पहला दिन:
मोबाइल बजा है।
एक बाला का मासूम स्वर: गुड आफ्टर नून सर! मैं भावना बोल रही हूँ भारती इंश्योरेंस से। आप गिरिजेश राव बोल रहे हैं?
मैं: जी।
भावना: क्या आप के पास दो मिनट का समय है?
मैं: नहीं है।
भावना: क्या मैं दो घंटे के बाद फिर से काल कर लूँ?
मैं: आप भारती से भावना बोल रही हैं?
भावना: जी (स्वर में शंका)
मैं: आप ने भारत भारती का नाम सुना है?
भावना: मैं समझी नहीं सर!
मैं: सुना है या नहीं?
भावना: नहीं (उलझन)
मैं: यह मैथिली शरण गुप्त की प्रसिद्ध रचना है। अब यह न पूछिएगा कि यह कौन हैं? ये कभी राष्ट्रकवि हुआ करते थे।
भावना: सर! मैं दो घंटे के बाद बात कर लूँ? आप फ्री होंगे?
मैं: मैडम मैं आज पूरे दिन फ्री नहीं।
भावना: तो कल फोन कर लूँ - इसी समय?
मैं: who has seen tomorrow Ma'm?
भावना: मैं समझी नहीं सर!
मैं: कल किसने देखा है? आप को यकीन है कि कल आप या मैं जीवित रहेंगे?
भावना: सर! मैं कल बात कर लूँ?
मैं: जी मैम। अगर आप कल जीवित रहीं और कल मैं भी जीवित रहा। वैसे यह तो आप को कल ही पता चलेगा।
भावना: थैंक यू सर।
(उसने ज़रूर राहत की लम्बी साँस ली होगी।)
दूसरा दिन:
मोबाइल रिंग
फिर वही मासूम स्वर: गुड आफ्टर नून सर! मैं भावना बोल रही हूँ भारती इंश्योरेंस से। कल आप को फोन किया था।
मैं: कल? मुझे तो आप ने काल नहीं किया था।
भावना: आप गिरिजेश राव बोल रहे हैं न?
मैं: नहीं मैं उनका फ्रेंड हूँ। वह नहीं हैं।
भावना: उनसे बात करा दीजिए प्लीज।
मैं: अब उनसे बात नहीं हो सकती।
भावना: पार्डन सर! क्यों?
मैं: Girijesh expired yesterday.
भावना: सॉरी (जैसे दुबारा पुष्टि की जा रही हो)
मैं: मैडम! He is dead.
. . .
कल भावना मुझे काल करने वाली है। इंस्योरेंस यानि जीवन बीमा के लिए।
सुकून से जीने नहीं दोगे आप उसे. बेचारी कन्या को क्यों परेशान कर रहे हैं :)
जवाब देंहटाएंहे भगवान यह सब केसे हो गया.... भगवान उन्हे शांति दे..."मैडम! He is dead" ओह..........
जवाब देंहटाएंगिरिजेश जी! मैंने तो कह दिया था कि भावना ख़्वामख्वाह अपना टाइम क्यों खोटि कर रही हो, मुझे इंश्योरेंस नहीं चाहिए. कल सण्डे है, बाई द वे कल तुम क्या कर रही हो??? प्रश्न अनुत्तरित और फोन असम्बद्ध हो गया!
जवाब देंहटाएंसमझ सकता हूँ देव! कुँआरेपन में बहुत तरस आता है।
जवाब देंहटाएंभावना की भावनाओं को समझते ...... कहाँ आप उनको मैथिलि शरण गुप्त की रचना पढाने लग रहे हो.
जवाब देंहटाएंआप रचना और भावना का मेल नहीं नहीं जानते....
तभी आपने कह दिया
@Girijesh Rao expired yesterday.
इ कहना कितना आसान है ......
ये तो फोन रिंग तो घंटा सिंग वाला हाल हो गया है। FM पर भी एक शख्स इसी तरह फोन करके लोगों को उलझे अटपटे सवाल जवाब करते हुए परेशान करता है।
जवाब देंहटाएंब्लॉगजगत के घंटा सिंग को नमन :)
और हां, इस तरह से किसी नारी को उसका फोन आने पर उल्टे सीधे जवाब देकर परेशान करते हो ।
क्या नारीवादीयों से डर नहीं लगता :)
एकदम राप्चिक पोस्ट है जी।
isiliye kahte hai kal kare so aaj kar.....bechari ...ek client chala gaya....
जवाब देंहटाएंवैसे उस दर्शन से बाहर इत्ती मौज लेना ठीक नहीं !
जवाब देंहटाएंइहाँ किसी का फोनवा भी नहीं आता :( , क्या खूब स्टाइल मारे हैं आप भी ! कहीं ऐसा न हो की आप भावना में भारती की किरपा से भरती हो जाएँ :-)
जवाब देंहटाएं1. गज़ब
जवाब देंहटाएं! कल अगर भावना-भारती का फोन आयेगा तो वे आपके ब्लॉग की तारीफ करने से पहले बिना बीमा मर जाने से कइतना घाटा हो गया इसका ब्योरा भी देंगी।
2. कुंवारेपन का ताना छोडकर जन्मदिन की बधाई दे डालो!
