पुरुष तत्त्व इन्द्र का वर्षाकाल समाप्त होने के पश्चात शरद ऋतु आती है। शरद विषुव (23 सितम्बर) से लेकर वसंत विषुव (22 मार्च) तक का काल स्त्रीकाल है। दिनमान के इन दो संतुलन बिन्दुओं के पास दो महत्त्वपूर्ण नवरात्र पर्व पड़ते हैं। पितर श्रद्धाञ्जलि पर्व के पश्चात नवसंतति के हितार्थ शारदीय नवरात्र पर्व जननी का उपासना पर्व है।
शरद स्त्री है, गहिमणी हो पर्जन्य से प्राप्त को भूमा में सँजोती है। स्त्री परिवर्तनों की सीमा भी है और ऋतुमती आवृत्ति भी। वह सनातन सत्य अर्थात ऋत को धारण करने वाली ऋतावरी है। संख्या नौ अपनी अद्भुत अपरिवर्तनीयता के कारण ऋतावरी माँ का प्रतीक है। सृजन और सृष्टि का अनुशासन स्त्री में निहित है। वह वत्सल माता प्रिया है, सरस है।
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