... छ: साल पहले ऑफिस में आई थी एक इंजीनियर लड़की जो Girish
स्विचों के लिये सेल्स इंजीनियर थी। पौना घंटे में ही वह बहुत
प्रसन्न हो अपनी पढ़ाई लिखाई, घर परिवार और अपने सपनों के
बारे में बहुत कुछ बता कर यह बताते हुये विदा हुई कि आप अप्रूव करें या न करें,
मुझे बहुत कुछ मिल गया, इतने सीरियसनेस के साथ
किसी ने भी मुझे ट्रीट नहीं किया था, आप बिल्कुल पा...(शायद
मेरी कम आयु देख वह 'पापा' पूरा नहीं
कर सकी) और फिर नि:संकोच हाथ मिलाने के लिये बढ़ा दिया।
... और आज, 16 दिसम्बर 2012 के इतने दिनों के बाद, एक और सेल्स इंजीनियर लड़की
आई L&T की प्रोडक्ट रेंज और केटेलॉग का भारी बैग,
एक लैपटॉप और दो मोबाइल सँभाले... मुझे याद नहीं कि मैं क्या क्या
पूछ गया लेकिन जाते हुये उसके चेहरे की संतुष्टि, प्रसन्नता
और जींस पहने पैरों की मज़बूती देख मन में जमा बहुत सा अवसाद बह गया।
लंच में नीचे उतरा तो स्कूटी पर बैठी वह किसी को मीटिंग का ब्यौरा दे रही
थी। बात समाप्त कर उसने चेहरे पर रुमाल (या जो भी कहते हों) बाँधा और उड़ चली। मैं
दूर तक उसे ओझल होते देखता रहा। मैंने एक अशब्द प्रार्थना पढ़ी और उसके बाद स्वयं
को बुदबुदाते पाया - वे अपनी राह बनाती आ रही हैं! उन्हें कोई नहीं रोक सकता!!
अभी के अभी.... :)
जवाब देंहटाएंरोकना चाहिए भी नहीं!अब उन्हें अपनी क्षमता ,हुनर और शक्ति का अहसास है.
जवाब देंहटाएंहाँ - अच्छा लगता है न ? :)
जवाब देंहटाएंराह रचने में सक्षम जो,
जवाब देंहटाएंउनको राह बनाने दे हम,
और किस निष्कर्ष को हम साधते श्रम?
:)
जवाब देंहटाएंसच में कोई नहीं रोक सकता इन्हें !
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"वे अपनी राह बनाती आ रही हैं! उन्हें कोई नहीं रोक सकता!!"
वो अपनी राह बनाती आ रही हैं पर उन्हें कोई भी रोकने की हिमाकत करने की सोचे भी न... यह सुनिश्चित करना मेरा, आपका और हम सबका दायित्व है... प्रार्थना अपनी जगह है पर हमें उनकी राह को आसान भी करना होगा, कम से कम पुरूषों जितना ही...
...
सक्षम होते देखना हर तरह से सुखद है।
जवाब देंहटाएंकुछ दिनों से आपके ब्लॉग पर झाँककर जाते हैं.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी लगी ये पोस्ट. आजकल की लड़कियाँ सच में बहुत मेहनत कर रही हैं. और सबसे बड़ी बात उनके माँ और पा हमेशा उनके साथ रहते हैं. मेरी भतीजी और उसकी सहेलियाँ अक्सर आती हैं मेरे पास. डी.यू. की छात्राएं हैं. दिल्ली का रंग खूब चढ़ा है. दिन में तीन-चार बार माँ और पा का फोन आता है और लड़कियाँ उन्हें डिटेल्स देती रहती हैं कि कहाँ हैं? सुरक्षा की दृष्टि से ठीक ही है, दिल्ली की दिसम्बर वाली घटना से लोग डरे हुए हैं.
कोई नहीं रोक सकता इनकी राह
जवाब देंहटाएंखुशी होती है
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