यह वार्तालाप प्रशिक्षण प्रयोजन के लिए रिकॉर्ड की गई है, जिससे प्रशिक्षु लाभान्वित हो रहे हैं. ः)
जवाब देंहटाएं@ राहुल जी,
जवाब देंहटाएंग़जब! क्या बात कह दी आप ने! :)
@ सतीश पंचम
अमाँ यह घंटा सिंग किस चैनल पर आता है? हम तो सुड यानी सुदर्शन के और उसकी जोक बुक के फैन हैं।
फ़िर भी खुशकिस्मत हो महाराज, हमारे फ़ोन पर तो आजकल संजय दत्त आ रहे हैं दिन में दो बार, स्साली खुश्की भी नहीं ले सकते उससे:)
जवाब देंहटाएं@ मो सम कौन
जवाब देंहटाएंअमाँ पहले उससे पूछो कि संजय के कारनामे आप को पता हैं?
फिर पूछो महाभारत देखे कि नहीं? न देखा हो तो देख लो। (पढ़ तो वह सकता नहीं)
फिर आवाज में गर्व भर कर बताइए कि वह शख्स टी वी का पहला उपभोक्ता था। लाइव कमेंट्री सुनाई उस खेल की जिसमें सिर्फ पाँच गाँवों के लिए करोड़ो मार दिए गए।
उसके बाद धीरे से बोलिए - राज की बात बताऊँ? मेरा नाम भी संजय है। दुबारा फोन न करियो।
..अब फोन नहीं..स्वयम् भावना आ रही है...बचिये।
जवाब देंहटाएंबुरी बात ...
जवाब देंहटाएंअपना मोबाइल नंबर सत्यनारायण के प्रसाद की तरह बांटने का अंजाम यही होता है !
very bad....bhawana ki kadra honi
जवाब देंहटाएंchahiye....
pranam.
भावनाओं को समझा करें, प्रभो!!
जवाब देंहटाएंइस तरह मरणांतक आघात न दें।
आपकी पोस्ट अच्छी लगी। आपकी भावना की कद्र करता हूं!
जवाब देंहटाएंआपने भावना की भावना को नहीं समझा,यह गलत बात है। बहरहाल घंटा सिंह अब केवल घंटा हो गया है। यह बंगलौर में एफएम के हिदी रेडियो चैनल पर धमाल मचाते रहते हैं।
जवाब देंहटाएंभावनाओं से मजाक अच्छा नहीं गिरिजेश सर !
जवाब देंहटाएंमेरे गीत पर आपसे शिकायत की है , आलस छोड़ कर कम से कम देख भर लीजियेगा !
उसे अपना कर्तव्य निभा लेने दें, विचार-भार से लड़खड़ा जाती है भावना।
जवाब देंहटाएंधन्य हो महाराज ,एक तो खाली नहीं हो दूसरे बेचारी को झेला दिया ....कितने निर्दयी हैं आप ! आपको लोगों की कतई परवाह नहीं है .....गाड ब्लेस यू !
जवाब देंहटाएंवार्त्ता तो बड़ी दिलचस्प है....बहाने भी आपने सॉलिड बनाए...
जवाब देंहटाएंपर मैं कुछ सीरियस कहने जा रही हूँ. मुझे भी सबकी तरह बड़ी खीझ होती थी..कभी रूडली बोल देती थी पर फिल्म "ट्रैफिक सिग्नल" में इनकी मजबूरियाँ देखी....किन-किन मुश्किलों से गुजरते हैं ये लोंग...कितना प्रेशर होता है...और कैसी मुफलिसी ये सब करवाती है इनसे.
उनके प्लान्स स्वीकार तो अब भी नहीं कर पाती...पर मना करते हुए आवाज़ जरा सॉफ्ट होती है, अब
अगर वो आ जाती तो एक्सपाइरी डेट के बाद के रिन्यूवल की संभावना बनी रहती :)
जवाब देंहटाएंव्हाट एन आइडिया सर जी...!!!!
जवाब देंहटाएंअब मैं भी इसे अप्लाई करुँगी...
अच्छा, अगर मैडम भारती कहती कि-
जवाब देंहटाएंगिरिजेश राव जी नहीं रहे????
..सो सैड..!!!
अच्छा सर,क्या मैं आपसे पांच मिनट बात कर सकती हूँ,एक बहुत अच्छी स्कीम है हमारे पास....
बॉस भावनाओं से खेलना कब छोड़ोगे । ऊ ससुरी तो नहीं मरेगी पर हमें सवेर सवेरे ऐसी झूठमूठ की खबरें पढ़ना अच्छा नहीं लगता है । इसलिये दूसरे लेख की तरफ उंगलियां बढ़ाते हैं । और भावना जी का फोन आये तो मेरा मो0 नंबर दे दीजियेगा । मैं इधर भावनाप्रधान हो गया हूं ।
जवाब देंहटाएंभाई जी....!!!
जवाब देंहटाएंपोस्ट पढ़कर यक़ीन आया....कि दुनिया में एक से बढ़कर एक बवाली हैं........हम ख़ुद को ही अलहदा समझते थे......धरती वीरों से ख़ाली नहीं है......!!!!!