इस लिंक को फेसबुक पर शेयर करने के लिये ललित कुमार को धन्यवाद।
इस पूरे लेख का सतर्क पाठन कीजिये।
मुग़लिस्तान योजना
अंग्रेजी में है लेकिन आसानी से समझ में आ जायेगा। अगर अंग्रेजी नहीं आती तो किसी जानने वाले मित्र की सहायता से पढ़िये और समझिये।
हुक़ूमत-ए-बंगलादेश को मनाने में धनदोहनी सरकार को लगे रहने दीजिये, आप तो बस इसे पढ़िये और मनन कीजिये। उनके इरादे वाकई खतरनाक हैं।
इस पूरे लेख का सतर्क पाठन कीजिये।
मुग़लिस्तान योजना
अंग्रेजी में है लेकिन आसानी से समझ में आ जायेगा। अगर अंग्रेजी नहीं आती तो किसी जानने वाले मित्र की सहायता से पढ़िये और समझिये।
हुक़ूमत-ए-बंगलादेश को मनाने में धनदोहनी सरकार को लगे रहने दीजिये, आप तो बस इसे पढ़िये और मनन कीजिये। उनके इरादे वाकई खतरनाक हैं।
कम्बख्तों के पास अभी जो है वही उनसे संभल नहीं रहा, तब तक और की चाहत......
जवाब देंहटाएंहद है।
इन श्वानो और उनके भारतीय दलालों के लिए इतना ही कहूँगा की
जवाब देंहटाएंकुछ खैराती डालर से तुम.कितने भी बम बनवाओगे
गौरी अब्दाली भीख मिली,ब्रम्होश कहाँ से लाओगे ….
गौरी गजनी और शाहीन से कश्मीर भला क्या पाओगे,
तब बंगलादेश गंवाया था,अब पाकिस्तान गँवाओगे…
ये फिदायीन ये मानव बम, कुछ काम नहीं आ पायेंगे..
भों भों करते ये जेहादी कुत्ते..
शिव तांडव से क्या टकरायेंगे...
गर अबकी मर्यादा लांघी,तो अपनी कब्र बनाओगे ..
इकहत्तर मे था छोड़ दिया,इस बार नहीं बच पाओगे..
दूसरे की ताकत को कम आँकना अपनी ही कमज़ोरी है.वहाँ धर्म के नाम पर दुनिया भर एक हो जाएगी और हम अपनी अहिंसा,क्षमा और शान्ति के नाम जीता हुआ भी लौटा देनेवाले, चिल्लाते रह जायेंगे - अगर अभी भी नहीं सँभले तो .
जवाब देंहटाएंअंतरिम टिप्पणी -शाम को इत्मीनान से पढ़कर टिप्पणी!
जवाब देंहटाएंआतंकवाद से लड़ने की नौटंकी क्यों फिर?
जवाब देंहटाएंबाप रे मुगलस्तान का भयावह सपना -कहीं हकीकत न बन जाए !
जवाब देंहटाएं@ सतीश पंचम:
जवाब देंहटाएंदोनों काम चलते रहेंगे- जो है वो संभलेगा नहीं, और की चाहत बढ़ती रहेगी..
खामख्याली की इन्तहा नहीं होती :)
जवाब देंहटाएंयह पोस्ट हर भारतीय को पढ़नी ही चाहिए ...और फिर मंथन के लिए एक जुट होना चाहिए ......कि आखिर इस इस्लामिक ड्रैगन का क्या किया जाय ? गिरिजेश राव साधुवाद के पात्र हैं जिन्होंने सोते हुए हिन्दुओं की आँखें खोलने का सद्प्रयास किया है. हमें अपने नेताओं से यह पूछने का हक़ है कि आखिर वे हमारे देश के सीमावर्ती प्रान्तों की रक्षा के लिए क्या कर रहे हैं ?
जवाब देंहटाएं@ खामख्याली की इन्तहा नहीं होती :)
जवाब देंहटाएंखामख्याली के दो तरफ होने की सम्भावना है - मुगलिस्तान की सोच वालों की ओर या उसके बारे में लिखने वाले की ओर। दुर्भाग्य से दोनों ओर नहीं है और यह धुर हक़ीकत है।
मुगलिस्तान की सोच वही सोच है जो:
(क) पाकिस्तान और बंगलादेश के सृजन में सफल रही।
(ख) इन दोनों क्षेत्रों से अल्पसंख्यकों पर भारी अत्याचार और गुनाह कर उनकी संख्या को आधी सदी से कुछ ही अधिक समय में नगण्य तक लाने में सफल रही।
(ग) कश्मीरियों को अपने ही देश में शरणार्थी बनने पर मजबूर किया।
(घ) मूल लेख के नक्शे में दर्शाये गये पूरे कॉरिडोर में गाँव, मुहल्ला, क़स्बा और शहर हर स्तर पर चुपचाप दोजख फैलाने के काम में लगी है।
(ङ) केरल और बंगाल में कश्मीर को दुहराने की कवायद में लगी है।
(च) पैदा कर, घुसपैठ कर, धर्मांतरण करा और हत्या दमन कर चाहे जैसे संख्या का प्रतिशत बढ़ाने में लगी है ताकि मुगलिस्तान बन सके।
यह वही मानसिकता है जो जहाँ भी अवसर मिले,अलगाववाद फैलाने और मानवता के विरुद्ध हरकतों से नहीं चूकती
http://www.faithfreedom.org/features/news/british-muslims-want-three-islamic-states-in-britain/
यह वही मानसिकता है जो सात से सत्तर वर्ष की ग़ैर धर्म मानने वाली हर स्त्री को माल-ए-ग़नीमत समझती है और सामूहिक बलात्कारों के सुनियोजित और नियमित आयोजनों से नहीं चूकती
http://www.ghrd.org/pagina.asp?id=2403
http://www.ghrd.org/FilesPage/3272/JUSTINE_nr.1_2008.pdf
व्यक्ति नहीं आँकड़े और इतिहास बोलते हैं। अब इतने साक्ष्यों के बाद भारतीयों को सतर्क तो हो ही जाना चाहिये। आगाह करना खामख्याली नहीं है। हमें यह तो तय करना ही होगा कि हमें अपनी संतानों के लिये शांतिपूर्ण समृद्ध समाज चाहिये या एक और पाकिस्तान, बंगलादेश या कश्मीर?