1. कृपया रामदेव, अण्णादि के अनशन से तुलना करते हुये यहाँ राजनीतिक काँव काँव कोलाहल न फैलायें। बलिदानी को श्रद्धांजलि दें और गरिमापूर्वक विदा लें।

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  2. हम इस महान संत को सच्ची श्रधांजलि दिल से देते है ... उनकी इच्छाएं पूरी हों ..

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  3. तुलना तो की ही जा रही है। जिस अनशन से राजनीतिक खतरा उत्पन्न नहीं हुआ वह यूँ ही चला जाता है। सत्ताधारी कान नहीं धरते।

    निगमानंद जी को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि।

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  4. तुलना न करें - कहकर आपने ऐसा ही कहा जैसे कहते हैं कि ‘बड़े गलत बोलें तो भी छोटों को जबान नहीं लड़ानी चाहिये’ ! ;-(

    खौले हुये खून को अंजुरी में लेकर ‘विनम्र श्रद्धांजलि’ व्यक्त करता हूँ!!

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  5. रक्त वर्षों से नसों में खौलता है,
    आप कहते हैं क्षणिक उत्तेजना है ।
    हो गई हर घाट पर पूरी व्यवस्था,
    शौक से डूबे जिसे भी डूबना है ।
    दोस्तों ! अब मंच पर सुविधा नहीं है,
    आजकल नेपथ्य में संभावना है । [ ~ दुश्यंत ]

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  6. संत निगमानन्द को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए यह कहना चाहूंगा कि अच्छे लोगों का जावन बहुमूल्य है, उसके असमय नष्ट होने से समाज और सत्य का कोई लाभ होने वाला नहीं है। मार्ग के पुनरावलोकन की कडी आवश्यकता है। मैं "चिपको" आन्दोलन जैसे जनान्दोलन की बात कर रहा हूँ।

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  7. बहुत दुखद -विनम्र श्रद्धांजलि !
    यह त्याग वृथा न जाएगा !

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  8. वही लूटते पुन्य यहाँ पर जो होते मन के चंगे
    हर गंगे। हर हर गंगे।।
    ..विनम्र श्रद्धांजलि।

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  9. निगमानंद जी को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि।

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  10. जाना तो दुनिया से एक दिन सभी को है...

    लेकिन इस तरह एक बहुमूल्य जीवन

    व्यर्थ नहीं जाना चाहिए..

    ह्रदय से श्रद्धांजलि....!!

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  11. ऐसे संत का ऐसा अवसान...अति दुर्भाग्यपूर्ण है...

    सत्य कहा आपने...जिस दिन गंगा हारेगी,उस दिन क्या होगा...???

    जाने कब यह लोग सोच पायेंगे...

    लेकिन हमारी श्रद्धा का भी कोई मूल्य तो तभी होगा जब अपना सम्पूर्ण सामर्थ्य हम गंगा समेत किसी भी नदी के क्षरण प्रदूषण रोकने में लगायें....स्वयं भी कुछ भी ऐसा न करें जिससे किसी तरह का कोई नुक्सान हो और अपने आस पास भी सबको इसके लिए प्रेरित करें...

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  12. जब शरीर से क्षीण हो गया,
    गंगा में समलीन हो गया।

    श्रद्धांजलि।

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  13. जीवन दायिनी गंगा को बचानें में जीवन अर्पित करने वाली महान आत्मा, श्रद्देय निगमानंद जी को अंतस से श्रद्धांजलि!!

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  14. रंजना जी के कमेन्ट से लेकर ये पंक्तियाँ और जोड़ना चाहूँगा
    ........ हमारी श्रद्धा का भी कोई मूल्य तो तभी होगा जब अपना सम्पूर्ण सामर्थ्य हम गंगा समेत किसी भी नदी के क्षरण प्रदूषण रोकने में लगायें....स्वयं भी कुछ भी ऐसा न करें जिससे किसी तरह का कोई नुक्सान हो और अपने आस पास भी सबको इसके लिए प्रेरित करें...

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